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#SwatamnandijiMaharaj1954Atamnandiji1917
Muni Shri 108 Swatamnandiji Maharaj was born on 11-Sep-1954 at Panavi budaruk Tal.Vaijapur Dist.Aurangabad and he took Initiation from Acharya Shri Atamnandiji Maharaj in year 2008 at Navagadha.
मुनी श्री स्वात्मनंदी महाराज का जन्म गाव पांगवि बुद्रुक तालुका वैजापूर जि औरंगाबाद को हुआ। प्राथमिक शिक्षण का प्रवेश १९६० को हुआ। पांगवि जैसे छोटे गाव में पाचवी क्लास तक हि पढाई थी। आगे १९६६ में 3 कि मि के अंतर पर बडा गाव महालगाव है, यहा प्रवेश लिया और दसवी तक विद्यालय में पढाई हुई। घर में माता, पिता और भाई थे, थोडी बहुत खेती थी, जीससे ज्यादा मुनाफा नही होता था।
पिताजी और भाई शिलाई का काम करते थे। १९७३ को महाराजजी का विवाह हुआ। लेकीन १९६७ से ही महाराजजी को धार्मिक सेवा करणे कि आस थी। भाई के ससुर 1967 से हि महाराजजी को भाद्रपद पर्युषण पर्व पर लेके जाते थे। नतीजा यह हुआ कि आस्था और भी बढ़ गई। समय-समय पर वे पुराण पढते थे पुराणो की कहानिया पढ़ने से आस्था और बढ गयी।
बाद में महाराजजी 1976 में अपने भाई से अलग हो गए और उन्हे दो लडके और दो बेटियां हुईं, संसार कि जिम्मेदारी बढणे से धर्म के काम में ज्यादा समय नहीं दे पाए। आगे बच्चोंकि पढाई पुरी होने के बाद, उनको अच्छी सरकारी नोकरी मिली उसके बाद धर्म कर्म करते रहे।
उनके छोटे से गाँव में जैन के केवल दो घर थे। लेकिन उनके एक दोस्त मारे गए, (यानी उनका देहांत हुआ)। अंत में महाराजजी ने कि सोचा हमें भी जाना है। तो शास्त्रों का थोड़ा ज्ञान था, उन्हे धर्म का शौक था, तपस्या का उदय हुआ। उन्हे धर्म कर्म कि राह चुनने का सोचा और उन्हे बहुत खुशी हुई।
उनके गाव के पास गंगापूर नाम का गाव है वहा मुनी संघ आये थे वे संघ उनके गाव में आने को तैयार हुये। महाराजजी बहुत खुश हुये। उनका दीक्षा लेना का बोहोत मन हुआ|
लेकिन उन्होने सोचा कि वे महाराज अपने भाषा नहीं बोलते हैं इसलिए उन्होने मोहन गांधी जी की मदद से महाराज श्री आत्मनंदी जी से दिक्षा ली। और ११ फरवरी २००८ को नवागढ में महाराज से दिक्षा ली, और यही चतुर्मास बन गया।
वहा से विहार करके कचनेर, जि. औरंगाबाद आदि जाने के बाद चातुर्मास के लिए इंदौर गए और 2009 का चातुर्मास इंदौर में हुआ। आगे मुक्तागीरी कि तरफ जाते हुये रास्ते में बहुत गाव लगे लेकीन हरदा (म.प्र.) में कुछ दिन रुकने के बाद बैतुल जिले के चिंचोली में भी रुकना हुआ, मुक्तागीरी आने के बाद समाज के लोगो ने उनको आमंत्रित करके चातुर्मास का निवेदन दिया।
शिखरजी की तीर्थयात्रा के बाद, हरदा के लोगों द्वारा मुक्तागिरी आनेको फिर से आमंत्रित किया गया। २०११ का चातुर्मास हरदा में हुआ। उसके बाद महाराष्ट्र में प्रवेश हुआ, उसमे प्रथम २०१२ का चातुर्मास भुसावल में हुआ, आगे विहार खामगाव कि तरफ हुआ। नांदुरा के लोगोके आग्रह पर २०१३ का चातुर्मास नांदुरा जि. बुलढाणा में हुआ। आगे कुंथलगिरी की यात्रा करके वापस जाते हुये देऊळगाव राजा के लोगोने चातुर्मास का निवेदन किया। तो वर्ष 2014 में उनका देउलगांव राजा में चातुर्मास हुआ। आगे मुक्तागीरी कि