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श्रुतधराचार्यों की परंपरामें आचार्य गृद्धपिन्छ का नाम आता है। तत्वार्थसुत्रके रचयिता आचार्य गृद्धपिन्छ हैं। इनका अपरनाम उमास्वामी या उमास्वाति भी प्राप्त होता है। आचार्य वीरसेनने जीवस्थानके काल अनुयोगद्वारमें तत्वार्थसूत्र और उसके कर्ता गृद्धपिच्छाचार्यके नामोल्लेखके साथ उनके तत्त्वार्थसूत्रका एक सूत्र उद्धृत किया है-
'तह गिद्धपिछाइरियप्पयासिदतच्चत्थसुत्ते वि "वर्तनापरिणामक्रियाः पर त्वापरत्वे च कालस्य इदि दव्वकालो परुविदो।'
इस उद्धरणसे स्पष्ट है कि तत्वार्थसूत्रके रचयिता गृद्धपिन्छाचार्य हैं। इस नामका समर्थन आचार्य विद्यानन्दके तत्वार्थश्लोकवातिकसे भी होता है-
'एतेन गृद्धपिच्छाचार्यपर्यन्समुनिसूत्रेण व्यभिचारता निरस्ता।'
यहाँ विद्यानन्दने भी तत्त्वार्थसूत्रके कर्ताका नाम गृद्धपिच्छाचार्य बतलाया है।
तत्त्वार्थसूत्रके किसी टीकाकारने भी निम्न पद्यमें तत्त्वार्थसूत्रके रचयिताका नाम गृद्धपिच्छाचार्य दिया है-
'तत्त्वार्थसूत्रकर्तार गृद्धपिच्छोपलक्षितम्।
वन्दे गणीन्द्रसंजासमुमास्वामिमुनीश्वरम्॥'
इसमें गृद्धपिच्छाचार्य नामके साथ उनका दूसरा नाम 'उमास्वामिमुनीश्वर भी बतलाया गया है। वादिराजने भी अपने पार्श्वनाथचरित्रमें गृद्धपिच्छ नामका उल्लेख किया है-
'अतुच्छगुणसम्पातं गृद्धपिच्छं नतोऽस्मि तम्।
पक्षीकुर्वन्ति यं भव्या निर्वाणायोत्पतिष्णवः।।'
आकाशमें उड़नेकी इच्छा करनेवाले पक्षी जिस प्रकार अपने पंखोंका सहारा लेते हैं उसी प्रकार मोक्षरूपी नगरको जानेके लिए भव्यलोग जिस मुनीश्वरका सहारा लेते हैं उस महामना अगणित गुणोंके भण्डारस्वरूप गृद्धपिच्छ नामक मुनिमहराजके लिए मेरा सविनय नमस्कार है ।
इन प्रमाणोल्लेखोंसे स्पष्ट है कि तत्त्वार्थसूत्रके कर्ता गृद्धपिच्छाचार्य हैं।
श्रवणबेलगोलाके एक अभिलेखमें गृद्धपिच्छ नामकी सार्थकता और कुन्दकुन्दके वंशमें उनकी उत्पत्ति बतलाते हुए उनका उमास्वाति नाम भी दिया है। यथा-
अभूदुमास्वातिमुनिः पवित्रे वंशे तदीये सकलात्थंवेदो।
सूत्रीकृतं येन जिनप्रणीतं शास्त्रार्थजात्तं मुनिपुङ्गवेन॥
स प्राणिसंरक्षणसावधानो बभार योगी किल गृदमपक्षान्।
तदा प्रभृत्येव बुघा यमाहुराचार्यशब्दोत्तरगद्धपिच्छम्।।
अन्य शिलालेख में भी गृद्धपिच्छाका उल्लेख प्राप्त होता है-
अभूदुमास्वातिमुनीश्वरोऽसावाचार्यशब्दोत्तरगृद्मपिच्छः।
तदन्वये तत्सदृशोऽस्ति नान्यस्तात्कालिकाशेषपदार्थवेदी।
आचार्य कुन्दकुन्दके पवित्र वंशमें सकलार्थक ज्ञाता उमास्वाति मुनीश्वर हुए, जिन्होंने जिनप्रणीत द्वादशांगवाणीको सूत्रोंमें निबद्ध किया। इन आचार्यने प्राणिरक्षाके हेतु गृद्धपिच्छोंको धारण किया। इसी कारण वे गृद्धपिच्छाचार्य के नामसे प्रसिद्ध हुए। आमलेखीय प्रमाणमें गृद्धपिच्छाचार्यको श्रुतकेवलिदेशीय भी कहा गया है। इससे उनका आगमसम्बन्धी सातिशय ज्ञान प्रकट होता है।
तत्वार्थसूत्रके रचयिता गृद्धपिच्छाचार्यका उल्लेख श्रवणबेलगोलाके अभिलेखोंमें ४०, ४२,४३,४७ और ५० संख्यकमें भी पाया जाता है। अभिलेखसंख्या १०५ और १०८ में तत्त्वार्थसूत्रके कर्ताका नाम उमास्वाति भी आया है और गृद्धपिच्छा उनका दूसरा नाम बतलाया है। यथा-
श्रीमानुमास्वातिरयं यतीशस्तत्वार्थसूत्रं प्रकटीचकार।
यन्मुक्तिमार्गाचरणोधताना पाथेयमग्ध्यं भवति प्रजानां।।
तस्यैव शिष्योऽजनि गृद्धपिच्छ-द्वित्तीयसंज्ञस्य बलाकपिच्छः।
यत्सूक्तिरलानि भवन्ति लोके मुफ्त्यङ्गनामोहनमण्डनानि॥
यत्तियोंके अधिपति श्रीमान् उमास्वातिने तत्त्वार्थसूत्रको प्रकट किया, जो मोक्षमार्गके आचरणमें उद्यत मुमुक्षुजनोंके लिए उत्कृष्ट पाथेय है। उन्हींका गृद्धपिच्छ दूसरा नाम है। इन गृद्धपिच्छाचार्य के एक शिष्य बलाकपिच्छ थे, जिनके सुक्तिरत्न मुक्त्यङ्गनाके मोहन करनेके लिए आभूषणों का काम देते हैं।
इस प्रकार दिगम्बर साहित्य और अभिलेखोंका अध्ययन करनेसे यह ज्ञात होता है कि तत्त्वार्थ सूत्रके रचयिता गृद्धपिच्छाचार्य, अपरनाम उमास्वामि या उमास्वाति हैं।
कुछ विद्वानोंने तत्त्वार्थसुत्रका रचयिता कुन्दकुन्दको माना है।आचार्य श्री जुगलकिशोर मुख्तारने इस मतकी समीक्षा की है।
तत्त्वार्थसूत्रके रचयिताके सम्बन्धमें एक अन्य मत यह है कि वाचक उमास्वाति इस सूत्रग्नन्थके रचयिता हैं। पण्डित सुखलालजीने तत्त्वार्थसूत्र (विवेचन) की प्रस्तावनामें वाचक उमास्वातिको तत्वार्थसुत्रका कर्ता माना है, गृद्धपिच्छ उमास्वातिको नहीं। वे कहते हैं कि गृद्धपिच्छ उमास्वाति नामके आचार्य हुए अवश्य हैं, पर उन्होंने तत्त्वार्थसूत्र या तत्त्वार्थाधिगम शास्त्रकी रचना नहीं की है। उन्होंने इस सूत्रग्रंथका उल्लेख 'तत्वार्थाधिगम' शास्त्रके नामसे किया है। पर यह नाम तत्त्वार्थसूत्रका न होकर उसके 'तत्त्वार्थाधिगम’ भाष्यका है।
तत्वार्थाधिगमभाष्यकी रचनाके पूर्व तत्वार्थसूत्रपर अनेक टीकाएँ लिखी जा चुकी थी। सर्वार्थसिद्धिका निम्न सूत्र तत्त्वार्थाधिगम भाष्यमें कुछ परिवर्धन के साथ पाया जाता है, जिससे भाष्यकी सर्वार्थसिद्धिसे उत्तरकालीनता अवगत होती है-
(क) मतिश्रुतयोनिबन्धो दत्यानगोष'।
(ख) मतिश्रुतयोनिबन्धः सर्वद्रव्येष्वसर्वपर्याषु।
यहाँ तत्त्वार्थाधिगमभाष्यमें सर्वार्थसिद्धिमान्य सूत्रपाठकी अपेक्षा द्रव्यपदके साथ विशेषणरूपसे 'सर्व' पद स्वीकार किया गया है। किन्तु जब वे ही भाष्यकार इस सूत्रके उत्तरार्धको १/२० के माध्यमें उद्धृत करते हैं तो उसका रूप सर्वार्थसिद्धिमान्य सूत्रपाठ ले लेता है। यथा- 'अत्राह- मतिश्रुतयोस्तुल्यविषयत्वं वक्ष्यति "द्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु’इति।
इससे ज्ञात होता है कि भाष्यके पूर्व तत्त्वार्थसूत्रपर सर्वसिद्धि-टीका लिखी जा चुकी थी और उसमें तत्त्वार्थसूत्रका एक सूत्रपात्र निर्धारित किया जा चुका था। सिद्धसेनगणी और हरिभद्गने भी तत्त्वार्थाधिगमभाष्यके इस अंशको इसी रूपमें स्वीकार किया है। अब प्रश्न यह है कि तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकारने जब उल्लिखित सूत्रके उत्तरार्धका 'सर्व द्रव्येष्वसर्वपर्यायषु' पाठ स्वीकार किया, तब उसे उद्धृत करते समय उसमेंसे 'सर्व' पद क्यों छोड़ दिया? यदि 'सर्व' पदको 'द्रव्य' पदक विशेषणके रूपमें आवश्यकता थी तो उन्होंने उद्धृत करते समय क्यों नहीं इस बातका ध्यान रखा? यह ऐसा प्रश्न है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। बहुत सम्भव है कि उन्होंने प्राचीन सूत्रपाठकी परम्पराको ध्यानमें रखकर ही प्रथम अध्यायके २०वें सूत्रके माध्यमें उसे दिया, जो सर्वार्थसिद्धिमें उपलब्ध था। इससे विदित्त होता है कि तत्त्वार्थाधिगमभाष्य लिखते समय वाचक उमास्वातिके समक्ष सर्वार्थसिद्धि अथवा उसमें मान्य सूत्रपाठ रहा है।
अर्थविकासकी दृष्टीसे विचार करने पर प्रतीत होगा कि तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकी सर्वार्थासाद्धीके बाद लिखा गया है। कालके उपकारप्रकरणमें सर्वार्थसिद्धिमें परत्व और अपरत्व ये दो ही भेद किये गये हैं, जबकि तत्त्वार्थाधिगमभाष्य में उसके तीन भेद उपलब्ध होते हैं। अतएव प्रज्ञाचक्षु पण्डित सुखलालजीका यह अभिमत कि तत्त्वार्थसूत्रकार और तत्वार्थाधिगमभाष्यकार एक ही व्यक्ति हैं, समीचोन प्रतीत नहीं होता।
तत्वार्थसूत्रके दो सूत्रपाठ हो जानेपर भी ऐसे अधिकतर सूत्र हैं जो दोनों परम्पराओंमें मान्य हैं और उनमें भी कुछ ऐसे सूत्र अपने मूलरूपमें उपलब्ध हैं, जिनके रचयिताको स्थितिपर प्रकाश पड़ता है। पण्डित फूलचन्द्रजी शास्त्री ने (१) तीर्थंकरप्रकृतिके बन्धके कारणोंका प्रतिपादक सूत्र,(२)वाइस परीषहाका प्रतिपादक सूत्र, (३) केवलीजिनके ११ परिषहोंके सद्भावका प्रतिपादक सूत्र और (४) एक जीवके एक साथ परीषहसंख्याबोधक सूत्र- इन चार सूत्रोंको उपस्थित कर तत्वार्थसूत्र और तत्त्वार्थाधिगमभाष्यके रचयिताओंको भिन्न भिन्न व्यक्ति सिद्ध किया है। पण्डित फूलचन्द्रजीने 'उमास्वातिवाचकोपज्ञसूत्रभाष्ये' पदके पण्डित सुखलालजी द्वारा किये गये अर्थको समीक्षा करते हुए लिखा है- 'पण्डितजी, भाष्यकार और सुत्रकार एक हो व्यक्ति है- इस पक्षमें उसका अर्थ लगानेका प्रयत्न करते हैं, किंतु इस पदका सीधा अर्थ है- उमास्वातिवाचकद्वारा बनाया हुआ सूत्रभाष्य। यहाँ "उमास्वातिवाचकोपज्ञ' पदका सम्बन्ध सूत्रसे न होकर उसके भाष्यसे है। दुसरा प्रमाण पण्डितजीने ९वें अध्यायके २२वे सूत्रकी सिद्धसेनीय टीका उपस्थित की है, किंतु यह प्रमाण भी सन्देहास्पद है, क्योंकि सिद्धसेन गणिकी टीकाको जो प्राचीन प्रतियां उपलब्ध होती हैं उनमें "स्वकृतसूत्रसन्निवेशमाश्रित्योक्तम्" पाठके स्थानमें "कृतस्तत्र सूत्रसन्निवेशमाश्रित्योक्तम्" पाठ भी उपलब्ध होता है। बहुत सम्भव है कि किसी लिपिकारने तत्वार्थसुत्रका वाचक उमास्वाति कर्तृत्व दिखलाने के अभिप्रायसे 'कुतस्तत्र' का संशोधन कर 'स्वकृत्त' पाठ बनाया हो और बादमें यह पाठ चल पड़ा हो।
अतः तत्त्वार्थ अथवा तत्वार्थसूत्र और तत्त्वार्थाधिगमभाष्य दो पृथक्-पृथक् रचनाएँ हैं। तत्त्वार्थ सर्वार्थसिद्धिसे पूर्ववर्ती और तत्त्वार्थाधिगमभाष्य उससे उत्तरवर्ती रचना है। अतएव तत्त्वार्थाधिगमभाष्यके कर्ता वाचक उमास्वाति रहे होंगे। पर मूल तत्वार्थसूत्रके कर्ता गृद्धपिन्छाचार्य हैं। इस नामका उल्लेख नवीं शताब्दीके आचार्य वीरसेन और विद्यानन्द जैसे आचार्योंके साहित्यमें मिलता है। उत्तरकालमें अभिलेखों और ग्रन्थोंमें उमास्वामी और उमास्वाति इन दो नामोंसे भी इनका उल्लेख किया गया है। लगभग इसी समय श्वेताम्बर सम्प्रदायमें हुए सिद्धसेन गणिके उल्लेखोंसे तत्वार्थाधिगमभाष्यका रचयिता वाचक उमास्वातिको माना गया और इन्हें ही तत्त्वार्थसूत्रका रचयिता भी बता दिया गया । पर मूल और भाष्य दोनोंका अन्तःपरीक्षण करनेपर वे दोनों पृथक-पृथक दो विभिन्नकालीन कर्तृक सिद्ध होते हैं, जैसा कि ऊपरके विवंचनसे प्रकट है।
गृद्धपिन्छाचार्य किस अत्वयमें हुए, यह विचारणीय है। नन्दिसंघकी पट्टावलि और श्रवणबेलगोलाके अभिलेखोंसे यह प्रमाणित होता है कि गृद्धपिन्छाचार्य कुन्दकुन्दके अन्वयमें हुए हैं। नन्दिसंघकी पट्टावलि विक्रमके राज्याभिषेकसे प्रारम्भ होती है। वह निम्न प्रकार है-
१. भद्रबाहु द्वितीय (४),
२. गुप्तिगुप्त (२६),
३. माघनन्दि (३६),
४. जिनचन्द्र (४०),
५. कुन्दकुन्दाचार्य (४९),
६. उमास्वामि (१०९),
७. लोहाचार्य (१४२),
८. यशःकीर्ती (१५३),
९. यशोनन्दि (२११),
१०. देवनन्दि (२५८),
११. जयनन्दि (३०८),
१२. गुणनन्दि (३५८),
१३. वज्रनन्दि (३६४),
१४. कुमारनन्दि (३८६),
१५. लोकचन्द (४२७),
१६. प्रभाचन्द्र (४५३),
१७. नेमिचन्द्र (४७२),
१८. भानुनन्दि (४८७),
१९. सिंहनन्दि (५०८),
२०. वसुनन्दि (५२५),
२१. वीरनन्दि (५३१),
२२. रत्ननन्दि (५६१),
२३. माणिक्यनन्दि (५८५),
२४. मेघचन्द्र (६०१),
२५. शान्तिकीर्ति (६२७),
२६. मेरुकीर्ति (६४२),।
उपर्युक्त पट्टावलिमें आया हुआ गुप्तिगुप्तका नाम अर्हद्वलिके लिये आया है। अन्य प्रमाणोंसे सिद्ध है कि नन्दिसंघकी स्थापना अर्हद्वलिने की थी, और इसके प्रथम पट्टधर आचार्य माघनन्दि हुए। इस क्रमसे गृद्धपिच्छ नन्दिसंघके पट्टपर बैठनेवाले आचार्योंमें चतुर्थ आते हैं और इनका समय वीर निर्वाण सं. ५७१ सिद्ध होता है। अतएव गृद्धपिन्छके गुरुका नाम कुन्दकुन्दाचार्य होना चाहिये। श्रवणबेलगोलाके अभिलेख न. १०८ में गृद्धपिन्छ उमास्वामिका शिष्य बलाकपिच्छाचार्यको बतलाया है। अत: इनके शिष्य बलाकपिच्छ हैं।
तत्वार्थसूत्र के निर्माणमें कुन्दकुन्दके ग्रन्थोंका सर्वाधिक उपयोग किया गया है| आचार्य कुन्दकुन्दने अपने पंचास्तिकाय में लिखा है-
दव्व सल्लक्खणियं उपादव्वयधुवत्तसंजुत्तं।
गुणपज्जयासयं वा जं तं भण्ण ति सव्वण्हू।।
इस गाथाके आधारपर तत्त्वार्थसूत्रमें तीन सूत्र उपलब्ध होते हैं। ये तीनों सूत्र क्रमश: गाथाके प्रथम, द्वितीय और तृतीय पाद हैं-
(१) सदद्रव्यलक्षणम्।
(२) उत्पादव्वयघ्रोव्ययुक्तं सत्।
(३) गुणपर्ययवद् द्रव्यम्।
अतएव गृद्धपिन्छने कुन्दकुन्दका शाब्दिक और वस्तुगत अनुसरण किया है। अत: आश्चर्य नहीं कि गृद्धपिन्छके गुरु कुन्दकुन्द रहे हों। श्रवणबेलगोलाके उक्त अभिलेखानुसार गृद्धपिन्छके शिष्य बलाकपिच्छ हैं। इनकी गणना नन्दिसंघके आचार्योंमें है।
यद्यपि पंडित सुखलालजीने इन्हें ही तत्वार्थाधिगमभाष्यका कर्ता मानकर उच्चैगिर शाखाका आचार्य माना है और यह शाखा कल्पसूत्रकी स्थविरावलिके अनुसार आर्यशान्तिश्रेणिकसे निकली है। आर्यशान्तिश्रेणिक आर्यसुहस्तिसे चौथी पीढ़ी में आते हैं, तथा वह शान्तिश्चेणिक आर्यवज्रके गुरु आर्यसिंहगिरिके गुरुभाई होनेसे, आर्यवज्रकी पहली पीढ़ी में आते हैं। तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकी प्रशस्तिमें वाचक उमास्वातिने अपनेको शिवश्रीनामक वाचकमुख्यका प्रशिष्य और एकादशांगवेत्ता धोषनन्दि श्रमणका दीक्षा शिष्य तथा प्रसिद्धकीर्तिवाले महावाचक श्रमण श्रीमुण्डपादका विद्या-अशिष्य बतलाया है।
पर यह गुरुशिष्य-परम्परा तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकार वाचक उमास्वातिकी है, तत्त्वार्थसूत्रकार गृद्धपिन्छकी नहीं। गृद्धपिन्छ उमास्वामि कुन्दकुन्दान्वयमें हुये हैं और ये कुन्दकुन्दाचार्य के उत्तराधिकारी भी हैं।
इनका समय नन्दिसंघकी पट्टावलिके अनुसार वीर- निर्वाण सम्वत् ५७१ है, जो कि वि. सं. १०१ आता है। "विद्वज्जनबोधक' में निम्नलिखित पद्य आया है-
वर्षसप्तशते चैव सप्तत्या च विस्मृतौ।
उमास्वामिमुनिर्जात कुन्दकुन्दस्तथैव चे।।
अर्थात् वीर निर्वाण संवत् ७७० में उमास्वामि मुनि हुए, तथा उसी समय कुन्दकुन्दाचार्य भी हुये। नन्दिसंघकी पट्टावलिमें बताया है कि उमास्वामी ४० वर्ष ८ महीने आचार्यपदपर प्रतिष्ठित रहे। उनकी आयु ८४ वर्षकी थी और विक्रम संवत् १४२ में उनके पट्टपर लोहाचार्य द्वितीय प्रतिष्ठित हुए। प्रो. हार्नले, डा. पीटरसन और डा. सतीशचन्द्रने इस पट्टावलिके आधारपर उमास्वारिको ईसकी प्रथम शताब्दी का माना है।
'विद्धज्जनबोधक' के अनुसार उमास्वातिका समय विक्रम सम्वत् ३०० आता है और वह पट्टावलिके समयसे १५० वर्ष पीछे पड़ता है।
इन्द्रनन्दिने अपने श्रुतावतारमें ६८३ वर्षकी श्रुतधर आचार्योंकी परम्परा दी है और इसके बाद अंगपूर्वके एकदेशधारी विनयधर, श्रीदत्त और अर्हद्दत्तका नामोल्लेखकर नन्दिसंघ आदि संघोंकी स्थापना करनेवाले अर्हद्वलिका नाम दिया है। श्रुतावतारमें इसके पश्चात् माघनन्दि, धरसेन, पुष्पदन्त और भूतलिके उल्लेख हैं। उसके बाद कुन्दकुन्दका नाम आया है। अत: आचार्य गृद्धपिच्छ कुन्दकुन्दके पश्चात् अर्थात् ६८३ वर्ष के अनन्तर हुए हैं। यदि इस अनन्तरकालको १०० वर्ष मान लिया जाये, तो वीर-निर्वाण सम्वत् ७८३ के लगभग आचार्य गृद्धपिच्छका समय होगा।
यद्यपि श्रुतधर आचार्यों की परम्परा का निर्देश धवला, आदिपुराण', नन्दिसंघकी प्राकृत पट्टावालि और त्रिलोकप्रज्ञात' आदिमें आया है, पर ये सभी परम्पराएँ ६८३ वर्ष तकका ही निर्देश करती हैं। इसके आगेके आचार्योंका कथन नहीं मिलता। अतएवं श्रुतावतार आदिके आधारसे गृद्धपिच्छका समय निर्णीत नहीं किया जा सकता है।
डॉ. ए. एन उपाध्येने बहुत ऊहापोहके पश्चात् कुन्कुन्दके समयका निर्णय किया है, और जिससे गृद्धपिच्छ, आचार्य कुन्दकुन्दके शिष्य प्रकट होते हैं। उपाध्येजीके मतानुसार कुन्दकुन्दका समय ई. प्रथम शताब्दीके लगभग है। अतः गृद्धपिच्छाचार्य उसके पश्चात् ही हुए हैं।
कुन्दकुन्दका समय निर्णीत हो जानेके पश्चात् आचार्य गुद्धपिच्छका समय अवगत करने में कठिनाई नहीं है। यतः पट्टावलियों और शिलालेखों में आचार्य कुन्दकुन्दके पश्चात् गृद्धपिच्छका नाम आया है। अतएव इनका समय ई. प्रथम शताब्दीका अन्तिम भाग और द्वितीय शताब्दीका पूर्वभाग घटित होता है।
निष्कर्ष यह कि पट्टावलियों, प्रशस्तियों और अभिलेखोंके अध्ययनसे गृद्धपिच्छका समय ई. सन् द्वितीय शताब्दी प्रतीत होता है।
आचार्य गृद्धपिच्छकी एकमात्र रचना 'तत्त्वार्थसूत्र' है। इस सूत्रग्रन्यका प्राचीन नाम 'तत्त्वार्थ’ रहा है। 'तत्वार्थ' की तीन टीकाएँ प्रसिद्ध हैं, जिनके साथ तत्वार्थपद लगा है, पूज्यपादकी 'तत्वार्थवृत्ति', जिसका दूसरा नाम 'सर्वार्थसिद्धि' है, अकलंकका तत्वार्थवार्तक' और विद्यानन्दका तत्वार्थश्लोकवार्तिक। अतएव इस ग्रंथका प्राचीन नाम 'तत्वार्थ’ ही रहा है। सूत्रशैलीमें निबद्ध होनेसे उत्तरकालमें इसका 'तत्त्वार्थसूत्र' नाम प्रचलित हुआ। इस ग्रंथकी रचनाके हेतुका वर्णन करते हुए, तत्वार्थसूत्रके कन्नड-टीकाकार बालचंद्रने लिखा है-
"सौराष्ट्रदेशके मध्य उर्जयन्तगिरिके निकट गिरिनगर नामके पत्तनमें आसन्नभव्य स्वहितार्थी द्विजकुलोत्पन्न श्वेताम्बरभक्त सिद्धय्य नामका एक विद्वान् श्वेताम्बर शास्त्रोंका जाननेवाला था। उसने 'दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:' यह सूत्र बनाकर एक पटियेपर लिख दिया था। एक दिन चर्याक लिये गृद्धपिच्छाचार्य मुनि वहाँ आये और उन्होंने उस सूत्रके पहले 'सम्यक' पद जोड़ दिया। जब वह विद्वान बाहरसे लौटा और उसने पटिये पर 'सम्यक' शब्द लगा देखा, तो वह अपनी मातासे मुनिराजके आनेका समाचार मालूम करके खोजता हुआ उनके पास पहुँचा और पूछने लगा- "आत्माका हित क्या है”। इसके बादका प्रश्नोत्तर प्राय: वही सब है, जो 'सर्वार्थसिद्धि' के प्रारम्भमें आचार्य पूज्यपादने दिया है। प्रभाचन्द्राचार्यने सर्वार्थसिद्धिपर एक टिप्पण लिखा है और कहा टिप्पणमें उन पदोंकी व्याख्या की है, जो "सर्वार्थसिद्धि' में छूट गये हैं। इस टिप्पणमें प्रभाचन्द्रने प्रश्नकर्ता भव्यका नाम तो सिद्धय्य ही दिया है, किन्तु कथा नहीं दी है। उक्त कथामें कितना तथ्यांश है, यह नहीं कहा जा सकता।
श्रुतसागरसूरिने 'तत्त्वार्थवृत्ति' के प्रारम्भमें लिखा है कि किसी समय आचार्य उमास्वामि गृद्धपिच्छ आश्रममें बैठे हुए थे। उस समय द्वैपायक नामक भव्यने यहाँ आकर उनसे प्रश्न किया-भगवन् ! आत्माके लिये हितकारी क्या है? भव्यके ऐसा प्रश्न करनेपर आचार्यवर्यने मंगलपूर्वक उत्तर दिया, मोक्ष। यह सुनकर द्वैपायकने पुनः पूछा- उसका स्वरूप क्या है, और उसकी प्राप्तिका उपाय क्या है? उत्तरस्वरूप आचार्यवर्यने कहा कि यद्यपि प्रवादिजन इसे अन्यथा प्रकारसे मानते हैं, कोई श्रद्धानमात्रको मोक्षमार्ग मानते हैं, कोई ज्ञाननिरपेक्ष चारित्रको मोक्षमार्ग मानते हैं। परन्तु जिस प्रकार ओषधिक केवल ज्ञान, श्रद्धान या प्रयोगसे रोगकी निवृत्ति नहीं हो सकती है, उसी प्रकार केवल श्रद्धान, केवल ज्ञान या केवल चारित्रसे मोक्षको प्राप्ति नहीं हो सकती। भव्यने पूछा- तो फिर किस प्रकार उसकी प्राप्ति होती है? इसीके उत्तरस्वरूप आचार्य ने "सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग" यह सत्र रचा है और इसके पश्चात् अन्य सूत्रोंकी रचना हुई है। ऐसी ही उत्थानिका प्रायः तत्त्वार्थवर्तिकमें भी आयी है। अतः उपयुक्त कथामें कुछ तथ्य तो अवश्य प्रतीत होता है।
कनड़ी टीकाके रचयिता बालचन्द्र विक्रमकी तेरहवीं शताब्दीके पूर्वार्द्धमें हुए है।
पूज्यपादकी 'सर्वार्थसिद्धि' 'तत्वार्थसूत्र' की उपलब्ध टीकाओंमें आद्य एवं प्राचीन टीका है। इसके आरम्भमें ग्रन्थ-रचनाका जो संक्षिप्त इतिवृत्त निबद्ध है उसके आधारसे स्पष्ट रूपमें कहा जा सकता है कि तत्त्वार्यसूत्रकारने तत्त्वार्थसूत्रकी रचना किसी आसनभव्यके प्रश्न के उत्तरमें की है। इस भव्यका नामोल्लेख सर्वार्थसिद्धिकारने नहीं किया। उत्तवर्ती लेखकोंने किया है। उनका आधार क्या है, कुछ कहा नहीं जा सकता। वह अन्वेषणीय है। इतना स्पष्ट तथ्य है कि तत्त्वार्थसूत्र किसी आसनभव्य मुमुक्षुके हितार्थ लिखा गया है।
इस ग्रन्थमें जिनागमके मूल तत्त्वोंको बहुत ही संक्षेपमे निबद्ध किया है। इसमें कुल दश अध्याय और ३५७ सूत्र हैं। संस्कृत-भाषामें सूत्रशैलीमें लिखित यह पहला सूत्रग्रन्थ है। इसमें करणानुयोग, द्रव्यानुयोग और चरणानुयोगका सार समाहित है। इसकी सबसे बड़ी महत्ता यह है कि इसमें साम्प्रदायिकता नहीं है। अतएव यह श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही सम्प्रदायोंको थोड़ेसे पाठभेदको छोड़कर समानरूपसे प्रिय है। इसकी महत्ताका सबसे बड़ा दुसरा प्रमाण यह है कि दोनों ही सम्प्रदायोंके महान् आचार्योंने इसपर टीकाएँ लिखी हैं। पूज्यपाद, अकलंक और विद्यानन्दने दार्शनिक टीकाएँ लिखकर इस ग्रंथका महत्व व्यक्त किया है। विद्यानन्दने अपनी 'आप्तपरीक्षा' में इसे बहुमूल्य रत्नोंका उत्पादक, सलिलनिधि- समुद्र कहा है-
श्रीमत्तत्त्वार्थशास्त्राभुतसलिलनिधेरिद्धरत्नोद्भवस्य,
प्रोत्थानारम्भकाले सकलमलभिदे शास्त्रकारैः कृतं यत्।
स्तोत्रं तीर्थोपमानं प्रथिसपृथुपथं स्वामिमोमांसितं तत,
विद्यानन्दैः स्वशक्त्या कथमपि कथितं सत्यवाक्यार्थसिद्धथे।
प्रकृष्ट रत्नोंके उद्भवके स्थानभूत श्रीमत्तत्त्वार्थशास्त्ररूपी अद्भुत समुद्रकी उत्पत्ति के प्रारम्भकालमें महान मोक्षपथको प्रसिद्ध करनेवाले और तीर्थोपमस्वरूप जिस स्तोत्रको शास्त्रकार गृद्धपिन्छाचार्यने समस्त कर्ममलके भेदन करनेके अभिप्रायसे रचा है और जिसकी स्वामीने मीमांसा की है, उसी स्तोत्रका सत्यवाक्यार्थ ( यथार्थता) को सिद्धिके लिए मुझ विद्यानन्दने अपनी शक्तिके अनुसार किसी प्रकार व्याख्यान किया है।
तत्त्वार्थसूत्र जैन धर्मका सारग्रन्थ होनेसे इसके मात्र पाठ या श्रवणका फल एक उपवास बताया गया है, जो उसके महत्त्वको सूचित करता है। वर्तमानमें इस ग्रन्थको जैन परम्परामें वही स्थान प्राप्त है, जो हिन्दु धर्ममें 'भगवद्गीता' को, इस्लाममें 'कूरान' को और ईसाई धर्ममें 'बाइबिल' को प्राप्त है। इससे पूर्व प्राकृत भाषामें ही जैन ग्रंथोंकी रचना की जाती थी। इसी भाषामें भगवान महावीरकी देशना हुई थी और इसी भाषामें गोतम गणधरने अंगों और पूर्वोकी रचना की थी। पर जब देशमें संस्कृत-भाषाका महत्त्व वृद्धिंगत हुआ और विविध दर्शनोंके मन्तव्य सूत्ररूपमें निबद्ध किये जाने लगे, तो जैन परम्पराके आचार्योंका ध्यान भी उस ओर आकृष्ट हुआ और उसीके फलस्वरूप तत्वार्थसूत्र जैसे महत्त्वपूर्ण संस्कृत-सुत्रग्रन्थकी रचना हुई। इस तरह जैन वाङ्मय में संस्कृत-भाषाके सर्वप्रथम सूत्रकार गृद्धपिच्छ है और सबसे पहला संस्कृत-सूत्रग्रन्थ तत्त्वार्थसूत्र है।
तत्त्वार्थसूत्र धर्म एवं दर्शनका सूत्रग्रन्थ है। इसकी रचना वैशेषिक दर्शनके 'वैशेषिकसूत्र' ग्रन्थके समान हुई हैं। वैशेषिक दर्शन के प्रारम्भमें द्वव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव इन सात पदार्थोंके तत्त्वज्ञानसे मोक्ष प्राप्तिकी बात कही गयी है। अत: इस सूत्रग्रन्थमें मुख्यरूपसे उक्त सात पदार्थों का विवेचन आया है। सांख्य दर्शनमें प्रकृति और पुरुषका विचार करते हुए जगतके मुलभूत पदार्थोका ही विचार किया है। इसी प्रकार वेदान्तदर्शनमें जगतके मूलभूत तत्व ब्रह्मकी मीमांसा की गयी है। न्यायदर्शनमें प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धांत, अवयय, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति और निग्रहस्थान इन सोलह पदार्थों के तत्वज्ञानसे मोक्षकी प्राप्ति बतलायी है। न्यायदर्शनमें अर्थपरोक्षाके साधनोंका ही कथन आया है। योगदर्शनमें जीवनमें अशुद्धता लानेवाली चित्तवृत्तियोंका और उनके निरोधका तथा तत्सम्बन्धी प्रक्रियाका प्रतिपादन आया है। इस प्रकार पूर्वोक्त दर्शनोंका विषय ज्ञेयप्रधान या ज्ञानसाधनप्रधान अथवा चारित्रप्रधान है।
पर 'तत्त्वार्थसूत्र' में ज्ञान, ज्ञय और चारित्रका समानरूपसे विवेचन आया है। इसका प्रधान कारण यह है कि जहां वैशेषिक आदि दर्शनों में केवल तत्त्वज्ञानसे 'निःश्रेयस्’ प्राप्ति बतलायी गयी है वहाँ जैनदर्शनमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्रके समुच्चयको मोक्षका मार्ग कहा है। तत्त्वार्थसूत्रके प्रथम अध्यायके द्वितीयसूत्रमें जीव, अजीव, अस्त्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष इन सात तत्त्वोंके सम्यक्दर्शन और छठे सूत्रमें इनके यथार्थज्ञानकी सम्यक्ज्ञान कहा है। तत्त्वार्थसूत्रकारने हेय और उपादेयरूपमें केवल इन्हीं सात तत्त्वोंको श्रद्धेय एवं अधिगम्य बतलाया है। मोक्षमार्गमें इन्हींका उपयोग है। अन्य अनन्त पदार्थोका नहीं। इससे पूर्व समयसारमें भी निश्चयनय और व्यवहारन्यसे इन्हीं सातों तत्त्वोंका निरूपण किया है।
अतएव आचार्य गृद्धपिन्छने इस तत्त्वार्थसूत्रमें दश अध्याओंकी परिकल्पना करके प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ अध्यायमें जीवतत्त्वका, पंचम अध्यायमें अजीवतत्वका, षष्ट और सप्तम अध्यायोंमें आस्रवतत्वका, अष्टम अध्यायमें बन्धतत्त्वका, नवम अध्यायमें संवर और निर्जरातत्वोंका एवं दशम अध्यायमें मोक्षतत्वका विवेचन किया है। प्रथम अध्यायके आरम्भमें सम्यग्दर्शनका स्वरूप और उसके भेदोंकी व्याख्या करनेके पश्चात् "प्रमाणनयैरघिगमः" [१-६] सूत्रसे ज्ञान-विषयक चर्चाका प्रारम्भ होता है। प्रमाणका कथन तो सभी भारतीय दर्शनों में आया है, पर नयका विवेचन इस ग्रन्थका अपना वैशिष्टय है और यह है जैनदर्शनके अनेकान्तवादको देन। नय प्रमाणका ही भेद है। सकलग्राही ज्ञानको प्रमाण और वस्तुके एक अंशको ग्रहण करनेवाले ज्ञानको नय कहते हैं।
तत्वार्थसूत्रमें ज्ञानको ही प्रमाण माना है और ज्ञानके पाँच भेद बतलाये हैं- (१) मति, (२) श्रुत, (३) अवधि, (४) मनःपर्यय और (५) केवलज्ञान। प्रमाणके दो भेद हैं-प्रत्यक्ष और परोक्ष। उक्त ज्ञानों में मतिज्ञान और श्रुतज्ञान ये दो परोक्ष हैं, क्योंकि इनकी उत्पत्ति इन्द्रिय और मनकी सहायतासे होती है। शेष तीन ज्ञान प्रत्यक्ष हैं, क्योंकि ये आत्मासे ही उत्पन्न होते हैं- उनमें इन्द्रियादिको अपेक्षा नहीं होती। तत्वार्थसूत्रमें उक्त पाँचों ज्ञानोंका प्रतिपादन किया है। मतिज्ञानकी उत्पत्तिके साधन, उनके भेद- प्रभेद, उनकी उत्पत्तिका क्रम, श्रुतज्ञानके भेद, अवधिज्ञान और मनःपयंयज्ञानके भेद तथा उनमें पारस्परिक अन्तर, पाँचों ज्ञानोंका विषय एवं एकसाथ एक जीवमें कितने ज्ञानोंका रहना सम्भव है आदिका कथन इसमें आया है। अन्तमें मति, श्रुत और अवधिज्ञानके मिथ्या होनेके कारणका भी विवेचन कर नयोंके भेद परिगणित किये गये हैं। इस अध्याय ३३ सूत्र हैं।
द्वितीय अध्यायमें ५३ सूत्रों द्वारा जीवतत्त्वका कथन किया है। सर्वप्रथम जीवके स्वतत्त्वरूप पंच भावों और उनके भेदोंका निरूपण आया है। पश्चात् जीवके संसारी और मुक्त भेद बतलाकर संसारी जीवोंके भेद- प्रभेदोंका कथन किया गया है। जीवोंकी इन्द्रियोंके भेद-प्रभेद, उनके विषय, संसारी जीवोंमें इन्द्रियों की स्थिति, मृत्यु और जन्म के बीच की स्थिति, जन्मके भेद, उनकी योनियां, जीवोमें जन्मोंका विभाग, शरीरके भेद उनके स्वामी, एक जीवके एक साथ सम्भव हो सकनेवाले शरीर, लिंगका विभाग तथा पूरी आयु भोगकर मरण करनेवाले जीवोंका कथन किया है।
तृतीय अध्याय ३९ सूत्रोंमें निबद्ध है। इसमें अधोलोक और मध्यलोकका वर्णन माया है। अधोलोकका कथन करते हुए सात पृथिवियों तथा उनका आधार बतलाकर उनमें नरकोंकी संख्या और उन नरकोंमें बसनेवाले नारकी जीवोंको दशा एवं उनकी दीर्घ आयु आदि बतलायी गयी है। मध्यलोकके वर्णनमें द्वीप, समुद्र, पर्वत, नदियों एवं क्षेत्रोंका वर्णन करनेके पश्चात् मध्य लोकमें निवास करनेवाले मनुष्य और तिर्यञ्चोंकी आयु भी बतलायी गयो है।
चतुर्थ अध्यायमें ४२ सूत्रों द्वारा ऊर्ध्वलोक या देवलोकका वर्णन किया गया है। इसमें देवोंके विविध भेदों, ज्योतिमण्डल, तथा स्वर्गलोकका वर्णन है।
दार्शनिक दृष्टिसे पंचम अध्याय महत्वपूर्ण है। यह ४२ सूत्रोंमें निबद्ध है। इसमें जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल इन छ: द्रव्योंका वर्णन आया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक द्रव्यके प्रदेशोंकी संख्या उनके द्वारा अवगाहित क्षेत्र और प्रत्येक द्रव्यका कार्य आदि बतलाये हैं। पुदगलका स्वरूप बतलाते हुए उसके भेद, उसकी उत्पत्तिके कारण, पुदगलिक बन्धकी योग्यता अयोग्यता आदि कथन है। अन्तमें सत, द्रव्य, गुण, नित्य और परिणामका स्वरूप प्रतिपादित कर कालको भी द्रव्य बतलाया है।
षष्ठ अध्याय २७ सूत्रोंमें ग्रंथित है। इस अध्यायमें आस्रवतत्वका स्वरूप उसके भेद-प्रभेद और किन-किन कार्योके करनेसे किस-किस कर्मका अस्त्रव होता है, का वर्णन आया है।
सप्तम अध्यायमें ३९ सूत्रों द्वारा व्रतका स्वरूप, उसके भेद, व्रतोंको स्थिर करनेवाली भावनाएं, हिसादि पाँच पापोंका स्वरूप सप्त शील, सल्लेखना, प्रत्येक व्रत और शीलके अतिचार, दानका स्वरूप एवं दानके फलमें तारतम्य होनेके कारणका कथन आया है।
अष्टम अध्यायमें २६ सूत्र हैं। कर्म-बन्धके मूल हेतु बतलाकर उसके स्वरूप तथा भदोंका विस्तारपूर्वक कथन करते हुए आठों कर्मोंके नाम प्रत्येक कर्मकी उत्तरप्रकृतियां, प्रत्येक कर्मके स्थितिबन्ध, अनुभागबन्ध और प्रदेशबन्धका स्वरूप बतलाया है।
नवम अध्यायमें ४७ सूत्रों द्वारा संवरका स्वरूप, संवरके हेतु, गुप्ति, समिति, दश धर्म, द्वादश अनुप्रेक्षा बाईस परीषह, चारित्र और अन्तरंग तथा बहिरंग तपके भेद बतलाये गये हैं। ध्यानका स्वरूप, काल, ध्याता, ध्यानके भेद एवं पांच प्रकारके निग्रन्थ साधुओंका वर्णन आया है।
दशम अध्याय में केवल ९ सूत्र हैं। इसमें केवलज्ञानके हेतु, मोक्षका स्वरूप, मुक्तिके पश्चात् जीवके उर्ध्वगमनका दृष्टान्सपूर्वक सयुक्तिक समर्थन तथा मुक्त जीवोंका वर्णन आया है।
इस प्रकार तत्त्वार्थसूत्रका वर्ण्य विषय जैनधर्मके मूलभूत समस्त सिद्धान्तोंसे सम्बद्ध है। इसे जैन सिद्धान्तकी कुंजी कहा जा सकता है।
तत्त्वार्थसूत्रके सूत्र कुन्दकुन्दके नियमसार, पंचास्तिकाय, भावपाहुड, षट्खण्डागम प्रवचनसार, आदिके आधारपर निर्मित हुए हैं। "सम्यग्दर्शनज्ञाचारित्राणि मोक्षमार्ग" [१-१] सूत्रका मूल स्रोत नियमसार है। कुन्दकुन्दने अपने नियम सारको प्रारम्भ करते हुए लिखा है कि जिनशासनमें मार्ग और मार्गफलको उपादेम कहा है| मोक्षके उपायको मार्ग कहते हैं और उसका फल निर्वाण है। ज्ञान, दर्शन और चारित्रको नियम कहा जाता है तथा मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्रका परिहार करनेके लिए उसके साथ 'सार' पद लगाया है। तस्वार्थसूत्र में भी मिथ्यादर्शनादिका परिहार करनेके लिए, दर्शनादिकके साथ सम्यक् पद लगाया है।
मग्गो मागफलं ति य दुविहं जिणसासणे समक्खादं।
मागो मोक्खउवायो तस्स फलं होइ णिव्याणं।।
णियमेण य जं कज्जं तण्णियमं णाणदसणचारित्तं।
विवरीयपरिहरत्थं भणिदं खलु सारमिदि वयणं।
तत्त्वार्थसूत्रके द्वितीय सूत्र तथा चतुर्थ सूत्रका आधार भी कुन्दकुन्दके ग्रन्थ हैं। कुन्दकुन्दने सम्यकदर्शनका स्वरूप बत्तलाते हुए लिखा है-
"अत्तागमतंचचाणं सद्दणादो हवेइ सम्मत्तं।।"
आप्त, आगम और तत्त्वोंके श्रद्धानको सम्यकदर्शन कहते हैं और तत्त्वार्थ आगममें कहे हुए पदार्थ हैं।
तत्वार्थसूत्रकारने नियमसारके उक्त सन्दर्भको स्रोत मानकर 'तत्वार्थश्रद्धानं सम्यकदर्शनम्" [१-२] सूत्र लिखा है। वस्तुतः मह सूत्र "तच्चाणं सद्दहणादो हवेइ सम्मत्त” का अनुवाद है। सात तत्वोंके नाम कुन्दकुन्दके 'भावपाहुड' आदि ग्रन्थों में मिलते हैं। "सत्संख्याक्षेत्रस्पर्शनकालान्तरमावाल्पबहुत्वैश्च" [१-८) सूत्रका स्रोत 'षट्खण्डागम'का निम्नलिखित सूत्र है-
"संतपरूवणा दव्वपमाणाणुगमो खेत्तायुगमो फोसणाणुगमो कालाणुगमो अंतराणुगमो भावाणुगमो अप्पाबहुगाणुगमो चेदि।" [१-१-७]
गृद्धपिच्छाचार्यने षटखण्डागमके इन आठ अनुयोगद्वारोंको लेकर उक्त सूत्रकी रचना की है। मति, श्रुत आदि पांच ज्ञानोंका जैसा वर्णन तत्त्वासूत्रमें आया है वह स्रोतकी दृष्टिसे षटखण्डागमके वर्गणाखण्डके अन्तर्गत कर्मप्रकृति- अनुयोगद्वारसे अधिक निकट प्रतीत होता है। इसी प्रकार तत्त्वार्थसूत्रमें 'मत्तिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ता [१/१३] को मतिज्ञानके नामान्तर कहा है। इसका स्रोत षट्खण्डागमके कर्म प्रकृति अनुयोगदारका 'सण्णा सदी मदी चिन्ता चेदि' [५-५-४१) सूत्र है। इसी प्रकार 'भवप्रत्ययोऽधिदेवनारकाणाम् [तत्त्वार्थसूत्र १/२१] का स्रोत षट्खण्डागमके कर्म प्रकृति-अनुयोगद्धारका 'ज तं भवपच्चइयं तं देव-णेरइयाणं" [५-५-५४] सुत्र है।
तत्वार्थसूत्रमें पांच जानोंको प्रमाण मानकर उनके प्रत्यक्ष ओर परोक्ष भेद किये गये हैं। इन भेदोंका स्रोत प्रवचनसारकी निम्नलिखित गाथा है-
जं परदो विण्णाणं तं तु परोक्ख ति मणिदमत्थेसु।
जदि केवलेण णादं हवदि हि जीवेण पञ्चाक्ख।
अर्थात पदार्थविषयक जो ज्ञान परकी सहायतासे होता है, वह परोक्ष कहलाता है और जो ज्ञान केवल आत्माके द्वारा जाना जाता है वह प्रत्यक्ष कहलाता है।
द्वितीय अध्यायकै प्रारम्भमें प्रतिपादित पांच भावोंके बोधक सूत्रका स्रोत पञ्चास्तिकायकी निम्न लिखित गाथा है-
उदयेण उचसमेण य खयेण दुहि मिस्सदेहि परिणामे|
जुत्ता ते जीवगुणा बहुसु अत्थेसु विच्छिपणा॥
पञ्चम अध्यायमें प्रतिपादित द्रव्य, गुण, पर्याय, अस्तिकाय आदि विषयोंके स्रोत आचार्य कुन्दकुन्दके पञ्चास्तिकाय, प्रवचनसार और नियमसारकी अनेक गाथाओंमें प्राप्य हैं। तत्त्वार्थसूत्रमें द्रव्यलक्षणका निरूपण दो प्रकारसे आया है। उसके लिए सत्की परिभाषाके पश्चात् "सदद्रव्यलक्षणम्" (५।२९) और "गुणपर्ययवद्रद्रव्यम्" (५।३८) सूत्रोंकी रचना की है। ये सभी सूत्र कुन्दकुन्दकी निम्न गाथासे सुजित हैं-
"दव्वं सल्लक्खणियं उप्पादव्वयधुवत्त संजुतं।
गुणपज्जयासयं वा जं तं भण्णाति सव्वण्हू।।
पंचम अध्यायमें ‘स्निग्धरूक्षत्वाद्वन्धः', 'न जघन्यगुणाना', 'गुणसाम्ये सदृशानाम'; 'दूधिकादिगुणनां तु [५-३३,३४,३५,३६] सूत्रोंद्वारा स्निग्ध और रुक्ष गुणवाले परमाणुओंके बन्धका विधान आया है। वे सुत्र प्रवचनसारकी निम्न गाथाओंपरसे रचे गये हैं-
णिद्धा वा लुक्खा वा अणुपरिणामा समा व विसमा वा।
समदी दुगधिगा जदि वज्झंति हि आदिपरिहीणा।
णिद्धत्तणेण दुगुणी चदुगुणणिद्वेण बंधमणुभवदि।
लुक्खेण घा तिगुणिदो अणु वज्झदि पंचगुणजुत्तो।।
दुपदेसादी खंधा सुहमा वा बादरा ससंठाणा।
पुढविजलतेउवाक रामपरिणामेहि आयते।।
अपने शक्त्यशोमें परिणमन करनेवाले परमाणु यदि स्निग्ध हों अथवा कक्ष हो, दो, चार, छह, आदि अशोंकी गणनाको अपेक्षा सम हों, अथवा तीन, पांच, सात आदि अंशोको अपेक्षा विषम हों, अपने अंशोंसे दो अधिक हो, और जघन्य अंशमे रहित हो तो परस्पर बन्धको प्राप्त होते हैं।
