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#VidyanandJiMaharaj1925Deshbhushanji
Acharya Shri 108 Vidyanandji Maharaj received Initiation from Acharya Shri 108 Deshbhushanji Maharaj on 25 July 1943, and received Acharya Pad in the year 1949.
श्री सुरेन्द्र उपाध्ये का जन्म २२ अप्रैल १९२५ को कर्नाटक के शेडबाल में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कल्लप्पा उपाध्ये और माता का नाम श्रीमती सरस्वती उपाध्ये था। प्रारम्भिक शिक्षा के लिए उन्होंने शान्तिसागर आश्रम, शेडबाल में पढ़ाई पूरी की। कृषि में प्रारम्भिक व्यवसाय के बाद, उन्होंने १५ अप्रैल १९४६ को तमदड्डी, कर्नाटक में क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की। उनके क्षुल्लक दीक्षा गुरु परमपूज्य आचार्य श्री १०८ महावीरकीर्तिजी महाराज थे और क्षुल्लक दीक्षा के पश्चात उनका नाम क्षुल्लक श्री १०५ पार्श्वकीर्तिवर्णी रखा गया। उन्होंने मुनि दीक्षा २५ जुलाई १९६३ को दिल्ली में प्राप्त की। उनके मुनि दीक्षा गुरु परमपूज्य आचार्यरत्न श्री १०८ देशभूषणजी महाराज थे और मुनि दीक्षा के पश्चात उनका नाम मुनि श्री १०८ विद्यानंदजी महाराज रखा गया।
उन्होंने उपाध्याय दीक्षा १७ नवम्बर १९७४ को दिल्ली में प्राप्त की। उनके उपाध्याय दीक्षा गुरु आचार्यरत्न श्री १०८ देशभूषणजी महाराज थे और उपाध्याय दीक्षा के पश्चात उनका नाम उपाध्यायश्री विद्यानन्द मुनि रखा गया। एलाचार्य दीक्षा १७ नवम्बर १९७८ को दिल्ली में प्राप्त की और उनका नाम एताचार्यश्री विद्यानन्द महाराज रखा गया। सिद्धान्तचक्रवर्ती उपाधि उन्हें ६ नवम्बर १९७९ को इन्दौर, मध्य प्रदेश में चतुः संघ द्वारा प्रदान की गई। आचार्य पदारोहण २८ जून १९८७ को दिल्ली में प्राप्त की और आचार्य पदारोहण के बाद उनका नाम आचार्य श्री १०८ विद्यानन्दजी महाराज रखा गया।
आचार्यश्री के निर्देशन व मार्गदर्शन में संपन्न अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य-
• भगवान् महावीर का २५०० वाँ निर्वाण महोत्सव
• श्रवणबेलगोला स्थित गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली की प्रतिमा का सहस्राब्दि समारोह एवं महामस्तकाभिषेक
• गोम्मटेश्वर भगवान् बाहुबली की प्रतिमाओं का उत्तर भारत में निर्माण गोम्मटगिरि इन्दौर, मध्य प्रदेश, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश
• बावनगजा स्थित चौरासी फीट उत्तुंग भगवान् आदिनाथ की प्रतिमा का जीर्णोद्धार एवं महामस्तकाभिषेक
• श्रीमहावीरजी, राजस्थान स्थित भगवान महावीर की प्रतिमा का सहस्राब्दी समारोह एवं महामस्तकाभिषेक
• अहिंसा स्थल दिल्ली में भगवान महावीर की प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक
• श्री दिगम्बर दिगम्बर जैन मन्दिर, श्रीनगर (गढ़वाल) का जीर्णोद्धार
• कुम्भोज बाहुबती क्षेत्र पर अतिक्रमण का कड़ा विरोध एवं उसका समाधान
• आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी वर्ष समारोह
• जैन भजनों के ग्रामोफोन रिकार्ड्स का प्रथम बार निर्माण
• समयसार, द्रव्यसंग्रह, छहढाता की कैसेटों का प्रथम बार निर्माण
• सम्मेदशिखर आन्दोलन को गति एवं मार्गदर्शन
• जैन समाज को भारतीय संविधान में प्रदत्त अल्पसंख्यक घोषित करने का आन्दोलन
• परमपूज्य चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री १०८ शान्तिसागरजी महाराज का १३१वां जन्म जयन्ती समारोह 'संयम-वर्ष'
• चारित्रचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्य श्री १०८ शान्तिसागरजी महाराज का ५०वां समाधि-दिवस समारोह 'स्वर्ण समाधि वर्ष'
