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#MumukshuSagarJiMaharajVardhmaanSagarJi
Muni Shri 108 Mumukshu Sagarji Maharaj took initiation from Aacharya Shri 108 Vardhmaan Sagar Ji Maharaj on 13th February, 2023, at Kishangadh.
पूज्य आचार्य श्री ने किये दीक्षा के संस्कार
आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज ने दीक्षार्थी आदेश्वर पचोरी के दीक्षा के संस्कार किये दीक्षा से पूर्व की क्रिया जब दीक्षार्थी द्वारा केशलोचन किया यह क्षण देख हर कोई भावुक था इतनी सहजता से अपने हाथो से केशलोच कर रहे केशलोच एक तप साधना है पूज्य आचार्य श्री ने दीक्षार्थी के मस्तक पर संस्कार किये और स्वस्तिक किया एक एक करके शरीर से समस्त वस्त्रो का त्याग कर दीक्षार्थी द्वारा दिगंबर वेश को धारण किया। पूज्य श्री ने दीक्षा के संस्कार करते हुए उन्हे पूज्य मुनि श्री 108 मुमुक्षु सागर महाराज नाम दिया जैसे ही नाम का उच्चारण हुआ सारा सभागार जय जयकार की गूंज से गूंज उठा।
कुछ दिन पूर्व इन्होने भव्य पंचकल्याणक सम्पन्न करवाया और आज दीक्षा वो भी आचार्य श्री के कर कमलो से होने उन्होने दीक्षार्थी आदेश्वर पचोरी के विषय मे कहा की इन्होने पंडित के रूप मे रहते हुए कही वेदी प्रतिष्ठा हमारे साथ रहकर सम्पन्न कराई वही से इनके जीवन मे वैराग्य जाग्रत कूट कूट के भरा था चारित्र के प्रति यह सजग रहे।
एक तरफ वात्सल्य वारिधि बिराजे और दूसरी और मोक्ष मार्ग पर चलने की इच्छा लिए बैठे आदेश्वर पचौरी…आज दीक्षा का पावन दिन था, जैन संस्कार से जुड़े रीति-रिवाज हुए और आदेश्वर पंचौरी बन गए मुनि मुमुक्षु सागर।
वो दृश्य, जिसने देखा वो शायद ही ताउम्र उसे भूल सकेगा। किशनगढ़ का सूरज देवी पाटनी सभागृह, जहां एक ओर आदेश्वर जी पचौरी दीक्षा की अभिलाषा मन में सजाए बैठे थे और दूसरी और विराट व्यक्तित्व के धनी वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी।
पिछले दिनों किशनगढ़ में हुए पंचकल्याणक महोत्सव में धरियावद निवासी आदेश्वर जी, आचार्य वर्धमान सागर जी से ऐसे प्रभावित हुए थे कि मौके पर ही खड़े होकर अपनी दीक्षा का निवेदन कर दिया। आचार्य श्री ने वहीं पर उनकी भावनाओं को देख कह दिया कि यहीं किशनगढ़ में ही दीक्षा दी जाएगी । उस दिन से ही मानों आदेश्वर जी, मन ही मन सांसारिक जीवन से खुद को अलग कर संतत्व को प्राप्त हो गए थे । वे अपने सांसारिक जीवन में रहते हुए संत समागमों से अपने मन को पवित्र करते रहे। तरह-तरह की स्व-परीक्षाओं में स्वयं को सिद्ध करते रहे। लेकिन संत होने का मार्ग तो आखिरकार गुरू ही बताते हैं । आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने मानों मन ही मन ,उनके जीवन में सबसे बड़े बदलाव का क्षण पहले से निर्धारित कर रखा था।
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मुनि श्री १०८ मुमुक्षु सागरजी महाराज
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi)
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५० (वात्सल्य विरुद्ध) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi)
VardhamansagarjiDharmsagarji
Muni Shri 108 Mumukshu Sagarji Maharaj took initiation from Aacharya Shri 108 Vardhmaan Sagar Ji Maharaj on 13th February, 2023, at Kishangadh.
Muni Shri 108 Mumukshu Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५० (वात्सल्य विरुद्ध) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi)
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५० (वात्सल्य विरुद्ध) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi)
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi)
Muni Shri 108 Mumukshu Sagarji Maharaj
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