
जनम जरा मृत्यु छय करै, हरै कुनय जड़ रीति। भव-सागरसौं ले तिरै, पूजै जिन वच प्रीति ।।
ॐ जय जय जय नमोऽस्तु, नमोऽस्तु, नमोऽस्तु णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियांण। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।
पूजन करने से पूर्व अष्टद्रव्य तैयार कर एक चौकी पर रख लें।
उत्तम क्षमा मारदव आरजव भाव हैं, सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैं | आकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दश सार हैं, चहुँगति -दुखतैं काढि मुक्ति करतार हैं ||
नित्याप्रकंपाद्भुत-केवलौघाः,स्फुरन्मनःपर्यय-शुद्धबोधा:। दिव्यावधिज्ञान-बलप्रबोधा:, स्वस्ति-क्रियासु: परमर्षयो न:।१।
मैं देव श्री अर्हन्त पूजूँ सिद्ध पूजूँ चावसों | आचार्य श्री उवझाय पूजूँ साधु पूजूँ भाव सों ||१||