स्निग्ध गुणके दो अंशोंको धारण करनेवाले परमाणु चतुर्गुण स्निग्धके साथ बंधते हैं। रूक्षगुणके तीन अंशोंको धारण करनेवाला परमाणु पांचगुणयुक्त रूक्ष अंशको धारण करनेवाले परमाणुके साथ बन्धको प्राप्त होता है।
दो प्रदेशोंको आदि लेकर सख्यात, असंख्यात और अनन्तपर्यन्त प्रदेशोंको धारण करनेवाले सूक्ष्म अथवा बादर विभिन्न आकारोसे सहित तथा पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु रूप स्कन्ध अपने-अपने स्निग्ध और रुक्ष गुणोंके परिणमनसे होते हैं।
इसी प्रकार "बन्धेऽघिको पारिणामिको" [५/३७] सुत्रका स्रोत षटखण्डागम के वर्गणाखण्डका बन्ध-विधान है।
तत्त्वार्थसूत्रके षष्ठ अध्यायमें तीर्थकरनामकर्मके बन्धमें कारणभूत सोलह कारणोंका निर्देशक सूत्र निम्न प्रकार है-
दर्शनविशुद्धिविनयसम्पन्नता शीलव्रतेष्वनविचारोऽभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगसंवेगो शक्तितस्त्यागसपसी साधुसमाधिवैयावृत्यकरणमहंदाचार्य-बहुश्रुतप्रवचनभक्ति रावश्यकापरिहाणिर्गिनभावना प्रवचनवत्सलत्वमिति तीर्थकरत्वस्य।। [६-२४]
अर्थात् १. दर्शनविशुद्धि, २. क्नियसम्पन्नता, ३. शीलव्रतोंमें अनतिचार, ४. अभीक्षणज्ञानोपयोग, ५. संवेग, ६. शक्तितः त्याग, ७. शक्तितः तप, ८. साधुसमाधि, ९. वैयावृत्यकरण, १०. अर्हदभक्ति, ११. आचार्यभक्ति, १२. बहुश्रु ततभक्ति, १३. प्रवचनभक्ति, १४. आवश्यकापरिहाणि, १५. मार्गप्रभावना और १६. प्रवचनवत्सलत्व ये सोलह भावनाएँ तीर्थकरनामकर्मके बन्धकी कारण है।
उपर्युक्त सूत्रका स्रोत ‘षटखण्डागम'के 'बंधसामित्तबिचओ' का निम्न सूत्र है- 'दंसणविसुज्झदाए विणयसंपण्णदाय सोलव्वदसु निरदिचारदाए आवासएसु अपरिहोणदाए खण-लव-पंडिबुज्झणदाए लद्धिसंवेगसंपण्णदाए जधाथामे तधातवे साहूणं पासुअपरिचालदाए साहूण समाहिसधारणाए साहूण वज्जावच्चजोगजुत्तदाए अरहंतमत्तीए बहुसुदभत्तीए पवयणभत्तिए गवयणवच्छलदाए पवयणप्पभावणदाए अभियखणं अभिक्खणं णाणोवजोगजतदाए, इच्नेदेहि सोलसेहि कारणेहि जीवा तित्थयरणामगोदं काम बघति।
दोनों सूत्रों के अध्ययनसे स्पष्ट ज्ञान होता है कि गृद्धपिन्छाचार्यन प्राकृतसूत्रका संस्कृत रूपान्सर कर दिया है।
तत्वार्थसूत्रके नवम अध्यायमें बारह अनुप्रेक्षाओंका कथन आया है। इनका स्रोत 'भगवती आराधना', 'मूलाचार' पूर्व कुन्दकन्दाचार्यको 'बारसअणुवेक्खा' है। इन तीनों ग्रन्थोंमें द्वादश अनुप्रेक्षाओंको गिनाने वाली गाथा एक ही है। तत्त्वार्थसूत्रकारने द्वादश अनुप्रेक्षाओंके क्रममें मात्र कुछ अन्तर किया है तथा प्रथमानुप्रेक्षाका नाम अनित्य रखा है, जबकि इन ग्रन्थोंमें अध्रुव है।
तत्त्वार्थसूत्रके नवम अध्यायके नवम सूत्रमें २२ परीषदोंके नाम गिनाये गए हैं। उनमें एक 'नगन्य' परिषह भा है। 'नाग्न्य'का अर्थ नंगापना है। यहाँ आचार्यने अचेलकी अपेक्षा ‘नागन्य' पदके प्रयोगको अधिक महत्व दिया है। इससे ज्ञात होता है कि सूत्रकर्ताको साधुओंकी नग्नता इष्ट थी और उन्हें उसका परीषह सहना ही चाहिए, यह भी मान्य था।
इस तरह षटुखण्डागम और कन्दकुन्द-साहित्यमें तत्वार्थसूत्रके सूत्रोंके अनेक बीज वर्तमान हैं।
तत्त्वार्थसूत्रके दो सूत्रपाठ उपलब्ध होते हैं। पहला सुत्रपाठ यह है जिसपर पूज्यपाद, अकलंकदेव और विद्यानन्दने टीकाएं लिखी है। यह पाठ दिगम्बर परम्परा में प्रचलित है। दूसरा पाठ वह है, जिसपर तत्त्वार्थाधिगमभाष्य पाया जाता है तथा सिद्धसेन गणि और हरिभद्रने अपनी टीकाए लिखी हैं। इस दूसरे सुत्रपाठका प्रचार श्वेताम्बर परम्परा है। इन दोनों सुत्रपाठोंमें जो अन्तर है, वह निम्न प्रकार अवगत किया जा सकता है-
दोनों पाठोंके अनुसार दशों अध्यायोंके सूत्रोंकी संख्या-
प्रथमपाठ- ३३+५३+३९+४२+४२+२७+३९+२६+४७+९ = ३५७
द्वितीयपाठ- ३५+५२+१८+५३+४४+२६+३४+२६+४९+७=३४४
दोनों पाठोंके अध्ययनसे ज्ञात होता है कि प्रथम अध्यायमें दो सूत्रोंकी हीनाधिकता है। प्रथम पाठको अपेक्षा द्वितीय पाठमें दो सूत्र अधिक है। प्रथम सूत्र "द्विविधोऽवधिः' [१/२१]-अवघीज्ञानके दो मेद हैं| इस सूत्रमें कोई सैद्धान्तिक मतभेद नहीं है। अन्तिम दो सूत्रविचारनीय हैं- "नेगमसंग्रहव्यवहारजुसूत्रशब्दा नयाः" [१/३४] आद्यशब्दौ द्वित्रिभेदौ' ।१।३५] ये दोनों सूत्र द्वितीय पाठमें मिलते है। प्रथम पाठमें नयके सात भेद माने गये हैं, और इन सातोंके नामोंको बतलाने वाला एकही सूत्र है। पर दूसरे पाठके अनुसार नयके मूल पाँच भेद हैं, और उनमेंसे प्रथम 'नेगमनय’ के दो भेद है और 'शब्दनय’ के साम्प्रत, समभिरूढ और एवंभूत ये तीन मेद हैं। सप्तनयकि परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। यह दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों हि अगमोंमें पायी जाती है। तत्त्वार्थसूत्रमें यह जो द्वितीय मान्यता आयी है, उसका समन्वय दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही परम्पराओंके साथ सम्भव नहीं है। यह तो एक नयी परम्परा है, जिसका आरम्भ तत्त्वार्थाधिगमभाष्यसे होता है।
पन्द्रहवें सूत्र में मत्तिज्ञानका तीसरा भेद भाष्यके अनुसार 'अपाय' है और सर्वार्थसिद्धिके अनुसार ‘अवाय' है। पंडित सुखलालजी द्वारा सम्पादित 'तत्त्वार्थसूत्रमें'अपाय के स्थानपर 'अवाय पाठ ही मिलता है। नन्दिसूत्र में भी 'अवाय' पाठ है । अकलंकदेवने अपने तत्वावातिकमें दोनों पाठों में केवल शब्द भेद बतलाया है । किन्तु उभयपरम्परासम्मत प्राचीन पाठ 'अवाय' ही है, 'अपाय' नहीं । सोलहवें सूत्र 'बहुबहुविष' मादिमें प्रथम पाठमें 'अनिसृतानुक्त' पाठ है और दूसरी मान्यतामें 'अनिस्तासन्दिग्ध' पाठ है। इसी प्रकार अवधि ज्ञानके दूसरे मेदके प्रतिपादक सुत्रमें प्रथमपाठमें 'क्षयोपशमनिमित्तः' पाठ है और दूसरेमें 'ययोतनिमित्तः' पाठ है। इन दोनों पाठोंके बाशयमें कोई अन्तर नहीं है।
द्वितीय अध्यायमें प्रथमपाठके अनुसार 'तेजसमंपि' [२/४८] तथा शेषास्त्रिवेदाः राप२] ये दो सूत्र अधिक हैं। इसी तरह दूसरे सूत्रपाठमें 'उपगेगः स्पर्शादिषु' [१९] सूत्र अधिक है। शेष सूत्रोंमें समानता होते हुए भी कतिपय स्थलोंमें अन्तर पाया जाता है। प्रथम सूत्रपाठमें 'जीवभव्याभव्यत्वानि च’ [२/७] पाया जाता है, और द्वितीय सूत्रपाठमें इसके स्थानपर 'जीवभव्याभव्यत्वादोनि च' [२/७] सूत्र है। प्रथम पाठमें जिन पारिणामिक भावोंका ग्रहण 'च' शब्दसे किया है, द्वितीय पाठमें उन्हींका ग्रहण आदि पदसे किया है। अकलंकदेवने आदिपदको सदोष बतलाया है।
संसारी जीवोंके त्रस और स्थावर ये दो भेद आये हैं। स्थावरके पांच भेद हैं। इनकी मान्यता दोनों सूत्रपाठोंमें तुल्य है, पर त्रसका अर्थ भाष्यमें बताया है कि जो चलता है, वह त्रस है। इस अपेक्षासे दुसरे सूत्रपाठमें तेजसकायिक और वायुकायिकको भी त्रस कहा गया है, क्योंकि वायु और अग्नि कायमें चलनक्रिया पायी जाती है। अतएव द्वितीय अध्यायके तेरह और चौदहवें सूत्रमें अन्तर पड़ गया है। द्वितीय अध्यायके अन्य सुत्रोंमें भी कतिपय स्थलोपर अन्तर विद्यमान है।
प्रथमसूत्रपाठ | द्वितीय सूत्रपाठ |
१. एकसमयाऽविग्रहा ॥२९॥ | एकसमयोऽविग्रहः ||३०|| |
२. एकं द्धौ त्रीन्वाऽनाहारक ॥३०॥ | एक द्वौ वाऽनाहारक: ॥३१॥ |
३. जरायुथाइयोतानां गर्भः ॥३३॥ | अराखण्डपोतजानां गर्भ: ॥३४॥ |
४. देवनारकाणामुपपाद: ॥३४|| | नारकदेवानामुपपात: ॥३५॥ |
५. परं परं सूक्ष्मम् ॥३७॥ | पर परं सूक्ष्मम् ॥३८॥ |
६. औपपादिक-चरमोत्तमदेहाऽसंख्येयवर्षायुषोऽनपवायुषः ॥५३॥ | औषपातिकचरमदेहोत्तमपुरुषासंख्येयवर्षायुषोऽनपवर्त्यायुषः ॥५२॥ |
इन सूत्रोंमें शाब्दिक अन्तर रहनेके कारण सैद्धान्तिक दृष्टी भी मतभिन्नता है।
तृतीय अध्यायमें प्रथम पाठक अनुसार द्वितीय पाठसे २१ सूत्र अधिक है। द्वितीय पाठमें वे सूत्र नहीं हैं। तृतीय अध्यायके प्रथम सूत्रक पाठमें थोड़ा अन्तर पाया जाता है। द्वितीय पाठमें 'अघोऽघ' और 'पृथुतराः' पाठ है जबकि पहलेमें 'पृथुतराः' पाठ नहीं है। अकलंकदेवने अपने तत्वार्थवात्तिकमें इस पाठकी आलोचना की है और उसे सदोष बताया है।
चतुर्थ अध्यायमें स्वगोंके संख्या-सूचक सूत्र में अन्तर है। प्रथम पाठने अनुसार सोलह स्वर्ग गिनाये गये हैं, पर द्वितीय पाठके अनुसार बारह हो स्वर्ग परिगणित हैं। स्वर्गके देवोंमें प्रविचारको बतलाने धाले सूत्र में शेषाः स्पर्शरूप शब्दमन:प्रवीचारा' [४/८] के स्थानपर शेषाः प्रविचारा द्वयोद्वयोः' [४/९] पाठ आया है। इस द्वितीयपाठमें 'द्वयोद्धयोः पाठ अधिक है। अकलंकने इस पाठकी आलोचनाकर इसे आर्षविरुद्ध बतलाया है। प्रथम सूत्रपाठमें लौकान्तिक देवोंकी स्थितिका प्रतिपादक सूत्र आया है, पर द्वित्तीय सूत्रपाठमें वह नहीं है।
पाँचवें अध्यायमें द्वितीय सूत्रपाठमें "द्रव्याषि जीवाश्च" यह एक सूत्र है। किन्तु प्रथम सूत्रपाठमें 'द्रव्याणि' [५/२] और 'जीवाश्य' [५/३] ये दो सूत्र हैं। तत्त्वार्थवार्तिकमें अकलंकदेवने 'द्रव्याणि जीवाः'- इस प्रकारके एक सूत्रकी मीमांसा करते हुए एक ही सूत्र रखने का समर्थन किया है। इसी प्रकार प्रथम सूत्रपाठके 'असंख्ययाः प्रदेशाः धर्माधर्मकजीवानाम' [५/८] ये दो सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें स्वीकृत हैं। प्रथम सूत्रपाठमें 'सद् द्रव्यलक्षणम्' [५/२९] यह सुत्र आया है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें यह सूत्र नहीं मिलता। इस सूत्रका आशय भाष्यकारने अवश्य स्पष्ट किया है।
इसी प्रकार प्रथम सूत्रपाठमें "बन्धेऽधिको पारिणामिको" [५१३६) सूत्र आया है । इसके स्थानपर द्वितीय सत्रपाठमें "बन्धे समधिको पारिणामिको" [५३६] सूत्र है । आचार्य अकलंकदेवनं 'समधिको' पाठको आलोचना करते हए उसे आर्षविरुद्ध बतलाया है और अपने पसके समर्थनमें खटखण्डागमका प्रमाण दिया है।
प्रथम सत्रपाठके "कालश्च" [५/३९] सूत्रकै स्थानपर दूसरे सूत्रपाठमें "कालाक्चेत्येके" [५।३८] सत्र आया है। इस अन्तरका कारण यह है कि दिगम्बर परम्परामें कालको द्रव्य माना गया है। पर श्वेताम्बर परम्परामें कालद्रव्यके सम्बन्धमें मतभेद है।
द्वितीय सूत्रपाठके 'अनादिरादिमांश्च' [५।४२], 'रूपिष्वादिमान् [५/४३] और 'योगोपयोगी जोवेषु' [५/४४] ये तीन सूत्र प्रथम सूत्रपाठमें नहीं है। इन सूत्रोंमें आये हुए सिद्धान्तोंकी समीक्षा अकलंकदेवने की है।
षष्ठ अध्यायमें आये हुए सूत्र दोनों ही सूत्रपाठोंमें सिद्धान्तको दृष्टिले समान हैं। पर कहीं-कहीं प्रथम सूधपाने एक ही सूत्रके दो सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें मिलते हैं । प्रथम सूत्रपाठमें "शुमः पुण्यस्याशुभः पापस्य" [६/३] सूत्र आया है। द्वितीय सूत्रपाठमें इसके "शुभः पुण्यस्य" [६/३] और "अशुमः पापस्य" [६/४] ये दो सूत्र मिलते हैं। इसी प्रकार प्रथम सत्रपाठमें "अल्पारम्भपरिग्रहत्वं मानुषस्य" [६/१७] और "स्वमावमार्दवञ्च" [६/१८] ये दो सूत्र आये है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें इन दोनोंके स्थानपर "अल्पारम्भपरिग्रहत्वं स्वभावमार्दवाजच च मानुषस्य" [६/१८] यह एक सत्र प्राप्त होता है।
इस षष्ठ अध्यायमें प्रथम सूत्रपाठमें "सम्यक्त्वञ्च" [६/२१] सूत्र आया है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें यह सूत्र नहीं मिलता है।
सप्तम अध्यायमें कई सूत्रोंमें शाब्दिक अन्तर आया है। कुछ सूत्र ऐसे भी हैं जो प्रथम सूत्रपाठमें उपलब्ध हैं, पर द्वितीयमें नहीं। प्रथम सूत्रपाठमें व्रतोंको स्थिर करनेके लिए अहिंसादिवतोंकी पांच-पांच भावनाएँ बतलायी गयी है। इन भावनाओंका अनुचिन्तन करनेसे व्रत स्थिर रहते हैं। अतः प्रथम सूत्रपाठमें अहिंसाव्रतकी "वाडमनोगप्तीर्यादाननिक्षेपणसमित्यालोकित्तपानभोजनानि पञ्च" [७/४] सत्पाणुव्रत्तकी "क्रोध-लोभ-भिरुत्व-हास्यप्रत्याख्यानान्यनुवोचिभाषणञ्च पञ्च" [७/४] अचौर्यव्रतकी “शून्यागार-विमोचितावास-परोपरोधाकरण-भैक्ष्य-शुद्धी-सधर्माविसंवादाः पञ्च।" [७/६], ब्रह्मचर्य व्रतकी "स्त्रीरागकथाश्रवण तन्मनोहानिरीक्षण-पूर्वरतानुस्मरण-वृष्येष्टरस-स्वशरीसंस्कारस्यामाः पञ्च" [७/७] और परिग्रहत्यागव्रतके "मनोज्ञामनोज्ञेन्द्रियविषय-राग-द्वेष-वर्जनानी पञ्च" [७/८] भावनाबोधक सूत्र आये हैं। ये पांचों सुन द्वितीय सूत्रपाठमें नहीं है। किन्तु तृतीय सूत्रके भाष्यमें इनका भाव आ गया है।
अष्टम अध्यायमें प्रथम सूत्रपाठमें "सकषायत्वाञ्जीवः कर्मणो योग्यान पुद्ग लानादत्ते स बन्धः" [८/२] सत्र आया है। द्वितीय सुत्रपाठमें इसके दो रूप मिलते है। प्रथम सूत्रमें "सकषायवाज्जीवः कर्मणो योग्यान्दपुद्गलानादत्ते" [८/२] अंश आया है और दूसरे सूत्रमें "सबन्धः"[८/३] सूत्र आया है। इस प्रकार एक हीसूत्रके दो सूत्र रूप द्वितीय सूत्रपाठमें हो गये हैं। प्रथम सूत्रपाठमें “मति-श्रुतावधि-मनः पर्यय केवलानाम" [८/६] सूत्र आया है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें इसका संक्षिप्त रूप "मत्यादोनाम" [८/७] उपलब्ध होता है| आचार्य अकलंकदेवने "मत्यादीनाम्" पाठकी समीक्षा कर प्रथम सूत्रपाठमें आये हुए सूत्रको तर्कसंगत बत्तलाया है। इसी प्रकार प्रथमसूत्रपाठके "दान-लाभ-भोगोपभोग-दोर्याणाम् [८/१३] सूत्रके स्थानपर द्वितीय सूत्रपाठमें "दानादोनाम" [८/१४] संक्षिप्त सूत्र आया है। भाष्यकारने "अन्तरायः पञ्चविधः। तद्यथा-दानस्यान्तरायः लाभस्यान्तरायः, भोगस्यान्तराय उपभोगस्यान्तरायः, वीर्यान्सराय इति" उपर्युक प्रथम सूत्रपाठमें आये हुए अन्तरायके मेदोंका नामोल्लेख किया है। पुण्यप्रकृतियोंका प्रतिपादन करनेवाले सूत्रोंमें मौलिक अन्तर आया है। प्रथम सूत्रपाठमें पुष्यप्रकृतियोंकी गणना करते हुए लिखा है "सद्धेध-शुभायुनर्नाम-गोत्राणि पुण्यम्" [८/२५] और "अतोऽन्यत् पापम" [८/२६] कहार पापप्रकृसियोंकी मगना को है। द्वित्तीय सूत्रपाठमें पुण्यप्रकृतियोंका कथन करते हुए “सद्धेधसम्यक्त्वहास्यरतिपुरुष वेदशुमायुनामगोत्राणि पुण्यम्" [८/२६) लिखा है। इस सूत्रके भाष्यमें "अतोऽन्यत् पापम्" कहकर पापप्रकृतियोंकी गणना की है। मूल मुनापार में पत्रकतियोंकी परिगणना करानेवाला कोई सूत्र नहीं आया है।
नवम अध्यायके अनेक सूत्रों में शाब्दिक भेद पाया जाता है। प्रथम सूत्र पाठमें "सामायिक-छेदोपस्थापना-परिहारविशुद्धि-सूक्ष्मसाम्पराय-यथाख्यातमिति चारित्रम्' [९।१८] सूत्र आया है। द्वितीय सूत्रपाठमें इस सूत्रका रूप प्रारम्भमें ज्यों-का-त्यों है, पर अन्तमें ययाख्यातानि चारित्रम' कर दिया गया है। ध्यान का स्वरूप धतलाते हुए प्रथम सुत्रपाठमें "उत्तमसंहननस्यैकाग्रचिन्तानिरोधी ध्यानमान्तमुहूर्तात्" सूत्र आया है। पर द्वितीय सुत्रपाठमें इस सूत्रके दो रूप उपलब्ध होते है। प्रथम सूत्र "उत्तमसहननस्यैकाग्रचिन्ताभिरोधो ध्यानम्" [९।२७] और द्वितीय सूत्र "आ मुहूर्तात" [९/२८] प्राप्त होता है। इस प्रकार एक ही सूत्र दो सत्रों में विभक्त है। धर्मध्यानका कथन करने वाले प्रसंगमें धर्मध्यानके स्वामीको लेकर दोनों सूत्रपाठोंमें मौलिक अन्तर है। प्रथम सूत्रपाठमें धर्मध्यानके प्रतिपादक "आज्ञापाय-विपाक-संस्थानविचयाय धर्म्यंमं" [९/३६] सूत्रके अन्तमें स्वामीका विधायक 'अप्रमत्तसंयत्तस्य' अंश नहीं है। जबकि द्वितीय सूत्रपाठमें है तथा दूसरे सूत्रपाठमें इस सूत्रके बाद जो ''उपशा स्तभीणकषाययोश्च" [९/३८] सूत्र आया है वह भी प्रथम सूत्रपाठमें नहीं है |
दशम अध्यायमें प्रथम सूत्रपाठका "बन्धहेत्वभाव-निर्जराभ्या कुत्स्नकर्म विप्रमोक्षो मोक्षः'' [१०/२] सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें 'वन्हत्वभावनिर्जराभ्याम् [१०।२] तथा "कुत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः" इन दो सूत्रोंके रूप में मिलता है। इसी प्रकार प्रथम सूत्रपाठके दशम अध्यायके तृताय-चतुर्थ सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें एक सूत्रके रूपमें संयुक्त मिलते हैं। "ओपशमिकादिभव्यत्वानाञ्च" [१०/३) सूत्रके स्थानपर "औपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यन केवलसम्यक्त्वज्ञान दर्शनसिद्धत्वेभ्यः" [१०/४] पाठ मिलता है। प्रथम सूत्रपाठके सप्तम और अष्टम सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें नहीं हैं। उनकी पूर्ति भाष्यमें की गयी है।
इस प्रकार दोनों सूत्रपाठोंका समीक्षात्मक अध्ययन करनेसे अवगत होता है कि गृद्धपिन्छाचार्यके मूल सूत्रपाठमें वाचक उमास्वातिने तत्त्वार्थाधिगमभाष्य लिखते समय मूल सूत्रपाठमें यत्किञ्चित् अन्तर कर किन्हीं सूत्रोंको छोड़ दिया और कुछ नये सूत्र जोड़ दिये हैं। तत्वार्थाधिगमभाष्यका अध्ययन करनेसे यह भी स्पष्ट होता है कि भाष्यमें जो सूत्रपाठ आये हैं उनमेसे सिद्धसेनगणीकी टीकामें अनेक पाठभेदोंका उल्लेख किया गया है। अत्त: भाष्यसम्मत सूत्रपाठसे सिद्धसेनगणि और हरिभद्रके सूत्रपाठोंमें अन्तर पाया जाता है।
तत्वार्थसूत्रके मङ्गलाचरणके विषयमें पर्याप्त विवाद रहा। कुछ विद्वानोंका मत था कि सर्वार्थसिद्धिकी उत्थानिकामें दिय गये प्रश्नोत्तरको देखते हुए तत्वार्थसूत्रकारने मङ्गलाचरण किये बिना ही तत्वार्थसूत्रकी रचना की है। 'मोक्षमार्गस्य नतारम्’ आदि मङ्गल-पद्यको जो तत्त्वार्थसूत्रका मङ्गलाचरण बताया जाता है वह सर्वार्थसिद्धिके आरम्भमें निबद्ध होने तथा सर्वार्थसिद्धि कारकी उसपर व्याख्या उपलब्ध न होनेसे उसीका मङ्गलाचरण है, तत्त्वार्थसूत्रका नहीं। पर इसके विपरीत दूसरे अनेक विद्वानोंका मत है कि सूत्रकारने तत्त्वार्णसूत्रके आरम्भमें मङ्गलाचरण किया है और वह 'मोक्षमार्गस्य नेतारम' आदि श्लोक उसीका मङ्गलाचरण है। सर्वार्थसिद्धी वह मूल सृत हुआ है। तत्वार्थसूत्रकार आचार्य गृद्धपिन्छ परम आस्तिक थे। वे मङ्गलाचरण की प्राचीन परम्पराका उल्लंघन नहीं कर सकते। अतः 'मोक्षमार्गस्य नेतारम्' आदि पद्य उन्हीं द्वारा तत्वार्थसूत्रके आरम्भमें निबद्ध मङ्गलाचरण है। टीकाकार पूज्यपाद-देवनन्दिने उसे अपनी टीका सर्वार्थसिद्धिमें अपना लिया है और इससे उसको उन्होंने व्याख्या भी नहीं की।
डॉक्टर दरबारीलाल कोठियाने 'तत्त्वार्थसूत्रका मङ्गलाचरण' शीर्षक दो विस्तृत निबन्धोंमें आचार्य विद्यानन्दके प्रचुर ग्रन्थोल्लेखों एवं अन्य प्रमाणों से सबलताके साथ सिद्ध किया है कि तत्त्वार्थसूत्रके आरम्भ में 'सम्यग्दर्शनज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः [१/१] सूत्रसे पहले मङ्गलाचरण किया गया है और वह उक्त महत्त्वपूर्ण मङ्गलश्लोक ही है, जिसे विद्यानन्दने सूत्रकार एवं शास्त्रकार-रचित 'स्तोत्र' प्रकट करते हुए तीर्थोपम', 'प्रचित-मथुपच' और 'स्वामिमोमांसित' बतलाया है। विद्यानन्दके इन उल्लेखोंसे स्पष्ट है कि स्वामी समन्तभद्रने इसी मङ्गलश्लोकके व्याख्यानमें अपनी महत्वपूर्ण कृति 'आप्त मीमांसा' लिखो और स्वयं विद्यानन्दने भी उसोके व्याख्यानमें आप्तपरीक्षा रची। सूत्रकार एवं शास्त्रकार पदोंसे विद्यानन्दका अभिप्राय तत्त्वार्थसूत्रकारसे है, तत्वार्थवृत्तिकारसे नहीं है। सर्वार्थसिद्धिमें उसे अपना मङ्गलाचरण बना लिया गया है और इसी कारण उसकी व्याख्या भी नहीं की गयी।
अत: 'मोक्षमार्गस्प नेतारम्' आदि मङ्गल-पद्म तत्त्वार्थसूत्रका ही आचार्य गृद्धपिन्छ द्वारा रचित मङ्गलाचरण है।
गृद्धपिच्छाचार्यके तत्त्वार्थसूत्रका अध्ययन करनेसे अवगत होता है कि उन्होंने 'षट्खण्डागम', 'कषायपाहुड', 'कुन्दकुन्द-साहित्य', 'भगवत्ती आराधना' 'मूलाचार' आदि ग्रन्थोंका सम्यक् परिशोलन कर इस सूत्रग्रन्थको रचना की है। द्रव्यानुयोग, करणानुयोग और चरणानुयोगका कोई भी विषय उनसे छूटने नहीं पाया है। आधुनिक विषयोंको दृष्टि से भूगोल, खगोल, आचार, अध्यात्म, द्रव्य, गुण, पर्याय, पदार्थ, सृष्टिविद्या, कर्म-विज्ञान आदि विषय भी चर्चित हैं। आगमके अन्य प्रतिपाद्य पदार्थो का भी प्रतिपादन इस सूत्रग्रन्ध में पाया जाता है। अतएव गृद्धपिन्छाचार्य श्रुतधरपरम्पराके बहुज्ञ आचार्य हैं। अनेक विषयोंको संक्षेपमें प्रस्तुत कर 'गागरमें सागर भर देनेकी कहावत उन्होंन चरितार्थ की है।
शैलीकी दृष्टि से यह अन्य वैशेषिकदर्शनके वैशेषिकसूत्रशैलीमें लिखा गया है। वैशेषिकसूत्रोंमें जहाँ अपने मन्तव्यके समर्थन हेतु तर्क प्रस्तुत किये गये हैं वहाँ तत्त्वार्थसूत्रमें भी सिद्धान्तोंके समर्थनमें तर्क दिये गये हैं।
सूत्रशैलोकी जो विशेषताएँ पहले कही जा चुकी हैं, वे सभी विशेषताएँ इस सूत्रग्रंथमें विद्यमान हैं। यह रचना इतनी सुसम्बद्ध और प्रामाणिक है कि भगवान महावीरकी द्वादशाङ्गवाणीके समान इसे महत्व प्राप्त है। गृद्धपिन्छचार्य स्वसमय और परसमयके निष्णात ज्ञाता थे। उन्होंने दार्शनिक विषयोंकी सूत्रशैलीमें बड़ी स्पष्टताके साथ प्रस्तुत किया है। संस्कृत-भाषामें सूत्रग्रन्थकी रचनाकर इन्होंने जैन परम्परामें नये युगका आरम्भ किया है। ये ऐसे श्रुतधराचार्य हैं, जिन्होंने एक ओर नवोपलब्ध दृष्टि प्राप्तकर परम्परासे प्राप्त तथ्योंको युगानुरूपमें प्रस्तुत किया है तो दूसरी ओर सांस्कृतिक और आगमिक व्यवस्थाके दायित्वका निर्वाह भी भलीभाँति किया है। फलतः इनके पश्चात् संस्कृत भाषामें भी दार्शनिक, सैद्धान्तिक और काव्यादि अन्योंका प्रणयन हुआ।
श्रुतधराचार्यसे अभिप्राय हमारा उन आचार्यों से है, जिन्होंने सिद्धान्त, साहित्य, कमराहिम, बायाससाहित्यका साथ दिगम्बर आचार्यों के चारित्र और गुणोंका जोबन में निर्वाह करते हुए किया है। यों तो प्रथमानुयोग, करणा नुयोग, चरणानुयोग और ध्यानुयोगका पूर्व परम्पराके भाधारपर प्रन्धरूपमें प्रणयन करनेका कार्य सभी आचार्य करते रहे हैं, पर केवली और श्रुत केवलियोंकी परम्पराको प्राप्त कर जो अंग या पूर्वो के एकदेशशाता आचार्य हुए हैं उनका इतिवृत्त श्रुतधर आचार्यों को परम्पराके अन्तर्गत प्रस्तुत किया जायगा | अतएव इन आचार्यों में गुणधर, धरसेन, पुष्पदन्त, भूतवाल, यति वृषम, उच्चारणाचार्य, आयमंक्षु, नागहस्ति, कुन्दकुन्द, गृपिच्छाचार्य और बप्पदेवकी गणना की जा सकती है ।
श्रुतधराचार्य युगसंस्थापक और युगान्तरकारी आचार्य है। इन्होंने प्रतिभाके कोण होनेपर नष्ट होतो हुई श्रुतपरम्पराको मूर्त रूप देनेका कार्य किया है। यदि श्रतधर आचार्य इस प्रकारका प्रयास नहीं करते तो आज जो जिनवाणी अवशिष्ट है, वह दिखलायी नहीं पड़ती। श्रुतधराचार्य दिगम्बर आचार्यों के मूलगुण और उत्तरगुणों से युक्त थे और परम्पराको जीवित रखनेको दृष्टिसे वे ग्रन्थ-प्रणयनमें संलग्न रहते थे 1 श्रुतकी यह परम्परा अर्थश्रुत और द्रव्यश्रुतके रूपमें ई. सन् पूर्वकी शताब्दियोंसे आरम्भ होकर ई. सनकी चतुर्थ पंचम शताब्दी तक चलती रही है ।अतएव श्रुतघर परम्परामें कर्मसिद्धान्त, लोका. नुयोग एवं सूत्र रूपमें ऐसा निबद साहित्य, जिसपर उत्तरकालमें टीकाएँ, विव त्तियाँ एवं भाष्य लिखे गये हैं, का निरूपण समाविष्ट रहेगा।
श्रुतधराचार्यों की परंपरामें आचार्य गृद्धपिन्छ का नाम आता है। तत्वार्थसुत्रके रचयिता आचार्य गृद्धपिन्छ हैं। इनका अपरनाम उमास्वामी या उमास्वाति भी प्राप्त होता है। आचार्य वीरसेनने जीवस्थानके काल अनुयोगद्वारमें तत्वार्थसूत्र और उसके कर्ता गृद्धपिच्छाचार्यके नामोल्लेखके साथ उनके तत्त्वार्थसूत्रका एक सूत्र उद्धृत किया है-
'तह गिद्धपिछाइरियप्पयासिदतच्चत्थसुत्ते वि "वर्तनापरिणामक्रियाः पर त्वापरत्वे च कालस्य इदि दव्वकालो परुविदो।'
इस उद्धरणसे स्पष्ट है कि तत्वार्थसूत्रके रचयिता गृद्धपिन्छाचार्य हैं। इस नामका समर्थन आचार्य विद्यानन्दके तत्वार्थश्लोकवातिकसे भी होता है-
'एतेन गृद्धपिच्छाचार्यपर्यन्समुनिसूत्रेण व्यभिचारता निरस्ता।'
यहाँ विद्यानन्दने भी तत्त्वार्थसूत्रके कर्ताका नाम गृद्धपिच्छाचार्य बतलाया है।
तत्त्वार्थसूत्रके किसी टीकाकारने भी निम्न पद्यमें तत्त्वार्थसूत्रके रचयिताका नाम गृद्धपिच्छाचार्य दिया है-
'तत्त्वार्थसूत्रकर्तार गृद्धपिच्छोपलक्षितम्।
वन्दे गणीन्द्रसंजासमुमास्वामिमुनीश्वरम्॥'
इसमें गृद्धपिच्छाचार्य नामके साथ उनका दूसरा नाम 'उमास्वामिमुनीश्वर भी बतलाया गया है। वादिराजने भी अपने पार्श्वनाथचरित्रमें गृद्धपिच्छ नामका उल्लेख किया है-
'अतुच्छगुणसम्पातं गृद्धपिच्छं नतोऽस्मि तम्।
पक्षीकुर्वन्ति यं भव्या निर्वाणायोत्पतिष्णवः।।'
आकाशमें उड़नेकी इच्छा करनेवाले पक्षी जिस प्रकार अपने पंखोंका सहारा लेते हैं उसी प्रकार मोक्षरूपी नगरको जानेके लिए भव्यलोग जिस मुनीश्वरका सहारा लेते हैं उस महामना अगणित गुणोंके भण्डारस्वरूप गृद्धपिच्छ नामक मुनिमहराजके लिए मेरा सविनय नमस्कार है ।
इन प्रमाणोल्लेखोंसे स्पष्ट है कि तत्त्वार्थसूत्रके कर्ता गृद्धपिच्छाचार्य हैं।
श्रवणबेलगोलाके एक अभिलेखमें गृद्धपिच्छ नामकी सार्थकता और कुन्दकुन्दके वंशमें उनकी उत्पत्ति बतलाते हुए उनका उमास्वाति नाम भी दिया है। यथा-
अभूदुमास्वातिमुनिः पवित्रे वंशे तदीये सकलात्थंवेदो।
सूत्रीकृतं येन जिनप्रणीतं शास्त्रार्थजात्तं मुनिपुङ्गवेन॥
स प्राणिसंरक्षणसावधानो बभार योगी किल गृदमपक्षान्।
तदा प्रभृत्येव बुघा यमाहुराचार्यशब्दोत्तरगद्धपिच्छम्।।
अन्य शिलालेख में भी गृद्धपिच्छाका उल्लेख प्राप्त होता है-
अभूदुमास्वातिमुनीश्वरोऽसावाचार्यशब्दोत्तरगृद्मपिच्छः।
तदन्वये तत्सदृशोऽस्ति नान्यस्तात्कालिकाशेषपदार्थवेदी।
आचार्य कुन्दकुन्दके पवित्र वंशमें सकलार्थक ज्ञाता उमास्वाति मुनीश्वर हुए, जिन्होंने जिनप्रणीत द्वादशांगवाणीको सूत्रोंमें निबद्ध किया। इन आचार्यने प्राणिरक्षाके हेतु गृद्धपिच्छोंको धारण किया। इसी कारण वे गृद्धपिच्छाचार्य के नामसे प्रसिद्ध हुए। आमलेखीय प्रमाणमें गृद्धपिच्छाचार्यको श्रुतकेवलिदेशीय भी कहा गया है। इससे उनका आगमसम्बन्धी सातिशय ज्ञान प्रकट होता है।
तत्वार्थसूत्रके रचयिता गृद्धपिच्छाचार्यका उल्लेख श्रवणबेलगोलाके अभिलेखोंमें ४०, ४२,४३,४७ और ५० संख्यकमें भी पाया जाता है। अभिलेखसंख्या १०५ और १०८ में तत्त्वार्थसूत्रके कर्ताका नाम उमास्वाति भी आया है और गृद्धपिच्छा उनका दूसरा नाम बतलाया है। यथा-
श्रीमानुमास्वातिरयं यतीशस्तत्वार्थसूत्रं प्रकटीचकार।
यन्मुक्तिमार्गाचरणोधताना पाथेयमग्ध्यं भवति प्रजानां।।
तस्यैव शिष्योऽजनि गृद्धपिच्छ-द्वित्तीयसंज्ञस्य बलाकपिच्छः।
यत्सूक्तिरलानि भवन्ति लोके मुफ्त्यङ्गनामोहनमण्डनानि॥
यत्तियोंके अधिपति श्रीमान् उमास्वातिने तत्त्वार्थसूत्रको प्रकट किया, जो मोक्षमार्गके आचरणमें उद्यत मुमुक्षुजनोंके लिए उत्कृष्ट पाथेय है। उन्हींका गृद्धपिच्छ दूसरा नाम है। इन गृद्धपिच्छाचार्य के एक शिष्य बलाकपिच्छ थे, जिनके सुक्तिरत्न मुक्त्यङ्गनाके मोहन करनेके लिए आभूषणों का काम देते हैं।
इस प्रकार दिगम्बर साहित्य और अभिलेखोंका अध्ययन करनेसे यह ज्ञात होता है कि तत्त्वार्थ सूत्रके रचयिता गृद्धपिच्छाचार्य, अपरनाम उमास्वामि या उमास्वाति हैं।
कुछ विद्वानोंने तत्त्वार्थसुत्रका रचयिता कुन्दकुन्दको माना है।आचार्य श्री जुगलकिशोर मुख्तारने इस मतकी समीक्षा की है।
तत्त्वार्थसूत्रके रचयिताके सम्बन्धमें एक अन्य मत यह है कि वाचक उमास्वाति इस सूत्रग्नन्थके रचयिता हैं। पण्डित सुखलालजीने तत्त्वार्थसूत्र (विवेचन) की प्रस्तावनामें वाचक उमास्वातिको तत्वार्थसुत्रका कर्ता माना है, गृद्धपिच्छ उमास्वातिको नहीं। वे कहते हैं कि गृद्धपिच्छ उमास्वाति नामके आचार्य हुए अवश्य हैं, पर उन्होंने तत्त्वार्थसूत्र या तत्त्वार्थाधिगम शास्त्रकी रचना नहीं की है। उन्होंने इस सूत्रग्रंथका उल्लेख 'तत्वार्थाधिगम' शास्त्रके नामसे किया है। पर यह नाम तत्त्वार्थसूत्रका न होकर उसके 'तत्त्वार्थाधिगम’ भाष्यका है।
तत्वार्थाधिगमभाष्यकी रचनाके पूर्व तत्वार्थसूत्रपर अनेक टीकाएँ लिखी जा चुकी थी। सर्वार्थसिद्धिका निम्न सूत्र तत्त्वार्थाधिगम भाष्यमें कुछ परिवर्धन के साथ पाया जाता है, जिससे भाष्यकी सर्वार्थसिद्धिसे उत्तरकालीनता अवगत होती है-
(क) मतिश्रुतयोनिबन्धो दत्यानगोष'।
(ख) मतिश्रुतयोनिबन्धः सर्वद्रव्येष्वसर्वपर्याषु।
यहाँ तत्त्वार्थाधिगमभाष्यमें सर्वार्थसिद्धिमान्य सूत्रपाठकी अपेक्षा द्रव्यपदके साथ विशेषणरूपसे 'सर्व' पद स्वीकार किया गया है। किन्तु जब वे ही भाष्यकार इस सूत्रके उत्तरार्धको १/२० के माध्यमें उद्धृत करते हैं तो उसका रूप सर्वार्थसिद्धिमान्य सूत्रपाठ ले लेता है। यथा- 'अत्राह- मतिश्रुतयोस्तुल्यविषयत्वं वक्ष्यति "द्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु’इति।
इससे ज्ञात होता है कि भाष्यके पूर्व तत्त्वार्थसूत्रपर सर्वसिद्धि-टीका लिखी जा चुकी थी और उसमें तत्त्वार्थसूत्रका एक सूत्रपात्र निर्धारित किया जा चुका था। सिद्धसेनगणी और हरिभद्गने भी तत्त्वार्थाधिगमभाष्यके इस अंशको इसी रूपमें स्वीकार किया है। अब प्रश्न यह है कि तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकारने जब उल्लिखित सूत्रके उत्तरार्धका 'सर्व द्रव्येष्वसर्वपर्यायषु' पाठ स्वीकार किया, तब उसे उद्धृत करते समय उसमेंसे 'सर्व' पद क्यों छोड़ दिया? यदि 'सर्व' पदको 'द्रव्य' पदक विशेषणके रूपमें आवश्यकता थी तो उन्होंने उद्धृत करते समय क्यों नहीं इस बातका ध्यान रखा? यह ऐसा प्रश्न है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। बहुत सम्भव है कि उन्होंने प्राचीन सूत्रपाठकी परम्पराको ध्यानमें रखकर ही प्रथम अध्यायके २०वें सूत्रके माध्यमें उसे दिया, जो सर्वार्थसिद्धिमें उपलब्ध था। इससे विदित्त होता है कि तत्त्वार्थाधिगमभाष्य लिखते समय वाचक उमास्वातिके समक्ष सर्वार्थसिद्धि अथवा उसमें मान्य सूत्रपाठ रहा है।
अर्थविकासकी दृष्टीसे विचार करने पर प्रतीत होगा कि तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकी सर्वार्थासाद्धीके बाद लिखा गया है। कालके उपकारप्रकरणमें सर्वार्थसिद्धिमें परत्व और अपरत्व ये दो ही भेद किये गये हैं, जबकि तत्त्वार्थाधिगमभाष्य में उसके तीन भेद उपलब्ध होते हैं। अतएव प्रज्ञाचक्षु पण्डित सुखलालजीका यह अभिमत कि तत्त्वार्थसूत्रकार और तत्वार्थाधिगमभाष्यकार एक ही व्यक्ति हैं, समीचोन प्रतीत नहीं होता।
तत्वार्थसूत्रके दो सूत्रपाठ हो जानेपर भी ऐसे अधिकतर सूत्र हैं जो दोनों परम्पराओंमें मान्य हैं और उनमें भी कुछ ऐसे सूत्र अपने मूलरूपमें उपलब्ध हैं, जिनके रचयिताको स्थितिपर प्रकाश पड़ता है। पण्डित फूलचन्द्रजी शास्त्री ने (१) तीर्थंकरप्रकृतिके बन्धके कारणोंका प्रतिपादक सूत्र,(२)वाइस परीषहाका प्रतिपादक सूत्र, (३) केवलीजिनके ११ परिषहोंके सद्भावका प्रतिपादक सूत्र और (४) एक जीवके एक साथ परीषहसंख्याबोधक सूत्र- इन चार सूत्रोंको उपस्थित कर तत्वार्थसूत्र और तत्त्वार्थाधिगमभाष्यके रचयिताओंको भिन्न भिन्न व्यक्ति सिद्ध किया है। पण्डित फूलचन्द्रजीने 'उमास्वातिवाचकोपज्ञसूत्रभाष्ये' पदके पण्डित सुखलालजी द्वारा किये गये अर्थको समीक्षा करते हुए लिखा है- 'पण्डितजी, भाष्यकार और सुत्रकार एक हो व्यक्ति है- इस पक्षमें उसका अर्थ लगानेका प्रयत्न करते हैं, किंतु इस पदका सीधा अर्थ है- उमास्वातिवाचकद्वारा बनाया हुआ सूत्रभाष्य। यहाँ "उमास्वातिवाचकोपज्ञ' पदका सम्बन्ध सूत्रसे न होकर उसके भाष्यसे है। दुसरा प्रमाण पण्डितजीने ९वें अध्यायके २२वे सूत्रकी सिद्धसेनीय टीका उपस्थित की है, किंतु यह प्रमाण भी सन्देहास्पद है, क्योंकि सिद्धसेन गणिकी टीकाको जो प्राचीन प्रतियां उपलब्ध होती हैं उनमें "स्वकृतसूत्रसन्निवेशमाश्रित्योक्तम्" पाठके स्थानमें "कृतस्तत्र सूत्रसन्निवेशमाश्रित्योक्तम्" पाठ भी उपलब्ध होता है। बहुत सम्भव है कि किसी लिपिकारने तत्वार्थसुत्रका वाचक उमास्वाति कर्तृत्व दिखलाने के अभिप्रायसे 'कुतस्तत्र' का संशोधन कर 'स्वकृत्त' पाठ बनाया हो और बादमें यह पाठ चल पड़ा हो।
अतः तत्त्वार्थ अथवा तत्वार्थसूत्र और तत्त्वार्थाधिगमभाष्य दो पृथक्-पृथक् रचनाएँ हैं। तत्त्वार्थ सर्वार्थसिद्धिसे पूर्ववर्ती और तत्त्वार्थाधिगमभाष्य उससे उत्तरवर्ती रचना है। अतएव तत्त्वार्थाधिगमभाष्यके कर्ता वाचक उमास्वाति रहे होंगे। पर मूल तत्वार्थसूत्रके कर्ता गृद्धपिन्छाचार्य हैं। इस नामका उल्लेख नवीं शताब्दीके आचार्य वीरसेन और विद्यानन्द जैसे आचार्योंके साहित्यमें मिलता है। उत्तरकालमें अभिलेखों और ग्रन्थोंमें उमास्वामी और उमास्वाति इन दो नामोंसे भी इनका उल्लेख किया गया है। लगभग इसी समय श्वेताम्बर सम्प्रदायमें हुए सिद्धसेन गणिके उल्लेखोंसे तत्वार्थाधिगमभाष्यका रचयिता वाचक उमास्वातिको माना गया और इन्हें ही तत्त्वार्थसूत्रका रचयिता भी बता दिया गया । पर मूल और भाष्य दोनोंका अन्तःपरीक्षण करनेपर वे दोनों पृथक-पृथक दो विभिन्नकालीन कर्तृक सिद्ध होते हैं, जैसा कि ऊपरके विवंचनसे प्रकट है।
गृद्धपिन्छाचार्य किस अत्वयमें हुए, यह विचारणीय है। नन्दिसंघकी पट्टावलि और श्रवणबेलगोलाके अभिलेखोंसे यह प्रमाणित होता है कि गृद्धपिन्छाचार्य कुन्दकुन्दके अन्वयमें हुए हैं। नन्दिसंघकी पट्टावलि विक्रमके राज्याभिषेकसे प्रारम्भ होती है। वह निम्न प्रकार है-
१. भद्रबाहु द्वितीय (४),
२. गुप्तिगुप्त (२६),
३. माघनन्दि (३६),
४. जिनचन्द्र (४०),
५. कुन्दकुन्दाचार्य (४९),
६. उमास्वामि (१०९),
७. लोहाचार्य (१४२),
८. यशःकीर्ती (१५३),
९. यशोनन्दि (२११),
१०. देवनन्दि (२५८),
११. जयनन्दि (३०८),
१२. गुणनन्दि (३५८),
१३. वज्रनन्दि (३६४),
१४. कुमारनन्दि (३८६),
१५. लोकचन्द (४२७),
१६. प्रभाचन्द्र (४५३),
१७. नेमिचन्द्र (४७२),
१८. भानुनन्दि (४८७),
१९. सिंहनन्दि (५०८),
२०. वसुनन्दि (५२५),
२१. वीरनन्दि (५३१),
२२. रत्ननन्दि (५६१),
२३. माणिक्यनन्दि (५८५),
२४. मेघचन्द्र (६०१),
२५. शान्तिकीर्ति (६२७),
२६. मेरुकीर्ति (६४२),।
उपर्युक्त पट्टावलिमें आया हुआ गुप्तिगुप्तका नाम अर्हद्वलिके लिये आया है। अन्य प्रमाणोंसे सिद्ध है कि नन्दिसंघकी स्थापना अर्हद्वलिने की थी, और इसके प्रथम पट्टधर आचार्य माघनन्दि हुए। इस क्रमसे गृद्धपिच्छ नन्दिसंघके पट्टपर बैठनेवाले आचार्योंमें चतुर्थ आते हैं और इनका समय वीर निर्वाण सं. ५७१ सिद्ध होता है। अतएव गृद्धपिन्छके गुरुका नाम कुन्दकुन्दाचार्य होना चाहिये। श्रवणबेलगोलाके अभिलेख न. १०८ में गृद्धपिन्छ उमास्वामिका शिष्य बलाकपिच्छाचार्यको बतलाया है। अत: इनके शिष्य बलाकपिच्छ हैं।
