हैशटैग
#NemimatiMataJi(Jaipur)ShivSagarJiMaharaj
Aryika Shri 105 Nemimati Mata ji was born in Jaipur,Rajasthan.Her name was Bhanwarkumari before diksha.She received the initiation from Acharya Shri 108 Shiv Sagar Ji Maharaj.
माताजी का जन्म श्रावण बदी ७ सं 1955 की शाम को जयपुर में हुआ। आपके पिताजी का नाम रिखबचन्दजी विन्दायक्या ब मातु श्री का नाम मेहताब बाई आपका बचपन का नाम भंवरकुमारी था, लेकिन पिताजी के १ ही सन्तान होने के कारण प्यार से दोलत कंवर के नाम से पुकारते थे। आपकी शिक्षा उस समय चौथी कक्षा तक हई और आपका विवाह १० वर्ष की उम्र लाला नन्दलालजी सा० बिलाला पील्या वाले के सुपत्र श्री गणेशलालजी के साथ हुआ । लगभग ४० वर्ष तक आप पूर्ण धार्मिक मर्यादा सहित गृहस्थ जीवन पालन करती रही।
विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करते समय ही आपके हृदय में विशेष धार्मिक अभिरुचि उत्पन्न हुई और स्वाध्याय, दर्शन आदि के दैनिक नियम बन गये। प्रत्येक शास्त्र की समाप्ति पर आप कुछ न कुछ नियम अवश्य लेती थी यथा समय दान भी किया करती थी यही कार्य इनके पति श्रीगणेश लालजी का भी था। आपके पति श्री लाला गणेशलालजी बिलाला जयपुर स्टेट के काल में चांदी की टकशाल के ऑफिसर ( दारोगा ) थे, यहां से पेन्शन हो जाने के पश्चात् दोनों ही पति-पत्नि आचार्य वीर सागरजी महाराज के संघ में ज्यादातर रहने व चौका आदि लगाने लगे, इनके पति ने ७ वीं प्रतिमा के व्रत धारण कर लिये तथा ८ वर्ष तक इस प्रतिमा में रहे और घर के काम काज से एक प्रकार से उदासीन वृत्ति धारण कर ली उनका विचार जयपुर में श्री १०८ आचार्य वीर सागर जी महाराज के चार्तुमास के समय क्षुल्लक दीक्षा धारण करने का था किन्तु आपके पौत्र चि० नगेन्द्रकुमार के विवाह की तारीख निश्चित हो जाने के कारण धारण नहीं कर सके । जब १०८ पू० शिवसागरजी महाराज ने आचार्य की दीक्षा ली और ये संघ चार्तुमास समाप्त होने पर गिरनारजी के लिये रवाना हुआ तो उनके साथ हो गये और ब्यावर में जब ये संघ पहुंचा तो कुछ दिन पश्चात् १ दिन प्रात: ५ बजे सामायिक करते हुए स्वर्ग सिधार गये । उनकी मृत्यु के १ वर्ष बाद इन्होंने भी संसार की अनित्यता को देखकर आत्म कल्याण की दृष्टि से स्व० १०८ आचार्य वीरसागरजी महाराज की छत्री के निर्माण के दिन सांसारिक सुखों के समस्त साधनों से सम्पन्न होते हुए भी उनको ठुकरा कर आपने आचार्य शिवसागरजी महाराज से क्षुल्लिका की दीक्षा विशाल जन समुदाय की हर्ष-ध्वनि के बीच ले ली। सं० २०१७ में सुजानगढ़ में आर्यिकाकी दीक्षा धारण की।
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
#NemimatiMataJi(Jaipur)ShivSagarJiMaharaj
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
आर्यिका श्री १०५ नेमिमति माताजी
आचार्य श्री १०८ शिव सागर जी महाराज १९०१ Aacharya Shri 108 Shiv Sagar Ji Maharaj 1901
ShivSagarJiMaharaj1901VeersagarJi
Aryika Shri 105 Nemimati Mata ji was born in Jaipur,Rajasthan.Her name was Bhanwarkumari before diksha.She received the initiation from Acharya Shri 108 Shiv Sagar Ji Maharaj.
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
Aryika Shri 105 Nemimati Mataji (Jaipur)
आचार्य श्री १०८ शिव सागर जी महाराज १९०१ Aacharya Shri 108 Shiv Sagar Ji Maharaj 1901
आचार्य श्री १०८ शिव सागर जी महाराज १९०१ Aacharya Shri 108 Shiv Sagar Ji Maharaj 1901
#NemimatiMataJi(Jaipur)ShivSagarJiMaharaj
ShivSagarJiMaharaj1901VeersagarJi
#NemimatiMataJi(Jaipur)ShivSagarJiMaharaj
NemimatiMataJi(Jaipur)ShivSagarJiMaharaj
You cannot copy content of this page