Jamnalal Nathulalji Jain
Jamnalal Nathulalji Jain Hapawat was born on 22nd December 1955. He founded the Digambar Jain Global Mahasabha and is currently acting as the president.
He worked closely with Shri Nirmal Kumar ji, President of Digambar Jain Mahasabha, for 13 years as National Vice President, for 12 years as National General Secretary of Teerth Sangrakshak Mahasabha. He also served as National Working President of Digambar Jain Mahasabha from 2019; thus, for a total of 25 years, he devoted his efforts for Shri Digambar Jain Mahasabha, religious, social, and service work
Introduction of Jamnalal Nathulalji Jain
Jamnalal Nathulalji Jain Hapawat was born on 22nd December 1955 and took his education till 9th in Udaipur. He Came to Mumbai in 1969 at the age of 13. There he started helping his father and brother in business . Initially associated with the metal business, then in 1978 started contracting work in Mumbai Municipality.
Having a desire to start own business, he started his business as Kaviraj Construction Company . He started the civil work of the road, followed by the water pipelines of the Mumbai Metropolitan Municipal Corporation and ventured into Garbage Transportation and Automatic Road Sweeping Machine.
The branches of the business are today in Mira-Bhayander, Surat, Ahmedabad, Junagadh, Ujjain, Pune Raigarh and other small cities also. He is also active involved in religious and social work.
He has a brief social work history which is as follows.
He created a Vihar App to help Shravaks get Muni Sangh’s Vihar information which will help the entire Jain community by getting Vihar Information of Muni Sangh.
To provide employment to the economically weaker section of women and to help them in strengthening their education and nurturing health of the children he started an e-commerce platform named ‘Global Jain Bazaar’, which was inaugurated on 26 January by Paras channel and Jainam Zoom channel, with an aim to make the females strong and self-reliant.
Global General Assembly membership campaign has also been started, from 26 January.
The aim of Global General Assembly is to work on the complete development of all sections of Jain society along with social and religious work in the whole of India.
For the health of all Jain Monks, sadhus and sadhvi, whom the society calls as ‘Tirthankar’ on the go a Shramana Arogya Sewa, project is going to start soon, in which the complete information of doctors and medical practitioners of the whole country will be available to the sadhus throughout the country
Jamunalal Ji's belives unity is very important in the society and it will be possible only when we, leave ‘intercommunity issues’ (panthvad) and arrogance, we will move forward with mutual harmony because due to cultism and mutual conflicts in the society, we are losing the real importance of our religion.
Shri Digambar Jain Global Mahasabha also organizes various projects to encourage women for women upliftment, to provide facilities to the weaker, financially incapable section of society to start industries.
Many projects are done by Shri Digambar Jain Global Mahasabha. On the subject that India should be called 'Bharat', you say that the name of your country should be only 'Bharat' and not India. The name of this country should be kept ‘Bharat’, the eldest son of our Tirthankar Adinath, who identifies of our culture, so the name of our country should be only 'Bharat'.
Santosh Khule Created this Wikipage On Date 25 June 2022
Jamnalal Nathulalji Jain
Jamnalal Nathulalji Jain Hapawat was born on 22nd December 1955. He founded the Digambar Jain Global Mahasabha and is currently acting as the president.