तरफ विहार करते हुये चीखली, खामगाव जाते हुये मुलताई के यहा चातुर्मास २०१५ में हुआ। आगे विहार करते करते २०१६ को चिंचोली में २०१६ का चातुर्मास हुआ। वापीस फिर से महाराष्ट्र में आके भुसावल में बडा कल्पद्रुम करके सिल्लोड में चातुर्मास २०१७ में किया। आगे विहार करके श्रवणबेलगोला में मस्तकाभिषेक को देख वह वापस विहार किया। और भुसावल में 2018 को चतुर्मास के बाद, 2019 में उनका चंद्रपुर महाराष्ट्र में चातुर्मास हुआ और फिर खामगाँव की तरफ यात्रा पर गए और वहाँ से वे चिखली गए। लॉकडाउन 22 मार्च से शुरू हुआ था। इसलिए वर्ष 2020 में चिखली में चातुर्मास का आयोजन किया गया। आगे विहार करके सिंदखेड-राजा की यात्रा कर, मानस्तंभ का कार्यक्रम किया और खामगाँव लौट आए। 2021 में खामगाँव में फिर से चातुर्मास हुआ।और २०२२ का चातुर्मास अमरावती में होने वाला है।
#SwatamnandijiMaharaj1954Atamnandiji1917
मुनि श्री १०८ स्वात्मनंदी जी महाराज
Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj 1917
आचार्य श्री १०८ आत्मनंदीजी महाराज १९१७ Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj 1917
2017-Tal.Shillod, Dist.Aurangabad, Maharastra.
Atmanandimaharaj1917Aryanandi
Muni Shri 108 Swatamnandiji Maharaj was born on 11-Sep-1954 at Panavi budaruk Tal.Vaijapur Dist.Aurangabad and he took Initiation from Acharya Shri Atamnandiji Maharaj in year 2008 at Navagadha.
Vatsalya Ratnakar Param Pujya Muni Shri 108 Swatmanandiji Maharaj
Former Name: Shri Uttamrao Muralidhar Gawli Jain
Date of Birth: 11-September-1954, Bhadrapada Shukla, Anant Chaturdashi, Saturday
Place of Birth: Post Pavani (Budruk), Taluka-Vaijapur, District-Chhatrapati Sambhajinagar, Maharashtra
Mother's Name: Smt. Mandabai
Father's Name: Shri Muralidhar
Kshullak Diksha Date: 19-June-2007
Kshullak Diksha Place: Kopargaon, District Ahmednagar
Kshullak Diksha Guru: Acharya Shri 108 Saubhagyasagarji Maharaj
Muni Diksha Date: 11-February-2008, Vasant Panchami
Muni Diksha Guru: Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj
Vihar Region
Indore, Harda, Multai, Chincholi, Chhatrapati Sambhajinagar, Bhusaval, Nandura, Deulgaon Raja, Shillod, Chandrapur, Khamgaon, Amravati, Shendoorjana Ghat, Nagpur.
Muni Shri 108 Swatamnandiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ आत्मनंदीजी महाराज १९१७ Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj 1917
आचार्य श्री १०८ आत्मनंदीजी महाराज १९१७ Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj 1917
Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj 1917
2017-Tal.Shillod, Dist.Aurangabad, Maharastra.
Acharya Shri 108 Atmanandiji Maharaj
#SwatamnandijiMaharaj1954Atamnandiji1917
Atmanandimaharaj1917Aryanandi
#SwatamnandijiMaharaj1954Atamnandiji1917
SwatamnandijiMaharaj1954Atamnandiji1917
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