तत्वार्थसूत्र के निर्माणमें कुन्दकुन्दके ग्रन्थोंका सर्वाधिक उपयोग किया गया है| आचार्य कुन्दकुन्दने अपने पंचास्तिकाय में लिखा है-
दव्व सल्लक्खणियं उपादव्वयधुवत्तसंजुत्तं।
गुणपज्जयासयं वा जं तं भण्ण ति सव्वण्हू।।
इस गाथाके आधारपर तत्त्वार्थसूत्रमें तीन सूत्र उपलब्ध होते हैं। ये तीनों सूत्र क्रमश: गाथाके प्रथम, द्वितीय और तृतीय पाद हैं-
(१) सदद्रव्यलक्षणम्।
(२) उत्पादव्वयघ्रोव्ययुक्तं सत्।
(३) गुणपर्ययवद् द्रव्यम्।
अतएव गृद्धपिन्छने कुन्दकुन्दका शाब्दिक और वस्तुगत अनुसरण किया है। अत: आश्चर्य नहीं कि गृद्धपिन्छके गुरु कुन्दकुन्द रहे हों। श्रवणबेलगोलाके उक्त अभिलेखानुसार गृद्धपिन्छके शिष्य बलाकपिच्छ हैं। इनकी गणना नन्दिसंघके आचार्योंमें है।
यद्यपि पंडित सुखलालजीने इन्हें ही तत्वार्थाधिगमभाष्यका कर्ता मानकर उच्चैगिर शाखाका आचार्य माना है और यह शाखा कल्पसूत्रकी स्थविरावलिके अनुसार आर्यशान्तिश्रेणिकसे निकली है। आर्यशान्तिश्रेणिक आर्यसुहस्तिसे चौथी पीढ़ी में आते हैं, तथा वह शान्तिश्चेणिक आर्यवज्रके गुरु आर्यसिंहगिरिके गुरुभाई होनेसे, आर्यवज्रकी पहली पीढ़ी में आते हैं। तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकी प्रशस्तिमें वाचक उमास्वातिने अपनेको शिवश्रीनामक वाचकमुख्यका प्रशिष्य और एकादशांगवेत्ता धोषनन्दि श्रमणका दीक्षा शिष्य तथा प्रसिद्धकीर्तिवाले महावाचक श्रमण श्रीमुण्डपादका विद्या-अशिष्य बतलाया है।
पर यह गुरुशिष्य-परम्परा तत्त्वार्थाधिगमभाष्यकार वाचक उमास्वातिकी है, तत्त्वार्थसूत्रकार गृद्धपिन्छकी नहीं। गृद्धपिन्छ उमास्वामि कुन्दकुन्दान्वयमें हुये हैं और ये कुन्दकुन्दाचार्य के उत्तराधिकारी भी हैं।
इनका समय नन्दिसंघकी पट्टावलिके अनुसार वीर- निर्वाण सम्वत् ५७१ है, जो कि वि. सं. १०१ आता है। "विद्वज्जनबोधक' में निम्नलिखित पद्य आया है-
वर्षसप्तशते चैव सप्तत्या च विस्मृतौ।
उमास्वामिमुनिर्जात कुन्दकुन्दस्तथैव चे।।
अर्थात् वीर निर्वाण संवत् ७७० में उमास्वामि मुनि हुए, तथा उसी समय कुन्दकुन्दाचार्य भी हुये। नन्दिसंघकी पट्टावलिमें बताया है कि उमास्वामी ४० वर्ष ८ महीने आचार्यपदपर प्रतिष्ठित रहे। उनकी आयु ८४ वर्षकी थी और विक्रम संवत् १४२ में उनके पट्टपर लोहाचार्य द्वितीय प्रतिष्ठित हुए। प्रो. हार्नले, डा. पीटरसन और डा. सतीशचन्द्रने इस पट्टावलिके आधारपर उमास्वारिको ईसकी प्रथम शताब्दी का माना है।
'विद्धज्जनबोधक' के अनुसार उमास्वातिका समय विक्रम सम्वत् ३०० आता है और वह पट्टावलिके समयसे १५० वर्ष पीछे पड़ता है।
इन्द्रनन्दिने अपने श्रुतावतारमें ६८३ वर्षकी श्रुतधर आचार्योंकी परम्परा दी है और इसके बाद अंगपूर्वके एकदेशधारी विनयधर, श्रीदत्त और अर्हद्दत्तका नामोल्लेखकर नन्दिसंघ आदि संघोंकी स्थापना करनेवाले अर्हद्वलिका नाम दिया है। श्रुतावतारमें इसके पश्चात् माघनन्दि, धरसेन, पुष्पदन्त और भूतलिके उल्लेख हैं। उसके बाद कुन्दकुन्दका नाम आया है। अत: आचार्य गृद्धपिच्छ कुन्दकुन्दके पश्चात् अर्थात् ६८३ वर्ष के अनन्तर हुए हैं। यदि इस अनन्तरकालको १०० वर्ष मान लिया जाये, तो वीर-निर्वाण सम्वत् ७८३ के लगभग आचार्य गृद्धपिच्छका समय होगा।
यद्यपि श्रुतधर आचार्यों की परम्परा का निर्देश धवला, आदिपुराण', नन्दिसंघकी प्राकृत पट्टावालि और त्रिलोकप्रज्ञात' आदिमें आया है, पर ये सभी परम्पराएँ ६८३ वर्ष तकका ही निर्देश करती हैं। इसके आगेके आचार्योंका कथन नहीं मिलता। अतएवं श्रुतावतार आदिके आधारसे गृद्धपिच्छका समय निर्णीत नहीं किया जा सकता है।
डॉ. ए. एन उपाध्येने बहुत ऊहापोहके पश्चात् कुन्कुन्दके समयका निर्णय किया है, और जिससे गृद्धपिच्छ, आचार्य कुन्दकुन्दके शिष्य प्रकट होते हैं। उपाध्येजीके मतानुसार कुन्दकुन्दका समय ई. प्रथम शताब्दीके लगभग है। अतः गृद्धपिच्छाचार्य उसके पश्चात् ही हुए हैं।
कुन्दकुन्दका समय निर्णीत हो जानेके पश्चात् आचार्य गुद्धपिच्छका समय अवगत करने में कठिनाई नहीं है। यतः पट्टावलियों और शिलालेखों में आचार्य कुन्दकुन्दके पश्चात् गृद्धपिच्छका नाम आया है। अतएव इनका समय ई. प्रथम शताब्दीका अन्तिम भाग और द्वितीय शताब्दीका पूर्वभाग घटित होता है।
निष्कर्ष यह कि पट्टावलियों, प्रशस्तियों और अभिलेखोंके अध्ययनसे गृद्धपिच्छका समय ई. सन् द्वितीय शताब्दी प्रतीत होता है।
आचार्य गृद्धपिच्छकी एकमात्र रचना 'तत्त्वार्थसूत्र' है। इस सूत्रग्रन्यका प्राचीन नाम 'तत्त्वार्थ’ रहा है। 'तत्वार्थ' की तीन टीकाएँ प्रसिद्ध हैं, जिनके साथ तत्वार्थपद लगा है, पूज्यपादकी 'तत्वार्थवृत्ति', जिसका दूसरा नाम 'सर्वार्थसिद्धि' है, अकलंकका तत्वार्थवार्तक' और विद्यानन्दका तत्वार्थश्लोकवार्तिक। अतएव इस ग्रंथका प्राचीन नाम 'तत्वार्थ’ ही रहा है। सूत्रशैलीमें निबद्ध होनेसे उत्तरकालमें इसका 'तत्त्वार्थसूत्र' नाम प्रचलित हुआ। इस ग्रंथकी रचनाके हेतुका वर्णन करते हुए, तत्वार्थसूत्रके कन्नड-टीकाकार बालचंद्रने लिखा है-
"सौराष्ट्रदेशके मध्य उर्जयन्तगिरिके निकट गिरिनगर नामके पत्तनमें आसन्नभव्य स्वहितार्थी द्विजकुलोत्पन्न श्वेताम्बरभक्त सिद्धय्य नामका एक विद्वान् श्वेताम्बर शास्त्रोंका जाननेवाला था। उसने 'दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:' यह सूत्र बनाकर एक पटियेपर लिख दिया था। एक दिन चर्याक लिये गृद्धपिच्छाचार्य मुनि वहाँ आये और उन्होंने उस सूत्रके पहले 'सम्यक' पद जोड़ दिया। जब वह विद्वान बाहरसे लौटा और उसने पटिये पर 'सम्यक' शब्द लगा देखा, तो वह अपनी मातासे मुनिराजके आनेका समाचार मालूम करके खोजता हुआ उनके पास पहुँचा और पूछने लगा- "आत्माका हित क्या है”। इसके बादका प्रश्नोत्तर प्राय: वही सब है, जो 'सर्वार्थसिद्धि' के प्रारम्भमें आचार्य पूज्यपादने दिया है। प्रभाचन्द्राचार्यने सर्वार्थसिद्धिपर एक टिप्पण लिखा है और कहा टिप्पणमें उन पदोंकी व्याख्या की है, जो "सर्वार्थसिद्धि' में छूट गये हैं। इस टिप्पणमें प्रभाचन्द्रने प्रश्नकर्ता भव्यका नाम तो सिद्धय्य ही दिया है, किन्तु कथा नहीं दी है। उक्त कथामें कितना तथ्यांश है, यह नहीं कहा जा सकता।
श्रुतसागरसूरिने 'तत्त्वार्थवृत्ति' के प्रारम्भमें लिखा है कि किसी समय आचार्य उमास्वामि गृद्धपिच्छ आश्रममें बैठे हुए थे। उस समय द्वैपायक नामक भव्यने यहाँ आकर उनसे प्रश्न किया-भगवन् ! आत्माके लिये हितकारी क्या है? भव्यके ऐसा प्रश्न करनेपर आचार्यवर्यने मंगलपूर्वक उत्तर दिया, मोक्ष। यह सुनकर द्वैपायकने पुनः पूछा- उसका स्वरूप क्या है, और उसकी प्राप्तिका उपाय क्या है? उत्तरस्वरूप आचार्यवर्यने कहा कि यद्यपि प्रवादिजन इसे अन्यथा प्रकारसे मानते हैं, कोई श्रद्धानमात्रको मोक्षमार्ग मानते हैं, कोई ज्ञाननिरपेक्ष चारित्रको मोक्षमार्ग मानते हैं। परन्तु जिस प्रकार ओषधिक केवल ज्ञान, श्रद्धान या प्रयोगसे रोगकी निवृत्ति नहीं हो सकती है, उसी प्रकार केवल श्रद्धान, केवल ज्ञान या केवल चारित्रसे मोक्षको प्राप्ति नहीं हो सकती। भव्यने पूछा- तो फिर किस प्रकार उसकी प्राप्ति होती है? इसीके उत्तरस्वरूप आचार्य ने "सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग" यह सत्र रचा है और इसके पश्चात् अन्य सूत्रोंकी रचना हुई है। ऐसी ही उत्थानिका प्रायः तत्त्वार्थवर्तिकमें भी आयी है। अतः उपयुक्त कथामें कुछ तथ्य तो अवश्य प्रतीत होता है।
कनड़ी टीकाके रचयिता बालचन्द्र विक्रमकी तेरहवीं शताब्दीके पूर्वार्द्धमें हुए है।
पूज्यपादकी 'सर्वार्थसिद्धि' 'तत्वार्थसूत्र' की उपलब्ध टीकाओंमें आद्य एवं प्राचीन टीका है। इसके आरम्भमें ग्रन्थ-रचनाका जो संक्षिप्त इतिवृत्त निबद्ध है उसके आधारसे स्पष्ट रूपमें कहा जा सकता है कि तत्त्वार्यसूत्रकारने तत्त्वार्थसूत्रकी रचना किसी आसनभव्यके प्रश्न के उत्तरमें की है। इस भव्यका नामोल्लेख सर्वार्थसिद्धिकारने नहीं किया। उत्तवर्ती लेखकोंने किया है। उनका आधार क्या है, कुछ कहा नहीं जा सकता। वह अन्वेषणीय है। इतना स्पष्ट तथ्य है कि तत्त्वार्थसूत्र किसी आसनभव्य मुमुक्षुके हितार्थ लिखा गया है।
इस ग्रन्थमें जिनागमके मूल तत्त्वोंको बहुत ही संक्षेपमे निबद्ध किया है। इसमें कुल दश अध्याय और ३५७ सूत्र हैं। संस्कृत-भाषामें सूत्रशैलीमें लिखित यह पहला सूत्रग्रन्थ है। इसमें करणानुयोग, द्रव्यानुयोग और चरणानुयोगका सार समाहित है। इसकी सबसे बड़ी महत्ता यह है कि इसमें साम्प्रदायिकता नहीं है। अतएव यह श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही सम्प्रदायोंको थोड़ेसे पाठभेदको छोड़कर समानरूपसे प्रिय है। इसकी महत्ताका सबसे बड़ा दुसरा प्रमाण यह है कि दोनों ही सम्प्रदायोंके महान् आचार्योंने इसपर टीकाएँ लिखी हैं। पूज्यपाद, अकलंक और विद्यानन्दने दार्शनिक टीकाएँ लिखकर इस ग्रंथका महत्व व्यक्त किया है। विद्यानन्दने अपनी 'आप्तपरीक्षा' में इसे बहुमूल्य रत्नोंका उत्पादक, सलिलनिधि- समुद्र कहा है-
श्रीमत्तत्त्वार्थशास्त्राभुतसलिलनिधेरिद्धरत्नोद्भवस्य,
प्रोत्थानारम्भकाले सकलमलभिदे शास्त्रकारैः कृतं यत्।
स्तोत्रं तीर्थोपमानं प्रथिसपृथुपथं स्वामिमोमांसितं तत,
विद्यानन्दैः स्वशक्त्या कथमपि कथितं सत्यवाक्यार्थसिद्धथे।
प्रकृष्ट रत्नोंके उद्भवके स्थानभूत श्रीमत्तत्त्वार्थशास्त्ररूपी अद्भुत समुद्रकी उत्पत्ति के प्रारम्भकालमें महान मोक्षपथको प्रसिद्ध करनेवाले और तीर्थोपमस्वरूप जिस स्तोत्रको शास्त्रकार गृद्धपिन्छाचार्यने समस्त कर्ममलके भेदन करनेके अभिप्रायसे रचा है और जिसकी स्वामीने मीमांसा की है, उसी स्तोत्रका सत्यवाक्यार्थ ( यथार्थता) को सिद्धिके लिए मुझ विद्यानन्दने अपनी शक्तिके अनुसार किसी प्रकार व्याख्यान किया है।
तत्त्वार्थसूत्र जैन धर्मका सारग्रन्थ होनेसे इसके मात्र पाठ या श्रवणका फल एक उपवास बताया गया है, जो उसके महत्त्वको सूचित करता है। वर्तमानमें इस ग्रन्थको जैन परम्परामें वही स्थान प्राप्त है, जो हिन्दु धर्ममें 'भगवद्गीता' को, इस्लाममें 'कूरान' को और ईसाई धर्ममें 'बाइबिल' को प्राप्त है। इससे पूर्व प्राकृत भाषामें ही जैन ग्रंथोंकी रचना की जाती थी। इसी भाषामें भगवान महावीरकी देशना हुई थी और इसी भाषामें गोतम गणधरने अंगों और पूर्वोकी रचना की थी। पर जब देशमें संस्कृत-भाषाका महत्त्व वृद्धिंगत हुआ और विविध दर्शनोंके मन्तव्य सूत्ररूपमें निबद्ध किये जाने लगे, तो जैन परम्पराके आचार्योंका ध्यान भी उस ओर आकृष्ट हुआ और उसीके फलस्वरूप तत्वार्थसूत्र जैसे महत्त्वपूर्ण संस्कृत-सुत्रग्रन्थकी रचना हुई। इस तरह जैन वाङ्मय में संस्कृत-भाषाके सर्वप्रथम सूत्रकार गृद्धपिच्छ है और सबसे पहला संस्कृत-सूत्रग्रन्थ तत्त्वार्थसूत्र है।
तत्त्वार्थसूत्र धर्म एवं दर्शनका सूत्रग्रन्थ है। इसकी रचना वैशेषिक दर्शनके 'वैशेषिकसूत्र' ग्रन्थके समान हुई हैं। वैशेषिक दर्शन के प्रारम्भमें द्वव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव इन सात पदार्थोंके तत्त्वज्ञानसे मोक्ष प्राप्तिकी बात कही गयी है। अत: इस सूत्रग्रन्थमें मुख्यरूपसे उक्त सात पदार्थों का विवेचन आया है। सांख्य दर्शनमें प्रकृति और पुरुषका विचार करते हुए जगतके मुलभूत पदार्थोका ही विचार किया है। इसी प्रकार वेदान्तदर्शनमें जगतके मूलभूत तत्व ब्रह्मकी मीमांसा की गयी है। न्यायदर्शनमें प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धांत, अवयय, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति और निग्रहस्थान इन सोलह पदार्थों के तत्वज्ञानसे मोक्षकी प्राप्ति बतलायी है। न्यायदर्शनमें अर्थपरोक्षाके साधनोंका ही कथन आया है। योगदर्शनमें जीवनमें अशुद्धता लानेवाली चित्तवृत्तियोंका और उनके निरोधका तथा तत्सम्बन्धी प्रक्रियाका प्रतिपादन आया है। इस प्रकार पूर्वोक्त दर्शनोंका विषय ज्ञेयप्रधान या ज्ञानसाधनप्रधान अथवा चारित्रप्रधान है।
पर 'तत्त्वार्थसूत्र' में ज्ञान, ज्ञय और चारित्रका समानरूपसे विवेचन आया है। इसका प्रधान कारण यह है कि जहां वैशेषिक आदि दर्शनों में केवल तत्त्वज्ञानसे 'निःश्रेयस्’ प्राप्ति बतलायी गयी है वहाँ जैनदर्शनमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्रके समुच्चयको मोक्षका मार्ग कहा है। तत्त्वार्थसूत्रके प्रथम अध्यायके द्वितीयसूत्रमें जीव, अजीव, अस्त्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष इन सात तत्त्वोंके सम्यक्दर्शन और छठे सूत्रमें इनके यथार्थज्ञानकी सम्यक्ज्ञान कहा है। तत्त्वार्थसूत्रकारने हेय और उपादेयरूपमें केवल इन्हीं सात तत्त्वोंको श्रद्धेय एवं अधिगम्य बतलाया है। मोक्षमार्गमें इन्हींका उपयोग है। अन्य अनन्त पदार्थोका नहीं। इससे पूर्व समयसारमें भी निश्चयनय और व्यवहारन्यसे इन्हीं सातों तत्त्वोंका निरूपण किया है।
अतएव आचार्य गृद्धपिन्छने इस तत्त्वार्थसूत्रमें दश अध्याओंकी परिकल्पना करके प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ अध्यायमें जीवतत्त्वका, पंचम अध्यायमें अजीवतत्वका, षष्ट और सप्तम अध्यायोंमें आस्रवतत्वका, अष्टम अध्यायमें बन्धतत्त्वका, नवम अध्यायमें संवर और निर्जरातत्वोंका एवं दशम अध्यायमें मोक्षतत्वका विवेचन किया है। प्रथम अध्यायके आरम्भमें सम्यग्दर्शनका स्वरूप और उसके भेदोंकी व्याख्या करनेके पश्चात् "प्रमाणनयैरघिगमः" [१-६] सूत्रसे ज्ञान-विषयक चर्चाका प्रारम्भ होता है। प्रमाणका कथन तो सभी भारतीय दर्शनों में आया है, पर नयका विवेचन इस ग्रन्थका अपना वैशिष्टय है और यह है जैनदर्शनके अनेकान्तवादको देन। नय प्रमाणका ही भेद है। सकलग्राही ज्ञानको प्रमाण और वस्तुके एक अंशको ग्रहण करनेवाले ज्ञानको नय कहते हैं।
तत्वार्थसूत्रमें ज्ञानको ही प्रमाण माना है और ज्ञानके पाँच भेद बतलाये हैं- (१) मति, (२) श्रुत, (३) अवधि, (४) मनःपर्यय और (५) केवलज्ञान। प्रमाणके दो भेद हैं-प्रत्यक्ष और परोक्ष। उक्त ज्ञानों में मतिज्ञान और श्रुतज्ञान ये दो परोक्ष हैं, क्योंकि इनकी उत्पत्ति इन्द्रिय और मनकी सहायतासे होती है। शेष तीन ज्ञान प्रत्यक्ष हैं, क्योंकि ये आत्मासे ही उत्पन्न होते हैं- उनमें इन्द्रियादिको अपेक्षा नहीं होती। तत्वार्थसूत्रमें उक्त पाँचों ज्ञानोंका प्रतिपादन किया है। मतिज्ञानकी उत्पत्तिके साधन, उनके भेद- प्रभेद, उनकी उत्पत्तिका क्रम, श्रुतज्ञानके भेद, अवधिज्ञान और मनःपयंयज्ञानके भेद तथा उनमें पारस्परिक अन्तर, पाँचों ज्ञानोंका विषय एवं एकसाथ एक जीवमें कितने ज्ञानोंका रहना सम्भव है आदिका कथन इसमें आया है। अन्तमें मति, श्रुत और अवधिज्ञानके मिथ्या होनेके कारणका भी विवेचन कर नयोंके भेद परिगणित किये गये हैं। इस अध्याय ३३ सूत्र हैं।
द्वितीय अध्यायमें ५३ सूत्रों द्वारा जीवतत्त्वका कथन किया है। सर्वप्रथम जीवके स्वतत्त्वरूप पंच भावों और उनके भेदोंका निरूपण आया है। पश्चात् जीवके संसारी और मुक्त भेद बतलाकर संसारी जीवोंके भेद- प्रभेदोंका कथन किया गया है। जीवोंकी इन्द्रियोंके भेद-प्रभेद, उनके विषय, संसारी जीवोंमें इन्द्रियों की स्थिति, मृत्यु और जन्म के बीच की स्थिति, जन्मके भेद, उनकी योनियां, जीवोमें जन्मोंका विभाग, शरीरके भेद उनके स्वामी, एक जीवके एक साथ सम्भव हो सकनेवाले शरीर, लिंगका विभाग तथा पूरी आयु भोगकर मरण करनेवाले जीवोंका कथन किया है।
तृतीय अध्याय ३९ सूत्रोंमें निबद्ध है। इसमें अधोलोक और मध्यलोकका वर्णन माया है। अधोलोकका कथन करते हुए सात पृथिवियों तथा उनका आधार बतलाकर उनमें नरकोंकी संख्या और उन नरकोंमें बसनेवाले नारकी जीवोंको दशा एवं उनकी दीर्घ आयु आदि बतलायी गयी है। मध्यलोकके वर्णनमें द्वीप, समुद्र, पर्वत, नदियों एवं क्षेत्रोंका वर्णन करनेके पश्चात् मध्य लोकमें निवास करनेवाले मनुष्य और तिर्यञ्चोंकी आयु भी बतलायी गयो है।
चतुर्थ अध्यायमें ४२ सूत्रों द्वारा ऊर्ध्वलोक या देवलोकका वर्णन किया गया है। इसमें देवोंके विविध भेदों, ज्योतिमण्डल, तथा स्वर्गलोकका वर्णन है।
दार्शनिक दृष्टिसे पंचम अध्याय महत्वपूर्ण है। यह ४२ सूत्रोंमें निबद्ध है। इसमें जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल इन छ: द्रव्योंका वर्णन आया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक द्रव्यके प्रदेशोंकी संख्या उनके द्वारा अवगाहित क्षेत्र और प्रत्येक द्रव्यका कार्य आदि बतलाये हैं। पुदगलका स्वरूप बतलाते हुए उसके भेद, उसकी उत्पत्तिके कारण, पुदगलिक बन्धकी योग्यता अयोग्यता आदि कथन है। अन्तमें सत, द्रव्य, गुण, नित्य और परिणामका स्वरूप प्रतिपादित कर कालको भी द्रव्य बतलाया है।
षष्ठ अध्याय २७ सूत्रोंमें ग्रंथित है। इस अध्यायमें आस्रवतत्वका स्वरूप उसके भेद-प्रभेद और किन-किन कार्योके करनेसे किस-किस कर्मका अस्त्रव होता है, का वर्णन आया है।
सप्तम अध्यायमें ३९ सूत्रों द्वारा व्रतका स्वरूप, उसके भेद, व्रतोंको स्थिर करनेवाली भावनाएं, हिसादि पाँच पापोंका स्वरूप सप्त शील, सल्लेखना, प्रत्येक व्रत और शीलके अतिचार, दानका स्वरूप एवं दानके फलमें तारतम्य होनेके कारणका कथन आया है।
अष्टम अध्यायमें २६ सूत्र हैं। कर्म-बन्धके मूल हेतु बतलाकर उसके स्वरूप तथा भदोंका विस्तारपूर्वक कथन करते हुए आठों कर्मोंके नाम प्रत्येक कर्मकी उत्तरप्रकृतियां, प्रत्येक कर्मके स्थितिबन्ध, अनुभागबन्ध और प्रदेशबन्धका स्वरूप बतलाया है।
नवम अध्यायमें ४७ सूत्रों द्वारा संवरका स्वरूप, संवरके हेतु, गुप्ति, समिति, दश धर्म, द्वादश अनुप्रेक्षा बाईस परीषह, चारित्र और अन्तरंग तथा बहिरंग तपके भेद बतलाये गये हैं। ध्यानका स्वरूप, काल, ध्याता, ध्यानके भेद एवं पांच प्रकारके निग्रन्थ साधुओंका वर्णन आया है।
दशम अध्याय में केवल ९ सूत्र हैं। इसमें केवलज्ञानके हेतु, मोक्षका स्वरूप, मुक्तिके पश्चात् जीवके उर्ध्वगमनका दृष्टान्सपूर्वक सयुक्तिक समर्थन तथा मुक्त जीवोंका वर्णन आया है।
इस प्रकार तत्त्वार्थसूत्रका वर्ण्य विषय जैनधर्मके मूलभूत समस्त सिद्धान्तोंसे सम्बद्ध है। इसे जैन सिद्धान्तकी कुंजी कहा जा सकता है।
तत्त्वार्थसूत्रके सूत्र कुन्दकुन्दके नियमसार, पंचास्तिकाय, भावपाहुड, षट्खण्डागम प्रवचनसार, आदिके आधारपर निर्मित हुए हैं। "सम्यग्दर्शनज्ञाचारित्राणि मोक्षमार्ग" [१-१] सूत्रका मूल स्रोत नियमसार है। कुन्दकुन्दने अपने नियम सारको प्रारम्भ करते हुए लिखा है कि जिनशासनमें मार्ग और मार्गफलको उपादेम कहा है| मोक्षके उपायको मार्ग कहते हैं और उसका फल निर्वाण है। ज्ञान, दर्शन और चारित्रको नियम कहा जाता है तथा मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्रका परिहार करनेके लिए उसके साथ 'सार' पद लगाया है। तस्वार्थसूत्र में भी मिथ्यादर्शनादिका परिहार करनेके लिए, दर्शनादिकके साथ सम्यक् पद लगाया है।
मग्गो मागफलं ति य दुविहं जिणसासणे समक्खादं।
मागो मोक्खउवायो तस्स फलं होइ णिव्याणं।।
णियमेण य जं कज्जं तण्णियमं णाणदसणचारित्तं।
विवरीयपरिहरत्थं भणिदं खलु सारमिदि वयणं।
तत्त्वार्थसूत्रके द्वितीय सूत्र तथा चतुर्थ सूत्रका आधार भी कुन्दकुन्दके ग्रन्थ हैं। कुन्दकुन्दने सम्यकदर्शनका स्वरूप बत्तलाते हुए लिखा है-
"अत्तागमतंचचाणं सद्दणादो हवेइ सम्मत्तं।।"
आप्त, आगम और तत्त्वोंके श्रद्धानको सम्यकदर्शन कहते हैं और तत्त्वार्थ आगममें कहे हुए पदार्थ हैं।
तत्वार्थसूत्रकारने नियमसारके उक्त सन्दर्भको स्रोत मानकर 'तत्वार्थश्रद्धानं सम्यकदर्शनम्" [१-२] सूत्र लिखा है। वस्तुतः मह सूत्र "तच्चाणं सद्दहणादो हवेइ सम्मत्त” का अनुवाद है। सात तत्वोंके नाम कुन्दकुन्दके 'भावपाहुड' आदि ग्रन्थों में मिलते हैं। "सत्संख्याक्षेत्रस्पर्शनकालान्तरमावाल्पबहुत्वैश्च" [१-८) सूत्रका स्रोत 'षट्खण्डागम'का निम्नलिखित सूत्र है-
"संतपरूवणा दव्वपमाणाणुगमो खेत्तायुगमो फोसणाणुगमो कालाणुगमो अंतराणुगमो भावाणुगमो अप्पाबहुगाणुगमो चेदि।" [१-१-७]
गृद्धपिच्छाचार्यने षटखण्डागमके इन आठ अनुयोगद्वारोंको लेकर उक्त सूत्रकी रचना की है। मति, श्रुत आदि पांच ज्ञानोंका जैसा वर्णन तत्त्वासूत्रमें आया है वह स्रोतकी दृष्टिसे षटखण्डागमके वर्गणाखण्डके अन्तर्गत कर्मप्रकृति- अनुयोगद्वारसे अधिक निकट प्रतीत होता है। इसी प्रकार तत्त्वार्थसूत्रमें 'मत्तिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ता [१/१३] को मतिज्ञानके नामान्तर कहा है। इसका स्रोत षट्खण्डागमके कर्म प्रकृति अनुयोगदारका 'सण्णा सदी मदी चिन्ता चेदि' [५-५-४१) सूत्र है। इसी प्रकार 'भवप्रत्ययोऽधिदेवनारकाणाम् [तत्त्वार्थसूत्र १/२१] का स्रोत षट्खण्डागमके कर्म प्रकृति-अनुयोगद्धारका 'ज तं भवपच्चइयं तं देव-णेरइयाणं" [५-५-५४] सुत्र है।
तत्वार्थसूत्रमें पांच जानोंको प्रमाण मानकर उनके प्रत्यक्ष ओर परोक्ष भेद किये गये हैं। इन भेदोंका स्रोत प्रवचनसारकी निम्नलिखित गाथा है-
जं परदो विण्णाणं तं तु परोक्ख ति मणिदमत्थेसु।
जदि केवलेण णादं हवदि हि जीवेण पञ्चाक्ख।
अर्थात पदार्थविषयक जो ज्ञान परकी सहायतासे होता है, वह परोक्ष कहलाता है और जो ज्ञान केवल आत्माके द्वारा जाना जाता है वह प्रत्यक्ष कहलाता है।
द्वितीय अध्यायकै प्रारम्भमें प्रतिपादित पांच भावोंके बोधक सूत्रका स्रोत पञ्चास्तिकायकी निम्न लिखित गाथा है-
उदयेण उचसमेण य खयेण दुहि मिस्सदेहि परिणामे|
जुत्ता ते जीवगुणा बहुसु अत्थेसु विच्छिपणा॥
पञ्चम अध्यायमें प्रतिपादित द्रव्य, गुण, पर्याय, अस्तिकाय आदि विषयोंके स्रोत आचार्य कुन्दकुन्दके पञ्चास्तिकाय, प्रवचनसार और नियमसारकी अनेक गाथाओंमें प्राप्य हैं। तत्त्वार्थसूत्रमें द्रव्यलक्षणका निरूपण दो प्रकारसे आया है। उसके लिए सत्की परिभाषाके पश्चात् "सदद्रव्यलक्षणम्" (५।२९) और "गुणपर्ययवद्रद्रव्यम्" (५।३८) सूत्रोंकी रचना की है। ये सभी सूत्र कुन्दकुन्दकी निम्न गाथासे सुजित हैं-
"दव्वं सल्लक्खणियं उप्पादव्वयधुवत्त संजुतं।
गुणपज्जयासयं वा जं तं भण्णाति सव्वण्हू।।
पंचम अध्यायमें ‘स्निग्धरूक्षत्वाद्वन्धः', 'न जघन्यगुणाना', 'गुणसाम्ये सदृशानाम'; 'दूधिकादिगुणनां तु [५-३३,३४,३५,३६] सूत्रोंद्वारा स्निग्ध और रुक्ष गुणवाले परमाणुओंके बन्धका विधान आया है। वे सुत्र प्रवचनसारकी निम्न गाथाओंपरसे रचे गये हैं-
णिद्धा वा लुक्खा वा अणुपरिणामा समा व विसमा वा।
समदी दुगधिगा जदि वज्झंति हि आदिपरिहीणा।
णिद्धत्तणेण दुगुणी चदुगुणणिद्वेण बंधमणुभवदि।
लुक्खेण घा तिगुणिदो अणु वज्झदि पंचगुणजुत्तो।।
दुपदेसादी खंधा सुहमा वा बादरा ससंठाणा।
पुढविजलतेउवाक रामपरिणामेहि आयते।।
अपने शक्त्यशोमें परिणमन करनेवाले परमाणु यदि स्निग्ध हों अथवा कक्ष हो, दो, चार, छह, आदि अशोंकी गणनाको अपेक्षा सम हों, अथवा तीन, पांच, सात आदि अंशोको अपेक्षा विषम हों, अपने अंशोंसे दो अधिक हो, और जघन्य अंशमे रहित हो तो परस्पर बन्धको प्राप्त होते हैं।
स्निग्ध गुणके दो अंशोंको धारण करनेवाले परमाणु चतुर्गुण स्निग्धके साथ बंधते हैं। रूक्षगुणके तीन अंशोंको धारण करनेवाला परमाणु पांचगुणयुक्त रूक्ष अंशको धारण करनेवाले परमाणुके साथ बन्धको प्राप्त होता है।
दो प्रदेशोंको आदि लेकर सख्यात, असंख्यात और अनन्तपर्यन्त प्रदेशोंको धारण करनेवाले सूक्ष्म अथवा बादर विभिन्न आकारोसे सहित तथा पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु रूप स्कन्ध अपने-अपने स्निग्ध और रुक्ष गुणोंके परिणमनसे होते हैं।
इसी प्रकार "बन्धेऽघिको पारिणामिको" [५/३७] सुत्रका स्रोत षटखण्डागम के वर्गणाखण्डका बन्ध-विधान है।
तत्त्वार्थसूत्रके षष्ठ अध्यायमें तीर्थकरनामकर्मके बन्धमें कारणभूत सोलह कारणोंका निर्देशक सूत्र निम्न प्रकार है-
दर्शनविशुद्धिविनयसम्पन्नता शीलव्रतेष्वनविचारोऽभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगसंवेगो शक्तितस्त्यागसपसी साधुसमाधिवैयावृत्यकरणमहंदाचार्य-बहुश्रुतप्रवचनभक्ति रावश्यकापरिहाणिर्गिनभावना प्रवचनवत्सलत्वमिति तीर्थकरत्वस्य।। [६-२४]
अर्थात् १. दर्शनविशुद्धि, २. क्नियसम्पन्नता, ३. शीलव्रतोंमें अनतिचार, ४. अभीक्षणज्ञानोपयोग, ५. संवेग, ६. शक्तितः त्याग, ७. शक्तितः तप, ८. साधुसमाधि, ९. वैयावृत्यकरण, १०. अर्हदभक्ति, ११. आचार्यभक्ति, १२. बहुश्रु ततभक्ति, १३. प्रवचनभक्ति, १४. आवश्यकापरिहाणि, १५. मार्गप्रभावना और १६. प्रवचनवत्सलत्व ये सोलह भावनाएँ तीर्थकरनामकर्मके बन्धकी कारण है।
उपर्युक्त सूत्रका स्रोत ‘षटखण्डागम'के 'बंधसामित्तबिचओ' का निम्न सूत्र है- 'दंसणविसुज्झदाए विणयसंपण्णदाय सोलव्वदसु निरदिचारदाए आवासएसु अपरिहोणदाए खण-लव-पंडिबुज्झणदाए लद्धिसंवेगसंपण्णदाए जधाथामे तधातवे साहूणं पासुअपरिचालदाए साहूण समाहिसधारणाए साहूण वज्जावच्चजोगजुत्तदाए अरहंतमत्तीए बहुसुदभत्तीए पवयणभत्तिए गवयणवच्छलदाए पवयणप्पभावणदाए अभियखणं अभिक्खणं णाणोवजोगजतदाए, इच्नेदेहि सोलसेहि कारणेहि जीवा तित्थयरणामगोदं काम बघति।
दोनों सूत्रों के अध्ययनसे स्पष्ट ज्ञान होता है कि गृद्धपिन्छाचार्यन प्राकृतसूत्रका संस्कृत रूपान्सर कर दिया है।
तत्वार्थसूत्रके नवम अध्यायमें बारह अनुप्रेक्षाओंका कथन आया है। इनका स्रोत 'भगवती आराधना', 'मूलाचार' पूर्व कुन्दकन्दाचार्यको 'बारसअणुवेक्खा' है। इन तीनों ग्रन्थोंमें द्वादश अनुप्रेक्षाओंको गिनाने वाली गाथा एक ही है। तत्त्वार्थसूत्रकारने द्वादश अनुप्रेक्षाओंके क्रममें मात्र कुछ अन्तर किया है तथा प्रथमानुप्रेक्षाका नाम अनित्य रखा है, जबकि इन ग्रन्थोंमें अध्रुव है।
तत्त्वार्थसूत्रके नवम अध्यायके नवम सूत्रमें २२ परीषदोंके नाम गिनाये गए हैं। उनमें एक 'नगन्य' परिषह भा है। 'नाग्न्य'का अर्थ नंगापना है। यहाँ आचार्यने अचेलकी अपेक्षा ‘नागन्य' पदके प्रयोगको अधिक महत्व दिया है। इससे ज्ञात होता है कि सूत्रकर्ताको साधुओंकी नग्नता इष्ट थी और उन्हें उसका परीषह सहना ही चाहिए, यह भी मान्य था।
इस तरह षटुखण्डागम और कन्दकुन्द-साहित्यमें तत्वार्थसूत्रके सूत्रोंके अनेक बीज वर्तमान हैं।
तत्त्वार्थसूत्रके दो सूत्रपाठ उपलब्ध होते हैं। पहला सुत्रपाठ यह है जिसपर पूज्यपाद, अकलंकदेव और विद्यानन्दने टीकाएं लिखी है। यह पाठ दिगम्बर परम्परा में प्रचलित है। दूसरा पाठ वह है, जिसपर तत्त्वार्थाधिगमभाष्य पाया जाता है तथा सिद्धसेन गणि और हरिभद्रने अपनी टीकाए लिखी हैं। इस दूसरे सुत्रपाठका प्रचार श्वेताम्बर परम्परा है। इन दोनों सुत्रपाठोंमें जो अन्तर है, वह निम्न प्रकार अवगत किया जा सकता है-
दोनों पाठोंके अनुसार दशों अध्यायोंके सूत्रोंकी संख्या-
प्रथमपाठ- ३३+५३+३९+४२+४२+२७+३९+२६+४७+९ = ३५७
द्वितीयपाठ- ३५+५२+१८+५३+४४+२६+३४+२६+४९+७=३४४
दोनों पाठोंके अध्ययनसे ज्ञात होता है कि प्रथम अध्यायमें दो सूत्रोंकी हीनाधिकता है। प्रथम पाठको अपेक्षा द्वितीय पाठमें दो सूत्र अधिक है। प्रथम सूत्र "द्विविधोऽवधिः' [१/२१]-अवघीज्ञानके दो मेद हैं| इस सूत्रमें कोई सैद्धान्तिक मतभेद नहीं है। अन्तिम दो सूत्रविचारनीय हैं- "नेगमसंग्रहव्यवहारजुसूत्रशब्दा नयाः" [१/३४] आद्यशब्दौ द्वित्रिभेदौ' ।१।३५] ये दोनों सूत्र द्वितीय पाठमें मिलते है। प्रथम पाठमें नयके सात भेद माने गये हैं, और इन सातोंके नामोंको बतलाने वाला एकही सूत्र है। पर दूसरे पाठके अनुसार नयके मूल पाँच भेद हैं, और उनमेंसे प्रथम 'नेगमनय’ के दो भेद है और 'शब्दनय’ के साम्प्रत, समभिरूढ और एवंभूत ये तीन मेद हैं। सप्तनयकि परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। यह दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों हि अगमोंमें पायी जाती है। तत्त्वार्थसूत्रमें यह जो द्वितीय मान्यता आयी है, उसका समन्वय दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही परम्पराओंके साथ सम्भव नहीं है। यह तो एक नयी परम्परा है, जिसका आरम्भ तत्त्वार्थाधिगमभाष्यसे होता है।
पन्द्रहवें सूत्र में मत्तिज्ञानका तीसरा भेद भाष्यके अनुसार 'अपाय' है और सर्वार्थसिद्धिके अनुसार ‘अवाय' है। पंडित सुखलालजी द्वारा सम्पादित 'तत्त्वार्थसूत्रमें'अपाय के स्थानपर 'अवाय पाठ ही मिलता है। नन्दिसूत्र में भी 'अवाय' पाठ है । अकलंकदेवने अपने तत्वावातिकमें दोनों पाठों में केवल शब्द भेद बतलाया है । किन्तु उभयपरम्परासम्मत प्राचीन पाठ 'अवाय' ही है, 'अपाय' नहीं । सोलहवें सूत्र 'बहुबहुविष' मादिमें प्रथम पाठमें 'अनिसृतानुक्त' पाठ है और दूसरी मान्यतामें 'अनिस्तासन्दिग्ध' पाठ है। इसी प्रकार अवधि ज्ञानके दूसरे मेदके प्रतिपादक सुत्रमें प्रथमपाठमें 'क्षयोपशमनिमित्तः' पाठ है और दूसरेमें 'ययोतनिमित्तः' पाठ है। इन दोनों पाठोंके बाशयमें कोई अन्तर नहीं है।
द्वितीय अध्यायमें प्रथमपाठके अनुसार 'तेजसमंपि' [२/४८] तथा शेषास्त्रिवेदाः राप२] ये दो सूत्र अधिक हैं। इसी तरह दूसरे सूत्रपाठमें 'उपगेगः स्पर्शादिषु' [१९] सूत्र अधिक है। शेष सूत्रोंमें समानता होते हुए भी कतिपय स्थलोंमें अन्तर पाया जाता है। प्रथम सूत्रपाठमें 'जीवभव्याभव्यत्वानि च’ [२/७] पाया जाता है, और द्वितीय सूत्रपाठमें इसके स्थानपर 'जीवभव्याभव्यत्वादोनि च' [२/७] सूत्र है। प्रथम पाठमें जिन पारिणामिक भावोंका ग्रहण 'च' शब्दसे किया है, द्वितीय पाठमें उन्हींका ग्रहण आदि पदसे किया है। अकलंकदेवने आदिपदको सदोष बतलाया है।
संसारी जीवोंके त्रस और स्थावर ये दो भेद आये हैं। स्थावरके पांच भेद हैं। इनकी मान्यता दोनों सूत्रपाठोंमें तुल्य है, पर त्रसका अर्थ भाष्यमें बताया है कि जो चलता है, वह त्रस है। इस अपेक्षासे दुसरे सूत्रपाठमें तेजसकायिक और वायुकायिकको भी त्रस कहा गया है, क्योंकि वायु और अग्नि कायमें चलनक्रिया पायी जाती है। अतएव द्वितीय अध्यायके तेरह और चौदहवें सूत्रमें अन्तर पड़ गया है। द्वितीय अध्यायके अन्य सुत्रोंमें भी कतिपय स्थलोपर अन्तर विद्यमान है।
प्रथमसूत्रपाठ | द्वितीय सूत्रपाठ |
१. एकसमयाऽविग्रहा ॥२९॥ | एकसमयोऽविग्रहः ||३०|| |
२. एकं द्धौ त्रीन्वाऽनाहारक ॥३०॥ | एक द्वौ वाऽनाहारक: ॥३१॥ |
३. जरायुथाइयोतानां गर्भः ॥३३॥ | अराखण्डपोतजानां गर्भ: ॥३४॥ |
४. देवनारकाणामुपपाद: ॥३४|| | नारकदेवानामुपपात: ॥३५॥ |
५. परं परं सूक्ष्मम् ॥३७॥ | पर परं सूक्ष्मम् ॥३८॥ |
६. औपपादिक-चरमोत्तमदेहाऽसंख्येयवर्षायुषोऽनपवायुषः ॥५३॥ | औषपातिकचरमदेहोत्तमपुरुषासंख्येयवर्षायुषोऽनपवर्त्यायुषः ॥५२॥ |
इन सूत्रोंमें शाब्दिक अन्तर रहनेके कारण सैद्धान्तिक दृष्टी भी मतभिन्नता है।
तृतीय अध्यायमें प्रथम पाठक अनुसार द्वितीय पाठसे २१ सूत्र अधिक है। द्वितीय पाठमें वे सूत्र नहीं हैं। तृतीय अध्यायके प्रथम सूत्रक पाठमें थोड़ा अन्तर पाया जाता है। द्वितीय पाठमें 'अघोऽघ' और 'पृथुतराः' पाठ है जबकि पहलेमें 'पृथुतराः' पाठ नहीं है। अकलंकदेवने अपने तत्वार्थवात्तिकमें इस पाठकी आलोचना की है और उसे सदोष बताया है।
चतुर्थ अध्यायमें स्वगोंके संख्या-सूचक सूत्र में अन्तर है। प्रथम पाठने अनुसार सोलह स्वर्ग गिनाये गये हैं, पर द्वितीय पाठके अनुसार बारह हो स्वर्ग परिगणित हैं। स्वर्गके देवोंमें प्रविचारको बतलाने धाले सूत्र में शेषाः स्पर्शरूप शब्दमन:प्रवीचारा' [४/८] के स्थानपर शेषाः प्रविचारा द्वयोद्वयोः' [४/९] पाठ आया है। इस द्वितीयपाठमें 'द्वयोद्धयोः पाठ अधिक है। अकलंकने इस पाठकी आलोचनाकर इसे आर्षविरुद्ध बतलाया है। प्रथम सूत्रपाठमें लौकान्तिक देवोंकी स्थितिका प्रतिपादक सूत्र आया है, पर द्वित्तीय सूत्रपाठमें वह नहीं है।
पाँचवें अध्यायमें द्वितीय सूत्रपाठमें "द्रव्याषि जीवाश्च" यह एक सूत्र है। किन्तु प्रथम सूत्रपाठमें 'द्रव्याणि' [५/२] और 'जीवाश्य' [५/३] ये दो सूत्र हैं। तत्त्वार्थवार्तिकमें अकलंकदेवने 'द्रव्याणि जीवाः'- इस प्रकारके एक सूत्रकी मीमांसा करते हुए एक ही सूत्र रखने का समर्थन किया है। इसी प्रकार प्रथम सूत्रपाठके 'असंख्ययाः प्रदेशाः धर्माधर्मकजीवानाम' [५/८] ये दो सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें स्वीकृत हैं। प्रथम सूत्रपाठमें 'सद् द्रव्यलक्षणम्' [५/२९] यह सुत्र आया है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें यह सूत्र नहीं मिलता। इस सूत्रका आशय भाष्यकारने अवश्य स्पष्ट किया है।
इसी प्रकार प्रथम सूत्रपाठमें "बन्धेऽधिको पारिणामिको" [५१३६) सूत्र आया है । इसके स्थानपर द्वितीय सत्रपाठमें "बन्धे समधिको पारिणामिको" [५३६] सूत्र है । आचार्य अकलंकदेवनं 'समधिको' पाठको आलोचना करते हए उसे आर्षविरुद्ध बतलाया है और अपने पसके समर्थनमें खटखण्डागमका प्रमाण दिया है।
प्रथम सत्रपाठके "कालश्च" [५/३९] सूत्रकै स्थानपर दूसरे सूत्रपाठमें "कालाक्चेत्येके" [५।३८] सत्र आया है। इस अन्तरका कारण यह है कि दिगम्बर परम्परामें कालको द्रव्य माना गया है। पर श्वेताम्बर परम्परामें कालद्रव्यके सम्बन्धमें मतभेद है।
द्वितीय सूत्रपाठके 'अनादिरादिमांश्च' [५।४२], 'रूपिष्वादिमान् [५/४३] और 'योगोपयोगी जोवेषु' [५/४४] ये तीन सूत्र प्रथम सूत्रपाठमें नहीं है। इन सूत्रोंमें आये हुए सिद्धान्तोंकी समीक्षा अकलंकदेवने की है।
षष्ठ अध्यायमें आये हुए सूत्र दोनों ही सूत्रपाठोंमें सिद्धान्तको दृष्टिले समान हैं। पर कहीं-कहीं प्रथम सूधपाने एक ही सूत्रके दो सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें मिलते हैं । प्रथम सूत्रपाठमें "शुमः पुण्यस्याशुभः पापस्य" [६/३] सूत्र आया है। द्वितीय सूत्रपाठमें इसके "शुभः पुण्यस्य" [६/३] और "अशुमः पापस्य" [६/४] ये दो सूत्र मिलते हैं। इसी प्रकार प्रथम सत्रपाठमें "अल्पारम्भपरिग्रहत्वं मानुषस्य" [६/१७] और "स्वमावमार्दवञ्च" [६/१८] ये दो सूत्र आये है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें इन दोनोंके स्थानपर "अल्पारम्भपरिग्रहत्वं स्वभावमार्दवाजच च मानुषस्य" [६/१८] यह एक सत्र प्राप्त होता है।
इस षष्ठ अध्यायमें प्रथम सूत्रपाठमें "सम्यक्त्वञ्च" [६/२१] सूत्र आया है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें यह सूत्र नहीं मिलता है।
