मंगलमूर्ति परमपद, पंच धरौं नित ध्यान। हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान् ।१।
ॐ जय! जय!! जय!!! नमोऽस्तु! नमोऽस्तु!! नमोऽस्तु!!! णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं। ।
इह विधि ठाड़ो होय के, प्रथम पढ़े जो पाठ। धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ।१।
Creating text from Image क्रम नाम विक्रम सन्त ईसवीसन विशेष 1 पद्म नन्दि 1385-1462 1328-1405 2 सलक्कीर्ति 1462-1489 1405-1432 3 भूषण कीर्ति 1489-1524 1432-1468 4 ज्ञानभूषण 1524-1545 1468-1488 5 विजयकीर्ति 1545-1565 1488-1508 6 भरतचन्द्र 1565-1593 1508-1536 7 शुभचन्द्र 1593-1613 1536-1556 8 सुमन कीर्ति 1613-1630 1556-1573 9 […]
2025-Garbh to Moksh Kalyanak Calendar
चहुंगति-फनि-विष-हरन-मणि, दुख-पावक-जल-धार शिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहा॥
शुद्धातम में मगन हो, परमातम पद पाय। भविजन को शुद्धात्मा, उपादेय दरशाय॥
ढाई द्वीप के भूतकाल में हुए अनंतों तीर्थंकर। वर्तमान में भी होते हैं ढाई द्वीप में तीर्थंकर॥
भरत क्षेत्र की वर्तमान जिन चौबीसी को करूँ नमन । वृषभादिक श्री वीर जिनेश्वर के पद पंकज में वन्दन॥
You cannot copy content of this page