• समाज में व्याप्त कुरीतियों व मिथ्यात्व के संस्कारों का निवारण
• श्रवकाचार वर्ष
• जैन ध्वज और जैन प्रतीक का निर्माण
• धर्मचक्र प्रवर्तन
• जनमंगल कलश प्रवर्तन
• भरत चैत्य की स्थापना
• कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली में सम्राट खारवेल भवन की स्थापना
• कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली में कातंत्र कालाप ग्रन्थालय की स्थापना
• श्री लालबहादुर शाखी राष्ट्रिय विद्यापीठ दिल्ली में प्राकृत अध्ययन का शुभारम्भ
• समयसारादि का सम्पादन-प्रकाशन
• संगीत समयसार ग्रन्थ का सम्यादन प्रकाशन
• प्राकृतविद्या (त्रैमासिकी पत्रिका)
• दी जन लॉ (अंग्रेजी)
आचार्यश्री द्वारा प्रदत्त दीक्षायें-
आचार्यश्री की प्रेरणा एवं उपदेश से निर्मित संस्थाएँ-
आचार्यश्री की मांगलिक प्रेरणा से प्रवर्तित पुरस्कार-
#VidyanandJiMaharaj1925Deshbhushanji
आचार्य श्री १०८ विद्यानन्दजी महाराज
Aacharya Shri 108 Deshbhushan Ji Maharaj 1906
आचार्य श्री १०८ देशभूषण जी महाराज 1906 Aacharya Shri 108 Deshbhushan Ji Maharaj 1906
DeshbhushanJiMaharaj1906Jaikirtiji
Acharya Shri 108 Vidyanandji Maharaj received Initiation from Acharya Shri 108 Deshbhushanji Maharaj on 25 July 1943, and received Acharya Pad in the year 1949.
Shri Surendra Upadhye was born on 22 April 1925 in Shedbal, Karnataka. His father's name was Shri Kallappa Upadhye and his mother's name was Shrimati Saraswati Upadhye. He completed his primary education at Shantisagar Ashram in Shedbal. After initial involvement in agriculture, he took initiation (diksha) as a Kshullak on 15 April 1946 in Tumadaddi, Karnataka. His Kshullak diksha guru was revered Acharya Shri 108 Mahavirakirtiji Maharaj, and after diksha, he was named Kshullak Shri 105 Parshvakirtivarni. He received Muni Diksha on 25 July 1963 in Delhi. His Muni Diksha guru was revered Acharyaratna Shri 108 Deshabhushanji Maharaj, and after diksha, he was named Muni Shri 108 Vidyanandji Maharaj.
He obtained the Upadhyaya initiation on 17 November 1974 in Delhi. His Upadhyaya Diksha guru was Acharyaratna Shri 108 Deshabhushanji Muniraj, and after diksha, he was named Upadhyaya Shri Vidyanand Muni. He received the Acharya initiation on 17 November 1978 in Delhi and was named Acharya Shri 108 Vidyanand Muniraj. He was conferred with the title of Siddhanta Chakravarti on 6 November 1979 in Indore, Madhya Pradesh, by the Chatur Sangh. His ascension to the position of Acharya was on 28 June 1987 in Delhi, and after this ascension, he was named Acharya Shri 108 Vidyanandji Maharaj.
Acharya Shri 108 Vidyanandji Maharaj
आचार्य श्री १०८ देशभूषण जी महाराज 1906 Aacharya Shri 108 Deshbhushan Ji Maharaj 1906
आचार्य श्री १०८ देशभूषण जी महाराज 1906 Aacharya Shri 108 Deshbhushan Ji Maharaj 1906
Aacharya Shri 108 Deshbhushan Ji Maharaj 1906
Acharya shri 108 Deshbhushanji Maharaj
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DeshbhushanJiMaharaj1906Jaikirtiji
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VidyanandJiMaharaj1925Deshbhushanji
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