सप्तम अध्यायमें कई सूत्रोंमें शाब्दिक अन्तर आया है। कुछ सूत्र ऐसे भी हैं जो प्रथम सूत्रपाठमें उपलब्ध हैं, पर द्वितीयमें नहीं। प्रथम सूत्रपाठमें व्रतोंको स्थिर करनेके लिए अहिंसादिवतोंकी पांच-पांच भावनाएँ बतलायी गयी है। इन भावनाओंका अनुचिन्तन करनेसे व्रत स्थिर रहते हैं। अतः प्रथम सूत्रपाठमें अहिंसाव्रतकी "वाडमनोगप्तीर्यादाननिक्षेपणसमित्यालोकित्तपानभोजनानि पञ्च" [७/४] सत्पाणुव्रत्तकी "क्रोध-लोभ-भिरुत्व-हास्यप्रत्याख्यानान्यनुवोचिभाषणञ्च पञ्च" [७/४] अचौर्यव्रतकी “शून्यागार-विमोचितावास-परोपरोधाकरण-भैक्ष्य-शुद्धी-सधर्माविसंवादाः पञ्च।" [७/६], ब्रह्मचर्य व्रतकी "स्त्रीरागकथाश्रवण तन्मनोहानिरीक्षण-पूर्वरतानुस्मरण-वृष्येष्टरस-स्वशरीसंस्कारस्यामाः पञ्च" [७/७] और परिग्रहत्यागव्रतके "मनोज्ञामनोज्ञेन्द्रियविषय-राग-द्वेष-वर्जनानी पञ्च" [७/८] भावनाबोधक सूत्र आये हैं। ये पांचों सुन द्वितीय सूत्रपाठमें नहीं है। किन्तु तृतीय सूत्रके भाष्यमें इनका भाव आ गया है।
अष्टम अध्यायमें प्रथम सूत्रपाठमें "सकषायत्वाञ्जीवः कर्मणो योग्यान पुद्ग लानादत्ते स बन्धः" [८/२] सत्र आया है। द्वितीय सुत्रपाठमें इसके दो रूप मिलते है। प्रथम सूत्रमें "सकषायवाज्जीवः कर्मणो योग्यान्दपुद्गलानादत्ते" [८/२] अंश आया है और दूसरे सूत्रमें "सबन्धः"[८/३] सूत्र आया है। इस प्रकार एक हीसूत्रके दो सूत्र रूप द्वितीय सूत्रपाठमें हो गये हैं। प्रथम सूत्रपाठमें “मति-श्रुतावधि-मनः पर्यय केवलानाम" [८/६] सूत्र आया है। पर द्वितीय सूत्रपाठमें इसका संक्षिप्त रूप "मत्यादोनाम" [८/७] उपलब्ध होता है| आचार्य अकलंकदेवने "मत्यादीनाम्" पाठकी समीक्षा कर प्रथम सूत्रपाठमें आये हुए सूत्रको तर्कसंगत बत्तलाया है। इसी प्रकार प्रथमसूत्रपाठके "दान-लाभ-भोगोपभोग-दोर्याणाम् [८/१३] सूत्रके स्थानपर द्वितीय सूत्रपाठमें "दानादोनाम" [८/१४] संक्षिप्त सूत्र आया है। भाष्यकारने "अन्तरायः पञ्चविधः। तद्यथा-दानस्यान्तरायः लाभस्यान्तरायः, भोगस्यान्तराय उपभोगस्यान्तरायः, वीर्यान्सराय इति" उपर्युक प्रथम सूत्रपाठमें आये हुए अन्तरायके मेदोंका नामोल्लेख किया है। पुण्यप्रकृतियोंका प्रतिपादन करनेवाले सूत्रोंमें मौलिक अन्तर आया है। प्रथम सूत्रपाठमें पुष्यप्रकृतियोंकी गणना करते हुए लिखा है "सद्धेध-शुभायुनर्नाम-गोत्राणि पुण्यम्" [८/२५] और "अतोऽन्यत् पापम" [८/२६] कहार पापप्रकृसियोंकी मगना को है। द्वित्तीय सूत्रपाठमें पुण्यप्रकृतियोंका कथन करते हुए “सद्धेधसम्यक्त्वहास्यरतिपुरुष वेदशुमायुनामगोत्राणि पुण्यम्" [८/२६) लिखा है। इस सूत्रके भाष्यमें "अतोऽन्यत् पापम्" कहकर पापप्रकृतियोंकी गणना की है। मूल मुनापार में पत्रकतियोंकी परिगणना करानेवाला कोई सूत्र नहीं आया है।
नवम अध्यायके अनेक सूत्रों में शाब्दिक भेद पाया जाता है। प्रथम सूत्र पाठमें "सामायिक-छेदोपस्थापना-परिहारविशुद्धि-सूक्ष्मसाम्पराय-यथाख्यातमिति चारित्रम्' [९।१८] सूत्र आया है। द्वितीय सूत्रपाठमें इस सूत्रका रूप प्रारम्भमें ज्यों-का-त्यों है, पर अन्तमें ययाख्यातानि चारित्रम' कर दिया गया है। ध्यान का स्वरूप धतलाते हुए प्रथम सुत्रपाठमें "उत्तमसंहननस्यैकाग्रचिन्तानिरोधी ध्यानमान्तमुहूर्तात्" सूत्र आया है। पर द्वितीय सुत्रपाठमें इस सूत्रके दो रूप उपलब्ध होते है। प्रथम सूत्र "उत्तमसहननस्यैकाग्रचिन्ताभिरोधो ध्यानम्" [९।२७] और द्वितीय सूत्र "आ मुहूर्तात" [९/२८] प्राप्त होता है। इस प्रकार एक ही सूत्र दो सत्रों में विभक्त है। धर्मध्यानका कथन करने वाले प्रसंगमें धर्मध्यानके स्वामीको लेकर दोनों सूत्रपाठोंमें मौलिक अन्तर है। प्रथम सूत्रपाठमें धर्मध्यानके प्रतिपादक "आज्ञापाय-विपाक-संस्थानविचयाय धर्म्यंमं" [९/३६] सूत्रके अन्तमें स्वामीका विधायक 'अप्रमत्तसंयत्तस्य' अंश नहीं है। जबकि द्वितीय सूत्रपाठमें है तथा दूसरे सूत्रपाठमें इस सूत्रके बाद जो ''उपशा स्तभीणकषाययोश्च" [९/३८] सूत्र आया है वह भी प्रथम सूत्रपाठमें नहीं है |
दशम अध्यायमें प्रथम सूत्रपाठका "बन्धहेत्वभाव-निर्जराभ्या कुत्स्नकर्म विप्रमोक्षो मोक्षः'' [१०/२] सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें 'वन्हत्वभावनिर्जराभ्याम् [१०।२] तथा "कुत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः" इन दो सूत्रोंके रूप में मिलता है। इसी प्रकार प्रथम सूत्रपाठके दशम अध्यायके तृताय-चतुर्थ सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें एक सूत्रके रूपमें संयुक्त मिलते हैं। "ओपशमिकादिभव्यत्वानाञ्च" [१०/३) सूत्रके स्थानपर "औपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यन केवलसम्यक्त्वज्ञान दर्शनसिद्धत्वेभ्यः" [१०/४] पाठ मिलता है। प्रथम सूत्रपाठके सप्तम और अष्टम सूत्र द्वितीय सूत्रपाठमें नहीं हैं। उनकी पूर्ति भाष्यमें की गयी है।
इस प्रकार दोनों सूत्रपाठोंका समीक्षात्मक अध्ययन करनेसे अवगत होता है कि गृद्धपिन्छाचार्यके मूल सूत्रपाठमें वाचक उमास्वातिने तत्त्वार्थाधिगमभाष्य लिखते समय मूल सूत्रपाठमें यत्किञ्चित् अन्तर कर किन्हीं सूत्रोंको छोड़ दिया और कुछ नये सूत्र जोड़ दिये हैं। तत्वार्थाधिगमभाष्यका अध्ययन करनेसे यह भी स्पष्ट होता है कि भाष्यमें जो सूत्रपाठ आये हैं उनमेसे सिद्धसेनगणीकी टीकामें अनेक पाठभेदोंका उल्लेख किया गया है। अत्त: भाष्यसम्मत सूत्रपाठसे सिद्धसेनगणि और हरिभद्रके सूत्रपाठोंमें अन्तर पाया जाता है।
तत्वार्थसूत्रके मङ्गलाचरणके विषयमें पर्याप्त विवाद रहा। कुछ विद्वानोंका मत था कि सर्वार्थसिद्धिकी उत्थानिकामें दिय गये प्रश्नोत्तरको देखते हुए तत्वार्थसूत्रकारने मङ्गलाचरण किये बिना ही तत्वार्थसूत्रकी रचना की है। 'मोक्षमार्गस्य नतारम्’ आदि मङ्गल-पद्यको जो तत्त्वार्थसूत्रका मङ्गलाचरण बताया जाता है वह सर्वार्थसिद्धिके आरम्भमें निबद्ध होने तथा सर्वार्थसिद्धि कारकी उसपर व्याख्या उपलब्ध न होनेसे उसीका मङ्गलाचरण है, तत्त्वार्थसूत्रका नहीं। पर इसके विपरीत दूसरे अनेक विद्वानोंका मत है कि सूत्रकारने तत्त्वार्णसूत्रके आरम्भमें मङ्गलाचरण किया है और वह 'मोक्षमार्गस्य नेतारम' आदि श्लोक उसीका मङ्गलाचरण है। सर्वार्थसिद्धी वह मूल सृत हुआ है। तत्वार्थसूत्रकार आचार्य गृद्धपिन्छ परम आस्तिक थे। वे मङ्गलाचरण की प्राचीन परम्पराका उल्लंघन नहीं कर सकते। अतः 'मोक्षमार्गस्य नेतारम्' आदि पद्य उन्हीं द्वारा तत्वार्थसूत्रके आरम्भमें निबद्ध मङ्गलाचरण है। टीकाकार पूज्यपाद-देवनन्दिने उसे अपनी टीका सर्वार्थसिद्धिमें अपना लिया है और इससे उसको उन्होंने व्याख्या भी नहीं की।
डॉक्टर दरबारीलाल कोठियाने 'तत्त्वार्थसूत्रका मङ्गलाचरण' शीर्षक दो विस्तृत निबन्धोंमें आचार्य विद्यानन्दके प्रचुर ग्रन्थोल्लेखों एवं अन्य प्रमाणों से सबलताके साथ सिद्ध किया है कि तत्त्वार्थसूत्रके आरम्भ में 'सम्यग्दर्शनज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः [१/१] सूत्रसे पहले मङ्गलाचरण किया गया है और वह उक्त महत्त्वपूर्ण मङ्गलश्लोक ही है, जिसे विद्यानन्दने सूत्रकार एवं शास्त्रकार-रचित 'स्तोत्र' प्रकट करते हुए तीर्थोपम', 'प्रचित-मथुपच' और 'स्वामिमोमांसित' बतलाया है। विद्यानन्दके इन उल्लेखोंसे स्पष्ट है कि स्वामी समन्तभद्रने इसी मङ्गलश्लोकके व्याख्यानमें अपनी महत्वपूर्ण कृति 'आप्त मीमांसा' लिखो और स्वयं विद्यानन्दने भी उसोके व्याख्यानमें आप्तपरीक्षा रची। सूत्रकार एवं शास्त्रकार पदोंसे विद्यानन्दका अभिप्राय तत्त्वार्थसूत्रकारसे है, तत्वार्थवृत्तिकारसे नहीं है। सर्वार्थसिद्धिमें उसे अपना मङ्गलाचरण बना लिया गया है और इसी कारण उसकी व्याख्या भी नहीं की गयी।
अत: 'मोक्षमार्गस्प नेतारम्' आदि मङ्गल-पद्म तत्त्वार्थसूत्रका ही आचार्य गृद्धपिन्छ द्वारा रचित मङ्गलाचरण है।
गृद्धपिच्छाचार्यके तत्त्वार्थसूत्रका अध्ययन करनेसे अवगत होता है कि उन्होंने 'षट्खण्डागम', 'कषायपाहुड', 'कुन्दकुन्द-साहित्य', 'भगवत्ती आराधना' 'मूलाचार' आदि ग्रन्थोंका सम्यक् परिशोलन कर इस सूत्रग्रन्थको रचना की है। द्रव्यानुयोग, करणानुयोग और चरणानुयोगका कोई भी विषय उनसे छूटने नहीं पाया है। आधुनिक विषयोंको दृष्टि से भूगोल, खगोल, आचार, अध्यात्म, द्रव्य, गुण, पर्याय, पदार्थ, सृष्टिविद्या, कर्म-विज्ञान आदि विषय भी चर्चित हैं। आगमके अन्य प्रतिपाद्य पदार्थो का भी प्रतिपादन इस सूत्रग्रन्ध में पाया जाता है। अतएव गृद्धपिन्छाचार्य श्रुतधरपरम्पराके बहुज्ञ आचार्य हैं। अनेक विषयोंको संक्षेपमें प्रस्तुत कर 'गागरमें सागर भर देनेकी कहावत उन्होंन चरितार्थ की है।
शैलीकी दृष्टि से यह अन्य वैशेषिकदर्शनके वैशेषिकसूत्रशैलीमें लिखा गया है। वैशेषिकसूत्रोंमें जहाँ अपने मन्तव्यके समर्थन हेतु तर्क प्रस्तुत किये गये हैं वहाँ तत्त्वार्थसूत्रमें भी सिद्धान्तोंके समर्थनमें तर्क दिये गये हैं।
सूत्रशैलोकी जो विशेषताएँ पहले कही जा चुकी हैं, वे सभी विशेषताएँ इस सूत्रग्रंथमें विद्यमान हैं। यह रचना इतनी सुसम्बद्ध और प्रामाणिक है कि भगवान महावीरकी द्वादशाङ्गवाणीके समान इसे महत्व प्राप्त है। गृद्धपिन्छचार्य स्वसमय और परसमयके निष्णात ज्ञाता थे। उन्होंने दार्शनिक विषयोंकी सूत्रशैलीमें बड़ी स्पष्टताके साथ प्रस्तुत किया है। संस्कृत-भाषामें सूत्रग्रन्थकी रचनाकर इन्होंने जैन परम्परामें नये युगका आरम्भ किया है। ये ऐसे श्रुतधराचार्य हैं, जिन्होंने एक ओर नवोपलब्ध दृष्टि प्राप्तकर परम्परासे प्राप्त तथ्योंको युगानुरूपमें प्रस्तुत किया है तो दूसरी ओर सांस्कृतिक और आगमिक व्यवस्थाके दायित्वका निर्वाह भी भलीभाँति किया है। फलतः इनके पश्चात् संस्कृत भाषामें भी दार्शनिक, सैद्धान्तिक और काव्यादि अन्योंका प्रणयन हुआ।
श्रुतधराचार्यसे अभिप्राय हमारा उन आचार्यों से है, जिन्होंने सिद्धान्त, साहित्य, कमराहिम, बायाससाहित्यका साथ दिगम्बर आचार्यों के चारित्र और गुणोंका जोबन में निर्वाह करते हुए किया है। यों तो प्रथमानुयोग, करणा नुयोग, चरणानुयोग और ध्यानुयोगका पूर्व परम्पराके भाधारपर प्रन्धरूपमें प्रणयन करनेका कार्य सभी आचार्य करते रहे हैं, पर केवली और श्रुत केवलियोंकी परम्पराको प्राप्त कर जो अंग या पूर्वो के एकदेशशाता आचार्य हुए हैं उनका इतिवृत्त श्रुतधर आचार्यों को परम्पराके अन्तर्गत प्रस्तुत किया जायगा | अतएव इन आचार्यों में गुणधर, धरसेन, पुष्पदन्त, भूतवाल, यति वृषम, उच्चारणाचार्य, आयमंक्षु, नागहस्ति, कुन्दकुन्द, गृपिच्छाचार्य और बप्पदेवकी गणना की जा सकती है ।
श्रुतधराचार्य युगसंस्थापक और युगान्तरकारी आचार्य है। इन्होंने प्रतिभाके कोण होनेपर नष्ट होतो हुई श्रुतपरम्पराको मूर्त रूप देनेका कार्य किया है। यदि श्रतधर आचार्य इस प्रकारका प्रयास नहीं करते तो आज जो जिनवाणी अवशिष्ट है, वह दिखलायी नहीं पड़ती। श्रुतधराचार्य दिगम्बर आचार्यों के मूलगुण और उत्तरगुणों से युक्त थे और परम्पराको जीवित रखनेको दृष्टिसे वे ग्रन्थ-प्रणयनमें संलग्न रहते थे 1 श्रुतकी यह परम्परा अर्थश्रुत और द्रव्यश्रुतके रूपमें ई. सन् पूर्वकी शताब्दियोंसे आरम्भ होकर ई. सनकी चतुर्थ पंचम शताब्दी तक चलती रही है ।अतएव श्रुतघर परम्परामें कर्मसिद्धान्त, लोका. नुयोग एवं सूत्र रूपमें ऐसा निबद साहित्य, जिसपर उत्तरकालमें टीकाएँ, विव त्तियाँ एवं भाष्य लिखे गये हैं, का निरूपण समाविष्ट रहेगा।
डॉ. नेमीचंद्र शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) की पुस्तक तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा_२।
#grudhpichacharyajimaharaj
ID | Date / Time | Muni Sangh | Select Location | Location | Message |
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1762 | 28-Oct-22 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | Nagpur | नागपुर से हुआ मंगल विहार ■ पूज्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री योगसागर जी महाराज ससंघ (6 मुनिराज एवम 4 छुल्लक जी) का मंगल विहार नागपुर से हुआ। • आज रात्रि विश्राम - हिंगणा राय स्कूल, वासुदेव नगर मेट्रो स्टेशन। • कल की आहार चर्या - बडधामणा महावीर ट्रांसपोर्ट। • सम्भावित दिशा - अमरावती रोड। (संभवतः गुरु चरणों की ओर विहार) ■ अनिल बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह |
1763 | 30-Oct-22 | #VigyanmatiMataji1963VivekSagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Shivpuri, Khaniyadhana | अछरौनी | 🆎 आर्यिकासंघ का हुआ मंगल विहार - ■ पूज्य आचार्यकल्प विवेकसागर जी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्या - आर्यिकारत्न विज्ञानमति माताजी ससंघ का मंगल विहार, चातुर्मास निष्ठापन उपरांत खनियाधाना से अछरौनी की ओर हुआ। ■ अनिल बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह |
1765 | 31-Oct-22 | #VigyanmatiMataji1963VivekSagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Shivpuri, Khaniyadhana | आर्यिकासंघ का हुआ मंगल विहार पूज्य आचार्यकल्प विवेकसागर जी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्या आर्यिकारत्न विज्ञानमति माताजी ससंघ का मंगल विहार, चातुर्मास निष्ठापन उपरांत खनियाधाना से अछरौनी की ओर हुआ। | |
1766 | 31-Oct-22 | #VeerSagarjiMaharaj1973VidyaSagarJi, #VishalSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #DhawalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #ManthansagarjiVidyaSagarji1946, #ManansagarjiVidyaSagarji1946, #VicharsagarjiVidyaSagarji1946, #MagansagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Jabalpur, Jabalpur | निर्यापक श्रमण मुनिश्री #वीरसागर जी महाराज ससंघ (8 महाराज) का मंगल विहार चातुर्मास उपरांत शहपुरा भिटोनी से हुआ। आज रात्रि विश्राम चरगुआ में होगा। 8 महाराज- निर्यापक श्रमण मुनिश्री #वीरसागर जी महाराज। मुनिश्री #विशालसागर जी महाराज। मुनिश्री #धवलसागर जी महाराज। क्षुल्लकश्री #मंथनसागर जी महाराज। क्षुल्लकश्री #मननसागर जी महाराज। क्षुल्लकश्री #विचारसागर जी महाराज। क्षुल्लकश्री #मगनसागर जी महाराज। क्षुल्लकश्री #विरलसागर जी महाराज। | |
1767 | 03-Nov-22 | #GyanmatiMataji1934VeersagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Meerut, Meerut | महामंगल विहार * हस्तिनापुर से अयोध्या * सर्वोच्च जैन साध्वी श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ का जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर से शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या तीर्थ के लिए मंगल विहार हुआ | |
1769 | 04-Nov-22 | #SamaySagarJiMaharaj1958VidyaSagarJi, #PrashastSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #MalliSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #AnandSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi, #NirgranthSagarJiMaharaj1989VidyaSagarJi, #NiraashravSagarJiMaharaj1981VidyaSagarJi, #NishchintSagarJiMaharaj1987VidyaSagarJi, #NirmaanSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #NishankSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NirlepSagarJiMaharaj1990VidyaSagarJi, #AuchityasagarjiVidyaSagarji1946, #GahansagarjiVidyaSagarji1946, #KaivalyasagarjiVidyaSagarji1946, #SudhrudhsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Sagar, Banda | मुनि श्री १०८ समय सागर जी ससंघ १३ मुनिराज ९ क्षुल्लक जी बंडा म प्र {सागर के पास } मे विराजमान है | |
1771 | 06-Nov-22 | #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NirnaySagarJiMaharaj1969VidyaSagarJi, #ChandraprabuSagarjiMaharaj | Maharashtra, Buldana, Mehkar | आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ससंघ {१ आचार्यश्री ३ मुनिराज }डोनगांव महाराष्ट्र में विराजमान है | |
1772 | 06-Nov-22 | #Guptisagarji1957VidyaSagarji | Haryana, Sonipat, Ganaur | मुनि श्री १०८ गुप्तिसागर सागर जी महाराज गन्नोर जिला ,सोनीपत हरियाणा में विराजमान है | |
1773 | 06-Nov-22 | #SudhaSagarJiMaharaj1956VidyasagarJi, #PujyaSagarJiMaharaj1970VidyaSagarJi, #DharmsenJiMaharajBahubaliSagarJi | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | मुनि श्री १०८ सुधासागर जी महाराज ससंघ {२ मुनिराज १ऐल्लक जी १क्षुल्लक जी } ललितपुर उत्तर प्रदेश में विराजमान है | |
1774 | 06-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi | Gujarat, Dohad, Dohad | Mona dungar | *विहार अपडेट* 👣👣👣👣👣👣👣👣 *प. पू. अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज* के सुयोग्य शिष्य *प.पू. युगल मुनि श्रमण श्री शिवानंद जी- प्रशमानंद जी मुनिराज* का मंगल विहार *दाहोद गुजरात* से सलूम्बर के लिए चल रहा है ⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️ दिनांक 6️⃣दिसंबर 2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣ *रात्रि विश्राम* — मोना डूंगर 10km 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आप सब भी विहार में सम्मिलित हो धर्म लाभ लें। 👣👣👣👣👣👣👣👣 *संपर्क सूत्र* शैलेश जी सरैया:9426431437 मयंक जैन :9426411047 अंकित जैन:9427807077 प्रांजुल जैन (संघस्थ):9870595115 |
1775 | 06-Dec-22 | #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Mona dungar | शैलेश जी सरैया:9426431437 मयंक जैन :9426411047 अंकित जैन:9427807077 | |
1777 | 07-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi, #MahayashmatiMataJi1989VardhmaanSagarJi | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Kishangarh | री महावीर जी से मार्बल नगरी किशनगढ़ की ओर 7 दिसंबर 2022 वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज* ससंघ का भव्य मंगल विहार श्री महावीर जी से किशनगढ़ के लिए चल रहा है। 07 दिसंबर 2022, बुधवार को प्रातः विहार 3.5 km धूणी आश्रम (आहार चर्या)। दोपहर विहार एवं रात्रि विश्राम 6.1 KM बगलाई। G.H.S. School |
1778 | 07-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra, Mumbai (Suburban) and Mumbai, Greater Mumbai | आहार कारला श्वेताम्बर मंदिर ,पुराना पूना मुम्बई हाइवे पर | परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री की पट्टशिष्या परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ का नांदगिरी कल्याणगड सातारा से मुंबई की ओर मंगल विहार 🏵️ 6-12-2022 रात्रि मुक्काम कान्हे फाटा श्वेताम्बर स्थान 🏵️ 7-12-2022 आहार कारला श्वेताम्बर मंदिर ,पुराना पूना मुम्बई हाइवे पर |
1779 | 07-Dec-22 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Uttar Pradesh | Madavara | *मड़ावरा से हुआ मंगल विहार -* 07 दिसंबर 2022 ■ युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य- *पूज्य मुनि श्री अभयसागर जी महाराज* *पूज्य मुनिश्री प्रभातसागर जी महाराज* *पूज्य मुनिश्री निरीहसागर जी महाराज* का मड़ावरा (उ•प्र•) में चातुर्मास उपरांत आज प्रातः काल बेला में हुआ मंगल विहार। *सम्भावित दिशा -* बदरवास (शिवपुरी-गुना के मध्य) में आगामी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव में मिलेगा सानिध्य। ■ *अनिल जैन बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह* |
1780 | 06-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra | Purana puna vadgaon | *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ का* *नांदगिरी कल्याणगड सातारा से मुंबई की ओर मंगल विहार* 🏵️ 5-12-2022 रात्रि मुक्काम *देऊ रोड श्वेताम्बर मंदिर* 🏵️ 6-12-2022 आहार *वडगांव श्वेताम्बर मंदिर ,पुराना पूना मुम्बई हाइवे पर* |
1781 | 07-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Baglai | नमोस्तु गुरुदेव 👣👣 *भव्य मंगल विहार अपडेट* 👣👣 श्री महावीर जी से मार्बल नगरी किशनगढ़ की ओर 7 दिसंबर 2022 वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज* *ससंघ* का भव्य मंगल विहार श्री महावीर जी से किशनगढ़ के लिए चल रहा है। *07 दिसंबर 2022, बुधवार को* *प्रातः विहार* 3.5 km धूणी आश्रम (आहार चर्या)। *दोपहर विहार एवं रात्रि विश्राम* 6.1 KM बगलाई। G.H.S. School |
1782 | 07-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra, Mumbai (Suburban) and Mumbai, Greater Mumbai | Karla Swetamber Temple | *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ का* *नांदगिरी कल्याणगड सातारा से मुंबई की ओर मंगल विहार* 🏵️ 7-12-2022 आहार *कारला श्वेताम्बर मंदिर ,पुराना पूना मुम्बई हाइवे पर* |
1783 | 07-Dec-22 | #AagamSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Sagar, Sagar | Mandi Bamora | 🔥नगर गौरव का होगा नगर प्रवेश🔥07 दिसंबर 2022, ★युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य◆मुनिवरश्री १०८ #आगमसागरजी महाराज ◆मुनिवरश्री १०८ #पुनीतसागरजी महारा ससंघ का मंगल।विहार अभी अभी ग्राम पडरिया से जन्मस्थली #मंडीबामोरा जिला सागर की ओर हुआ ।। 🥁विशेष :- मुनिश्री आगमसगर जी का दीक्षा उपरांत 18 वर्षो बाद आज प्रथम नगर आगमन होगा🥁 |
1784 | 07-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Arneeyakala | *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 0️⃣7️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮जामनेर🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺अरनीयाकला⛺* Arniya Kalan https://maps.app.goo.gl/9FRx6a7VWRRMkwp59 ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁मैना🍁* (संभावित) Maina https://maps.app.goo.gl/k65anc5KN632132n6 ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1785 | 08-Dec-22 | #AmoghKirtiJiMaharaj1980DevnandiJi, #AmarKirtiJiMaharaj1974DevnandiJi | Karnataka, Bangalore, Bangalore | पता:-श्री पारसनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय, 188, 3rd क्रोस, नोबल रेसिडेंसी बैगुर | री दिगम्बर जैन समाज बेगुर बन्नेर्घट्टा रोड 🕉 ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬● परम पूज्य प्रज्ञाश्रमन सारस्वताचार्य आचार्य 108 श्री देवनंद जी महाराज के परम शिष्य युगल मुनि 108 श्री अमोघ कीर्तिजी एवं मुनिश्री अमर कीर्ति जी महाराज श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान जिन चैत्यालय बेगुर विराजे हुए है 🕎 8 दिसम्बर गुरुवार का कार्यक्रम:-🕎 🌹 04.30 धार्मिक चर्चा 🌹 06.30 आरती 🌹 08.00 वैय्या-वृती आप सभी से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ लेवे । 🚩 पता:-श्री पारसनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय, 188, 3rd क्रोस, नोबल रेसिडेंसी बैगुर🙏🏾 🏳🌈 श्रौ दिगम्बर जैन समाज बेगुर बन्नेर्घट्टा रोड🏳🌈 |
1786 | 08-Dec-22 | #AnekantSagarjiMaharaj1963AbhinandanaSagarJi | Delhi, New Delhi, Central, South West and South, New Delhi Municipal Council | Delhi | Maharaji is in Delhi |
1787 | 08-Dec-22 | #TanmaySagarJiMaharaj1970AbhinandanSagarJi | Jharkhand, Giridih, Giridih | मुनसुब्रत नाथ दिगंबर जैन मंदिर मधुबन सम्मेद शिखर जी | परम पूज्य सप्तभंग व्याख्याता वात्सल्य मूर्ति अध्यात्म स्पर्शी पूर्ण ज्ञनाभिलाशी चारित्र अभिलाषी चर्या शिरोमणि पट्टाचार्य तन्मय सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में तन्मोदय साधना केंद्र मुनसुब्रत नाथ दिगंबर जैन मंदिर मधुबन सम्मेद शिखर जी में शान्ति नाथ महा मण्डल बिधान का भव्य आयोजन दिनांक 9/12/2022 दिन शुक्रवार को प्रातः 6 30 बजे से महाभिषेक प्रारंभ होगा आप सभी उपस्थित होकर पुण्यार्जन करें धन्यवाद राज जैन संघ व्यवस्थापक आचार्य श्री |
1788 | 05-Dec-22 | #DurlabhSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Maharashtra, Nandurbar, Shahade | Tirthankar Leni | परम पूज्य १०८ श्री दुर्लभ सागर महाराज तीर्थंकर लेणी शहादा जिल्हा नंदूरबार येथे विराजमान आहेत ...... 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 |
1789 | 08-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Chhattisgarh | Apollo College Of Nursing Anjora | *आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ससंघ का मंगल विहार जिन नीर्थ दुर्ग नसिया जी से चिचोली जिला वैतुल पंचकल्याणक के लिए चल रहा है* पंचकल्याणक महामहोत्सव चिचोली *31 दिसम्बर से 6 जनवरी* https://www.instagram.com/p/Cl6EpPzJ6No/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 👣 *आज 08/12/22 का रात्रि विश्राम अपोलो नर्सिंग कालेज अंजोरा में होगा* लोकेशन :- https://maps.app.goo.gl/q2xj18Q3VvG3W6UL7 कल 09/12/22 W 💐 *कल 09/12/22 की आहार चर्या युगांतर इंजीनियर कालेज ठाकुरतोला में सम्पन्न होगी* लोमेशन :-https://maps.app.goo.gl/64Zzqgk2h77GojZQA 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1790 | 08-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi, #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Gujarat | Anandpuri | *विहार अपडेट* 👣👣👣👣👣👣👣👣 *प. पू. अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज* के सुयोग्य शिष्य *प.पू. युगल मुनि श्रमण श्री शिवानंद जी- प्रशमानंद जी मुनिराज* का मंगल विहार *दाहोद गुजरात* से सलूम्बर के लिए चल रहा है ⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️⛰️ दिनांक 8️⃣दिसंबर 2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣ *मंगल प्रवेश* जैन मंदिर,आनंदपुरी कल की आहारचर्या भी आनंदपुरी में ही संपन्न होगी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आप सब भी विहार में सम्मिलित हो धर्म लाभ लें। 👣👣👣👣👣👣👣👣 *संपर्क सूत्र* शैलेश जी सरैया:9426431437 मयंक जैन :9426411047 अंकित जैन:9427807077 प्रांजुल जैन (संघस्थ):9870595115 |
1791 | 08-Dec-22 | #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi, #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj | Maharashtra, Hingoli, Hingoli | Bhaktinagar | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 0️⃣8️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻हिंगोली🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄भक्ती नगर🍄* रामाकृष्ण एम्पायर के बाजू में जिला हिंगोली ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *🍁लाला फार्महाउस, कालगाव🍁* जिला हिंगोली (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन🛕* ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *बा.ब्र.अशोक भैय्याजी* *संकेत बुजुर्गे, पुसद* *रथेश मास्ट, हिंगोली* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1792 | 08-Dec-22 | #ShubhamKirtiJiMaharaj | Maharashtra | Navdevta mandir Akluj | 🙏🏻जय जिनेन्द्र🙏🏻 सर्व श्रावक श्रावीकांना कळविण्यात येते की परमपूज्य 108 श्री ज्ञानतपस्वी शुभम कीर्ती महाराज यांचा विहार ऊद्या गुरुवार 08/12/2022 रोजी दुपारी 03:30 वा. महावीर मंदिर अकलूज येथुन नवदेवता मंदिर येथे होणार आहे तरी आपण सर्वानी बहुसंख्येने हजर राहावे हि विनंती. अध्यक्ष श्री प्रद्युम्न श्रेणीक गांधी विसाहूबड दिगंबर जैन मंदिर व पंचायतवाडा अकलूज |
1793 | 08-Dec-22 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #SomyamatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #NishkaammatiMataJi1978VidyasagarJiMaharaj, #SutramatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #JagratmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SwetmatiMataJi1970VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Aaron | #आरोन_विराजमान_सूचना ★आर्यिकाश्री आदर्शमति माताजी जी ससंघ ★आर्यिकाश्री सौम्यमति माताजी जी ससंघ ★आर्यिकाश्री निष्काममति माताजी जी ससंघ ★आर्यिकाश्री सूत्रमति माताजी जी ससंघ ★आर्यिकाश्री जाग्रतमति माताजी जी ससंघ #विहाररत ★आर्यिकाश्री श्वेतमति माताजी जी ससंघ #सिरोंज से #आरोन की ओर |
1794 | 10-Dec-22 | #PragyanshsagarjiVinischayaSagarJiMaharaj1973 | Delhi, New Delhi, Central, South West and South, New Delhi Municipal Council | Rohini Nagar, Delhi | आदरणीय महानुभावों सादर जय जिनेन्द्र हम सभी के पुण्योदय से परम पूज्य *श्रमण अनगाराचार्य श्री 108 विनिश्चयसागर जी* गुरुदेव के शिष्य *क्षुल्लक श्री 105 प्रज्ञांशसागर जी* गुरुदेव का *8वाॅं दीक्षा दिवस* मनाने का सौभाग्य हमें प्राप्त हो रहा है। इसी शुभ अवसर पर पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में हम सभी मिलकर *श्री 1008 भक्तामर महामंडल विधान* कर पुण्यार्जन करेगें। जिसमे आप सभी सादर आमंत्रित हैं। *—नम्र निवेदन—* स्थान — श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रोहिणी सैक्टर–20, दिल्ली https://maps.app.goo.gl/vB8Jn9hMCYHyEpWk7 |
1795 | 10-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra | Barwai School | *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ का* *नांदगिरी कल्याणगड सातारा से मुंबई की ओर मंगल विहार* 🏵️ 10-12-2022 रात्रि मुक्काम *बारवई स्कूल में* |
1796 | 10-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi, #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Gujarat, Dohad, Dohad | Galiyakot Dungarpur | Dono Maharaj ji Dungarpur me virajman hai |
1797 | 09-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Madhya Pradesh, Betul, Betul | Digamber Jain Temple rajnandgaon | 👣 *आज 09/12/22 का रात्रि विश्राम दिगम्बर जैन मंदिर राजनाँदगाँव में हो रहा है और कल की आहार चर्या भी यही सम्पन्न होगी* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/c9qCV8bCvKPqd2Y1A *दोपहर में मंगल विहार नागपुर के लिए होगा 18 दिसम्बर को संभवत: मंगल प्रवेश नागपुर होगा* |
1798 | 09-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Nemavar | 🆎 *पूज्य मुनिसंघ के बढ़ते कदम* *सिद्धक्षेत्र श्री नेमावर की ओर* ■ *पूज्य मुनि श्री अक्षय सागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री नेमी सागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री शैल सागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री अचल सागर जी महाराज* *ऐलक श्री उपशम सागर जी महाराज* का मंगल विहार आज आष्टा से हुआ। ◆ *रात्रि विश्राम -* खामखेड़ा ◆ *कल की आहार चर्या-* खामखेड़ा से 10 किमी दूर वन विभाग की चौकी परिसर। *दिशा -* खातेगांव होकर सिद्धोदय क्षेत्र श्री नेमावर जी संभावित। - आष्टा से नेमावर लगभग 80 किलोमीटर की दूरी है। ■ *अनिल जैन बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह* |
1799 | 10-Dec-22 | #AagamSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Vidisha, Kurwai | Kurwai | 👣मंडी बामोरा -कुरवाई अपडेट👣10.12.2022 पूज्य आचार्य भगवन श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री १०८ आगम सागरजी महाराज •मुनिश्री १०८ पुनीत सागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार अभी अभी मंडीबामोरा से कुरवाई की ओर हुआ ।। ☀️ सूचना विदिशा जिला :- नयन जैन मंडी बामौरा :- *93409 27855* संजय जैन "बाबा" गंजबासौदा :- *70005 35108* प्रतीक जैन "गोकुल" गंजबासौदा :- *7000759565* |
1800 | 10-Dec-22 | #Prashantsagarji1961VidyaSagarJi, #NirvegSagarJiMaharajVidyaSagarJi | Jharkhand, Ranchi, Ranchi | Ranchi | पूज्यगुरुदेव के परम प्रभावक शिष्य ★निर्यापक श्रमण मुनिवरश्री १०८ #प्रशांत सागरजी महाराज के संघस्थ ★मुनिवरश्री १०८ #निर्वेगसागरजी महाराज के अवतरण दिवस पर मुनिवर के चरणों मे।त्रय बार नमोस्तु 🙏🙏 मुनिश्री ससंघ Sammed Shikharji - श्री सम्मेद शिखरजी की ओर विहाररत है ।। कल मंगल प्रवेश #रांची |
1802 | 11-Dec-22 | #VishuddhmatijiNirmalSagarJiMaharaj1946, #VigyanmatiVishudhmatiMataJi1975 | Madhya Pradesh, Bhind, Bhind | Bhind | परमपूज्य भारत गौरव ग्वालियर तिलक आर्यिका 105 विशुद्ध मति माताजी ससंघ की 12/12/22 की विहार सूचना। कल प्रात 7 बजे रुस्तम सिंह कॉलेज, भिंड से विहार होगा जैन मंदिर, फू्प के लिए , सामायिक के पश्चात दोपहर 2 बजे विहार होगा अतिशय क्षेत्र, वरही के लिए, रात्रि विश्राम यही होगा। |
1803 | 11-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi, #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Rajasthan | Sagwada | परम पूज्य युगल मुनि श्री शिवानंद जी प्रश्मानंद जी मुनिराज का आज भव्य मंगल प्रवेश सागवाड़ा राज.में हुआ🥳🥳🥳 |
1804 | 12-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi, #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Gujarat, Dohad, Dohad | Badoda | *विहार अपडेट* 👣👣👣👣👣👣👣👣 *प. पू. अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज* के सुयोग्य शिष्य *प.पू. युगल मुनि श्रमण श्री शिवानंद जी- प्रशमानंद जी मुनिराज* का मंगल विहार *दाहोद गुजरात* से सलूम्बर के लिए चल रहा है 👣👣👣👣👣👣👣 दिनांक 1️⃣2️⃣दिसंबर 2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣ *रात्रि विश्राम* बडौदा 1️⃣0️⃣km 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आप सब भी विहार में सम्मिलित हो धर्म लाभ लें। 👣👣👣👣👣👣👣👣 *संपर्क सूत्र* शैलेश जी सरैया:9426431437 मयंक जैन :9426411047 अंकित जैन:9427807077 प्रांजुल जैन (संघस्थ):9870595115 |
