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#KanaknandiJiMaharajKunthusagarji
Acharya Kanaknandiji Maharaj received initiation from Acharya Shri 108 Kunthu Sagar ji Maharaj.
आचार्य श्री १०८ कनक नंदी जी महाराज
संक्षिप्त परिचय
जन्म का नाम : श्री गंगाधर प्रधान
जन्म स्थान : उत्कल , ब्रहमपुरी , उड़ीसा
माता का नाम : श्रीमती रुकमनी देवी
पिता का नाम : श्री मोहनचन्द्र प्रधान
क्षुल्लक दीक्षा : १९७८ पपौरा टीकमगढ़ म.प्र.
मुनि दीक्षा तिथि : ०५ -११ -१९८१
दीक्षा गुरु : गणाधिपति श्री कुन्थु सागर जी महाराज
मुनि दीक्षा स्थल : श्रवणबेलगोला , कर्नाटक
उपाध्याय पद तिथि: २५ -११ -१९८२ हासन कर्णाटक
आचार्य पद तिथि: २४ अप्रैल १९९७ उदयपुर (राज )
आचार्य श्री कनकनंदी जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व
क्षुल्लक दीक्षा- अतिशय क्षेत्र पपौराजी (टिकमगढ) मध्यप्रदेश (सन् 1978) मुनि दीक्षा- 5 फरवरी 1981 (श्रवणबेलगोल कर्णाटक)
दीक्षा प्रदाता गुरु- पूज्य गणधराचार्य श्री कुन्थुसागर जी शिक्षाप्रदात्री प्रमुख गुरू- पू.ग. विजयामति माताजी उपाध्याय पद- 25 नवम्बर 1982 हासन (कर्णाटक) आचार्य पदवी- 23 अप्रैल 1996 उदयपुर (राज.)
प्रशिक्षित सुयोग्य श्रमण शिष्य समूह- पू.आ पद्मनन्दी आ.देवनन्दी, आ.कल्प श्रुतनन्दी, आ.करूणानन्दी, आ.कुशाग्ननंदी, आ.गुप्तिनंदी, उपाध्याय विद्यानंदी, उपा.कनकोज्ज्वलनंदी (श्रुतसागर), मु.आज्ञासागर मुनि. आध्यात्मिक मुनि सुविज्ञसागर जी।
आर्यिकाएँ-राजश्री, क्षमा श्री, आस्था श्री, ऋद्धि श्री, सुवत्सलमती, सुनिधिमती, सुनीतिमति, क्षु. सुवीक्षमती, शांती श्री, श्रेयांस श्री।
गृहस्थ शिष्य-डॉ. प्रो. स्व. प्रभातजी, डॉ. प्रो. स्व. सुशीलजी, डॉ. एन.एल. कछारा, डॉ. पी.एम अग्रवाल, डॉ. एस.एल गोदावत, डॉ. सोहनराज तातेड जी, डॉ. जीवराज जी, डॉ. राजमल जैन (इसरो) (महासभा के वर्तमान उपाध्यक्ष), डॉ. सुरेन्द्र सिंह पोखरना (इसरो), डॉ. बी.एल सेठी (गुरुदेव के साहित्य पर P.H.D. D.Lt के निर्देशक)
प्रख्याति-प्रखर प्रज्ञाधनी, मार्मिक प्रवचन एवं अनुशासन प्रिय, जैन-जैनेतर बच्चों, किशोर-किशोरियों, युवक-युवतियों के प्रशिक्षण दाता, बच्चे जिनको प्रिय तथा उनसे आहार लेने वाले, जैन-जैनेतर प्रबुद्ध वर्ग के लिए आदर्श ज्ञानी साधक। चंदाचिट्ठा तथा सामाजिक द्वन्द्व-फंद से दूर, शांत-समता, निस्पृह-निराडम्बर साधक।
सक्रिय गति विधियाँ-साहित्य पूजन, श्रमण संघों का अध्यापन, प्रशिक्षिण शिविर, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी, स्व-शिष्य एवं इन्टरनेट के माध्यम से धर्मदर्शन विज्ञान का प्रचार-प्रसार, निस्वार्थ रूप से विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत जैनअजैन समाज सेवकों संस्थान/संगठनों को उपाधी प्रदान।
कीर्तिमान-प्राचीन भारतीय दर्शन व साहित्य के आधार पर वैज्ञानिक तथ्यों की गुण-दोषात्मक समीक्षा/विशेषण।
साहित्य क्रांति-अद्यावधि विभिन्न भाषाओं में तीन लाख प्रतियों का प्रकाशन। अनेक जैन-जैनेतर पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक शोधपूर्ण लेखों का प्रकाशन।
दीक्षा का उद्देश्य-सत्य का शोध-बोध, समत्व की सिद्धि, समाज को दिशा बोध, सुख की सर्वोपलब्धि। धार्मिक, सामाजिक, व्यापारिक, राजनैतिक, शैक्षणिक भ्रष्टाचार से विक्षुब्ध तथा उनके परिशोधन की भावना।
बाल्यकाल से भावित आजीवन व्रतजीवन भर बालक-(ब्रह्मचारी, सीधा-सरल-सहज) रहना। आजीवन विद्यार्थी (सतत्-अध्ययन, शोधरत रहना)।
