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#ChaaritraSagarJiMaharaj1962DharmSagarJi
Muni Shri 108 Chaaritra Sagar Ji Maharaj was born in the year 1962 in Devpura,Rajasthan.His name was Pannalal before diksha.He received the initiation from Acharya Shri 108 Dharm Sagar Ji Maharaj.
मुनिश्री का जन्म सं० 1962 में देवपुरा (राजस्थान) में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनलालजी और माताजी का नाम श्रीमती चम्पाबाई था । आपका जन्म नाम पन्नालालजी था। आपकी शिक्षा कम हुई । छोटी आयु में विवाह हो गया था। परन्तु आप घर रहकर ही यथाशक्ति धर्म चिन्तन किया करते थे।
विक्रम सं० १९२६ में श्री आ० शान्तिसागरजी महाराज संघ सहित उदयपुर पधारे । उनसे दिगम्बर धर्म में चलने की प्रेरणा मिली। फलस्वरूप क्रमशः व्रत धारण करते हुए आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होते गये। अजमेर में आचार्यवर धर्मसागरजी से उन्होंने २०२३ में मुनि दीक्षा ले ली।
जिसप्रकार चिन्तामणि रत्न तथा कल्पवृक्ष आदि अचेतन हैं, तो भी पुण्यवान पुरुषों को उनके पुण्योदय के अनुसार अनेक प्रकार के इच्छानुसार फल देते हैं। उसीप्रकार भगवान अरहन्त देव यद्यपि रागद्वेष रहित हैं, तथापि उनकी भक्ति से भक्त पुरुषों को भक्ति के अनुसार फल की प्राप्ति हो जाती है । सम्यक् भक्तिज्ञान और चारित्ररूपी रत्नत्रय ही मोक्ष मार्ग का साधन है और उसकी सिद्धि का साधन यह मुनिधर्म ही है । उदयपुर राजस्थान में आपने शरीर को छोड़ा तथा आत्म कल्याण में लगे रहे।
आप बाल ब्रह्मचारी हैं तथा आचार्य श्री शिवसागरजी महाराज की पूर्व पर्यायी बहिन के सुपुत्र हैं। आचार्य महाराज जब गृहस्थ अवस्था में हीरालाल के नाम से जाने जाते थे, तब २ वर्ष की अवस्था से ही इनका पालन पोषण किया और उन्हीं की प्रेरणा से आपने सन् १९६४ में लगभग १ लाख रुपये की जमीन तथा मकान आदि पैठण क्षेत्र को दान कर दिया।शुरू से ही आपमें धार्मिक रुचि थी। इसीलिए लगभग ६ वर्ष पूर्व आपने स्व० श्री सुपार्श्वसागरजी महाराज को पैदल यात्रा करायी तथा साथ में स्वयं भी पैदल यात्रा का लाभ प्राप्त किया।
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
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Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
मुनि श्री १०८ चरित्र सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
DharmSagarJiMaharaj1914
Muni Shri 108 Chaaritra Sagar Ji Maharaj was born in the year 1962 in Devpura,Rajasthan.His name was Pannalal before diksha.He received the initiation from Acharya Shri 108 Dharm Sagar Ji Maharaj.
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
Muni Shri 108 Chaaritra Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
#ChaaritraSagarJiMaharaj1962DharmSagarJi
DharmSagarJiMaharaj1914
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ChaaritraSagarJiMaharaj1962DharmSagarJi
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