1805 | 12-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Chhattisgarh | Primary School Chabbuknwala | 🚩 *मंगल प्रवेश महाराष्ट्र* 👣 *आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ससंघ का मंगल विहार चिचोली जिला वैतुल पंचकल्याणक के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/CmEYFPDJAYt/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 👣 *आज 12/12/22 का रात्रि विश्राम प्राइमरी स्कूल चबुक्नाला छत्तीसगढ़ में हो रहा है* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/oJNavXQjZuvhG9zy7 कल 09/12/22 W 💐 *कल 13/12/22 की आहार चर्या दिगम्बर जैन मंदिर देवरी महाराष्ट्र से सम्पन्न होगी* लोमेशन :-https://maps.app.goo.gl/hGJD2KUTELPHV7mk9 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1806 | 12-Dec-22 | #VivekSagarJiMaharaj1972SumatiSagarJi | Rajasthan, Jaipur, Jaipur | Sanganer | विहार अपडेट 12 Dec 2022 प.पू.आचार्य श्री विवेकसागर जी महाराज ससंघ सागनेर में विराजमान हैं, ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 13Dec 2022 आचार्य ससंघ का सागानेर से प्रातः 8बजे प्रताप नगर सेक्टर 8के लिए मंगल विहार होगा। 🛕🛕🛕🛕🛕 आप सभी अपना अमूल्य समय धर्म प्रभावना में लगाए। |
1807 | 13-Dec-22 | #VivekSagarJiMaharaj1972SumatiSagarJi | Rajasthan, Jaipur, Jaipur | Pratap nagar sector 8 | विहार अपडेट 12 Dec 2022 प.पू.आचार्य श्री विवेकसागर जी महाराज ससंघ सागनेर में विराजमान हैं, ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 13Dec 2022 आचार्य ससंघ का सागानेर से प्रातः 8बजे प्रताप नगर सेक्टर 8के लिए मंगल विहार होगा। 🛕🛕🛕🛕🛕 आप सभी अपना अमूल्य समय धर्म प्रभावना में लगाए। |
1808 | 12-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra, Mumbai (Suburban) and Mumbai, Greater Mumbai | Nerul digamber Jain Temple | *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ का* *नांदगिरी कल्याणगड सातारा से मुंबई की ओर मंगल विहार* 🏵️ 12-12-2022 रात्रि मुक्काम *नेरुल दिगंबर जैन मंदिर* 🏵️ 13-12-2022 आहार *वाशी दिगंबर जैन मंदिर* |
1809 | 12-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Nemavar Siddhoday Siddh kshetra | *☀️दक्षिण सूर्य का मंगल प्रवेश* *🛕सिध्दोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में🛕* 1️⃣2️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 भव्य मंगल प्रवेश💫* अभी कुछ ही पलों में *🛕सिध्दोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर🛕* (मध्य प्रदेश) में होने जा रहा है। ➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1810 | 12-Dec-22 | #PurnmatiMataJi1964VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Ujjain, Ujjain | Ujjain | 👣 *उज्जैन से मंगल विहार 12.12.2022*👣 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज की परम प्रभविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *पूर्णमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार आज *उज्जैन मध्यप्रदेश* से *संभावित विहार दिशा बड़नगर/धार* की ओर हुआ ।।👣 ☀️ सूचना विदिशा जिला :- संजय जैन "बाबा" गंजबासौदा :- *70005 35108* प्रतीक जैन "गोकुल" गंजबासौदा :- *7000759565* |
1811 | 13-Dec-22 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #VeerSagarjiMaharaj1973VidyaSagarJi, #NisprahSagarJiMaharaj1976VidyaSagarji, #SiddhantsagarjiAcharyaShriVidyasagarji | Maharashtra, Washim, Washim | Shirpur | *🔮गुरु-शिष्यों का भव्य मिलन शिरपूर जैन में🔮* *༺✿शिष्य करेंगे अपने गुरु की अगवानी एवं करेंगे चरण वंदना✿༻* *♦️अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन*♦️ *१३ दिसंबर २०२२, दिन- मंगलवार* _समय- दोपहर :- ०२ बजे_ ●●●●●●●●●●●●●● ●▬▬▬▬🚩❖✹❖🚩▬▬▬▬● *महाराष्ट्र की पावन भूमि पर अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन में प्रथम बार १३ दिसंबर २२ को दोपहर २ बजे होगा गुरु - शिष्यों का भव्य मिलन एवं २४ शिष्य करेंगे अपने गुरु की चरण वंदना ।* *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि, आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ* की *भव्य अगवानी कर अपने गुरु की चरण वंदना करेंगे* *💫निर्यापक श्रमण मुनि श्री १०८ योगसागर जी महाराज ससंघ( ६ मुनिराज, ४ क्षुल्लकजी)* *💫निर्यापक श्रमण मुनि श्री १०८ वीरसागर जी महाराज ससंघ (३ मुनिराज, ५ क्षुल्लकजी)* *💫मुनि श्री १०८ निस्पृहसागर जी महाराज ससंघ( ५ मुनिराज)* *💫ऐलक श्री १०५ सिद्धांत सागर जी महाराज (०१ ऐलकजी)* ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *बा.ब्र.अशोक भैय्याजी* *बा. ब्र. विपुल भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव ●▬▬▬▬🚩❖✹❖🚩▬▬▬▬● |
1812 | 12-Dec-22 | #NisprahSagarJiMaharaj1976VidyaSagarji | Maharashtra, Washim, Washim | Malegaon | *👣 मंगल विहार 👣* 1️⃣2️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ ✨✨✨✨✨✨✨ *🚩कल सुबह होगा ससंघ का शिरपूर जैन मे मंगल प्रवेश* *संत शिरोमणि १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ निस्पृहसागर जी महाराज* ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣 मंगल विहार👣 *➡️आज आहार के बाद 22 कि.मी का विहार* ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ आज रात्री विश्राम -* *⛺मालेगाव ⛺* ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ कल मंगल प्रवेश* *🍁शिरपूर जैन🍁* (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ ★ विहार दिशा - *अतिशय क्षेत्र शिरपूर जैन* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ------------------------------------- सूचना साभार:- *सजल जैन, अमरावती* *सोनू (शैलेन्द्र) जैन, अमरावती* *पंकज रोकडे जैन,मालेगाव* संकलन🖋️ *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1813 | 12-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Belkheda | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 1️⃣2️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻कोयाळी भिसाडे🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄बेलखेडा🍄* जिला वाशीम Belkheda https://maps.app.goo.gl/49P8Rsxe5Xef9SES8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *🍁खंडाळा🍁* जिला वाशीम (संभावित) Khandala https://maps.app.goo.gl/7pLc7aecTUFXvx7F7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन🛕* ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *बा.ब्र.अशोक भैय्याजी* *महावीर बेंडसुरे, जिंतूर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1814 | 13-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra, Mumbai (Suburban) and Mumbai, Greater Mumbai | Washi digamber Jain Temple | *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ का* *नांदगिरी कल्याणगड सातारा से मुंबई की ओर मंगल विहार* 🏵️ 13-12-2022 रात्रि मुक्काम *वाशी दिगंबर जैन मंदिर* 🏵️ 14-12-2022 आहार *एरोली दिगंबर जैन मंदिर* |
1815 | 13-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi, #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Gujarat, Dohad, Dohad | Sheshpur jain tirth Kshetra | *विहार अपडेट* 👣👣👣👣👣👣👣👣 *प. पू. अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज* के सुयोग्य शिष्य *प.पू. युगल मुनि श्रमण श्री शिवानंद जी- प्रशमानंद जी मुनिराज* का मंगल विहार *दाहोद गुजरात* से सलूम्बर के लिए चल रहा है 👣👣👣👣👣👣👣 दिनांक 1️⃣3️⃣दिसंबर 2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣ *आहारचर्या* जेताना जैन मंदिर 1️⃣1️⃣km *रात्रि विश्राम* शेषपुर जैन तीर्थ क्षेत्र 9️⃣km 1️⃣4️⃣दिसंबर 2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣ *भव्य मंगल प्रवेश* 🥳🥳🥳🥳🥳🥳 *धर्मनगरी सलूंबर राज* 🥳🥳🥳🥳🥳🥳 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आप सब भी विहार में सम्मिलित हो धर्म लाभ लें। 👣👣👣👣👣👣👣👣 *संपर्क सूत्र* शैलेश जी सरैया:9426431437 मयंक जैन :9426411047 अंकित जैन:9427807077 प्रांजुल जैन (संघस्थ):9870595115 |
1816 | 14-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | मार्थन्डराव पाटिल कापगते हाई स्कूल, जांबली सड़क महाराष्ट्र में हो रहा है* | 👣 *आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ससंघ का मंगल विहार चिचोली जिला वैतुल पंचकल्याणक के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/CmJhSRSJF7E/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 👣 *आज 14/12/22 का रात्रि विश्राम मार्थन्डराव पाटिल कापगते हाई स्कूल, जांबली सड़क महाराष्ट्र में हो रहा है* यह नागपुर से 96 km दूर है लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/8PEywQcg6tHMGCBw9 कल 09/12/22 W 💐 *कल 15/12/22 की आहार चर्या के के लोन एन्ड हाल लाखनी महाराष्ट्र से सम्पन्न होगी* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/qCPKdWzbBnegTfpK7 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1817 | 14-Dec-22 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | Rajfhat | #मंगल_विहार_14_12_2022 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य ★मुनिवरश्री १०८ #अभयसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार #ललितपुर से #राजघाट की ओर हुआ ।। फ़ोटो साभार:- #ankit_jain_mitra_guna |
1818 | 14-Dec-22 | #ShivanandJiMaharaj1985VasunandiJi, #PrashmanandJiMaharaj1978VasunandiJi | Gujarat, Dohad, Dohad | Salumbar | परम पूज्य अभीक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य युगल मुनि श्री शिवानंद जी प्रश्मानंद जी मुनिराज का आज प्रातः धर्मनगरी सलूंबर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🥳🙏🏻🥳🙏🏻😊🙏🏻😊 |
1819 | 15-Dec-22 | #UpshantmatiMataji1963VidyaSagarJiMaharaj | Bohariband | 108 आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महामुनि राज जी की आज्ञानुवर्ती शिष्या 105 आर्यिका उपशांतमति माताजी ससंघ का चातुर्मास के उपरांत अभी-अभी अतिशय क्षेत्रबहोरीबंद के लिए विहार हुआ🙏🏽🙏🏽 सूचना प्रदाता संजय मोदी LIC बाकल | |
1820 | 15-Dec-22 | #SuyogmatiMataJi1969SuvidhiSagarJiMaharaj | चक्रेश्वरी महिला समाज जयनगर | ➖ *मंगल विहार* ➖ पूज्या वात्सल्य-ज्योतिर्मयी, बालयोगिनी *आर्यिका रत्नश्री सुयोगमती माताजी* ससंघ (7 पिच्छी) (श्री सुयोग संघ) का मंगल-विहार 15 दिसम्बर 2022 गुरुवार को ससंघ *बौम्मनहल्ली जैन मंदिर से दिन को 1.00 बजे चक्रेश्वरी महिला समाज जयनगर की और विहार करेगे* 🙏आप सभी धर्मानुभावो से निवेदन है कि आप सब विहार में शामिल होकर र्धम लाभ लेवे | |
1821 | 15-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Madhya Pradesh, Betul, Betul | सरस्वती विधालय सिंगोरी में होगा* लोकेशन :- | 📕🤔 *जब आप किसी को प्राण नहीं दे सकते हो, तो फिर आपके लिए किसी अन्य के प्राण हरण करने का अधिकार किसने दिया?*💯 😌 पर के प्राणों का संहार करना मानवता पर कलंक है। *किसी को कष्ट देना यह मानव धर्म नहीं है। थोड़ा शान्तचित्त से चिंतन करो*, आवेग में नहीं, विवेकपूर्वक आचार-विचार करो :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02xdEw5xcEzdYUvP6vYtN3xfgT2kSPbo4ZFTkV1Fb9AEzVkhPihRhPrdzXQYnU5zNfl&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 👣👣 *मंगल विहार* 👣👣 🛣️👣 *आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ससंघ का मंगल विहार चिचोली जिला वैतुल पंचकल्याणक के लिए चल रहा है* 🐘 *पंचकल्याणक महा महोत्सव चिचोली वैतुल* *31 दिसम्बर से 6 जनवरी* 👣 *आज 15/12/22 का रात्रि विश्राम सरस्वती विधालय सिंगोरी में होगा* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/jbCYL2i33i6TGCjo8 💐 *कल 16/12/22 की आहार चर्या उज्वल गोरक्षण ट्रस्ट मुज्बी से सम्पन्न होगी* लोमेशन :-https://maps.app.goo.gl/YHucYa31Rpb2Su1b9 *यह नागपुर से 55 km है* 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1822 | 16-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | ग्राम विकास महाविद्यालय, मरोड़ी. | 👣👣👣👣👣👣 *मंगल विहार* *आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ससंघ का १८ डिसेंबर रोजी नागपूर मध्ये मंगल प्रवेश* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🐘 *३१ डिसेंबर ते ६ जानेवारी दरम्यान चिंचोली (जिल्हा - बैतुल) येथे होणाऱ्या पंचकल्याणक महा महोत्सव साठी आचार्य श्रीं चा विहार सुरू आहे.* 🔸आज १६ डिसेंबर रात्रीचा विश्राम ग्राम विकास महाविद्यालय, मरोड़ी. 🔸उद्या १७ डिसेंबर रोजीची आहारचर्या HPRJ अग्रो ट्रेडर्स, वडोदा *यह नागपुर से 26 km है।* 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1823 | 16-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Dewas, Dewas | Sandalpur | *अनियत विहारी का अनियत विहार* *16.12.2022* ★पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज के परम प्रभावक शिष्य •मुनिश्री १०८ *अक्षयसागरजी* महाराज •मुनिश्री १०८ *नेमिसागरजी* महाराज •मुनिश्री १०८ *शैलसागरजी* महाराज •मुनिश्री १०८ *अचलसागरजी* महाराज •ऐलकश्री १०५ *उपशमसागरजी* महाराज _ससंघ का मंगल विहार आज प्रातः *सिद्धोदय सिध्दक्षेत्र नेमावर* से हुआ ।।_ ★मंगल आहारचर्या :- *संदलपुर जिला देवास 【नगर गौरव :- मुनिवरश्री १०८ निशंकसागरजी महाराज】* ★विहार दिशा :- *अजनास 【नगर गौरव :- मुनिवरश्री १०८ दुर्लभसागरजी महाराज】* ★संभावित मुख्य विहार दिशा :- *सिद्धवरकूट/ बावनगजा* 📲सूचना साभार :- श्रीकांत जैन संघई पुसद ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ |
1824 | 16-Dec-22 | #NishankSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Dewas, Dewas | Sandalpur | ★मंगल आहारचर्या :- *संदलपुर जिला देवास 【नगर गौरव :- मुनिवरश्री १०८ निशंकसागरजी महाराज】* ★विहार दिशा :- *अजनास 【नगर गौरव :- मुनिवरश्री १०८ दुर्लभसागरजी महाराज】* ★संभावित मुख्य विहार दिशा :- *सिद्धवरकूट/ बावनगजा* 📲सूचना साभार :- श्रीकांत जैन संघई पुसद ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ |
1825 | 16-Dec-22 | #DurlabhSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Jharkhand | Ajanas | ★विहार दिशा :- *अजनास 【नगर गौरव :- मुनिवरश्री १०८ दुर्लभसागरजी महाराज】* ★संभावित मुख्य विहार दिशा :- *सिद्धवरकूट/ बावनगजा* 📲सूचना साभार :- श्रीकांत जैन संघई पुसद ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ |
1826 | 16-Dec-22 | #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi, #PrabodhSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Manawar (M.P) | *👣मंगलविहार - बुलढाणा👣* *16.12.2022* ★पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज के परम प्रभावक शिष्य •मुनिश्री १०८ *प्रयोगसागरजी* महाराज •मुनिश्री १०८ *प्रबोधसागरजी* महाराज _ससंघ का मंगल विहार आज अभी अभी *बुलढाणा* से हुआ ।।_ ★विहार दिशा :- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 📲सूचना साभार :- श्रीकांत जैन संघई पुसद ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ https://linktr.ee/punyodaya |
1827 | 09-Dec-22 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | चंदेरी | 🆎 *पूज्य मुनिसंघ का हुआ चंदेरी में मंगल प्रवेश* ■ *पूज्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री निरीह सागर जी महाराज* का भव्य मंगल प्रवेश आज विश्व प्रसिद्ध, प्राचीन नगरी, चौबीसी मंदिर के नाम से सुविख्यात, चंदेरी नगरी में हुआ। ■ *अनिल जैन बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह* | |
1828 | 16-Dec-22 | #AagamSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Bhaurasa | #पार्श्वोदयतीर्थ_भौरांसा जी 16.12.2022 ◆🌟 आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज जी के शिष्य ★मुनिश्री १०८ #आगमसागरजी महाराज जी ★मुनिश्री १०८ #पुनीतसागरजी महाराज जी आज ही #कुरवाई से सुबह सुबह पार्श्वोदय तीर्थ भौरांसा जी पहुंचे है ।। 🙏🙏 | |
1829 | 17-Dec-22 | #PrabodhSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi, #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi | Maharashtra | शेलापुर | *👣मंगल विहार 👣* 1️⃣7️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन शनिवार ✨✨✨✨✨✨✨ *संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ प्रयोगसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ प्रबोधसागर जी महाराज* *🌼 द्वय मुनिराज🌼* का अभी अभी *👣मंगल विहार 👣* *🛕मोताळा🛕* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄 शेलापुर 🍄* *जिला बुलढाणा* Shelapur Bk. https://maps.app.goo.gl/e4XiHvUJw19kF4e67 ➖➖➖➖➖➖➖➖ *☘️कल की आहार चर्या☘️* *🍁 दाताळा🍁* *जिला बुलढाणा* Datala https://maps.google.com/?q=Datala+Maharashtra+443102&ftid=0x3bd9eecac696fad7:0xdef28d473db3c8ef&entry=gps ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *मनावर(म.प्र.)* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सूचना साभार:- *संकेत बुजुर्गे जैन, पुसद* संकलन:- संतोष पांगळ जैन,मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1830 | 17-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan, Sawai Madhopur, Sawai Madhopur | बौली sawai madhopur | Vardhaman Sagar ji Maharaj is in sawai madhopur |
1831 | 18-Dec-22 | #SaubhagyaSagarJiMaharaj1965SanmatiSagarJi | Maharashtra, Aurangabad, Aurangabad | संकटहर पार्श्वनाथ दि जैन अतिशय क्षेत्र जटवाड़ा | *शुभ मंगल सूचना* *प. पु. बालयोगी आचार्य श्री 108 सौभाग्यसागरजी गुरूदेव एवं संघ* का कल्पतरु शांतिनाथ अग्रवाल दि जैन मंदिर हडको के मानस्तम्भ पंचकल्याणक के पश्चात श्री 1008 संकटहर पार्श्वनाथ दि जैन अतिशय क्षेत्र जटवाड़ा जी के लिए वार्षिक यात्रा महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए कल दि 18 दिसम्बर को प्रातः 6.30 बजे जटवाड़ा जी के लिए विहार होगा *सभी से निवेदन है कि विहार में सम्मिलित होकर धर्मलाभ लेवे* जटवाड़ा जी की दूरी 11 KM - सौभाग्य जागृती मंच,औरंगाबाद - संस्कार मंच, औरंगाबाद |
1832 | 19-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | पुंजापुरा | *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 1️⃣9️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮गोदना🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺पुंजापुरा⛺* ( म.प्र.) Punjapura https://maps.app.goo.gl/PKAZYBu17Sz7nRa18 ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁रातातलाई🍁* ( म.प्र.) (संभावित) Ratatalai https://maps.app.goo.gl/cWor4H72ViWU8FdH6 ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕सिद्धवरकूट, बावनगजा🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1833 | 19-Dec-22 | #SudhaSagarJiMaharaj1956VidyasagarJi | Uttar Pradesh | Siron | _👣विहार सूचना👣_ _निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री 108 सुधा सागर जी महा मुनिराज ससंघ का देवगढ़ की ओर निरंतर विहार चल रहा है।_ _▪️आज रात्रि विश्राम - सिरोन (उत्तर प्रदेश)_ श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र , सिरोन (उत्तर प्रदेश) ▪️ _विहार दिशा - देवगढ़_ (दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र) ☀️🚩 *सुधा सागर जी भक्त परिवार*🚩☀️ 🚩☀️ *धर्म प्रभावना*☀️🚩 |
1834 | 20-Dec-22 | #AjitSagarJiMaharaj1968VidyaSagarJi | Uttar Pradesh, Agra, Agra | 🛕 श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ,जैन भवन *छीपीटोला आगरा* | ╭═════════ஜ۩۞۩ஜ═════════╮ 🕉️ *अजित वाणी2️⃣0️⃣ दिसंबर 2022*🕉️ ╰═════════ஜ۩۞۩ஜ═════════╯ *जो सादगी में रहते वो जीवन को* *गहराई तक समझ पाते है, वरना* *कुछ तो अपनी जिंदगी पैसो का* *दिखावा करने में ही बिता देते है।"* ✍ प्रवचनांश~मुनिश्री अजितसागर जी महाराज,, 🔷 *प.पू ,मुनिश्री १०८ अजितसागर जी महाराज* ससंघ 🛕 श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ,जैन भवन *छीपीटोला आगरा*🛕में विराजमान हैं। 🙏🏼 विशेष साभार~ *ब्र.रविन्द्र भैया जी कोटा* 🙏🏼गुरु चरणों में बारम्बार नमोस्तु,नमोस्तु,🙏🏻 🙏🏼 नमनकर्ता➖ *रीतेश,राजेश मिडला बीना* 🔺 *मुनिश्री अजितसागर जी भक्त परिवार*🔻 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 |
1835 | 20-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | Morning star convent nagpur | *जिनेन्द्र प्रभु की देशना उन्हें ही फलित होती है, जो जिन देशना पर आस्थावान होते हैं* 🤔 जिन जीवों के हृदय में भूतार्थ-मार्ग, तत्त्व एवं सच्चे देव - शास्त्र - गुरु पर निर्मल आस्था ही नहीं है उन्हें जिनवर वाणी का क्या सुफल मिल पाएगा? :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी 👣👣 मंगल विहार 👣👣 🚩 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ससंघ का मंगल विहार चिचौली बैतूल के लिए चल रहा है* https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02snFFB99qBDPmaXsY1FBCTEJEHEqzAjZMqHK4Yj1uYoFf9N5M7oAXu2cj7d4pygAAl&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 20/12/22 का रात्रि विश्राम मॉर्निंग स्टार कान्वेंट सावनेर जिला नागपुर में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/ywTeeigpRW7NAxg67 *कल 21/12/22 की आहार चर्या सर्वोदय विद्यालय में सम्पन्न होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/oPQJjrWZPa1gPsqaA 👏 *इस मंगल विहार जिन तीर्थ दुर्ग से चिचोली तक के विहार पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1836 | 19-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | Jhulelal engineering college lonare | 👣 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ससंघ का मंगल विहार दुर्ग से चिचोली वैतुल पंचकल्याणक के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/CmV-JJ8pI1o/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🥁 *आज 19/12/22 का रात्रि विश्राम झुलेलाल इंजीनियरिंग कॉलेज लोणारे में विश्राम में होगा* लोकेशन :-https://maps.google.com/?cid=6929916496017427479&entry=gps 👏 *कल 20/12/22 की आहार चर्या ताज कृपा मंगल कार्यालय पाताण्स ओंगी में सम्पन्न होगी* लोमेशन :-https://maps.app.goo.gl/L9UAbpbgxZMaKnzi8 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े:- https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1837 | 21-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Madhya Pradesh | शासकीय माध्यमिक विद्यालय आजंगो बोथिया मध्यप्रदेश | Shasakiy Madyamik Vidyalay Aajangon Bothiya madhy pradesh https://maps.app.goo.gl/H9jq4pSe46qJJjWR8 21/12/2002 , रात्रि विश्राम शासकीय माध्यमिक विद्यालय आजंगो बोथिया मध्यप्रदेश 13.5 किमी. |
1838 | 21-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Rajkiya school gangwada | Vardhaman Sagar ji is in gangwada |
1839 | 21-Dec-22 | #PramanSagarjiMaharaj1967VidyasagarJi, #Prashantsagarji1961VidyaSagarJi, #NirvegSagarJiMaharajVidyaSagarJi, #SheetalsagarjiMaharaj1976VidyasagarJi, #NijanandsagarjiVidyaSagarji1946 | Jharkhand | Sammed shikharji | *🛕मंगल प्रवेश - सम्मेद शिखरजी🛕* *21.12.2022* पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज के परम प्रभावक शिष्य ★मुनिवरश्री १०८ *प्रमाणसागरजी* महाराज एवं ★निर्यापक श्रमण मुनिवरश्री १०८ *प्रशांतसागरजी* महाराज ★मुनिवरश्री १०८ *निर्वेगसागरजी* महाराज ★मुनिवरश्री १०८ *शीतलसागरजी* महाराज ★ऐलकश्री १०५ *निजानंदसागरजी* ससंघ का मंगल मिलन एवं निर्यापक संघ का मंगल प्रवेश *श्री सम्मेद शिखरजी* में हुआ ।। *☀️🚩पुण्योदय विद्यासंघ*☀️🚩https://linktr.ee/punyodaya |
1841 | 22-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Barzar jila khargon | *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 2️⃣2️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮काटकूट🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺बर्झर⛺* (जिला खरगोन म.प्र.) ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁बडवाह🍁* (पूज्य मुनिश्री मल्लीसागरजी की जन्म स्थली) (जिला खरगोन म.प्र.) (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕सिद्धवरकूट, बावनगजा🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1842 | 22-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | Saraswati shishu Vidya Mandir sivani pandhurana | 🤭 *ज्ञानियो ! उमंग होना चाहिये। 'कुरल काव्य' में लिखा है - "जीवन में महान् शक्ति का नाम उत्साहशक्ति है"* 🤔 यदि उत्साह भंग हो गया, तो उसका आधा जीवन चारपाई पर जायेगा । जिस व्यक्ति ने अपनी उत्साहशक्ति को जीवन्त रखा है, वह अन्त समय में भी मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा । *ये शरीर छूट जायेगा, लेकिन उसका धर्म नहीं छूटेगा।* जीवन में अपनी उत्साहशक्ति को जीवन्त रख लेना 💯 :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी ( सद्ज्ञान देशना भाग 3) https://www.instagram.com/p/CmdueIKJSdH/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 👣👣 मंगल विहार 👣👣 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* 🛣️ *आज 22/12/22 का रात्रि विश्राम सरस्वती शिशु विधा मंदिर सिवनी पांढुरना में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/7sEwN8B3525YXNLg7 *कल 23/12/22 की आहार चर्या नगर पंचायत भवन पांढुरना में सम्पन्न होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/j1R5Bjsqk8kXyyPx6 👏 *इस मंगल विहार जिन तीर्थ दुर्ग से चिचोली तक के विहार पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1843 | 22-Dec-22 | #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi | Maharashtra, Buldana, Malkapur | Malkapur | *📿 केशलोंच अपडेट📿* 2️⃣2️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महामुनिराज जी के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ प्रयोगसागर जी महाराज जी* का आज प्रातः *केशलोंच* *🍁मलकापुर🍁* जिला बुलढाणा (महाराष्ट्र) में हुआ। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सूचना साभार:- *संकेत बुजुर्गे जैन, पुसद* संकलन:- *संतोष पांगल जैन,मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन,पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1844 | 22-Dec-22 | #GyanmatiMataji1934VeersagarJiMaharaj | Teekeit nagar | साधर्मी बंधुओं, *पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माता जी ससंघ के बाराबंकी से सफदरगंज विहार के बाद* ,पुण्योदय ,सौभाग्य एवं पूज्य गुरु माँ से बारम्बार निवेदन के उपरांत, पूज्य गुरु माँ द्वारा जैन समाज के बालक -बालिकाओं ,महिलाओं पुरूषों सभी की भक्ति, आग्रह ,धरणा को देखते हुए निवेदन स्वीकार कर टिकैतनगर आगमन हेतु अपनी स्वीकृति प्रदान की गयी है पूज्य गणिनीप्रमुख *श्री ज्ञानमती माता जी* ससंघ का मंगल आगमन *दिनांक22 अक्टूबर* को *मध्यांह 3 बजे* होना सुनिश्चित हुआ है पूज्य गुरु माँ ससंघ का मंगल विहार सफदरगंज से आज दिनांक 21 दिसंबर 2022 को दोपहर 1:30 बजे बदोसराय के लिए होगा *रात्रि विश्राम बदोसराय के आसपास होगा।* *पुनः22 दिसंबर को दोपहर 2 बजे टिकैतनगर की धरा पर मंगल प्रवेश होगा*🙏🏻🙇 | |
1845 | 22-Dec-22 | #SuyogmatiMataJi1969SuvidhiSagarJiMaharaj | Karnataka, Bangalore, Bangalore | Banglore | 👣 ➖ *मंगल विहार* ➖ 👣 पूज्या वात्सल्य-ज्योतिर्मयी, बालयोगिनी *आर्यिकारत्नश्री सुयोगमती माताजी* ससंघ (श्री सुयोग संघ) का बेंगलुरु से हुआ विहार। संघ तुमकुर होते हुए *बेलगाम* की तरफ बढेगा। 22.12.2022 की आहार चर्या इस 👇🏽 location पर होगी। |
1846 | 22-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Varishth upadhyay sankrit vidhyalaya karaiya | Maharaj ji is in sankrit vidhyalaya |
1847 | 23-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan | Nivai | 🚩🚩🚩🚩🚩 धरती के देवता का कल होगा भव्य महामऺगलप्रवेश 🙏🙏🙏🙏🙏 स्वागत की हे तैयारी आ रहे हे वात्सल्य धारी 🏮🏮🏮🏮🏮 उत्साह से प्रकृति🌿🍃 भी झुम रही हे हवाएँ लहरा रही हे 🏝️🏝️🏝️🏝️ भक्तजनो मे हे भारी उत्साह 🛕🛕🛕🛕🛕🛕 2555 दिन के लम्बे इन्तजार के बाद तप त्याग साधना की पावन वसुंधरा अष्ट जिनालयो से सुशोभित धर्म नगरी निवाई मे होगा मऺगलमय आगमन 🛕🛕🛕🛕🛕🛕 ऐतिहासिक सऺयोग हे जैन धर्म के 24 वेऺ तिर्थंकर का 24 वर्ष बाद सम्पन्न हुवे महामस्तकाभिषेक मे मऺगलमय सानिध्य प्रदान कर निवाई मे रखेंगे पावन चरण कमल 🚩🚩🚩🚩🚩 सोभाग्यशाली हे राजस्थान की गौरवशाली नगरी निवाई 🚩🚩🚩🚩🚩🚩 महामऺगलप्रवेश के मुख्य आकृषण होऺगे @ स्वागत द्वार @ सम्पूर्ण मार्ग मे ध्वज पताकाए @ बेण्ड की मधुर ध्वनि @ लवाजमा @ ध्वज धारी घोडीया @ ढोल नगाड़े @ शहनाई वादन @ उमडेगा जन सैलाब 🛕🛕🛕🛕🛕 धन्य होऺगे वह गुरुभक्त जो इस अलोकिक अनुपम अदभुत अविस्मरणीय पलो के साक्षी बनेऺगे 👏👏👏👏👏 तिर्थकऺर वर्धमान प्रभु के लघु नन्दन वात्सल्य वारिधी के पावन श्री चरणों में शत शत नमन वऺदन अभिनन्दन 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ दर्शन करे जिनका प्रफुल्लित, आगम धर्म स्वरूप रहा, करुणा रस ह्रदय से छलका, श्री वर्धमान सा रूप रहा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आइये आप ओर हम सभी मिलकर गुरुदेव का निवाई की धरा पर मऺगलमय आगवानी करने का सोभाग्य प्राप्त कर अक्षय पुण्य अर्जन करे 🚩🚩🚩🚩🚩 वात्सल्य वारिधी भक्त परिवार |
1848 | 23-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | NHAI West House mohi | *पुण्य-पाप के नियोग से सम्पत्ति का आय-व्यय हो भी जाये, वंश परम्परा भी यदि नष्ट होते दिख रही हो, धन-वैभव क्षीण होता दिखता हो, इन सब पर विकल्प नहीं करना ।* 💯 *यदि उत्साहशक्ति मृत्यु को प्राप्त हो गई, तो सारी सामग्रियाँ पड़ी रहेंगी, लेकिन तू मुर्दे जैसा दिखाई देगा, चेहरा उदास हो जायेगा।*💯 :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी 👣👣 मंगल विहार 👣👣 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/CmgPQPRp9DJ/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🛣️ *आज 23/12/22 का रात्रि एन एच ए आई रेस्ट हाउस मोहि में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/ZB8aPtjMffYfm3H9A *कल 24/12/22 की आहार चर्या हाई स्कूल और प्राइमरी स्कूल चिचंदा में होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/CgeP7NiwYEuywQGL8 👏 *इस मंगल विहार जिन तीर्थ दुर्ग से चिचोली तक के विहार पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े :- https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1849 | 23-Dec-22 | #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi, #PrabodhSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim | Malkapur | मलकापुर महाराष्ट्र से मंगल विहार 23.12.2022 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य★मुनिश्री १०८ #प्रयोगसागरजी महाराज★मुनिश्री १०८ #प्रबोधसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार अभी अभी #मलकापुर (महाराष्ट्र) से #बुरहानपुर (म.प्र) की ओर हुआ ।। |
1850 | 23-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Badvah (मल्लीसागरजी महाराज की जन्मस्थली) | #मंगलविहार_एवं_आज_मंगलप्रवेश_23_12_2022 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य ★ मुनिवरश्री १०८ #अक्षयसागरजी महाराज ससंघ का #मंगलप्रवेश आज प्रातः काल #बड़वाह ( मुनिश्री १०८ #मल्लीसागरजी महाराज की जन्मस्थली) में हुआ ।। ★जल्द हो मुनिसंघ का #सिद्धवरकूट क्षेत्र पर मंगलप्रवेश (19km शेष) ।। |
1851 | 24-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra, Mumbai (Suburban) and Mumbai, Greater Mumbai | Thane Maharashtra | *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ* *मुंब्रा* (जिला ठाणा) में विराजमान है रविवार 25-12-2022 को सुबह 8:30 बजे अभिषेक एवं पू. माताजी के प्रवचन |
1852 | 24-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | Vasant international | 👣👣 मंगल विहार 👣👣 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/Cmi1bUZAUvQ/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🛣️ *आज 24/12/22 का रात्रि विश्राम वसन्त इंटरनेशनल में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/CBd5Mh5tFkkW3YD27 🚩 *कल 25/12/22 को भव्य मंगल प्रवेश मुल्ताई में होगा और आहार चर्या यही दिगम्बर जैन मंदिर जी से सम्पन्न होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/k5ph3K7GRmKVLroMA 👏 *इस मंगल विहार के पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📕📕 विशुद्ध देशना 📕📕 🏳️🌈 *आकाश की ओर वही गुब्बारा जाता है, जिसमें हवा भरी होती है । बादल शांत हो, वायु बह रही हो, तब भी हवा - विहीन गुब्बारा ऊपर नहीं जा सकता है* 💯 *इसी प्रकार से तीर्थंकर भगवान् विराजते हों, केवली या श्रुतकेवली विराजते हों, साक्षात् देवों का गमन हो रहा हो, अरहन्त की देशना चल रही हो, जिस जीव के अन्तरङ्ग में वैराग्य शक्ति और संवेग भाव की वायु का वेग क्षीण हो चुका है, उस व्यक्ति को कोई धर्म आनन्द दे ही नहीं सकता* ज्ञानियो ! उमंग होना चाहिये । ' :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े :-https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1853 | 24-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan | Nivai city | Maharaj ji is in nivai |