He worked closely with Shri Nirmal Kumar ji, President of Digambar Jain Mahasabha, for 13 years as National Vice President, for 12 years as National General Secretary of Teerth Sangrakshak Mahasabha. He also served as National Working President of Digambar Jain Mahasabha from 2019; thus, for a total of 25 years, he devoted his efforts for Shri Digambar Jain Mahasabha, religious, social, and service work
समाजसेवा ही मेरे जीवन का उद्देश्य
जमनालाल नाथुलालजी जैन हपावत का जन्म दिनांक २२ दिसंबर १९५५ को व ९वीं तक की शिक्षा परसाद
ज़िला उदयपुर में सम्पन्न हुआ। १३ साल की उम्र में १९६९ में मुंबई आए।वहाँ पिता व भाई के साथ व्यापार में लगे।
शुरु में मेटल का व्यापार से जुड़े फिर १९७८ में मुंबई नगरपालिका में ठेकेदारी का काम शुरू किया। बिजनेस करने के चाह से बाद में
कविराज कंस्ट्रक्शन कंपनी की शुरुआत की। उसमें रोड का सिवील का काम प्रारंभ किया, उसके बाद मुंबई महानगरी मुनसिपल कारपोरेशन के पानी के पाइपलाइन
व गार्बेज ट्रांसपोर्टेशन एवं ऑटोमेटिक रोड स्वीपिंग मशीन का कारोबार किया इसकी शाखायें आज मीरा-भाइंदर, सूरत, अहमदाबाद, जूनागढ़, उज्जैन, पुणे रायगढ़ एवं अन्य छोटे शहरों में भी है।
धार्मिक व सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते है।
जमुनालाल जी जैन एकता के विषय पर अपना मत प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि समाज में एकता बहुत ही जरूरी है और यह तभी संभव होगा, जब हम ,पंथवाद और अहंकार को छोड़कर आपसी सामंजस्य के साथ आगे बढ़ेंगे क्योंकि समाज में पंथवाद और आपसी झगड़ों के कारण हम अपने धर्म के वास्तविक महत्व को खोते जा रहे हैं।
जैन समाज को सबसे संपन्न व्यवसाई व समाज के रूप में जाना जाता है, पर ऐसी बात नहीं है, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश जैसे कई क्षेत्र हैं जहां जैन समाज के कई बंधु ऐसे हैं जो नौकरी पेशा व छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा कर रहे हैं।
ऐसे ही वर्ग के || लोग दूसरे धर्म के प्रति आकर्षित होकर अपना धर्म परिवर्तित कर लेते हैं | और इसका कारण है कि दूसरे धर्म और समाज उन्हें रोजी-रोटी उपलब्ध करवाता है, पेट भरेगा, तभी लोग धर्म के बारे में सोचेंगे, इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए जैन समाज के सभी बंधुओं को सोचने की आवश्यकता .है और यह तभी हो सकता है, जब हम जैन एकता स्थापित कर एक साथ चलेंगे।
अतः समाज में एकता होना बहुत जरूरी है। अन्यथा एक समय ऐसा आएगा कि हम सिर्फ नाम मात्र के रह जाएंगे। आज की युवा पीढ़ी अपने धर्म और समाज से कम ही जुड़ी है और यह एक विकट समस्या है। युवाओं को अपने धर्म और समाज से जोड़ने के लिए साधु-संतों के साथ-साथ परिवार व समाज को भी इस विषयपर सोचना होगा, क्योंकि युवा वर्ग अपने कैरियर के चक्कर में पड़ कर अपने धर्म से विमुख होता जा रहा है, कहीं-कहीं तो अन्य जाति व धर्म में विवाह के कारण भी हमारा समाज टूटता नजर आ रहा है। इन सब पर गहन विचार करना होगा।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा | का गठन किया गया जो कमजोर, आर्थिक रूप से असक्षम लोगों को उद्योग प्रारंभ करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने, महिला उत्थान के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने विभिन्न प्रकल्पों का आयोजन करतीहै।
जैन ग्लोबल बाजार के माध्यम से जैन समाज की महिलाओं व अन्य |संस्थाओं द्वारा निर्मित वस्तुओं को उपलब्ध कराया जाता है ऐसे ही अन्य | कई प्रकल्प श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा के द्वारा किया जाता है। भारत को 'भारत' ही बोला जाए' विषय पर आप का कहना है कि अवश्य अपने देश का नाम सिर्फ 'भारत' होना चाहिए ना कि इंडिया। हमारे तीर्थंकर आदिनाथ के जेष्ठ पुत्र भारत के नाम से इस देश का नाम की ङ्के मारता' यह हमारी संस्कृति की पहचान है, अतः हमारे देश का नाम सिर्फ 'भारत' ही होना चाहिए।
संतोष खुले जी ने यह विकी पेज बनाया है | दिनांक २५ जून २०२२
You cannot copy content of this page