
मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुन्दकुन्दार्यो, जैनधर्मोऽस्तु मंगलं।।
निर्वाण लाडू चढ़ाने वाले दिन संध्याकाल में श्रावकगण अपने-अपने घरों में दीपावली पूजन करते हैं।
अनादि अनंत काल से भरतक्षेत्र में अनंत चौबीसी अनंत-अनंत काल से होती आयीं हैं
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ।
वीतराग वन्दौं सदा, भाव सहित सिर-नाय। कहूँ काण्ड निर्वाण की, भाषा सुगम बनाया।।
गणपति गणीशवर गणेश गणनायक गणीश्चर नाम हैं। गणनाथ गणस्वामी गणाधिप आदि नाम प्रधान हैं।।