1854 | 24-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Jharkhand | Siddhvarkut sammed shikarji | सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर 12 दिसम्बर2022 से खबर ★पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य ★परम् पूज्य मुनिश्री #अक्षयसागरजी महाराज ससंघ का पुनः #नेमावर में मंगल प्रवेश 24 जून 2021 के बाद लगभग 1 साल 5 महा 18 दिनो बाद अभी अभी हुआ ।। |
1855 | 25-Dec-22 | #VeerSagarjiMaharaj1973VidyaSagarJi, #VishalSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #DhawalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Washim | *👣शिरपूर जैन से मंगल विहार👣* 2️⃣5️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ वीरसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ विशालसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ धवलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ उत्कृष्टसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मंथनसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मननसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ विचारसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मगनसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ विरलसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी- अभी 👣मंगल विहार👣 *🛕अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन🛕* जिला वाशिम (महाराष्ट्र) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🍁वाशिम🍁* ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. तात्या भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1856 | 25-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Malegaon Jahangir | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣5️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻शिरपूर जैन🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄मालेगाव जहाँगीर🍄* जिला वाशीम Malegaon Jahangir https://maps.app.goo.gl/Hq6fskdkmvvfWPZt5 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल का पूजन, प्रवचन एवं आहारचर्या🍁* *🍁मालेगाव जहाँगीर🍁* जिला वाशीम Malegaon Jahangir https://maps.app.goo.gl/Hq6fskdkmvvfWPZt5 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1857 | 25-Dec-22 | #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi | Maharashtra | हराळ | *👣 मंगल विहार 👣* 2️⃣5️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ ✨✨✨✨✨✨✨ *संत शिरोमणि १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ सौम्यसागर जी महाराज* ससंघ का अभी अभी *🛕अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन🛕* जिला वाशिम से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🍁हराळ🍁* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ------------------------------------- सूचना साभार:- *शैलेश जैन, हराळ* *संकेत बुजुर्गे जैन, पुसद* संकलन🖋️ *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1858 | 25-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Jharkhand | Kothi gaushala Khargon | *👣मंगल विहार अपडेट👣* 25.12.2022 ★मुनिवर श्री १०८ *अक्षयसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *सिद्धवरकूट* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *कोठी गौशाला जि खरगोन* •कल आहारचर्या :- *सनावद* •विहार दिशा:- *बावनगजा (संभावित)* |
1859 | 25-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Malegaon | संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *अंतरिक्ष पार्श्वनाथ (शिरपुर)* महाराष्ट्र से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- मालेगांव महाराष्ट्र।। कल आहार चर्या :- मालेगांव महाराष्ट्र।। •विहार दिशा :- *निश्चित नही* |
1860 | 25-Dec-22 | #PurnmatiMataJi1964VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Damoh, Damoh | Damoh | ★आर्यिकाश्री १०५ *पूर्णमतिमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *बड़नगर* से चल रहा है ।। ★रात्रिविश्राम :- धार से 8km पहले ।। ★मंगल प्रवेश एव कल आहारचर्या :- धार ।। |
1861 | 25-Dec-22 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan | Niwai | *॥ श्रीशांतिवीरशिवधर्माजीतवर्धमान सूरिभ्यो नमः ॥* 🙏🙏🙏🌞🙏🙏🙏 📿 *20वीं सदी की अक्षुण्ण आचार्यपरम्परा* 📿 🎷🥁🎠🎠🐘🎠🎠🥁🎺 🛣️ *भव्य मंगल प्रवेश* 🛣️ 🏘️👣 *निवाई, राजस्थान* 👣 🏘️ 📿📿📿📿📿📿📿 *॥ वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महामुनिराज की जय ॥* |
1862 | 25-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | सरकारी प्राथमिक शाला मोही | 👣👣 मंगल विहार 👣👣 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0341hPP5rrp933eyhaGgeT7c2qBT6JxHzonFJfpxFsmHzMyE5YGSfLeaekdowooocjl&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 25/12/22 का रात्रि विश्राम सरकारी प्राथमिक शाला मोही में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/3FLregRgPnFeZgsm8 🚩 *कल 26/12/22 की आहार चर्या ससुन्दरा RTO चेक पोस्ट के पास सम्पन्न होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/QAZFpvKLZpbkGBH26 👏 *इस मंगल विहार के पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े :-https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1863 | 26-Dec-22 | #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #NisprahSagarJiMaharaj1976VidyaSagarji, #NischalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #NirbhikSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #NiragSagarJiMaharaj1982VidyaSagarji, #OmkaarSagarJiMaharaj1982VidyaSagarJi | Maharashtra | कवठा | *👣शिरपूर जैन से मंगल विहार👣* 2️⃣6️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *मुनिश्री १०८ सौम्यसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ निस्पृहसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ निश्चलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ निर्भीकसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नीरागसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ ओमकारसागर जी महाराज* ससंघ का आज दोपहर में *👣मंगल विहार👣* *🛕केशव नगर 🛕* जिला वाशिम (महाराष्ट्र) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄कवठा🍄* ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍀कल की आहारचर्या🍀* *🪴हराळ🪴* (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ *संभावित विहार दिशा:-* *🍁हराळ🍁* ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *शैलेश जोगी जैन, हराळ* *स्वप्निल क्षीरसागर जैन, हराळ* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1864 | 26-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NirupamsagarjiMaharaj1978VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | जिला परिषद स्कूल* ,*🍄खिर्डा🍄* जिला वाशीम | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣6️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻मालेगाव जहांगीर🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *जिला परिषद स्कूल* *🍄खिर्डा🍄* जिला वाशीम https://maps.app.goo.gl/d7tCheVQuNth6YSEA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁काळा माथा🍁* जिला वाशीम Kalamatha Temple (Awaliya) https://maps.app.goo.gl/e2vnrp1p3QvnGQ5fA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕कारंजा लाड🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1865 | 26-Dec-22 | #VeerSagarjiMaharaj1973VidyaSagarJi, #DhawalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #VishalSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Washim | *👣शिरपूर जैन से मंगल विहार👣* 2️⃣6️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ वीरसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ विशालसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ धवलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ उत्कृष्टसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मंथनसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मननसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ विचारसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मगनसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ विरलसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी- अभी 👣मंगल विहार👣 *🛕अंतरिक्ष पार्श्वनाथ शिरपूर जैन🛕* जिला वाशिम (महाराष्ट्र) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🍁वाशिम🍁* ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *संकेत बुजुर्गे जैन, पुसद* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1866 | 26-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Ankwadi | 👣👣 मंगल विहार 👣👣 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/Cmop4SSp7PZ/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🛣️ *आज 26/12/22 का रात्रि विश्राम अंकवाड़ी में हो रहा है* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/9q1GA2SsXN4CoFuS6 भव्य मंगल प्रवेश बैतूल 🚩 *कल 27/12/22 की आहार चर्या दिगम्बर जैन मंदिर बोर्ड कालोंनी , गंज बैतूल में होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/CKQ73QDSZi2mV9WcA 🥁 आगामी कार्यक्रम 🥁 🏳️🌈 *भव्य मंगल प्रवेश 30 दिसम्बर 2022 चिचोली बैतूल* 🥁 *31 दिसम्बर 2022 से 6 जनवरी 2023 चिचोली*🚩 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े :-https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr | |
1867 | 26-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Chitbat | *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 2️⃣6️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮सनावद🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺चितबत⛺* (जि.खरगोन म.प्र.) ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁अंबा🍁* ( म.प्र.) (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕श्री क्षेत्र बावनगजा🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1868 | 26-Dec-22 | #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi | Maharashtra, Buldana, Buldana | Buldhana | 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *मनावर मध्यप्रदेश* |
1869 | 26-Dec-22 | #SambhavSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Sagar, Sagar | Chandpur | 🍁निर्यापक श्रमण मुनिवर श्री १०८ *संभवसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *रहली जिला सागर* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *चांदपुर* |
1870 | 27-Dec-22 | #NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi | Maharashtra, Kolhapur | गौरवाड शिरोळ | *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣7️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन मंगळवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण *नियमसागर जी महाराज* ससंघ का आज प्रातः कालीन बेला में 👣मंगल विहार👣 *🔻जयसिंगपूर 🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄विराजमान 🍄* *🍁गौरवाड🍁* *तालुका: शिरोळ, जिल्हा : कोल्हापूर* ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *साभार-स्वप्निल पाटील जैन- चिपरी* *शैलेश चौगुले जयसिंगपूर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव https://www.instagram.com/p/Cmq3GD3PK2O/?igshid=MDJmNzVkMjY= |
1871 | 27-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Jila parishad School Kinni raja | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣7️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन मंगलवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻उमरदरी-काळा माथा🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *जिला परिषद स्कूल* *🍄किन्नीराजा🍄* जिला वाशीम Kinhiraja https://maps.app.goo.gl/PZWsC3ZBfDxDf4jf6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहार चर्या 🍁* *🍁लाठी🍁* जिला वाशीम Lathi https://maps.app.goo.gl/qBDms7opSBTaBHPR7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕कारंजा लाड🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1872 | 27-Dec-22 | #VeerSagarjiMaharaj1973VidyaSagarJi, #VishalSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #DhawalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Jamrun pararde | *👣 मंगल विहार अपडेट 👣* 2️⃣7️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन मंगळवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ वीरसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ विशालसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ धवलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ उत्कृष्टसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मंथनसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मननसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ विचारसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ मगनसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ विरलसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮मालेगांव जहागीर 🔮* जिला वाशीम से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺जाबरून पराडें⛺* जिला वाशीम Jambhrun Parande https://maps.app.goo.gl/5BB3Ju3zJp5v1hbn6 ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁वाशीम 🍁* (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕वाशीम 🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ➖➖➖➖➖➖➖➖ सूचना साभार:- *अमित डहाळे मालेगाव* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1873 | 27-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Ahirkheda | *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 2️⃣7️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮आंबा🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺अहिरखेडा⛺* (जि.खरगोन म.प्र.) ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁मछल गांव🍁* ( म.प्र.) (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕श्री क्षेत्र बावनगजा🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1874 | 27-Dec-22 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | Maharashtra, Thane, Thane | श्री 1008 बाहुबली दिगंबर जैन मंदिर मुंब्रा ठाना | *मुम्ब्रा में भक्तामर दीपार्चना* *परम पूज्य आचार्यरत्न 108 श्री बाहुबली जी महाराज श्री* की पट्टशिष्या *परम पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकारत्न 105 श्री जिनदेवी माताजी ससंघ* मुम्ब्रा जिला ठाणा में विराजमान है! बुधवार 28-12-2022 को दोपहर 3:30 बजे *भक्तामर दीपार्चना एवं पू. माताजी के प्रवचन* सभी धर्मप्रेमी समय पर आकर धर्म लाभ लेवे! श्री 1008 बाहुबली दिगंबर जैन मंदिर मुंब्रा ठाना |
1875 | 26-Dec-22 | #VinamraSagarjiMaharaj1963ViragSagarji | Madhya Pradesh, Tikamgarh, Tikamgarh | Gaur | Vinamrasagar ji is in tikamgarh |
1876 | 28-Dec-22 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Bamora | *🔥 ब्रेकिंग न्यूज़ - चंदेरी से मुनिसंघ का विहार*🔥28.12.2022 निर्यापक श्रमण मुनिश्री अभयसागर जी महाराज, मुनिश्री प्रभातसागर जी महाराज, मुनिश्री निरीहसागर जी महाराज का मंगल विहार अभी अभी *दोपहर 1.30 बजे चंदेरी से बामौर की ओर हुआ।* 22 जनवरी से 27 जनवरी 2023 को बदरवास पंचकल्याणक, जिला शिवपुरी में मिलेगा मंगल सानिध्य। *🌿सूचना साभार* डॉ अविनाश जैन अमित जैन स्टील, चंदेरी *🌟🚩पुण्योदय विद्यासंघ 🚩🌟* https://linktr.ee/punyodaya |
1877 | 28-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur | सरकारी शाला लापझिरी | *जैसे कुष्ठ रोगी का कुष्ठ वंश में लग जाए, तो सारे वंश में फैलकर पूरा वंश नष्ट कर देता है* 💯 *ऐसे ही चिन्ता ऐसा रोग है जो दिखता नहीं है, पर यदि लग जाए तो व्यक्ति को नष्ट कर देता है । जितनों ने घात किया है, वह चिन्ता के कारण ही किया है ।* 👍 *चिन्ता करने वाला कर कुछ नहीं पाता है । होता वही है जो होना होता है*👍 ;- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी ( चिंता रहस्य) https://www.instagram.com/p/CmtGurppwwV/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 👣👣 मंगल विहार 👣👣 🚩 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* 🛣️ *आज 28/12/22 का रात्रि विश्राम सरकारी शाला लापझिरी में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/dej1iTjY2efD2trR7 🚩 *कल 29/12/22 की आहार चर्या दीनानाथ पब्लिक स्कूल मथनी में होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/eX2A9zfnbxX6HkuF9 👏 *इस मंगल विहार के पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1878 | 28-Dec-22 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Thipgaon, khargon | [28/12, 7:51 PM] +91 74178 73743: *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 2️⃣8️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का *💫 सामयिक उपरांत💫* अभी दोपहर में 👣मंगल विहार👣 *🔮मछल गांव🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖ *⛺आज रात्री विश्राम⛺* *⛺ठिबगांव⛺* (जि.खरगोन म.प्र.) ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔸कल की आहारचर्या🔸* *🍁खरगोन🍁* ( म.प्र.) (संभावित) ➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕श्री क्षेत्र बावनगजा🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* [28/12, 7:52 PM] +91 74178 73743: *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣8️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻लाठी🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄तऱ्हाळा🍄* जिला वाशिम Tarhala https://maps.app.goo.gl/68CCxCbdphCxYu3D8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहार चर्या 🍁* *🍁पेडगांव🍁* जिला वाशीम (संभावित) Pedgaon https://maps.app.goo.gl/n4m52u2NHtq3PCX48 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕कारंजा लाड🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1879 | 28-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Tarala | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣8️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻लाठी🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄तऱ्हाळा🍄* जिला वाशिम Tarhala https://maps.app.goo.gl/68CCxCbdphCxYu3D8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहार चर्या 🍁* *🍁पेडगांव🍁* जिला वाशीम (संभावित) Pedgaon https://maps.app.goo.gl/n4m52u2NHtq3PCX48 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *🛕कारंजा लाड🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1880 | 28-Dec-22 | #NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi, #PavitraSagarJiMaharaj1961VidyaSagarJi, #VrushabhsagarjiVidyaSagarji1946, #AbhinandanSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #SuparshwaSagarJiMaharaj1955VidyaSagarJi | Maharashtra, Kolhapur, Kolhapur | Gaurwad, Shirol | *༺✿ विराजमान अपडेट ✿༻* 2️⃣8️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन बुधवार ●▬▬▬▬🚩❖✹❖🚩▬▬▬▬● *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, निर्यापक श्रमण जेष्ठ मुनिश्री १०८ नियमसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ पवित्रसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ ऋषभसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अभिनंदनसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ सुपार्श्वसागर जी महाराज* *क्षुल्लकश्री १०५ संयमसागर जी महाराज* ससंघ *🛕गौरवाड🛕* ता. शिरोळ जिला कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में विराजमान है। ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *༺ निर्यापक श्रमण मुनिश्री नियमसागर जी भक्त परिवार ༻* ●▬▬▬▬🚩❖✹❖🚩▬▬▬▬● |
1881 | 29-Dec-22 | #AjitsagarjiVinitSagarJiMaharaj1971 | Uttar Pradesh, Agra, Agra | MDN College Agra | ╭═══════ஜ卐🕉️卐ஜ═══════╮ *अजित वाणी 29 दिसंबर 2022* ╰═══════ஜ卐🕉️卐ஜ═══════╯ *” समय धन-संपत्ति से अधिक* *मूल्यवान है धन-संपत्ति दोबारा मिल* *सकती है,लेकिन समय* *दोबारा नहीं मिल सकता।*“ ✍ प्रवचनांश~मुनिश्री अजितसागर जी महाराज,, 🔷 *प.पू ,मुनिश्री १०८ अजितसागर जी महाराज* ससंघ 🛕एम. डी, एन, कॉलेज *आगरा*🛕में विराजमान हैं। *आगामी कार्यक्रम* *१ जनवरी को श्री शांतिनाथ भगवान के केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव के पावन अवसर पर श्री शांति महार्चना एवं महा मस्तकाभिषेक आयोजन होगा।* साभार~ *ब्र.रविन्द्र भैया जी कोटा* 🙏🏼गुरु चरणों में बारम्बार नमोस्तु,नमोस्तु,🙏🏻 🙏🏼 नमनकर्ता➖ *रीतेश,राजेश मिडला बीना* 🔺 *मुनिश्री अजितसागर जी भक्त परिवार*🔻 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 |
1882 | 29-Dec-22 | #SambhavSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #AnantMatiMaataJiVidyaSagarJiMaharaj, #VimalmatiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Beenabarah Atishay Kshetra digambar Jain temple | *29 पिच्छिका के महासानिध्य में महाआयोजन* श्री शांतिधाम बीनाजी बारहा अतिशय क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर जी की विशेष कृपा से *🛕वार्षिक मेला ● नववर्ष मनाएं शांतिधाम में🛕* *31 दिसंबर 2022 से 2 जनवरी 2023* *📿 मंगल सन्निधि* ● निर्यापक श्रमण श्री संभवसागर जी ससंघ (9 पिच्छिका) ● आर्यिका श्री अनंतमति माताजी ससंघ (12 पिच्छिका) ● आर्यिका श्री विमलमति माताजी ससंघ (8 पिच्छिका) *🌿 विधानाचार्य* बाल ब्र. श्री विनोद भैया जी (आधारताल जबलपुर) *🌟 लोकेशन मैप* https://maps.app.goo.gl/fcU5mG9vyoWwWwCQ9 - - - - - - - - - *🔅🪷 विस्तृत कार्यक्रम 🪷🔅* *🪔 31 दिसंबर 2022, शनिवार* *सुबह 7:30 बजे* - घटयात्रा *सुबह 8:00 बजे* - ध्वजारोहण, मेला शुभारंभ एवं प्रवचन *शाम 7:00 बजे* - मंगलमय संगीत संध्या, अंकित जैन 'वर्धमान' भोपाल द्वारा - - - - - - - - *🪔 1 जनवरी 2023, रविवार* *सुबह 7:00 बजे* - मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान एवं श्री बड़ेबाबा का 1008 कलशों से महामस्तकाभिषेक, वृहद शांतिधारा एवं प्रवचन *★ महामस्तकाभिषेक स्वर्ण कलश द्वारा - राशि 5100 ₹ मात्र* *दोपहर 1:00 बजे* - श्री शांति विधान 108 मंडल पर *★ विधान मंडल राशि - 2100 ₹ मात्र* *शाम 7:30 बजे* - महाआरती एवं संगीत संध्या बाल ब्र. श्री विनोद भैया जी (आधारताल जबलपुर) द्वारा - - - - - - - - *🪔 2 जनवरी 2023, सोमवार* *सुबह 7:00 बजे* - नित्य पूजा, शांतिधारा, आचार्य श्री की महापूजन एवं प्रवचन *दोपहर 1:00 बजे* - क्षेत्र कमेटी द्वारा वार्षिक आय पत्रक प्रस्तुति एवं ट्रस्ट कमेटी की मीटिंग - - - - - - - - *🌟 प्रसारण 'पुण्योदय विद्यासंघ' यूट्यूब चैनल पर* www.youtube.com/punyodaya2 *🌟 फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी व सोशल मीडिया मैनेजमेंट* अंकित जैन 'मित्रा' गुना । श्री विद्यासागर इवेंट्स । 9926247717 *🌟 विनीत* क्षेत्र कमेटी शांतिधाम अतिशय क्षेत्र बीना जी बारहा (देवरी) जिला सागर *🌟 संपर्क सूत्र* 9425182108 - अलकेश जैन (अध्यक्ष) 9425425370 - अजय पारस (महामंत्री) 9893227105 - नरेश सोधिया (कोषाध्यक्ष) 9755206953 - दिनेश सोधिया 9425451092 - अनिल जैन आज ही भारत के सबसे विश्वसनीय जैन मीडिया नेटवर्क से जुड़िये *🌟🚩 पुण्योदय विद्यासंघ 🚩🌟* https://linktr.ee/punyodaya |
1883 | 29-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur | शारदा पब्लिक स्कूल जोगली | 🚩🥁 *भव्य मंगल प्रवेश* चिचोली जिला बैतूल 🚩 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0bPoBKNGd5miWfCwdCg6kqNznE7TuNtR1gUn31UhurcNoscxYmKeYT5XTqDjE6jq3l&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 29/12/22 का रात्रि विश्राम शारदा पब्लिक स्कूल जोगली में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/NDqmAGYoPPh9VT3V8 🚩 *कल 30/12/22 को भव्य मंगल प्रवेश धर्म नगरी ,पंचकल्याणक नगरी चिचोली में होगा* 💐 *आहार चर्या यही सम्पन्न होगी और आचार्य श्री संसघ 6/01/23 तक यही विराजमान रहेगे* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/Pm4hFLtdY7tCUogG9 👏 *इस मंगल विहार के पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1884 | 30-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Karanja lad | *🛕युग शिरोमणि अपडेट🛕* 3️⃣0️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन शुक्रवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ *🍄 कारंजा लाड🍄* जिला वाशिम में विराजमान है। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *☘️कारंजा लाड☘️* जिला वाशिम Karanja lad https://maps.app.goo.gl/CUHTdKLYTN3L5Tcc9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *बा.ब्र.अशोक भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1885 | 30-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Nagpur | Chicholi baitul | 🚩🥁 *भव्य मंगल प्रवेश* चिचोली जिला बैतूल 🚩 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0bPoBKNGd5miWfCwdCg6kqNznE7TuNtR1gUn31UhurcNoscxYmKeYT5XTqDjE6jq3l&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 29/12/22 का रात्रि विश्राम शारदा पब्लिक स्कूल जोगली में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/NDqmAGYoPPh9VT3V8 🚩 *कल 30/12/22 को भव्य मंगल प्रवेश धर्म नगरी ,पंचकल्याणक नगरी चिचोली में होगा* 💐 *आहार चर्या यही सम्पन्न होगी और आचार्य श्री संसघ 6/01/23 तक यही विराजमान रहेगे* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/Pm4hFLtdY7tCUogG9 👏 *इस मंगल विहार के पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1886 | 31-Dec-22 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Dhanora | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 3️⃣1️⃣-1️⃣2️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ दिन शनिवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻कारंजा लाड🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄धानोरा🍄* जिला वाशीम Dhanora https://maps.app.goo.gl/92Bk3QVHXjkmmtte8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁डोनड (bk)🍁* जिला वाशीम (संभावित) Donad Bk. https://maps.app.goo.gl/VJ99yF8d7d5hcU566 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *वर्धा रोड पर विहार चल रहा है* गुरुवर का विहार किस ओर होगा या गुरुवर कहां जायेंगे *❤️गुरुवर के मन की बात गुरुवर जाने❤️* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1887 | 31-Dec-22 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Maharashtra, Nagpur, Chicholi | Chicholi | 🚩🥁 *भव्य मंगल प्रवेश* चिचोली जिला बैतूल 🚩 *आचार्य विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार चिचोली बैतूल के लिए चल रहा है* https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0bPoBKNGd5miWfCwdCg6kqNznE7TuNtR1gUn31UhurcNoscxYmKeYT5XTqDjE6jq3l&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 29/12/22 का रात्रि विश्राम शारदा पब्लिक स्कूल जोगली में होगा* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/NDqmAGYoPPh9VT3V8 🚩 *कल 30/12/22 को भव्य मंगल प्रवेश धर्म नगरी ,पंचकल्याणक नगरी चिचोली में होगा* 💐 *आहार चर्या यही सम्पन्न होगी और आचार्य श्री संसघ 6/01/23 तक यही विराजमान रहेगे* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/Pm4hFLtdY7tCUogG9 👏 *इस मंगल विहार के पुण्यार्जक परिवार* :- श्री ज्ञानचंद्र जी -रजनी पाटनी , श्री मनीष-शिखा पाटनी , मोहित - श्वेता काला , पुलकित -नेहा बाकलीवाल ,यशिका ,विजीत , ज्ञायक एवं रियान दुर्ग 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1888 | 02-Jan-23 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Indore, Indore | Kutwara | *🛕 विहार सूचना🛕* 🔅 दिनांक -02 .01.2023🔅 *विश्व वंदनीय,संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ विद्यासागरजी* महाराज के परम शिष्य - *💫 मुनि श्री १०८ अभय सागर जी महाराज* ⚡मुनि श्री १०८ प्रभात सागर जी महाराज ⚡मुनि श्री १०८ निरीह सागर जी महाराज *का मंगल विहार आज दोपहर 1 बजे कदवाया से खतोरा की ओर हुआ* *आज रात्रि विश्राम-*कदवाया सें 10 km आगे ग्राम कुटवारा (ईंदोर होते हुए) साभार आदिश जैन खटोरा |
1889 | 02-Jan-23 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan | Nivai | *॥ श्रीशांतिवीरशिवधर्माजीतवर्धमान सूरिभ्यो नमः ॥* 🙏🙏🙏🌞🙏🙏🙏 📿 *20वीं सदी की अक्षुण्ण आचार्यपरम्परा* 📿 🎪 *निवाई, राजस्थान* 🎪 👣 *मंगल विहार* 👣 📿📿📿📿📿📿📿 *॥ वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महामुनिराज की जय ॥* |
1890 | 02-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Amravati, Amravati | Signapur | Guruwar accharya bagwant ka vihar wardha road par chal raha hai Aaj ratri visram singnapur jila amravati kal ki aharcharya wagohda jila amravti .guruwar ka vihar kish or hogha guruwar kaha jayeghe.guruwar ke man ki bat guruwar jane 🙏🏾 |
1891 | 02-Jan-23 | #PurnmatiMataJi1964VidyasagarJiMaharaj, #ShubhrmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #SadhumatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #VishadmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #VipulmatiMataJi1970VidyasagarJiMaharaj, #MadhurmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #KaivalyamatijiAcharyaShriVidyasagarji, #SatarkmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Manavar | #प्रथम_दिवस_शुभसूचना_2023_की मंगल विहार अपडेट :- परम पूज्यगुरुदेव संत शिरोमणि आचार्य भगवन्तश्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज की परम् प्रभाविका शिष्या ★आर्यिकाश्री १०५ #पूर्णमति माताजी ससंघ का मंगल विहार अभी अभी #धार से हुआ ★ विहार दिशा :- मनावर |
1892 | 02-Jan-23 | #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi | Maharashtra, Washim, Risod | Risod | #प्रथम_दिवस_शुभसूचना_2023_की 🔥बढ़ते कदम रिसोड की ओर🔥 02.01.2022 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक ,, आज्ञानुवर्ती शिष्य ★मुनिवर श्री १०८ #सौम्यसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार अभी अभी #हराल महाराष्ट्र से हुआ ।। दिशा :- #रिसोड सूचना :- शैलेश जी हराल |
1893 | 02-Jan-23 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Barwani, Barwani | Rui (bawangaja) | #प्रथम_दिवस_शुभसूचना_2023_की #मंगलविहार_02_01_2022 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य ★ मुनिवरश्री १०८ #अक्षयसागरजी महाराज ससंघ का #मंगलविहार आज #ग्राम_रुई से हुआ ★जल्द हो मुनिसंघ का #बावनगजा क्षेत्र पर मंगलप्रवेश होगा ।। |
1894 | 02-Jan-23 | #SamtaSagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #MahaSagarJiMaharaj1973VidyaSagarJi, #NishkampSagarJiMaharaj1982VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Tada | #प्रथम_दिवस_शुभसूचना_2023_की 👣मंगलविहार👣02.01.2022 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य ★निर्यापक श्रमण मुनिवर श्री १०८ #समतासागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार अभी अभी #नन्हीदेवरी से हुआ ।। •विहार दिशा :- #टडा (म.प्र) ।। - |