विद्यार्थी जीवन से भावित उद्देश्यसच्चा-निस्वार्थ जनसेवक राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय नेता बनना या वैज्ञानिक बनना या सच्चा आदर्श-आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, क्रांतिकारी साधु बनना। वर्तमान जीवन के लक्ष्यसत्य की उपलब्धि, देश-विदेश में साहित्य व वेबीनार द्वारा प्रचार-प्रसार व इंटरनेट पर सम्पूर्ण साहित्य आजीवन के लिये उपलब्ध समता की साधना एवं प्राप्ति तथा प्रचार-प्रसार असत्य, अन्याय, रुढ़ि, आडम्बर, मिथ्या परम्परा, अंधविश्वास, विषमता, पक्षपात, गूटबाजी, फूट, भ्रष्टाचार, अनैतिक, अकर्मण्य, उत्शृंखल/अनुशासन हीनता, शोषण का निर्मम परिशोधन।
प्रिय एवं श्रेय- सत्य, समता, सुख, विज्ञान, गणित, दर्शन, तर्क, नवीन शोध, समीक्षा, बच्चे, स्कूल-कॉलेज में प्रवचन एवं प्रशिक्षण, ग्राम, प्राकृतिक, स्वच्छ, हवादार वातावरण-आहार (ठंडा, मधुर, उत्तम भोजन, थंडा जल-दूध, घी, फल, हरी सब्जी, सूखा मेवा तथा मनुका, थंडाई आदि), सुख विहार-विचार, भोले भाले लोग, बच्चों से आहार लेना उनसे काम करवाना, उनसे बोलना, स्वच्छता, पवित्रता, शुद्धता, पक्षपात रहित-सर्वजीव हितकारी-सुखकारी-धर्म-नीति, व्यवस्था, कानून, राजनीति, अर्थनीति, शोषण विहिन समाज, परोपकार, सेवा, आदर, कोमल
निश्चल-निस्वार्थ-सहृदयता।
दैहिक पीड़ा-अध्ययन-अध्यापन, लेखनादि के कारण एवं विश्राम की कमी से तथा 14-15 वर्ष तक अधिक अन्तराय से आम्लपित्त, शारीरिक उष्णता से शारीरिक दाह, भोजन के समय शरीर में जलन, भोजन में खट्टा, गरम, रुखा-सुखा, अध-कच्चा, अधपक्का, जला हुआ भोजन, मिर्ची से तथा बदबू, धुंआ, गन्दगी, प्रदूषण से दाह, वमन, चक्कर, मूर्छा, हैजा, पीलिया, खाँसी आदि रोग की पीड़ा।
#KanaknandiJiMaharajKunthusagarji
आचार्य श्री १०८ कनकनंदी जी महाराज
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
1 1975 to 1978 Sammedshikhar, Bhagalpur Ara, Sonagiri (with A. Vimalasagar Ji, A. Kunthusagar Ji Sasangh)
2 1979 Shahgarh (MP)
3 1980 Akluj (Maharashtra) (A. Kunthusagar ji Sansangh)
4 1981 Shravanabelgola (Karnataka) (with 200 sadhus)
5 1982 Hassan (with A. Kunthusagar Ji)
6 1983 Tumkur (with A. Kunthusagar Ji)
7 1984 Belgaun (with A. Kunthusagar Ji)
8 1985 Shemnewadi (with A. Kunthusagar Ji)
9 1986 Sheedwal (Karnataka)
10 1987 Akluj (Maharashtra)
11 1988 Aara (Bihar)
12 1989 Baraut (UP)
13 1990 Muzaffarnagar (U.P.) (usually 40 with swaguru | sages and sages)
14 1991 Roktak (Haryana) (usually 40 with swaguru | sages and sages)
15 1992 Niwai (Rajasthan) (Independent including 5 monks and sages)
16 1993 Lava (Rajasthan)
17 1994 Bijouliya (Rajasthan)
18 1995 Kota (Rajasthan)
19 1996 Kesharia (Rajasthan)
20 1997 Sagwara (Rajasthan)
21 1998 Salumbar, Udaipur (Rajasthan)
22 1999 Jhadoul (S), Udaipur (Rajasthan)
23 2000 Ayad, Udaipur (Rajasthan)
24 2001 Gingla, Udaipur (Rajasthan)
25 2002 Pratapgarh (Rajasthan)
26 2003 Moongana, Pratapgarh (Rajasthan)
27 2004 Ganora, Banswara (Rajasthan)
28 2005 Udaipur (Rajasthan)
29 2006 Sagwara (15 including Sadhu-Sadhvi)
30 2007 Sagwara (Colony BCE)
31 2008 Padwa (Dungarpur)
32 2009 Ramgarh (Dungarpur)
33 2010 Seepur (Udaipur)
34 2011 Semari (Udaipur)
35 2012 Vijayanagar (Gujarat)
36 2013 Haldighati (Rajsamand)
37 2014 Sector-11, Udaipur (Rajasthan)
38 2015 Nandaud (Dungarpur Raj.)
