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#Vinitmatiji1959GyanmatiMataji1934
Aryika Shri 105 Vinitmati Mataji received Initiation from Ganini Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji on 22 July 2024 at Ayodhya, Uttar Pradesh.
आर्यिका श्री १०५ विनीतमति माताजी का जन्म १७ अप्रैल १९५९ को मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बेडिया में हुआ। उनका पूर्व नाम श्रीमती मधुबाला जैन था। वे दिगंबर जैन पोरवाड जाति और पंचोलिया गोत्र से संबंधित हैं। माताजी की माता का नाम स्व. श्रीमती सरोज जैन और पिता का नाम स्व. श्री त्रिलोकचंद जैन था। उन्होंने १०वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। उनके परिवार में तीन भाई और छह बहनें हैं, और वे परिवार में चौथी संतान हैं। उनका विवाह स्व. श्री प्रकाशचंद जैन से हुआ, और उन्हें दो पुत्र और एक पुत्री है। २०११ में उन्होंने संघ प्रवेश किया और १७ फरवरी २०१० को जीवनभर ब्रह्मचर्य व्रत लिया। ८ मार्च १९८७ को जंबूद्वीप, हस्तीनापुर में शुद्ध जल त्याग किया। २०१३ में उन्होंने जंबूद्वीप, हस्तीनापुर में दो प्रतिमा व्रत लिया, जो गणिनी प्रमुख आर्यिका श्री १०५ ज्ञानमती माताजी के द्वारा लिया गया। २२ जुलाई २०२४ को अयोध्या में आर्यिका दीक्षा लेकर वे आर्यिका श्री १०५ विनीतमति माताजी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। उनके परिवार में त्यागी व्यक्तियों में उनके जेठ श्री मोतीचंद जैन – क्षुल्लक श्री १०५ मोतीसागर जी महाराज और उनकी पुत्री कु. चंद्रिका जैन – आर्यिका श्री १०५ सुधृढमती माताजी भी शामिल हैं।
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आर्यिका श्री १०५ विनीतमती माताजी
Ganini Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji 1934
गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री १०५ ज्ञानमती माताजी Ganinipramukh Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji
GyanmatiMataji1934VeersagarJiMaharaj
Aryika Shri 105 Vinitmati Mataji received Initiation from Ganini Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji on 22 July 2024 at Ayodhya, Uttar Pradesh.
Aryika Shri 105 Vinitmati Mataji was born on April 17, 1959, in Bediya, Khargone, Madhya Pradesh. Her previous name was Smt. Madhubala Jain. She belongs to the Digambar Jain Porwad community and the Pancholiya Gotra. Her mother was Smt. Saroj Jain, and her father was Late Shri Trilokchand Jain. She completed her education up to 10th grade. She has three brothers and six sisters, and she is the fourth child in the family. She was married to Late Shri Prakashchand Jain and has two sons and one daughter. In 2011, she entered the Sangh and took the lifelong Brahmacharya vow on February 17, 2010. On March 8, 1987, she renounced pure water at Jambudweep, Hastinapur. In 2013, she took the two Pratima vow at Jambudweep, Hastinapur, under the guidance of Ganini Pramukh Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji. On July 22, 2024, she received her Aryika Diksha in Ayodhya, Uttar Pradesh, and became known as Aryika Shri 105 Vinitmati Mataji. Among the renunciants in her family are her elder brother Shri Motichand Jain – Kshullak Shri 105 Motisagar Ji Maharaj, and her daughter Ku. Chandrika Jain – Aryika Shri 105 Sudhridhamati Mataji.
Aryika Shri 105 Vinitmati Mataji
गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री १०५ ज्ञानमती माताजी Ganinipramukh Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji
गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री १०५ ज्ञानमती माताजी Ganinipramukh Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji
Ganini Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji 1934
Ganini Aryika Shri 105 Gyanmati Mataji
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