1895 | 03-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Madhya Pradesh | Vinoli | *भव्य जैनेश्वरी दीक्षा* 💐 *परम पूज्य आचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी के हस्त कमलो से* 💐 दीक्षार्थी :- *बा. ब्रा. पवन जी चिचोली जिला बैतुल (म.प्र.)* दीक्षा स्थान :- *चिचोली* 🚩 *आज दोपहर में गणधर बलय विधान* 🥁 *आज 03/01/23 शाम को विनोली* 🙏 *04/01/23 सुबह 3:30 मंगल केशलोंचन* 👏 *दोपहर 02 बजे दीक्षा* https://www.instagram.com/p/Cm8EKuVJWIj/?igshid=YmMyMTA2M2Y= *लाइव प्रसारण विशुद्ध देशना लाइव youtube पर* 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1896 | 03-Jan-23 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Badarwas | युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ अभय सागर जी महाराज* *मुनि श्री १०८ प्रभात सागर जी महाराज* *मुनि श्री १०८ निरीह सागर जी महाराज* *आज की आहारचर्या* खतौरा जिला शिवपुरी मे होगी *विहार : बदरवास की। ओर विहार चल रहा है* 🙏🙏🙏🙏🙏 😊😊😊😊😊😊😊😊😊 *बदरवास संभावित आगवानी* *4 जनवरी 2023 वुधवार* *दोपहर 1 बजे* |
1897 | 03-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Mogra | #जिला_अमरावती_में_मंगलप्रवेश पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार निरंतर महाराष्ट्र की पावन भूमि पर चल रहा है ।। आज का रात्रि विश्राम :- ग्राम #मोगरा https://maps.app.goo.gl/HzC8q99aCsxSGzXn9 कल मंगल आहारचर्या :- ग्राम #घुईखेद https://maps.app.goo.gl/mSy8VhDFzejMNAT66 ★विहार दिशा :- #वर्धा_महाराष्ट्र (67km शेष) |
1898 | 05-Jan-23 | #PavitrasagarJiMaharaj1949SanmatiSagarJi1927, #PrashantsagarJiMaharaj1963PavitrsagarJi, #PrabhatsagarjiPavitrasagarJiMaharaj1949 | Jharkhand, Giridih, Giridih | Shree Sammed Shikarji | Maharaj ji is in Sammed Shikarji |
1899 | 04-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Amravati, Amravati | Talegaon | #जिला_अमरावती_में_मंगलप्रवेश 04 जनवरी 2023 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार निरंतर महाराष्ट्र की पावन भूमि पर चल रहा है ।। आज का रात्रि विश्राम :- ग्राम #तलेगांव https://maps.app.goo.gl/RZAKAfpJPzUSr4pQ9 कल मंगल आहारचर्या :- ग्राम #देवगाव https://maps.app.goo.gl/yv4C8h5cD91JnExm8 ★विहार दिशा :- #वर्धा_महाराष्ट्र (53km शेष) |
1900 | 05-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Vorvaghal phata | #जिला_अमरावती_में_मंगलविहार 05 जनवरी 2023 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार निरंतर महाराष्ट्र की पावन भूमि पर चल रहा है ।। आज का रात्रि विश्राम :- ग्राम #वोरवाघल फाटा https://maps.app.goo.gl/ZVt97FZyDDBMZPym7 कल मंगल आहारचर्या :- ग्राम #बोरगांव धांदे https://maps.app.goo.gl/viVZKxp65bHk5ngp8 ★विहार दिशा :- #वर्धा_महाराष्ट्र (39km शेष) |
1901 | 06-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Kutkuhi | 🚩 *आज आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ससंघ चिचोली बैतुल पंचकल्याणक सम्पन्न होने के बाद चौरई जिला छिन्दवाड़ा के लिए मंगल विहार होगा*🐘 https://www.instagram.com/p/CnEL9GTJ5R8/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🛣️ *आज 06/01/23 का रात्रि विश्राम नायक कृषि मंत्री केंद्र कटकुही में होगा* 9.5km लोकेशन:-https://goo.gl/maps/w3xqUzDNdFjV6WTh9 🙏 *कल 07/01/23 की आहार चर्या मिडिल स्कूल खारी में सम्पन्न होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/de1tXde6JACNz11J6 🐘 *आगामी ऐतिहासिक भव्य पंचकल्याणक चौरई छिंदवाड़ा*🐘 💐 13 से 19 जनवरी 2023💐 🥁 *भव्य मंगल प्रवेश चौरई संभवत:*🥁 13 जनवरी 2023 दोपहर 3:30 बजे संपर्क सूत्र :- नीरज चौरई 9752263376 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े:- https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr | |
1902 | 06-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Pulgaon | #जिला_अमरावती_में_मंगलविहार 06 जनवरी 2023 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार निरंतर महाराष्ट्र की पावन भूमि पर चल रहा है ।। आज का रात्रि विश्राम :- #पुलगांव महाराष्ट्र ।।★कल मंगल आहारचर्या :- #पुलगांव ।। ★विहार दिशा :- #वर्धा_महाराष्ट्र (30km शेष) |
1903 | 07-Jan-23 | #DurlabhSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi, #SandhansagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Maharashtra, Nandurbar, Shahade | Shahada | *📺धर्मनगरी से विहार📺* *👣मुनिद्वय का मंगल विहार👣* ०७ जनवरी २०२३ दिन शनिवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* के परम प्रभावक शिष्य मुनि द्वय *१०८ दुर्लभ सागर जी महाराज* एवं *१०८ संधान सागर जी महाराज* ससंघ का 👣मंगल विहार👣 अभी-अभी *🛕तीर्थंकर लेणी जी🛕* से तालूका शाहदा की और हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ विहार दिशा :- *🛕पारोला की और 🛕* 👣🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👣 |
1904 | 07-Jan-23 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #AtulSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #ShashvatSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi | Maharashtra | Malegaon | #शिरपुर_जैन_से_मंगलविहार 07 जनवरी 2023 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ #योगसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार #शिरपुर जैन से हुआ ।। ★रात्रिविश्राम एवं कल आहारचर्या :- मालेगांव महाराष्ट्र★विहार दिशा :- #पुसद_महाराष्ट्र (82km शेष) |
1905 | 08-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Wardha, Wardha | Farm house Salod | *कल प्रातः होगा वर्धा में भव्य मंगल प्रवेश 💥युग शिरोमणि का* 0️⃣8️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻प्रगति विद्यालय, दहेगाव🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄फार्म हाउस, सालोड🍄* जिला वर्धा https://maps.app.goo.gl/KZMPiYNE2arTpgaN9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔮भव्य मंगल प्रवेश🔮* *कल प्रातः ८ बजे* *🛕वर्धा🛕* में Wardha https://maps.app.goo.gl/spT7s75fa8KGjtaT6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.तात्या भैय्याजी* *पपीश कहाते, कारंजा लाड* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1906 | 09-Jan-23 | #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #NisprahSagarJiMaharaj1976VidyaSagarji, #NischalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #NirbhikSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #NiragSagarJiMaharaj1982VidyaSagarji, #OmkaarSagarJiMaharaj1982VidyaSagarJi | Maharashtra, Hingoli, Hingoli | Sengaon | *👣सेनगाव से मंगल विहार👣* 0️⃣9️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *मुनिश्री १०८ सौम्यसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ निस्पृहसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ निश्चलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ निर्भीकसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नीरागसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ ओमकारसागर जी महाराज* ससंघ का *💫सामायिक उपरांत 💫* *👣मंगल विहार👣* *🛕सेनगांव🛕* जिला हिंगोली (महाराष्ट्र) से हुआ। ▪️▫️▪️▫️▪️▫️▪️▫️ *🍄आज रात्री विश्राम 🍄* एवं *☘️कल की आहारचर्या☘️* *🍁पूसेगाव 🍁* जिला हिंगोली Jain Temple pusegaon https://maps.app.goo.gl/2pEK8cvpcTcn15MP8 ◽◾◽◾◽◾◽◾ *🌟विहार दिशा🌟* *🍂हिंगोली 🍂* ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- नीलेश उखळकर शरद संघई संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1907 | 08-Jan-23 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #AtulSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #ShashvatSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | बि. एड. कॉलेज, जांभरुण फाटा | *👣द्वितीय निर्यापक श्रमण मंगल विहार 👣* 0️⃣8️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ ✨✨✨✨✨✨✨ *संत शिरोमणि १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ योगसागर जी महाराज* ससंघ का अभी अभी *💫सामयिक उपरांत💫* 👣 मंगल विहार👣 *🛕मालेगाव जहाँगीर🛕* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ आज रात्री विश्राम -* *🍄बि. एड. कॉलेज, जांभरुण फाटा🍄* जिला वाशिम ➖➖➖➖➖➖➖➖ *💥भव्य मंगल प्रवेश💥* कल प्रातः *✴️वाशिम ✴️* में जहां पूर्व से विराजमान- *निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीरसागर जी महाराज ससंघ* करेंगे मंगल अगवानी ➖➖➖➖➖➖➖➖ ★संभावित विहार दिशा - *🛕पुसद🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ------------------------------------- सूचना साभार:- धिरज कान्हेड, मालेगाव संकलन🖋️ *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* ■ *अनिल बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़* |
1908 | 08-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Madhya Pradesh, Chhindwara, Chhindwara | प्राइमरी स्कूल सारणी | 📕 *जिनेन्द्र प्रभु की देशना उन्हें ही फलित होती है, जो जिन - देशना पर आस्थावान होते हैं।*🙏 🤔 जिन जीवों के हृदय में भूतार्थ-मार्ग, तत्त्व एवं *सच्चे देव - शास्त्र - गुरु पर निर्मल आस्था ही नहीं है उन्हें जिनवर - वाणी का क्या सुफल मिल पाएगा?*👏 :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी ( सत्यार्थ बोध ) 🐘 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ससंघ मंगल विहार चौरई पंचकल्याणक के लिए चल रहा है*🐘 🐘 *भव्य पंचकल्याणक चौरई छिंदवाड़ा*🐘 💐 13 से 19 जनवरी 2023💐 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0ZsfqV79ueBw6erSkxKeNURfNAT7zKe8tdMyxpjabNPxFEYUNb1jscjoqtNzep1vhl&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 08/01/23 का रात्रि विश्राम प्राइमरी स्कूल सारणी में होगा* 12km लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/QdsKVP2p47G6t3RD9 🙏 *कल 09/01/23 की आहार चर्या बनाबेहरा में सम्पन्न होगी* लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/nUhHd3KyRtb73yDb7 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े:- https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1909 | 08-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | Madhya Pradesh, Chhindwara, Chhindwara | Bhartagad | 🚩 *जहाँ व्यक्ति की आस्था विद्यमान रहती है वहाँ गुण ही गुण दृष्टिगोचर होते हैं* और जहाँ पर आस्था नहीं है वहाँ गुणों का समुदाय होने पर भी दोष ही दिखाई देते हैं, 💯 *इसलिए सर्वगुणों में प्रधान गुण आस्था है। आस्था के अभाव में किसी भी गुणी के गुणों का कीर्तन नहीं किया जा सकता है।* :- दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी ( सत्यार्थ बोध ) 👣 मंगल विहार 👣 🐘 *भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महा महोत्सव चौरई छिंदवाड़ा*🐘 💐 13 से 19 जनवरी 2023💐 https://m.facebook.com/100063674411523/posts/pfbid07GK7h1Esvcd5r7DBBiriufH7i1WRazq6Ko1Qtc6JS1fqce7utLFkAQ1pQXaaed85l/?mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 09/01/23 का रात्रि विश्राम ग्राम पंचायत भरदागढ़ में होगा* 13km लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/DB8KsnKf5vjeWTUD8 🙏 *कल 10/01/23 की आहार चर्या नन्डोरा में सम्पन्न होगी* 14.5km लोकेशन:-https://goo.gl/maps/TabaaRHuxkS98Sdm8 📝 वैभब बड़ामलहरा & पनिराज हेगड़े जुड़े:- https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1910 | 09-Jan-23 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Guna | Badarwas | *📿🔅केशलोंच अपडेट🔅📿* बदरवास (जिला गुना) सोमवार, 09 जनवरी 2023 _युग शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के परम शिष्य *निर्यापक श्रमण श्री अभयसागर जी महाराज* के केशलोंच आज प्रातःकाल की बेला में बदरवास (जिला शिवपुरी) म.प्र में सम्पन्न हुए।_ _मुनिश्री ससंघ *22 जनवरी से 28 जनवरी* तक आयोजित होने वाले पंचकल्याणक हेतु अग्रवाल धर्मशाला, बदरवास में विराजमान है।👇_ https://maps.app.goo.gl/523za9pPKBXPmBXy5 *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1911 | 09-Jan-23 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan | Kuryal | Maharaj ji is in kuryal |
1912 | 10-Jan-23 | #GurumatiMataJi1956VidyasagarJiMaharaj, #UjjwalmatiMataJi1964VidyasagarJiMaharaj, #ChintanmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SutramatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SheelmatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #SaarmatiMataJi1971VidyasagarJiMaharaj, #SakarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #SomyamatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #ShantmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #SushantmatiMataJi1965VidyasagarJiMaharaj, #JagratmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #KartavyamatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #NishkaammatiMataJi1978VidyasagarJiMaharaj, #ViratimatiMataJi1979VidyasagarJiMaharaj, #TathamatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj | Madhya Pradesh, Guna, Aron | Rajpur | 👣 *आरोन मंगल विहार अपडेट*👣 *10.01.2023* युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज की परम् प्रभाविका शिष्या ✨वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *गुरूमति* माताजी एवं ✨वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति* माताजी की संघस्था *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ सौम्यमति माताजी ससंघ (7 आर्यिका)* *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ साकारमति माताजी ससंघ (2 आर्यिका)* *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ सूत्रमति माताजी ससंघ (7 आर्यिका)* _ससंघ का मंगलविहार कल *आरोन जिला गुना से राजपुर की ओर हुआ*।।_ *विहार दिशा - राजपुर* 📱सूचना साभार :- *पीयूष जैन "अजन्ता" आरोन* ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ |
1913 | 10-Jan-23 | #PuneetmatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #UpshammatiMataJi1979VidyasagarJiMaharaj, #DhruvmatiMataJi1965VidyasagarJiMaharaj, #PaarmatiMataJi1978VidyasagarJiMaharaj, #AagatmatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #ShrutmatiMataJi1978VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Guna, Aron | Rajpur | 👣 *आरोन मंगल विहार अपडेट*👣 *10.01.2023* युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज की परम् प्रभाविका शिष्या ✨वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *गुरूमति* माताजी एवं ✨वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति* माताजी की संघस्था *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ सौम्यमति माताजी ससंघ (7 आर्यिका)* *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ साकारमति माताजी ससंघ (2 आर्यिका)* *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ सूत्रमति माताजी ससंघ (7 आर्यिका)* _ससंघ का मंगलविहार कल *आरोन जिला गुना से राजपुर की ओर हुआ*।।_ *विहार दिशा - राजपुर* 📱सूचना साभार :- *पीयूष जैन "अजन्ता" आरोन* ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ |
1914 | 10-Jan-23 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #AkshaymatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmandmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #SamvarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #MerumatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj, #AvaymatijiAcharyaShriVidyasagarji, #SomyamatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #SakarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #SutramatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Rajpur | 👣 *आरोन मंगल विहार अपडेट*👣 *10.01.2023* युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज की परम् प्रभाविका शिष्या ✨वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *गुरूमति* माताजी एवं ✨वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति* माताजी की संघस्था *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ सौम्यमति माताजी ससंघ (7 आर्यिका)* *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ साकारमति माताजी ससंघ (2 आर्यिका)* *💫वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ सूत्रमति माताजी ससंघ (7 आर्यिका)* _ससंघ का मंगलविहार कल *आरोन जिला गुना से राजपुर की ओर हुआ*।।_ *विहार दिशा - राजपुर* 📱सूचना साभार :- *पीयूष जैन "अजन्ता" आरोन* ☀️🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩☀️ |
1915 | 12-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Wardha, Wardha | Pavnar | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 1️⃣2️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻वर्धा🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄पवनार🍄* जिला वर्धा Pavnar https://maps.app.goo.gl/m2UyhaJ5NAE3Dxoo7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁सेलू🍁* जिला वर्धा (संभावित) Seloo https://maps.app.goo.gl/V4zZpMqhPLgNiW598 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.सचिन भैय्याजी* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1916 | 12-Jan-23 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Shivpuri, Badarwas | Badarwas | *🔅🪷 आहारचर्या • बदरवास 🪷🔅* *12 जनवरी 2023 •* आहारदान महासौभाग्यशाली परिवार के पुण्य की अनुमोदना - - - - - - - - *🔅निर्यापक मुनि श्री अभयसागर जी* -श्री मान संजय कुमार जी सुनील कुमार जी जैन डुंगासरा वाले *🔅मुनि श्री प्रभातसागर जी महाराज* श्री मान सुरेश चंद जी नरेश कुमार जी अखाई वाले *🔅मुनि श्री निरीहसागर जी महाराज* श्री मान महावीर प्रसाद जी राजकुमार जी विवेक कुमार जी डु्गासरा वाले - - - - - - - - ● मुनिसंघ 22 जनवरी 2023 से प्रारंभ होने वाले पंचकल्याणक हेतु अग्रवाल धर्मशाला, बदरवास (जिला शिवपुरी) में विराजमान है👇 https://maps.app.goo.gl/523za9pPKBXPmBXy5 *🔅 संपर्क सूत्र* 9131560205 - सुनील जैन 9589380001 - विवेक जैन 9893224501 - रिषभ जैन 7000642084 - राजेंद्र जैन गुरुचरणों में समर्पित परिवार *🌟🚩पुण्योदय विद्यासंघ 🚩🌟* https://linktr.ee/punyodaya |
1917 | 12-Jan-23 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Nagar | Maharjji is in nagar |
1918 | 11-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi, #PranavSagarJiMaharaj1984VishuddhaSagarJi, #SadbhaavSagarJiMaharaj1986VishuddhaSagarJi, #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh, Chhindwara, Chhindwara | Visdom public school mania khapa | 🚩 *दीक्षा के बाद प्रथम नगर प्रवेश* 💐 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी के परम शिष्य मुनि श्री यतींद्र सागर जी महाराज का*💐 🥁 *भव्य मंगल प्रवेश* 💐 *छिन्दवाड़ा*💐 👍 *साथ ने शिष्य करेगे गुरुदेव की मंगल आगवानी* 👏🥁 *मुनि श्री प्रणव सागर जी और मुनि श्री सद्भाव सागर जी करेगे आने गुरुदेव की मंगल आगवानी*👏👣 इस अवसर के साक्षी बने https://www.instagram.com/p/CnRxmUfoEUU/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🏳️🌈 *आज 11/01/23 का रात्रि विश्राम विस्डम पब्लिक स्कूल मानिया खापा में हो रहा है* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/cf3JdCEsmXGqvcnV6 👍 *12/01/23 को सुबह भव्य मंगल प्रवेश छिन्दवाड़ा* 🚩 *कल 12/01/23 की आहार चर्या शांतिनाथ जैन चैत्यालय पाटोदी शोरूम से सम्पन्न होगी* लोकेशन':- https://maps.app.goo.gl/GjvpeHDFMmx2Sqzs7 🙏 *आप सभी सादर आमंत्रित है*🙏 भव्य पंचकल्याणक चौरई 13 से 19 जनवरी 2023 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1919 | 10-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi, #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi, #PranavSagarJiMaharaj1984VishuddhaSagarJi, #SadbhaavSagarJiMaharaj1986VishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh, Chhindwara, Chhindwara | Gyansagar public school jinnardev | 🚩 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी ससंघ का मंगल विहार चौरई जिला छिन्दवाड़ा पंचकल्याणक के लिए चल रहा है*🐘 https://www.facebook.com/100063674411523/posts/pfbid028LfvfyaEGcerbZH3qrNzX9f55zG5BwFqxsghm8b2ZN6X7rNyKVdwYVGskxyavYrAl/?mibextid=Nif5oz 🛣️ *आज 10/01/23 का रात्रि विश्राम ज्ञान सागर पब्लिक स्कूल जिन्नारदेव में होगा* 13.5km लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/7xwVn7XzkTVhnzSr7 🙏 *कल 11/01/23 को भव्य मंगल प्रवेश उमरेट में होगा और आहार चर्या यही सम्पन्न होगी* 15.0 km लोकेशन:-https://maps.app.goo.gl/HirmXrUQmL6pnmnP8 🐘 *आगामी ऐतिहासिक भव्य पंचकल्याणक चौरई छिंदवाड़ा*🐘 💐 13 से 19 जनवरी 2023💐 🥁 *भव्य मंगल प्रवेश चौरई संभवत:*🥁 13 जनवरी 2023 दोपहर 3:30 बजे संपर्क सूत्र :- नीरज चौरई 9752263376 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1920 | 12-Jan-23 | #NischalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi | Maharashtra, Hingoli, Hingoli | Hingoli | *📿 केशलोंच अपडेट📿* 1️⃣2️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महामुनिराज जी के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ निश्चलसागर जी महाराज जी* का आज प्रातः *🔆केशलोंच🔆* *🛕हिंगोली🛕* जिला हिंगोली (महाराष्ट्र) में हुआ। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सूचना साभार:- *रथेश मास्ट जैन, हिंगोली* संकलन:- *संतोष पांगल जैन,मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन,पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1921 | 13-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Wardha, Wardha | Indian oil petrol pump | *📿 केशलोंच अपडेट📿* 1️⃣2️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महामुनिराज जी के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ निश्चलसागर जी महाराज जी* का आज प्रातः *🔆केशलोंच🔆* *🛕हिंगोली🛕* जिला हिंगोली (महाराष्ट्र) में हुआ। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सूचना साभार:- *रथेश मास्ट जैन, हिंगोली* संकलन:- *संतोष पांगल जैन,मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन,पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1922 | 13-Jan-23 | #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh, Chhindwara, Chhindwara | Chhindwara | 🚩 *दीक्षा के बाद प्रथम नगर प्रवेश* 💐 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी के परम शिष्य मुनि श्री यतींद्र सागर जी महाराज का*💐 🥁 *भव्य मंगल प्रवेश* 💐 *छिन्दवाड़ा*💐 👍 *साथ ने शिष्य करेगे गुरुदेव की मंगल आगवानी* 👏🥁 *मुनि श्री प्रणव सागर जी और मुनि श्री सद्भाव सागर जी करेगे आने गुरुदेव की मंगल आगवानी*👏👣 इस अवसर के साक्षी बने https://www.instagram.com/p/CnRxmUfoEUU/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🏳️🌈 *आज 11/01/23 का रात्रि विश्राम विस्डम पब्लिक स्कूल मानिया खापा में हो रहा है* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/cf3JdCEsmXGqvcnV6 👍 *12/01/23 को सुबह भव्य मंगल प्रवेश छिन्दवाड़ा* 🚩 *कल 12/01/23 की आहार चर्या शांतिनाथ जैन चैत्यालय पाटोदी शोरूम से सम्पन्न होगी* लोकेशन':- https://maps.app.goo.gl/GjvpeHDFMmx2Sqzs7 🙏 *आप सभी सादर आमंत्रित है*🙏 भव्य पंचकल्याणक चौरई 13 से 19 जनवरी 2023 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र |
1923 | 13-Jan-23 | #VimalSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #AnantSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #DharmSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #BhaavSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Shujalpur | . 13/01/2023 🌴🪷☘️🌺☘️🌸 बिहार अपडेट *अभी-अभी शुजालपुर से मुनि संघ का बिहार हो गया है बिहार दिशा मैंना की ओर* 🪷☘️🌺☘️🌸 *सर्वश्रेष्ठ साधक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य* *पूज्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री अनंतसागर जी महाराज , पूज्य मुनि श्री धर्मसागर जी महाराज , मुनि श्री भावसागर जी महाराज* का बिहार चल रहा है 🌹☘️🥀🌿🍁🌺 *रात्रि विश्राम* अरनिया से 5 किलोमीटर पहले कल की आहार चर्या ग्राम अरनिया में संपन्न होगी 🌱🪴☘️🌲🌿🌷💐 ☘️🌺🌱🍁🌴🌺🌿🌺 *पद बिहार की जानकारी हेतु संपर्क सूत्र* ब्र.पीयूष भैया 8318681665 *गूगल मैप लोकेशन देखें* | |
1924 | 13-Jan-23 | #VimalSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #AnantSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #DharmSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #BhaavSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Shujalpur | . 13/01/2023 🌴🪷☘️🌺☘️🌸 बिहार अपडेट *अभी-अभी शुजालपुर से मुनि संघ का बिहार हो गया है बिहार दिशा मैंना की ओर* 🪷☘️🌺☘️🌸 *सर्वश्रेष्ठ साधक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य* *पूज्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज* *पूज्य मुनि श्री अनंतसागर जी महाराज , पूज्य मुनि श्री धर्मसागर जी महाराज , मुनि श्री भावसागर जी महाराज* का बिहार चल रहा है 🌹☘️🥀🌿🍁🌺 *रात्रि विश्राम* अरनिया से 5 किलोमीटर पहले कल की आहार चर्या ग्राम अरनिया में संपन्न होगी 🌱🪴☘️🌲🌿🌷💐 ☘️🌺🌱🍁🌴🌺🌿🌺 *पद बिहार की जानकारी हेतु संपर्क सूत्र* ब्र.पीयूष भैया 8318681665 * | |
1925 | 14-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra, Wardha, Wardha | आसोला ग्राम | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1926 | 14-Jan-23 | #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi, #PrabodhSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Loading... | मनावर के लिये निरंतर विहार शुरू हैं | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1927 | 14-Jan-23 | #VimalSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #AnantSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #DharmSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #BhaavSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Bihar | Maina | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1928 | 14-Jan-23 | #DurlabhSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi, #SandhansagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #NiranjanSagarJiMaharaj1983VidyaSagarJi | Maharashtra | Moodi | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1929 | 14-Jan-23 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #AkshaymatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmandmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #SamvarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #MerumatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj, #NirmadmatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #AvaymatijiAcharyaShriVidyasagarji | Madhya Pradesh, Guna, Guna | Dhubon ji chanderi | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1930 | 14-Jan-23 | #AntarmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmurtMatiMataJiVardhmanSagarjiMaharaj, #AnugrahmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AnupammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AnantMatiMaataJiVidyaSagarJiMaharaj, #AdhigammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AbhedmatiMataJi1971VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Chanderi | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1931 | 14-Jan-23 | #ApurvmatiMaataJi1970VidyaSagarJiMaharaj, #AnuttarmatiVidyaSagarji1946, #AgaadhmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Puranehau | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1932 | 14-Jan-23 | #SomyamatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Guna | Dubhone ji chanderi | *🔥मंगल विहार अपडेट🔥* 【14.01.2022】 🍁संत शिरोमणि आचार्य भगवंत *श्री १०८ विद्यासागरजी मुनिराज* ससंघ *वर्धा महाराष्ट्र* से चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- *असोला ग्राम* •कल आहारचर्या :- *सप्तगिरि बिड गणेशपुर* •विहार दिशा :- *नागपुर / चंदगिरी डोंगरगढ़* 🍁मुनिवर श्री १०८ *प्रयोगसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *बुलढाणा* से निरंतर चल रहा है ।। •विहार दिशा:- *मनावर (मध्यप्रदेश)* 🍁मुनिवर श्री १०८ *विमलसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *शुजालपुर* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- *मैना* •कल आहारचर्या :- *मैना* 🍁मुनिवर श्री १०८ *दुर्लभसागर जी मुनिराज* ससंघ का मंगल विहार *तीर्थंकर लेणी* से चल रहा है ।। •रात्रिविश्राम :- मुड़ी ।। •कल आहारचर्या :- मॉडल ।। •विहार दिशा :- *पारोला महाराष्ट्र* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *आदर्शमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी संभावित* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अंतरमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *मुंगावली (म.प्र.)* से चल रहा है ।। •विहार दिशा :- *चंदेरी* ।। 🍁आर्यिकाश्री १०५ *अपूर्वमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *जबेरा (म.प्र.)* की ओर चल रहा है।। •रात्रिविश्राम :- *पुरेंनहाऊ* •विहार दिशा :- *जबेरा जिला दमोह* 🍁आर्यिकाश्री १०५ *सौम्यमति माताजी* ससंघ का मंगल विहार *आरोन जिला गुना (म.प्र.)* से चल रहा है।। •विहार दिशा :- *थुबोनजी - चंदेरी* ।। 🍁क्षुल्लकश्री १०५ *उद्यमसागर जी महाराज* ससंघ का मंगल विहार *कारंजा लाड़, महाराष्ट्र* से हुआ ।। •रात्रिविश्राम :- *धोत्रा* •कल आहारचर्या :- *श्री बालाजी मनुफैक्टर* •विहार दिशा :- *अमरावती हुए मध्यप्रदेश* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1933 | 14-Jan-23 | #NispakshSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Beenabarah | *📿🔅केशलोंच अपडेट🔅📿* बीनाबारह जिला सागर शनिवार, 14 जनवरी 2023 _युग शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के परम् प्रभावक शिष्य *मुनिश्री १०८ निष्पक्षसागरजी महाराज* का केशलोंच आज प्रातःकाल की बेला में *बीनाबारह* में सम्पन्न हुए।_ 📱सूचना साभार :- अदिति जैन खातेगांव *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1934 | 14-Jan-23 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #AtulSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NissimSagarJiMaharaj1983VidyaSagarJi, #ShashvatSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi | Maharashtra | Pimpalgaon Washim | *👣द्वितीय निर्यापक श्रमण मंगल विहार 👣* 1️⃣4️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ ✨✨✨✨✨✨✨ *संत शिरोमणि १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ योगसागर जी महाराज* ससंघ आज दोपहर में *💫 सामयिक उपरांत💫* 👣 मंगल विहार👣 *🛕वाशिम🛕* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ आज रात्री विश्राम -* *🍄पिम्पळगाव🍄* जिला वाशिम ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ कल की आहारचर्या -* *✴️अनसिंग✴️* ➖➖➖➖➖➖➖➖ ★संभावित विहार दिशा - *🛕पुसद🛕* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ------------------------------------- सूचना साभार:- संकेत बुजुर्गे, पुसद संकलन🖋️ *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1935 | 15-Jan-23 | #ApurvmatiMaataJi1970VidyaSagarJiMaharaj, #AgaadhmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AnuttarmatiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Damoh, Damoh | Damoh | 👣आर्यिका संघ का मंगलविहार👣 15 जनवरी 2022 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री #विद्यासागरजी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★आर्यिकाश्री १०५ #अपूर्वमति माताजी ससंघ का मंगलविहार आज #जबेरा से #दमोह की ओर हुआ।। 📱सूचना साभार :- *शरणम जैन जबेरा* *अम्बर जैन जबेरा* |
