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#MalliSagarJiMaharaj(Sadlaga)DharmSagarJi
Muni Shri 108 Malli Sagar Ji Maharaj was born in Sadlaga,Belgaon,Karnataka.His name was Mallappa before diksha.He received the initiation from Acharya Shri 108 Dharm Sagar Ji Maharaj.
आपका जन्म कर्नाटक प्रान्त के जिला बेलगांव के अन्तर्गत ग्राम सदलगा में मातेश्वरी काशीबाई की कोख से वि० सम्वत् 1974 में सुप्रभात की शुभलग्न में हुआ था। आपका बचपन का नाम मल्लप्पा था। आपके पिता श्री पार्श्व अप्पा सरल, परिश्रमी, धर्मात्मा, दयालु एवं शान्त स्वभावी थे। उनका तम्बाकू का व्यापार तथा खेतीबाड़ी का कार्य था । ग्राम के गणमान्य व्यक्तियों में उनकी गिनती होती थी।
स्कूल की शिक्षा के उपरान्त हमारे चरित्र नायक श्री मल्लप्पा को पिताजी ने व्यापार में लगा दिया । आपने बड़े परिश्रम और न्याय से व्यापार को चलाया । परन्तु प्रारम्भ से ही आपकी धर्म में रुचि थी। प्रातःकाल उठकर श्री मन्दिरजी में जाना, णमोकार-मंत्र की माला जपना आदि नित्य के कार्य थे। आपका विवाह एक सम्पन्न घराने में हुआ था। आपके चारपुत्र और दो पुत्रियां हुई।
दस वर्ष पर्यन्त ब्रह्मचर्य व्रत पालते हुए आपने माघ शुक्ला ५ वि० सं० २०३२ को मुजफ्फर नगर (उ० प्र०) में परम पूज्य १०८ आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से अपार जन समूह के समक्ष सीधे ही मुनि दीक्षा ली। आपका नाम श्री मल्लिसागरजी महाराज रखा गया। आचार्य श्री ने आपसे दो माह के लिये नमक त्यागने को कहा परन्तु धन्य है आपका त्याग और गुरुभक्ति कि आपने जीवन भर के लिये नमक का त्याग कर दिया।
आपके गृहस्थ जीवन की धार्मिकता और संस्कारों का प्रभाव आपके परिवार पर बहुत गहरा पड़ा । बड़े पुत्र महावीरजी व बड़ी पुत्री गृहस्थाश्रम में है।
आपके बड़े पुत्र बाल ब्रह्मचारी श्री विद्याधर ने १८ वर्ष की अल्पायु में श्री १०८ आचार्य श्री ज्ञानसागरजी महाराज से सीधे ही मुनि दीक्षा ली और २३ वर्ष की अल्पायु में ही आचार्य पद से विभूषित किये गये। जिनका दीक्षा महोत्सव अजमेर में अत्यन्त समारोह पूर्वक मनाया गया था।
वे अत्यन्त शान्तस्वभावी, निस्पृही, परमज्ञानी, सुवक्ता तथा कवि व युवा आचार्य श्री विद्यासागरजी हैं।
आप ( श्री मल्लिसागरजी ) के अन्य दो पुत्रों तथा पत्नी और दोनों पुत्रियों ने आपके साथ दीक्षा ग्रहण की। आपके द्वितीय पुत्र श्री अनन्तनाथ ने ऐलक दीक्षा ली, नाम श्री योगिसागर रखा गया । तीसरे पुत्र का नाम श्री शान्तिनाथ था तथा ऐलक दीक्षा के उपरान्त श्री समयसागर नाम रखा गया। आपकी धर्म पत्नी श्री मतिबाई का नाम श्री आर्यिका समयमतीजी रखा गया । आपकी छोटी पुत्री स्वर्णमाला का नाम दीक्षा उपरान्त प्रवचनमतीजी रखा गया। दोनों ऐलक अब मुनि श्री बन गये हैं जो आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के संघ में हैं।
इसप्रकार आपका पूरा परिवार दीक्षा धारण करके धर्मसाधन और ज्ञानोपार्जन में पूर्णतया रत है। इस काल में जबकि लोग व्रत, संयम तथा चारित्र पालन को कठिन समझते हैं, आपका जीवन एक महान आदर्श उपस्थित करके हम सबकी आंखें खोलने तथा चारित्र की ओर दृढ़ता पूर्वक बढ़कर आत्म कल्याण करने एवं मानव जीवन को सफल बनाने की प्रेरणा देता है।
Wife after diksha -Aryika Shri 105 Samaymati mata Ji
Daughter after diksha-Aryika Shri 105 Pravachanmati Mata ji(1955)
Son after diksha-Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj
Son after diksha-Muni Shri 108 Samay Sagar Ji Maharaj
Son after diksha-Muni Shri 108 Yog Sagar Ji Maharaj
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
#MalliSagarJiMaharaj(Sadlaga)DharmSagarJi
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
मुनि श्री १०८ मल्ली सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
DharmSagarJiMaharaj1914
Muni Shri 108 Malli Sagar Ji Maharaj was born in Sadlaga,Belgaon,Karnataka.His name was Mallappa before diksha.He received the initiation from Acharya Shri 108 Dharm Sagar Ji Maharaj.
Book written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
Wife after diksha -Aryika Shri 105 Samaymati mata Ji
Daughter after diksha-Aryika Shri 105 Pravachanmati Mata ji(1955)
Son after diksha-Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj
Son after diksha-Muni Shri 108 Samay Sagar Ji Maharaj
Son after diksha-Muni Shri 108 Yog Sagar Ji Maharaj
Muni Shri 108 Malli Sagarji Maharaj (Sadlaga)
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
#MalliSagarJiMaharaj(Sadlaga)DharmSagarJi
DharmSagarJiMaharaj1914
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MalliSagarJiMaharaj(Sadlaga)DharmSagarJi
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