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#AadiSagarJiMaharajVeerSagarJi
Muni Shri 108 Aadi Sagar ji Maharaj was born in Danta,Sikar,Rajasthan.He received the initiation from Acharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj.
मुनिश्री आदिसागरजी महाराज
आपका जन्म खण्डेलवाल जातीय अजमेरा गोत्र में हुआ था आप मूलत: दाँता (सीकर) राजस्थान के निवासी थे। आपकी दीक्षा प्रतापगढ़ में वि० सं० 1990 फाल्गुन सुदो ग्यारस को हुई थी । आप आचार्य वीरसागरजी महाराज के प्रथम सुशिष्य थे। छोटों के प्रति बात्सल्य भाव और बड़ों के प्रति विनम्रता का व्यवहार आपका स्वभाव था। आपकी गुरु भक्ति अद्वितीय रही। आप हमेशा कहा करते थे कि "बड़ा बनने की चेष्टा मत करो, बड़ा बनना सरल नहीं है"।
आप निरन्तर आध्यात्मिक ग्रन्थों का स्वाध्याय कर उनका सार प्राप्त कर आत्मा का सच्चा अनुभव भी करते थे। जब भीषण ज्वर से आपका शरीर क्षीण हो गया और शरीर में तीव्र वेदना थी, तब भी पाप ध्यान में लीन परमशान्त और गम्भीर थे।
पू० महाराजश्री की भावना का सार उनको प्राप्त हुवा। प्रातःकाल चार बजे स्वयमेव उठकर पद्मासन लगाकर बैठ गये, जिससे ऐसा प्रतीत होता था मानो निर्भीक होकर यमराज का सामना कर रहे हों। आपने भव भवान्तरसे प्राणियों के पीछे लगने वाली ममता की जंजीर को समता रूपी शस्त्र से क्षीण कर दिया और यमनाशक संयम को स्वीकार किया। ख्याति, लाभ, पूजा के लिये जिसकी भावना है वह समाधिमरण नहीं कर सकता।
आपने हंसते २ णमोकार मंत्र का जाप्य करते हुए अन्त:समाधि में लीन होकर गुरुवर्य १०८ आचार्य वीरसागरजी के सान्निध्य में अनन्तानन्त सिद्धों की सिद्धि के क्षेत्र पर पर भौतिक शरीर का परित्याग कर देव पद प्राप्त किया। बमधा की क्षमाशीलता, व्यामोह की विशालता, सुमेरु पर्वत की दृढ़ता, सागर की गम्भीरता, वसुधा की क्षमाशीलता शशि को शीतलता और नवनीत की कोमलता, जिसके समक्ष सदैव श्रद्धा अध्यात्म मूति थे श्री आदि सागर महाराज ।
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
#AadiSagarJiMaharajVeerSagarJi
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
मुनि श्री १०८ आदिसागरजी महाराज
Acharya Shri 108 Veer Sagarji Maharaj 1876
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५१ (दक्षिण) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1951 (Dakshin)
VardhamanSagarJiMaharaj1951(Dakshin)SanmatiSagarJi1927
Muni Shri 108 Aadi Sagar ji Maharaj was born in Danta,Sikar,Rajasthan.He received the initiation from Acharya Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj.
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
Muni Shri 108 Aadisagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५१ (दक्षिण) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1951 (Dakshin)
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५१ (दक्षिण) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1951 (Dakshin)
Acharya Shri 108 Veer Sagarji Maharaj 1876
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VardhamanSagarJiMaharaj1951(Dakshin)SanmatiSagarJi1927
VardhamanSagarJiMaharaj1951(Dakshin)SanmatiSagarJi1927
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AadisagarjiVardhamanSagarJiMaharaj1951
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