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#GundharNandiJiMaharajKunthuSagarJi
Acharya Shri 108 Gundhar Nandiji Maharaj was born on 20 December. His name was Rajuji before Diksha. He received initiation from Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj.
मुनिश्री गुणधरनन्दिजी महाराज उपाध्याय पद : 10 जुलाई 1994 को प्रदान किया गया। युवाचार्य पद : 4 फरवरी 1996 को तीर्थ क्षेत्र अणिंदा पार्श्वनाथ में प्रदान किया गया।
शिष्य-शिष्याएं : चातुर्मास 2017 में विराजमान - सर्वमुनिश्री नेमसागरजी, नमनसागरजी महाराज, सर्व आर्यिकाश्री नम्रमति, नूतनमति, नयनमति, नीतिमति माताजी, क्षुल्लकश्री नमितसागरजी महाराज, सर्व क्षुल्लिकाश्री सर्वज्ञमति, नमनमति, नयचक्रमति, नवमति माताजी।
प्रभावना : तपस्वी जीवन में बहुआयामी धर्मप्रभावनापूर्ण आयोजनों में सान्निध्य। योगदान : आचार्यश्री गुणधरनन्दिजी महाराज के बहुआयामी योगदानों में सर्वाधिक महान है कर्नाटक में हुबली के पास वरूर में विश्व में सर्वप्रथम निर्मित 'न भूतो न भविष्यति' आश्चर्यजनक, नवग्रह तीर्थ। इस तीर्थ क्षेत्र में 17 मीटर के गोल भूलोक ब्रह्माण्ड के ऊपर निर्मित बहुत सुंदर और मजबूत केतु ग्रह के स्थान पर 18 मीटर ऊंचे सहनफणी भगवान पार्श्वनाथ की खड़गासन प्रतिमा विराजमान की गई है। यह प्रतिमा अत्यंत मनोज्ञ है। इसके साथ ही आठ और ग्रहों - राहु, मंगल, बुध, शनि, शुक्र, गुरु, सूर्य, चंद्र के अधिष्ठाता तीर्थंकरों - महावीर, पुष्पदंत, चंद्रप्रभु, वासुपूज्य, पद्मप्रभु, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ - की 7 से 9 मीटर ऊंची प्रतिमाएं ऊंचे-मजबूत कांक्रीट स्तंभों पर खड़गासन में विराजमान की गई हैं। ये प्रतिमाएं अलग-अलग रंगों की हैं। तीर्थंकर महावीर स्वर्ण रंग में, पुष्पदंत शुभ्र ग्रेनाइट में, चंद्रप्रभु भी शुभ्र ग्रेनाइट में,पद्मप्रभु लाल रंग में, मल्लिनाथ हरे रंग में, नेमिनाथ श्याम रंग में और मुनिसुव्रतनाथ भी श्याम रंग में हैं। सभी स्तंभों को गोल ग्रहों के आकार में सुंदर गुंबजों के साथ बनाया गया है, जहां ग्रह देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान हैं। 40 एकड़ के भूक्षेत्र में फैला यह नवग्रह तीर्थ अत्यंत आकर्षक और भव्य है। यहां 100 मीटर से अधिक ऊंचे सुमेरु पर्वत का निर्माण भी किया गया है।
संदेश : “ज्ञान के समान इस संसार में सुख का और कोई साधन नहीं है। ज्ञान का मूल्यांकन करना असंभव है। ज्ञान के माध्यम से हम जीवन में जो चाहें, वह पद, धन, वैभव और सुख प्राप्त कर सकते हैं। ज्ञान द्वारा परम पद प्राप्त होता है। ज्ञान चंचल मनो-मर्कटों को स्थिर करने के लिए उपवन है। ज्ञान आत्मा का वह असाधारण गुण है, जो अन्य किसी द्रव्य में नहीं पाया जाता है।ज्ञान और आत्मा का तादात्म्य-संबंध है।"
जीवन यात्रा, महक उठा जीवन, सरस्वती कल्प, ईंट का जवाब पत्थर से, वास्तु विज्ञान, स्वर विज्ञान,तंत्र विज्ञान, मानव दैनिक चर्या, विद्यानुशासन, पद्मावती विधान, ज्वाला मालिनी कल्प आदि।
#GundharNandiJiMaharajKunthuSagarJi
आचार्य श्री १०८ गुणधर नंदीजी महाराज
+91 94205 91931 - Jayu Didi
Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
Gokak (2001), Alagur, Annapura, Akluj, Varur (Six), Padanpur Mumbai, Jaipur, Varur (four - as of 2016) - 10 out of 17 in Varur, Salamwadi (2017)
GundharNandiJiMaharajKunthuSagarJi
Acharya Shri 108 Gundhar Nandiji Maharaj was born on 20 December. His name was Rajuji before Diksha. He received initiation from Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj.
जीवन यात्रा, महक उठा जीवन, सरस्वती कल्प, ईंट का जवाब पत्थर से, वास्तु विज्ञान, स्वर विज्ञान,तंत्र विज्ञान, मानव दैनिक चर्या, विद्यानुशासन, पद्मावती विधान, ज्वाला मालिनी कल्प आदि।
Acharya Shri 108 Gundhar Nandiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
+91 94205 91931 - Jayu Didi
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
Gokak (2001), Alagur, Annapura, Akluj, Varur (Six), Padanpur Mumbai, Jaipur, Varur (four - as of 2016) - 10 out of 17 in Varur, Salamwadi (2017)
Acharya Shri 108 Gundhar Nandiji Maharaj
#GundharNandiJiMaharajKunthuSagarJi
GundharNandiJiMaharajKunthuSagarJi
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