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#GadniSyadvadmatiMataji(1953)VimalSagarJiMaharaj
Gadni Aryika Shri 105 Syadvadmati Mataji was born on 14 May 1953 in Indore,Madhya Pradesh.Her name was Erawati Patni before diksha.She received the initiation from Acharya Shri 108 Vimal Sagar Ji Maharaj.
गणिनी आर्यिका १०५ स्याद्वादमति माताजी
भारत भूमि हमेशा से ही साधु संत महात्माओं की भूमि रही है इसी भारत भूमि की अतिक्षय सुंदर इंदौर नगरी तब और पावन हो गयी जब माता कमलाबाई की कुक्षी से एवं पिता धन्नालालजी की छत्र छाया में १४ मई १९५३ वैशाख सुदी एकम श्री १००८ कुंथुनाथ भगवान त्रयकल्याणक के पावन दिवस पर एक सुंदर बालिका का जन्म हुवा नाम रखा गया ऐरावती पाटनी .वर्तमान में (गणिनी आर्यिका १०५ स्याद्वादमति माताजी) बालपन से ही आपको हर क्षेत्र में रुचि रही है. उसमें में भी धार्मिक शिक्षा तो आपके अंदर कूट कूट कर भरी है. शास्त्र पठन,अभिषेक, पूजा यह तो आपकी रोज की दिन चर्या रही है.आप ७ बहन और २ भाई के भरे पूरे परिवार में आप ६ वे स्थान पर थी आपने आपकी लौकिक शिक्षा BA तक प्राप्त की है.इसी धार्मिक क्षेत्र में आपकी कि छोटी बहन प्रभा पाटनी वर्तमान में (गणिनी आर्यिका १०५ यशस्विनी माताजी भी वैराग्य की और थी)
आपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत आचार्य श्री ज्ञानभूषणजी महाराज से लिया. आचार्य श्रेयांससागरजी महाराज से आपने संस्कृत की आलोकिक आगम शिक्षा पायी.
सोनागिरि की पावन क्षेत्र पर वह शुभ दिवस भी आ गया जब आचार्य विमलसागरजी द्वरा आपको श्रावण सुदी द्वादशी जेष्ठ के दिन क्षुल्लक दीक्षा दी गयी नाम रखा गया अनंगमति माताजी इसी बीच आपको उपसर्गो ने भी घेरा पर आपने हस्ते खेलते उपसर्गो को झेला एवं उस पर विजय पाई आपका जीवन तप त्याग में भरा हुवा था हमेशा अध्यन एवं ध्यान में मन लगा हुवा रहता था.इसी बीच संघ विहार करते हुवे श्रवणबेलगोला पौछा भगवान बाहुबली के श्री चरणों में एवम अनेको साधु संतों की उपस्थिति में आपको आर्यिका दीक्षा प्रदान की गई नाम रखा गया आर्यिका स्याद्वादमती माताजी शांत एवं सरल वात्सलयमई आपकी मुद्रा अनेको भवी जन के मन को लुभाती.आपने द्रव्यसंग्रह,बालबोध,रत्नखण्ड, ध्यानसूत्र,तत्त्वार्थसूत्र अनेकों को ग्रंथो पर टिका की.
आचार्य भरत सागरजी महारज द्वरा गोम्मटगिरी बाहुबली इंदौर में आपको गणिनी पद से विभूषित किया गया.आपने अनेको दीक्षाये देकर भविजन एवम युवाओ को धर्म के मार्ग पर अग्रेसर किया.आपने ६१ बरस तप साधना की और इसी बीच अशुभ कर्मो ने व्याधीयों ने आपको घेर लिया उसी समय आपने आसोद वदी अष्टमी के दिन गणिनी पद का त्याग किया एवं अंत मे अष्ट कर्म नष्ट, अष्ट कर्म नष्ट बोलते बोलते समाधी हो गयी.और जैन धर्म का एक सूरज आसोद सुदी षष्टि ३० सितंबर २०१४ के दिन धारूहेड़ा में असमय अस्त हो गया.सारा जैन समाज ऐसे माताजी की समाधी की खबर सुन कर स्तब्ध रह गया.
Sister-Aryika Shri 105 Yashasvimati Mata Ji
#GadniSyadvadmatiMataji(1953)VimalSagarJiMaharaj
गणिनी आर्यिका श्री १०५ स्याद्वादमती माताजी
आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी १९१५ (अंकलिकार) Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
Sanjul created wiki page for Mata ji on 31-05-2021
VimalSagarJi1915(Ankalikar)MahaveerKirtiJi
Gadni Aryika Shri 105 Syadvadmati Mataji was born on 14 May 1953 in Indore,Madhya Pradesh.Her name was Erawati Patni before diksha.She received the initiation from Acharya Shri 108 Vimal Sagar Ji Maharaj.
Sister-Aryika Shri 105 Yashasvimati Mata Ji
Ganini Aryika Shri 105 Syadvadmati Mataji
आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी १९१५ (अंकलिकार) Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी १९१५ (अंकलिकार) Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
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