(J) आहार दान ऐसे करें- लेखक पं. श्री रतनलाल जी वैनाड़ा, आगरा वर्तमान में दिगम्बर जैन साधु एवं आर्यिकाओं की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखने में आ रही है। पूरे देश के हर प्रांत में दिगम्बर जैन साधु एवं आर्यिकाओं का विहार निरन्तर होते देखा जा रहा है। प्रत्येक कस्बे या जिले में वर्ष में […]
(1) कुएँ बन सकते हैं प्रत्येक घर में: राजस्थान एवं गुजरात प्रांत में देखा जाता है कि जहाँ कुएँ नहीं है, वहाँ श्रामक मंदिर में या अपने घरों में लगभग ८-१० फीट चौडा और २०-२५ फीट गहरा जमीन के अंदर एक कुआँ जैसा खोद लेते हैं, जिसे टाँका कहते हैं। उसे भरने से पहले अच्छे […]
(H) आहारदान की महिमा: दरिद्र रहना अच्छा है किन्तु वानहीन होकर जीना अच्छा नहीं है क्योंकि धन महा मोह का कारण है। दुष्परिणाम युक्त पाप का बीज है नरक का हेतु दुःखों की खान एवं दुर्गति देने में समर्थ है। जिस प्रकार सब रत्नों में श्रेष्ठ वज्र (हीरा) हे पर्वतों में श्रेष्ठ सुमेरू पर्वत है, […]
(G) भोमभूमि का सोपान-आहार दान साधु आहार के लिए निकल रहे हो अथवा आहार कर रहे हो, और शवयात्रा निकाल रही हो तो साधु में निवेदन करके कि आगे रास्ता शहबड है, उनसे दूसरी गली में मुडने के लिए निवेदन करें और यदि आहार चल रहे हैं, तो बाजे की आवाज या रोने की आवाज […]
(F) आहार दान में विज्ञान- धातु और नान स्टिक बर्तन भोजन को विषावत बनाते है इनमें टैफलान होता है जिसके गर्म होने पर ६ विषैली गैसे निकलती है और एल्यूमिनियम, धातु व प्लास्टिक की कुछ मात्रा वस्तुओं में घुल मिल जाती है, विशेषकर चटपटे भोजन टमाटर और खट्टे पदार्थ से सबसे अधिक एल्यूमिनियम धुलती इससे […]
(E) आहार सामग्री की शुद्धि भी आवश्यक: (क) जल शुद्धि कुएँ में जीवानी डालने के लिये कड़े वाली बाल्टी का ही प्रयोग करें, एवं जल जिस कुएँ आदि से भरा है, जीवाभी भी उसी कुएँ में धीरे-धीरे छोड़ें। कडे वाली बाल्टी जब पानी की सतह के करीब पहुँच जावे, तब धीरे से रस्सी को झटका […]
(D) फल, साग की सही प्रासुक विधि एवं सावधानियाँ: संयमी या व्रती किसी भी वनस्पति को या तो रस के रूप में, साग के रूप में, शेक (गाढा रस) के रूप में, चटनी के रूप में लेते हैं। फल के रूप में जैसे ग्रहस्थ लेते हैं, वैसे नहीं लेते। फलों को जैसे नाशपाती, सेव, केला, […]
(C) निरन्तराय आहार हेतु सावधानियाँ एवं आवश्यक निर्देश: साधु के निरंतराय आहार होवे, यह दाता की सबसे बड़ी उपलब्ध है। क्योंकि साधु की संपूर्ण धर्म साधना, चिंतन, पठम मनन निर्वाध रूप से अविरल अर्हनिश होती रहे. इस हेतु निरंतराय आहार आवश्यक है। सावधानी रखना दाता का प्रमुख कर्तव्य है। 2. तरल पदार्थ (जल, दूध, रस […]
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(B) आहारदान की निम्न आवश्यक पात्रतायें एवं निर्देशः Index and quick navigation A पूजन एवं आहारदान संबंधी निर्देश B. आहारदान की निम्न आवश्यक पात्रतायें एवं निर्देश C निरन्तराय आहार हेतु सावधानियाँ एवं आवश्यक निर्देश D. फल, साग की सही प्रासुक विधि एवं सावधानियाँ E. आहार सामग्री की शुद्धि भी आवश्यक F. आहार दान […]
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