हैशटैग
#VimalmatiMataJiVeerSagarJiMaharaj
Aryika Shri 105 Vimalmati Mata ji was born in Mungaoli,Madhya Pradesh.She received the initiation from Acharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj.
आपका जन्म ग्राम मुगावली (मध्यप्रदेश) में परवार जातीय श्री रामचन्द्रजी के यहां वि० सं० १९६२ मिती चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को हुआ था। आपका विवाह श्री हीरालालजी भोपाल (म० प्र०) निवासी के साथ बाल्य अवस्था में हुआ, मगर दुर्दैववश आपके पति का असमय में ही निधन हो गया। बारह वर्ष की अल्प आयु में आपका विधवा होना आपके लिए बड़ी भारी विपत्ति थी।
बाद में आपने विद्याध्ययन बम्बई में किया, १६ वर्ष की आयु के बाद आप अध्यापिका के पद पर नागौर ( राजस्थान ) में श्रीमान् सेठ मोहनलालजी मच्छी द्वारा कन्या पाठशाला में नियुक्त हुईं । संयोगवश पूज्य १०८ श्री चन्द्रसागरजी मुनि-महाराज विहार करते हुए नागौर पहुंचे। उस समय पूज्य महाराज से आपने द्वितीय प्रतिमा का चारित्र ग्रहण किया।
आठ वर्ष पाठशाला में पढ़ाने के बाद अध्यापिका पद से त्यागपत्र दे दिया और पूज्य चन्द्रसागरजी महाराज के संघ में विहार करने लगीं, तत्पश्चात् संवत् २००० के कार्तिक कृष्णा के रोज क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण की।
सं० २००० फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा के रोज पूज्य श्री १०८ श्री चन्द्रसागरजी महाराज का बडवानी क्षेत्र में स्वर्गवास हो गया, बाद में आपने पूज्य श्री १०८ वीर सागरजी महाराज से चैत्र शुक्ला त्रयोदशी सं० २००२ को आर्यिका दीक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात आपने अनेक नगरों एवं ग्रामों में विहार एवं चातुर्मास किया । आपका शरीर वायु के प्रकोप से भारी होने के साथ साथ कमजोर भी होने लगा । अत: स० 2020 बाद आपने लम्बी दूरी का विहार करने में असमर्थ रहने के कारण नागौर के आसपास व खास नागौर में ही ज्यादा चातुर्मास किये।
कछ वर्ष पहले आपके गिर जाने से अचानक एक पैर की हड्डी में फेक्चर हो गया जिसस बहुत समय तक वेदना की असह्य पीड़ा रही। आपका दैनिक समय प्राय: स्वाध्याय में ही बीतता था।
आपका मख्य दैनिक स्वाध्याय पाठ आदि निम्न प्रकार चलते थे। तत्वार्थसूत्र, भक्तामर स्तोत्र, सहस्रनाम, कल्याणमन्दिर, एकीभाव स्वरूपसंबोधन, समाधि तंत्र, इष्टोपदेश, पार्श्वनाथस्तोत्र, ऋषि मण्डल स्तोत्र, सरस्वती स्तोत्र, णमोकार मंत्र का माहात्म्य, महावीराष्टक स्तोत्र, मंगलाष्टकम् पंच भक्ति पाठ, प्रथमानुयोग व द्रव्यानुयोग का स्वाध्याय एवं प्रतिक्रमण आदि ।
आपके द्वारा अनेकों ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ जिनके मुख्य नाम ये हैं । कल्याण पाठ संग्रह, नित्यनियम पूजा, नित्यनियम पाठ पूजा, भक्तामर कथा ( हिन्दी अनुवाद ), शांति विधान (हिन्दी अनुवाद), देववंदना, समाधि तन्त्र, इष्टोपदेश, स्वरूपसंबोधन, जिनसहस्र स्तवन, द्वादशअनुप्रेक्षा, सूतक निर्णय व नवधाभक्ति आराधना कथाकोष (संस्कृत) आदि । आराधना कथाकोष तीनों भाग भी हिन्दी व संस्कृत में छपकर प्रकाशित होगये हैं।
चरित्रनायिका श्री १०५ विमलमती आयिकाजी सत्समाधि के साथ यहीं पर अपने भौतिक देह को बैशाख सुदी १, वि० सं० २०३४ में छोड़ चुकी हैं । अब तो धामिकजनों को उनके द्वारा उपदिष्ट मार्ग-उपदेश के अनुगामी होते हुए उनके द्वारा प्रचारित जिनवाणी के अध्ययन करते हुए अपना हित करते रहना चाहिये ।
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
#VimalmatiMataJiVeerSagarJiMaharaj
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
आर्यिका श्री १०५ विमलमती माताजी
आचार्य श्री 108 वीर सागर जी महाराज १८७६ Aacharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj 1876
VeerSagarJiMaharaj1876AcharyaShantiSagarji
Aryika Shri 105 Vimalmati Mata ji was born in Mungaoli,Madhya Pradesh.She received the initiation from Acharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj.
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
Aryika Shri 105 Vimalmati Mataji
आचार्य श्री 108 वीर सागर जी महाराज १८७६ Aacharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj 1876
आचार्य श्री 108 वीर सागर जी महाराज १८७६ Aacharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj 1876
#VimalmatiMataJiVeerSagarJiMaharaj
VeerSagarJiMaharaj1876AcharyaShantiSagarji
#VimalmatiMataJiVeerSagarJiMaharaj
VimalmatiMataJiVeerSagarJiMaharaj
You cannot copy content of this page