
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ।
वीतराग वन्दौं सदा, भाव सहित सिर-नाय। कहूँ काण्ड निर्वाण की, भाषा सुगम बनाया।।
गणपति गणीशवर गणेश गणनायक गणीश्चर नाम हैं। गणनाथ गणस्वामी गणाधिप आदि नाम प्रधान हैं।।
जनम जरा मृत्यु छय करै, हरै कुनय जड़ रीति। भव-सागरसौं ले तिरै, पूजै जिन वच प्रीति ।।
ॐ जय जय जय नमोऽस्तु, नमोऽस्तु, नमोऽस्तु णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियांण। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।
पूजन करने से पूर्व अष्टद्रव्य तैयार कर एक चौकी पर रख लें।