श्री ताराचन्दजी का जन्म भारतवर्ष की राजधानी दिल्ली में हुवा था । सामान्य उर्दू में आपकी शिक्षा हुई । आपने कपड़े का कार्य किया तथा गृहस्थ धर्म का पालन किया । आपके २ लड़के हैं । आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज का दिल्ली की ओर विहार हुवा तब से आप आचार्य श्री के सान्निध्य में रहकर आत्म साधना करते रहे । उदयपुर के समीप ऋषभदेवजी में आपने आचार्य श्री से मुनि दीक्षा ली । पाड़वा ( उदयपुर ) में समाधि लेकर शरीर का त्याग किया। जहाँ पर आपके पार्थिव शरीर का संस्कार किया गया था वह स्थान आनन्दगिरी के नाम से घोषित कर दिया गया है।