(C) निरन्तराय आहार हेतु सावधानियाँ एवं आवश्यक निर्देश: साधु के निरंतराय आहार होवे, यह दाता की सबसे बड़ी उपलब्ध है। क्योंकि साधु की संपूर्ण धर्म साधना, चिंतन, पठम मनन निर्वाध रूप से अविरल अर्हनिश होती रहे. इस हेतु निरंतराय आहार आवश्यक है। सावधानी रखना दाता का प्रमुख कर्तव्य है। 2. तरल पदार्थ (जल, दूध, रस […]
क्षमावणी Author: Language : Hindi Rhythm: Type: Pooja Particulars: Kshamavani Puja वर्धमान अतिवीर वीर प्रभु सन्मति महावीर स्वामीवीतराग सर्वज्ञ जिनेश्वर अन्तिम तीर्थंकर नामी ॥श्री अरिहंतदेव मंगलमय स्व-पर प्रकाशक गुणधामी महाभक्ति से पूजा करता, क्षमामयी परमातम की ।अन्तर्मुख हो कर भावना, क्षमा स्वभावी आतम की॥ शुद्धातम- अनुभूति होते, ऐसी तृप्ति प्रगटाती ।क्रोधादिक दुर्भावों की सब, […]
(B) आहारदान की निम्न आवश्यक पात्रतायें एवं निर्देशः आहारदाता का प्रतिदिन देव दर्शन का नियम, रात्रि भोजन का त्याग, सप्त व्यसनों का त्याग तथा सच्चे देव, शास्त्र, गुरुको मानने का नियम होना चाहिये। जिनका आय का श्रोत हिंसात्मक व अनुचित न हो। (शराब का ठेका, जुआ, सट्टा खिलाना, कीटनाशक दवायें, ब्यूर्त पार्लर, नशीली वस्तु […]
देव-शास्त्र-गुरु – युगलजी कृत-केवल-रवि किरणों Author: Yugul Ji Language : Hindi Rhythm: फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja केवल-रवि किरणों से जिसका, सम्पूर्ण प्रकाशित है अंतर ।उस श्री जिनवाणी में होता, तत्त्वों का सुंदरतम दर्शन ॥ सद्दर्शन-बोध-चरण पथ पर, अविरल जो बढते हैं मुनि-गण ।उन देव परम आगम गुरु को, शत-शत […]
देव-शास्त्र-गुरु – युगलजी कृत-केवल-रवि किरणों Author: Yugul Ji Language : Hindi Rhythm: फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja केवल-रवि किरणों से जिसका, सम्पूर्ण प्रकाशित है अंतर ।उस श्री जिनवाणी में होता, तत्त्वों का सुंदरतम दर्शन ॥ सद्दर्शन-बोध-चरण पथ पर, अविरल जो बढते हैं मुनि-गण ।उन देव परम आगम गुरु को, शत-शत […]
साधुओं को अवश्य दें आहारदान – किंतु रहें सावधान ? 1. A- पूजन एवं आहारदान संबंधी निर्देश 2. B. 3. C. (A) पूजन एवं आहारदान संबंधी निर्देश: आहार नवधा भक्तिपूर्वक ही देवें, क्योंकि इस विधिपूर्वक दिया गया आहारदान ही पुण्य बंध का कारण होता है। नवधा भक्ति – पड़गाहन उच्चासन पादप्रक्षालन पूजन नमन मनशुद्धि वचनशुद्धि […]
Jaymala उत्तम छिमा गहो रे भाई, इह-भव जस, पर-भव सुखदाईगाली सुनि मन खेद न आनो, गुन को औगुन कहै अयानो ॥ Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo. कहि है अयानो वस्तु छीनै, बाँध मार बहुविधि करैघर तैं निकारै तन विदारै, वैर जो न […]
दशलक्षण-धर्म Author: Nathulal Language : Hindi Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja उत्तम क्षमा मारदव आरजव भाव हैं,सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैंआकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दश सार हैं,चहुँगति-दुखतैं काढ़ि मुकति करतार हैं ॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं श्री उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठः स्थापनंॐ ह्रीं श्री […]
साधुओं को अवश्य दें आहारदान – किंतु रहें सावधान ? (A) पूजन एवं आहारदान संबंधी निर्देश : 1. आहार नवधा भक्तिपूर्वक ही देवें, क्योंकि इस विधिपूर्वक दिया गया आहारदान ही पुण्य बंध का कारण होता है। नवधा भक्ति – (1) पड़गाहन (2) उच्चासन (3) पादप्रक्षालन (4) पूजन (5) नमन (6) मनशुद्धि (7) वचनशुद्धि (8) कायशुद्धि […]
You cannot copy content of this page