39 2016 Sipur
40 2017 Chitari (Rajasthan)
41 2018 Nandaur (Rajasthan)
42 2019 Nandaur (Rajasthan)
43 2020 Galiakot Rehabilitation Colony Sagwara
Dhaval Patil Pune-9623981049
Dhaval Patil Pune-9623981049
KanaknandiJiMaharajKunthusagarji
Acharya Kanaknandiji Maharaj received initiation from Acharya Shri 108 Kunthu Sagar ji Maharaj.
Acharya Shri 108 Kanaknandiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
1 1975 to 1978 Sammedshikhar, Bhagalpur Ara, Sonagiri (with A. Vimalasagar Ji, A. Kunthusagar Ji Sasangh)
2 1979 Shahgarh (MP)
3 1980 Akluj (Maharashtra) (A. Kunthusagar ji Sansangh)
4 1981 Shravanabelgola (Karnataka) (with 200 sadhus)
5 1982 Hassan (with A. Kunthusagar Ji)
6 1983 Tumkur (with A. Kunthusagar Ji)
7 1984 Belgaun (with A. Kunthusagar Ji)
8 1985 Shemnewadi (with A. Kunthusagar Ji)
9 1986 Sheedwal (Karnataka)
10 1987 Akluj (Maharashtra)
11 1988 Aara (Bihar)
12 1989 Baraut (UP)
13 1990 Muzaffarnagar (U.P.) (usually 40 with swaguru | sages and sages)
14 1991 Roktak (Haryana) (usually 40 with swaguru | sages and sages)
15 1992 Niwai (Rajasthan) (Independent including 5 monks and sages)
16 1993 Lava (Rajasthan)
17 1994 Bijouliya (Rajasthan)
18 1995 Kota (Rajasthan)
19 1996 Kesharia (Rajasthan)
20 1997 Sagwara (Rajasthan)
21 1998 Salumbar, Udaipur (Rajasthan)
22 1999 Jhadoul (S), Udaipur (Rajasthan)
23 2000 Ayad, Udaipur (Rajasthan)
24 2001 Gingla, Udaipur (Rajasthan)
25 2002 Pratapgarh (Rajasthan)
26 2003 Moongana, Pratapgarh (Rajasthan)
27 2004 Ganora, Banswara (Rajasthan)
28 2005 Udaipur (Rajasthan)
29 2006 Sagwara (15 including Sadhu-Sadhvi)
30 2007 Sagwara (Colony BCE)
31 2008 Padwa (Dungarpur)
32 2009 Ramgarh (Dungarpur)
33 2010 Seepur (Udaipur)
34 2011 Semari (Udaipur)
35 2012 Vijayanagar (Gujarat)
36 2013 Haldighati (Rajsamand)
37 2014 Sector-11, Udaipur (Rajasthan)
38 2015 Nandaud (Dungarpur Raj.)
39 2016 Sipur
40 2017 Chitari (Rajasthan)
41 2018 Nandaur (Rajasthan)
42 2019 Nandaur (Rajasthan)
43 2020 Galiakot Rehabilitation Colony Sagwara
Acharya Shri Kunthu Sagarji Maharaj
Dhaval Patil Pune-9623981049
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