आपने पू० आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से पुनः दीक्षा ली थी। २० वर्षीय मुनिजीवन शरीर की शिथिलता देखकर आपने मुनिपद छोड़ दिया था । आप श्री मल्लिसागरजी जालना बालों के नाम से प्रसिद्ध थे। आचार्य श्री धर्म सागरजी महाराज के विशेष संबोधन से आपने पुनः सलूंबर में मुनि दीक्षा धारण की तथा संयम एवं कठोरता के साथ आपने आचार्य श्री के सानिध्य में यम समाधि लेकर शरीर को छोड़ा तथा आत्मकल्याण किया । धन्य है आपकी सम्यक् श्रद्धा जिसने आपको पुनः सन्मार्ग पर लगाया।