Blog

Jul 08
Kshirodadhi Unhar Ujjval Jal- Ratnatraya Puja- Pandit Dyaanataraay-Krut क्षीरोदधि उन्हर उज्जवल जल – रत्नत्रय पूजा – पंडित द्यानतराय कृत

चहुंगति-फनि-विष-हरन-मणि, दुख-पावक-जल-धार शिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहा॥

Jul 08
Gyaanaanubhooti Hee Paramaamrt hai-Shri-Vitarag-Pujan- Pandit-Ravindraji- Krut ज्ञानानुभूति ही परमामृत है – श्री वीतराग पूजन – पंडित रविन्द्रजी कृत

शुद्धातम में मगन हो, परमातम पद पाय। भविजन को शुद्धात्मा, उपादेय दरशाय॥

Jul 08
Ratnatray Roopee Samyak Jal Kee Dhaara- Anant Tirthankara Puja- Pandit-Raajamal-Pavaiya- Krut रत्नत्रय रूपी सम्यक् जल की धारा – अनंत तीर्थंकर पूजा – पंडित राजमल पवैया कृत

ढाई द्वीप के भूतकाल में हुए अनंतों तीर्थंकर। वर्तमान में भी होते हैं ढाई द्वीप में तीर्थंकर॥

Jul 08
Atmjnana Vaibhav ke Jal -Chaubic Tirthankar Puja- Pandit dyaanataraay- Krut आत्मज्ञान वैभव के जल – चौबीस तीर्थंकर पूजा – पंडित द्यानतराय कृत

भरत क्षेत्र की वर्तमान जिन चौबीसी को करूँ नमन । वृषभादिक श्री वीर जिनेश्वर के पद पंकज में वन्दन॥

Jul 03
Muni-mana-sam Ujjwal Nir-Chaubic Tirthankar Puja- Pandit-Vrindavandas- Krut मुनिमनसम उज्ज्वल निर – चौबीस तीर्थंकर पूजा – पंडित वृंदावनदास कृत

वृषभ अजित सम्भव अभिनन्दन, सुमति पदम सुपार्श्व जिनराय चन्द पुहुप शीतल श्रेयांस जिन, वासुपूज्य पूजित सुरराय॥

Jul 02
Marathi – Poem अंतकाळ साधण्याइतके

अंतकाळ साधण्याइतके नामामध्ये प्रेम दे प्रपंच करतो आवडीने,परमार्थ मात्र सवडीने.नाही पूजा नाही ध्यान, मोबाईलशी अनुसंधान नामस्मरण boring फार त्याने काय होणार यार ?देवाने करावी कृपा खास गप्पा मारतो तासनतास जप करतो माळेवर पण खरे प्रेम पैशावरखिचडीसाठी करतो उपासभक्तीमध्ये पूर्ण नापास स्वतःच्या पानात वाटयांची दाटी,नैवेद्याला छोटी वाटीसंकट आल्यावर देव आठवतो,नवस बोलून deal करतो. अभिषेक मोठ्या थाटात […]

Jul 01
Protected: Shravak Contact Form Complete

There is no excerpt because this is a protected post.

Jun 26
Sat Tattva Shraddha Ke Jal- Trikal-Chaubici-Poojan-Pandit-Dyantaray Krut सात तत्व श्रद्धा के जल – त्रिकाल चौबीसी पूजन – पंडित द्यानतराय कृत

श्री निर्वाण आदि तीर्थंकर भूतकाल के तुम्हें नमन। श्री वृषभादिक वीर जिनेश्वर वर्तमान के तुम्हें नमन॥

Jun 24
Himavan-Gata Ganga Adi Abhanga-Siddha Puja – Kavishree Hirachand Krut हिमावन-गत गंगा आदि अभंग – सिद्ध पूजा – कविश्री हिराचंद कृत

अष्ट-करम करि नष्ट अष्ट-गुण पाय के, अष्टम-वसुधा माँहिं विराजे जाय के ऐसे सिद्ध अनंत महंत मनाय के, संवौषट् आह्वान करूँ हरषाय के॥

You cannot copy content of this page