1936 | 15-Jan-23 | #PrabodhSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi, #PrayogSagarJiMaharaj1974VidyaSagarJi, #PurnmatiMataJi1964VidyasagarJiMaharaj, #ShubhrmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #SadhumatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #VishadmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #VipulmatiMataJi1970VidyasagarJiMaharaj, #MadhurmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #KaivalyamatijiAcharyaShriVidyasagarji, #SatarkmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Manawar | *_मनावर मध्यप्रदेश की धरती पर भव्य मंगल प्रवेश_* 👣👣👣 आज दिनाँक - 15 जनवरी 2023 प्रात:- 8 बजे *संतशिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के शिष्य* *मुनि श्री १०८ प्रयोगसागर जी महाराज* *मुनि श्री १०८ प्रबोधसागर जी महाराज* *नगर में पूर्व से विराजित आर्यिका रत्न १०५ श्री पूर्णमति माताजी ससंघ 9 आर्यिकाओं* के साथ समस्त जैन जैनेत्तर समाज ने भव्यता के साथ की द्वय मुनिराजों की मंगल आगवानी 💥💥💥 *विशेष :- आज दोपहर में होगा 30 जनवरी से 5 फरवरी तक होने वाले पंचकल्याणक के महापुण्यशाली पात्रों का चयन* *आप भी इन सौभाग्य के क्षणों में अपने पुण्य को जागृत कर करें पुण्यार्जन...* *🙏निवेदक🙏* *श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव समिति एवं सकल दिगम्बर जैन समाज मनावर एवं निमाड़ क्षेत्र* *☀🚩पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀* https://linktr.ee/punyodaya |
1937 | 15-Jan-23 | #NishkampSagarJiMaharaj1982VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Sagar, Sagar | Tada | 📿🔅केशलोंच अपडेट🔅📿टडा जिला सागर रविवार, 15 जनवरी 2023 यूग शिरोमणि आचार्य श्री #विद्यासागरजी महामुनिराज के परम् प्रभावक शिष्य मुनिश्री १०८ #निष्कंपसागरजी महाराज का केशलोंच आज प्रातःकाल की बेला में #टड़ा जिला सागर में सम्पन्न हुए।_ल 📱सूचना साभार :- मनोज जैन "सोगानी" |
1938 | 15-Jan-23 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #DurlabhmatiMaataJi1964VidyaSagarJiMaharaj, #ShwetmatiVidyaSagarji1946, #PrithviymatiMataji1974VidyaSagarJiMaharaj, #DhyanmatiMataji1978VidyaSagarJiMaharaj, #VidehmatiMataji1970VidyaSagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Guna, Guna | Piprai | 👣 मंगलविहार #आरोन से👣 •दिनाँक- 15 जनवरी 2023 गुरुवार युगश्रेष्ठ आचार्य भगवंत श्री 108 #विद्यासागरजी महाराज की परम शिष्या 🪷वंदनीया आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी 🪷वंदनीया आर्यिकाश्री १०५ #दुर्लभमति माताजी 🪷वंदनीया आर्यिकाश्री १०५ #श्वेतमति माताजी 🪷वंदनीया आर्यिकाश्री १०५ #पृथ्वीमति माताजी 🪷वंदनीया आर्यिकाश्री १०५ #ध्यानमति माताजी 🪷वंदनीया आर्यिकाश्री १०५ #विदेहमति माताजी ससंघ का मंगलविहार धर्मनगरी आरोन जिला गुना (म.प्र) से चल रहा है ।। ★कल प्रातः काल आर्यिका संघ का मंगल प्रवेश #पिपरई में ।। ★आगामी संभावित दिशा - #चंदेरी 📲सूचना प्रदाता :- अंकित जैन "बरसत" आरोन |
1939 | 15-Jan-23 | #SukhSagarJiMaharaj1963VidyaSagarJi | Karnataka, Hassan, Hassan | Charepatam | *🚩मंगल शुभ संदेश🚩* *🏵️गोमटेश्वर भगवान बाहुबली के चरणों से विहार🏵️* *परम पूज्य संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक, अज्ञानुव्रती शिष्य मुनिश्री 108 सुखसागर जी महाराज* *श्री श्रवणबेलगोला , कर्नाटक से ससंघ विहार हासन की ओर हुआ आज की आहारचर्या चंरैपतं में होगी* सूचना प्रदाता*- *+919164836775* |
1940 | 16-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Gotal panjari | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 1️⃣6️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻अंविता फार्म्स, जामठा🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄गोटल पांजरी🍄* https://maps.app.goo.gl/pwoX9PqiJdjfmX5o6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁दीघोरी (बायपास)🍁* (संभावित) https://maps.app.goo.gl/3km8mbdYZ9ruxggVA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.सचिन भैय्याजी* *शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1941 | 16-Jan-23 | #ChintanmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SutramatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SakarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #AkshaymatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmandmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #SamvarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #MerumatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj, #NirmadmatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #AvaymatijiAcharyaShriVidyasagarji, #AntarmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmoortmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AnupammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AnantMatiMaataJiVidyaSagarJiMaharaj, #AbhedmatiMataJi1971VidyasagarJiMaharaj, #AdhigammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh | Chanderi (Lalitpur) | 🛕बढ़ते कदम ललितपुर की ओर🛕16 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजीमहाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #चिंतनमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #महरौनी से #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- #छिल्ला ग्राम ।। •कल आहारचर्या :- #खितवास से 4km आगे (उत्तरप्रदेश) ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सूत्रमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #साकारमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सौम्यमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम एवं कल आहारचर्या :- #चंदेरी (मध्यप्रदेश) ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #अंतरमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #मुंगावली से #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- #चंदेरी •कल आहारचर्या :- #प्राणपुर |
1942 | 17-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Tirupati transport kapasi | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 1️⃣7️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन मंगलवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻चौधरी लॉन, दीघोरी (बायपास)🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄तिरुपति ट्रांसपोर्ट, कापसी🍄* https://maps.app.goo.gl/Tq5PvHrUuuzBLjyU9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁एस. एस. फूड प्रोडक्ट प्रा.लिमिटेड🍁* (संभावित) SS Food Products Pvt. Ltd https://maps.app.goo.gl/cN8ddXBvCor739XV7 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *बा.ब्र.सचिन भैय्याजी* *शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1943 | 17-Jan-23 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | चा. च. आचार्य शांतिसागर स्मारक | Maharaj ji is in shantisagar smarak | |
1944 | 17-Jan-23 | #ChintanmatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Lalitpur | Mhasora gram | 🛕बढ़ते कदम ललितपुर की ओर🛕 17 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #चिंतनमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #महरौनी से #ललितपुर की ओर चल रहा है ।।•आज रात्रिविश्राम :- #मसोरा ग्राम ।।•कल आहारचर्या :- #ज्ञानोदय_विद्यापीठ_प्रतिभास्थली_ललितपुर ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #अंतरमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सूत्रमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #साकारमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सौम्यमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- #राजघाट ।। •कल आहारचर्या :- जयराम की गढ़ी ललितपुर रोड_ |
1945 | 17-Jan-23 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #AkshaymatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmandmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #MerumatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj, #SamvarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #NirmadmatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #AvaymatijiAcharyaShriVidyasagarji | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | Rajghat | 🛕बढ़ते कदम ललितपुर की ओर🛕 17 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #चिंतनमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #महरौनी से #ललितपुर की ओर चल रहा है ।।•आज रात्रिविश्राम :- #मसोरा ग्राम ।।•कल आहारचर्या :- #ज्ञानोदय_विद्यापीठ_प्रतिभास्थली_ललितपुर ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #अंतरमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सूत्रमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #साकारमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सौम्यमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- #राजघाट ।। •कल आहारचर्या :- जयराम की गढ़ी ललितपुर रोड_ |
1946 | 17-Jan-23 | #AntarmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AnugrahmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmurtMatiMataJiVardhmanSagarjiMaharaj, #AnupammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AnantMatiMaataJiVidyaSagarJiMaharaj, #AdhigammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AbhedmatiMataJi1971VidyasagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | Rajghat | 🛕बढ़ते कदम ललितपुर की ओर🛕 17 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #चिंतनमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #महरौनी से #ललितपुर की ओर चल रहा है ।।•आज रात्रिविश्राम :- #मसोरा ग्राम ।।•कल आहारचर्या :- #ज्ञानोदय_विद्यापीठ_प्रतिभास्थली_ललितपुर ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #अंतरमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सूत्रमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #साकारमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सौम्यमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- #राजघाट ।। •कल आहारचर्या :- जयराम की गढ़ी ललितपुर रोड_ |
1947 | 17-Jan-23 | #SomyamatiMataJi1972VidyasagarJiMaharaj, #SutramatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SakarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Lalitpur | Rajghat | 🛕बढ़ते कदम ललितपुर की ओर🛕 17 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #चिंतनमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #महरौनी से #ललितपुर की ओर चल रहा है ।।•आज रात्रिविश्राम :- #मसोरा ग्राम ।।•कल आहारचर्या :- #ज्ञानोदय_विद्यापीठ_प्रतिभास्थली_ललितपुर ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #अंतरमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सूत्रमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #साकारमति माताजी ससंघ ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #सौम्यमति माताजी ससंघ का मंगलविहार #ललितपुर की ओर चल रहा है ।। •आज रात्रिविश्राम :- #राजघाट ।। •कल आहारचर्या :- जयराम की गढ़ी ललितपुर रोड_ |
1948 | 18-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Jhullar | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 1️⃣8️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻एस.एस.फूड प्रोडक्ट प्रा.लि🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄झुल्लर🍄* Wadoda https://maps.app.goo.gl/Ptw8Q6QZZruw36317 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁 कोठारी फार्म हाऊस 🍁* https://maps.app.goo.gl/f8kKqE2t2bHeUm9b9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री विघा समययोग परिवार* *संकलन✒️* *श्री विघा समययोग परिवार* |
1949 | 19-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Madhuban mauda | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 1️⃣9️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻कोठारी फार्म हऊस🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄मधुबन मौदा🍄* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/rQjkYk8cWLUU9zLh9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* बोरगांव से 1 कि.मी.आगे *🍁महादुला 🍁* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/ZR5yWDqfdke2qdnF6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगड)* *श्री.शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1950 | 20-Jan-23 | #VicharsagarjiVidyaSagarji1946 | Maharashtra, Washim, Washim | Washim | 📿🔅केशलोंच अपडेट🔅📿 वाशिम महाराष्ट्र शुक्रवार, 20 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य श्री *विद्यासागरजी* महामुनिराज के परम् प्रभावक शिष्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ *वीरसागरजी* महाराज के संघस्थ *क्षुल्लकश्री १०५ विचारसागरजी महाराज* का केशलोंच आज प्रातःकाल की बेला में *वाशिम महाराष्ट्र* में सम्पन्न हुए। 📱सूचना साभार :- श्रीकांत जैन पुसद ☀️🚩 _*पुण्योदय विद्यासंघ*_🚩☀️ |
1951 | 20-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | M.I.T College Shahpur | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣0️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन शुकृवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻महादुला🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄एम.आय.टी कॉलेज शहापूर 🍄* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/XnMYCyvocXiVPQaC9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल कीआहारचर्या🍁* *🍁जे.एम.पटेल कॉलेज भंडारा🍁* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/pGKCN5mTdGSqpvbRA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगड)* *श्री.शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1952 | 19-Jan-23 | #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #NiragSagarJiMaharaj1982VidyaSagarji | Maharashtra, Hingoli | Hingoli | *📿 केशलोंच अपडेट📿* 1️⃣9️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन गुरुवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महामुनिराज जी के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य *मुनिश्री १०८ सौम्यसागर जी महाराज जी* एवं *मुनिश्री १०८ नीरागसागर जी महाराज जी* का आज प्रातः *🔆केशलोंच🔆* *🛕हिंगोली🛕* जिला हिंगोली (महाराष्ट्र) में हुआ। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सूचना/फ़ोटो/वीडियो साभार:- *चंद्रशेखर कान्हेड, हिंगोली* *आनंद सातपुते, हिंगोली* *सोहम त्यारल, हिंगोली* संकलन:- *संतोष पांगल जैन,मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन,पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1953 | 20-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi, #PranavSagarJiMaharaj1984VishuddhaSagarJi, #SadbhaavSagarJiMaharaj1986VishuddhaSagarJi, #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh, Damoh, Damoh | Primary medium school khami | 🚩 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी संसघ का (29 पिच्छी) मंगल विहार युग प्रतिक्रमण 2023 पथरिया के लिए चल रहा है* 🙏👣 आचार्य श्री विशुद्धसागर जी करेंगे अपने गुरु गणाचार्य विरागसागर जी की चरण वंदना। 👣 आप इस पल के साक्षी बने 🥁 *युग प्रतिक्रमण महा महोत्सव 2023 पथरिया जिला दमोह*🥁 🐘🏳️🌈 1 फरवरी से 15 फरवरी 2023 🐘🏳️🌈 https://www.instagram.com/p/Cnoa6RstuZ9/?igshid=YmMyMTA2M2Y= *आज 20/01/23 का रात्रि विश्राम प्राइमरी मिडिल स्कूल खामी में होगा* 15km लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/4qUTcCtbSPtwZbVK8 *कल 22/01/23 को भव्य मंगल प्रवेश अमरवाड़ा में होगा और आहार चर्या यही सम्पन्न होगी* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/exC2xaqrsiis77Bf6 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र 🖊️ वैभब बड़ामलहरा & पनिराज हेगड़े जुड़े:-https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1954 | 20-Jan-23 | #AjitSagarJiMaharaj1968VidyaSagarJi, #VivekanandsagarjiVidyaSagarji1946, #DayasagarjiVidyaSagarji1946 | Uttar Pradesh | Rajkheda | 👣 मंगलविहार सूचना - #आगरा (उत्तरप्रदेश)👣 20 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य ★मुनिवरश्री १०८ #अजितसागरजी महाराज •ऐलकश्री १०५ #दयासागरजी महाराज •ऐलकश्री १०५ #विवेकानदसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार आगरा (उत्तरप्रदेश) से हुआ ।। 🚩 संभावित विहार दिशा ➖ #शमासाबाद, #राजाखेड़ा,होते हुऐ #ग्वालियर की ओर।।🚩 🙏🏼 साभार ➖ रीतेश,राजेश मिडला बीना |
1955 | 20-Jan-23 | #SudhaSagarJiMaharaj1956VidyasagarJi, #PujyaSagarJiMaharaj1970VidyaSagarJi, #DhairyaSagarjiMaharaj1934, #Gambhirsagarji1961AcharyaShriVidyasagarji, #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #SamvarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #MerumatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj, #AkshaymatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #NirmadmatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #AvaymatijiAcharyaShriVidyasagarji, #AmandmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | Lalitpur | केशलोंच अपडेट :- पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री १०८ #सुधासागरजी महाराज के केशलोंच आज #ललितपुर में सम्पन हुए ।। |
1956 | 20-Jan-23 | #GunMatiMaataJi,1963VidyaSagarJiMaharaj, #DhyeymatiMataJi1980VidyasagarJiMaharaj, #AatmmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #SaiyatmatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Sagar, Sagar | Sagar | #आर्यिका_संघो_कामंगल_मिलन_सागर_18_01_2023 आर्यिकाश्री १०५ #विज्ञानमति माताजी ससंघ आर्यिकाश्री १०५ #गुणमति माताजी ससंघ का मंगलमिलन #अंकुर_कॉलोनी_सागर में हुआ ।। सूचना :-अंकित जैन,प्राशु ,जैसीनगर |
1957 | 21-Jan-23 | #VimalSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #BhaavSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #AnantSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #DharmSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi | Kurvari Sihor | 👣 *मंगलविहार सूचना - इंदौर(म.प्र) की ओर*👣 21 जनवरी 2023 _युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ *विद्यासागरजी* महाराज_ के प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य ★मुनिवरश्री १०८ *विमलसागरजी* महाराज ★मुनिवरश्री १०८ *अनंतसागरजी* महाराज ★मुनिवरश्री १०८ *धर्मसागरजी* महाराज ★मुनिवरश्री १०८ *भावसागरजी* महाराज ससंघ का मंगल विहार आज *ग्राम मैना* से हुआ ।। ★रात्रिविश्राम :- कुरावर जिला सिहोर ।। ★कल आहारचर्या :- जावर या डुमरी कलां जिला सिहोर ।। 🚩 *संभावित विहार दिशा इंदौर।।*🚩 *🚩☀️पुण्योदय विद्यासंघ🚩☀️* https://linktr.ee/punyodaya | |
1958 | 22-Jan-23 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Maharashtra, Dhule, Shirpur-Warwade | Shirpur | *👣दक्षिण सूर्य का मंगल विहार👣* 2️⃣2️⃣-1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का 👣मंगल विहार👣 *🔮बडवानी🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। *विहार दिशा- शिरपूर (धुलीयां) (महाराष्ट्र) की ओर* ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र. वैभव भैय्याजी* *बा.ब्र.जयवर्मा भैय्याजी* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1959 | 22-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Laakhni utsav Mangal karyalay | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣2️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻गाडेगांव🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄लाखनी 🍄* (उत्सव मंगल कार्यालय) ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *🍁पिंपळगांव🍁* (जि.प. केंद्र सेमी इंग्रजी स्कुल) 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/QumjSyp7ynCu92o67 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ)* *श्री.शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1960 | 22-Jan-23 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan | Madan Ganj, Kishangarh | 🍁 स्नेहिल आमंत्रण 🍁 🔆 दिनांक 22 जनवरी रविवार 🔆 वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में एवं श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत के तत्वावधान में, श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, इंदिरा कॉलोनी एवं श्री चंद्रप्रभु मंदिर, सिटी रोड, का 22 जनवरी से 27 जनवरी 2023 तक श्रीमद् जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य आयोजन मार्बल नगरी मदनगंज किशनगढ़ की पावन धरा पर होने जा रहा है। आज के कार्यक्रम प्रातः 6 बजे नांदी मंगल अनुष्ठान, व्रतदान विधि, घटयात्रा महोत्सव, भूमि शुद्धि, श्री जिन स्थापना। प्रातः 9 बजे ध्वजारोहण, मंडप उद्घाटन, चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, मंगल कलश स्थापना, आचार्य निमंत्रण, अतिथि संस्कार, प्रवचन सभा दोपहर 1 बजे सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा, अंकुरारोपण, जाप्यारंभ, श्री जिनाभिषेक, याग मंडल पूजा, सायं 7 बजे आरती, रात्रि 7:30 बजे शास्त्र सभा, 8 बजे गर्भ कल्याणक नाटकीय उत्सव पूर्व रूप का आयोजन किया जाएगा। उक्त सभी कार्यक्रम में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। आयोजक श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत मदनगंज किशनगढ़। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर इंदिरा नगर। श्री चंदा प्रभु दिगंबर जैन मंदिर मदनगंज किशनगढ़। ➖➖➖➖➖⭕➖➖➖➖➖ प्रचार प्रसार गौरव पाटनी |
1961 | 23-Jan-23 | #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #NemiSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #ShailSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AchalSagarJiMaharaj1976VidyaSagarJi, #UpshamsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh | Palsud | *🌅दक्षिण सूर्य का मंगल विहार महाराष्ट्र की ओर👣* 2️⃣3️⃣-0️⃣1️⃣-2️⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *दक्षिण सूर्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ नेमिसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ शैलसागर जी महाराज* *मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *ऐलकश्री १०५ उपशमसागर जी महाराज* ससंघ का अभी दोपहर में *💫 सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔮सिलावद🔮* (मध्य प्रदेश) से हुआ। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ *☘️आज का विश्राम☘️* *🍄पलसुद🍄* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/knPf8uC2H5P7cazu6 (म.प्र) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ *🟡कल की आहारचर्या🟡* *🍁दोंदवाडा🍁* (म.प्र) 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/XMqhzW3u4c6rSEvF6 ➖➖➖➖➖➖➖➖ *👣विहार दिशा👣* 🌅शिरपूर (धुलिया) महाराष्ट्र की ओर🌅 ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब्र.जयवर्म भैय्याजी* *बा.ब्र.नितिन भैय्याजी शिरशाले* संकलन:-✒️ *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1962 | 23-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Martandrav Patil kapgate Vidyalay Jambhali | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣3️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻पिंपळगांव🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄जांभळी 🍄* (मार्तंडराव पाटील कापगते विद्यालय जांभळी) 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/8PEywQcg6tHMGCBw9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *🍁साकोली🍁* (एम.बी.पटेल कॉलेज साकोली) 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/n9T7Z4jZ3ht8ikpm8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ)* *श्री.शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1963 | 23-Jan-23 | #NisprahSagarJiMaharaj1976VidyaSagarji, #NiragSagarJiMaharaj1982VidyaSagarji, #NischalSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #NirbhikSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi, #OmkaarSagarJiMaharaj1982VidyaSagarJi, #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi | Maharashtra, Hingoli, Hingoli | Shirad shahpur | *👣 मंगल विहार👣* 2️⃣3️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन सोमवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के *अनमोल रत्न ,परम प्रभावक शिष्य* परम पूज्य *1)जेष्ठ श्रेष्ठ पुज्य मुनिश्री १०८ सौम्यसागर जी महाराज* *2)मुनिश्री १०८ निस्पृहसागर जी महाराज* *3)मुनिश्री १०८ निश्चलसागर जी महाराज* *4)मुनिश्री १०८ निर्भीक सागर जी महाराज* *5)मुनिश्री १०८ निरागसागर जी महाराज* *6)मुनिश्री १०८ ओमकारसागर जी महाराज* ससंघ का 👣मंगल विहार👣 *🔮कस्तुरी नगरी हिंगोली 🔮* (महाराष्ट्र) से हुआ। *आहार चर्या- गाव डिग्रस करहाले* *विहार दिशा- अतिशय क्षेत्र शिरड शहापूर जिल्हा-हिंगोली(महाराष्ट्र) की ओर* ➖➖➖➖➖➖➖➖ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूचना साभार:- *बा.ब.मनिष भय्याजी* *सागर गोरे, हिंगोली* *संपर्क-9766352626* *ललित कंदी,हिंगोली* संकलन:- *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1964 | 23-Jan-23 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #AtulSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #NissimSagarJiMaharaj1983VidyaSagarJi, #ShashvatSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi | Maharashtra, Washim, Washim | Marwadi Khurd | *👣द्वितीय निर्यापक श्रमण मंगल विहार 👣* 2️⃣3️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ ✨✨✨✨✨✨✨ *संत शिरोमणि १०८ विद्यासागर जी* महाराज जी के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य परम पूज्य *निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ योगसागर जी महाराज* ससंघ आज दोपहर में *💫 सामयिक उपरांत💫* 👣 मंगल विहार👣 *🛕अनसिंग🛕* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ आज रात्री विश्राम -* *🍄मारवाड़ी खुर्द🍄* जिला वाशिम ➖➖➖➖➖➖➖➖ *★ कल की आहारचर्या -* *✴️खंडाळा✴️* ➖➖➖➖➖➖➖➖ *🔮भव्य मंगल प्रवेश(संभावित)🔮* कल २४-०१-२३ को दोपहर ४ बजे *🛕व्रती नगरी पुसद🛕* में 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ------------------------------------- सूचना साभार:- *विनोद भागवत, पुसद* *संकेत बुजुर्गे, पुसद* संकलन🖋️ *संतोष पांगळ जैन, मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन, पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1965 | 24-Jan-23 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #AnupammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #AdhigammatiMataJi1968VidyasagarJiMaharaj, #SwasthamatiMataji1961VidyaSagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Raisen, Raisen | Sultanganj | #दीक्षा_दिवस 24.01.2023 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज द्वारा दीक्षित आर्यिकाश्री १०५ #गुणमति माताजी की संघस्था आर्यिकाश्री १०५ #आगममति माताजी का आज 31वा #दीक्षा_दिवस पर माताजी के चरणों मे त्रय वन्दामि ।। वंदनीय माताजी ससंघ #अंकुर_कॉलोनी_सागर में विराजमान है ।। Pic :- अंकित जैन प्राशु,जैसीनगर ।। |
1966 | 26-Jan-23 | #Dradhmatiji1961VidyaSagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | Lalitpur | Maharaj ji is in Lalitpur |
1967 | 24-Jan-23 | #GunMatiMaataJi,1963VidyaSagarJiMaharaj, #AagammatiMataJi1962VidyasagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Sagar | Ankur | #दीक्षा_दिवस 24.01.2023 पूज्यगुरुदेव आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज द्वारा दीक्षित आर्यिकाश्री १०५ #गुणमति माताजी की संघस्था आर्यिकाश्री १०५ #आगममति माताजी का आज 31वा #दीक्षा_दिवस पर माताजी के चरणों मे त्रय वन्दामि ।। वंदनीय माताजी ससंघ #अंकुर_कॉलोनी_सागर में विराजमान है ।। Pic :- अंकित जैन प्राशु,जैसीनगर ।। |
1968 | 21-Jan-23 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi, #PurnmatiMataJi1964VidyasagarJiMaharaj, #ShubhrmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #SadhumatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #VishadmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #VipulmatiMataJi1970VidyasagarJiMaharaj, #MadhurmatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #KaivalyamatiMataJi1976SurdevsagarJiMaharaj, #SatarkmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #AkshaySagarJiMaharaj1962VidyasagarJi, #SamaySagarJiMaharaj1958VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Badarwas | *🛕🔅आमंत्रण - बदरवास पंचकल्याणक 🔅🛕* *निर्यापक मुनिश्री अभयसागर जी ससंघ* 21 जनवरी से 27 जनवरी 2023 'अयोध्या नगरी' - घुरवार रोड बदरवास (जिला शिवपुरी) मध्यप्रदेश *🔅आमंत्रण वीडियो लिंक* https://youtu.be/Hh-m_2xDUqY - - - - - - - - - - - ● 21 जनवरी, शनिवार - घटयात्रा, मंडपशुद्धि ● 22 जनवरी, रविवार - गर्भकल्याणक (पूर्वरूप) ● 23 जनवरी, सोमवार - गर्भकल्याणक (उत्तररूप) ● 24 जनवरी, मंगलवार - जन्मकल्याणक ● 25 जनवरी, बुधवार - तपकल्याणक ● 26 जनवरी, गुरुवार - ज्ञानकल्याणक ● 27 जनवरी, शुक्रवार - मोक्षकल्याणक *• पंचकल्याणक स्थल लोकेशन* - https://goo.gl/maps/dtxdY9LuthmcPF2N8 - - - - - - - - - - - *🔅भव्य लाइव प्रसारण* 'पुण्योदय विद्यासंघ' यूटयूब चैनल पर www.youtube.com/punyodaya2 *🔅निवेदक* सकल दिगम्बर जैन समाज एवं पंचकल्याणक समिति, बदरवास गुरुचरणों में समर्पित परिवार *🌟🚩पुण्योदय विद्यासंघ 🚩🌟* https://linktr.ee/punyodaya |
1969 | 25-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Duggepar | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣5️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻सावंगी🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄दुग्गेपार🍄* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/qDa4RLcwsUbuqxbG8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *🍁डोंगरगांव🍁* *(जि.प.केंद्रीय प्राथमिक शाळा-डोंगरगाव जि.गोंदिया)* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/pgzXEy4ngVySZDePA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ)* *श्री.शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1970 | 24-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | Shriramnagar | *👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣* *अनियत विहारी संत का अनियत विहार* 2️⃣5️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन बुधवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ चंद्रप्रभ सागर जी महाराज 💫मुनि श्री १०८ निरामय सागर जी महाराज ससंघ का आज दोपहर में *💫सामयिक उपरांत💫* 👣मंगल विहार👣 *🔻सावंगी🔺* से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍄आज रात्री विश्राम🍄* *🍄दुग्गेपार🍄* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/qDa4RLcwsUbuqxbG8 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ *🍁कल की आहारचर्या🍁* *🍁डोंगरगांव🍁* *(जि.प.केंद्रीय प्राथमिक शाळा-डोंगरगाव जि.गोंदिया)* 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/pgzXEy4ngVySZDePA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ)* *श्री.शीतल जैन, नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1971 | 24-Jan-23 | #YogSagarJiMaharaj1986VidyaSagarJi, #SaumyasagarjiMaharaj1978VidyasagarJi, #AtulSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NissimSagarJiMaharaj1983VidyaSagarJi, #ShashvatSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi | Pusad | #पुसद_नगर प्रवेश 24.01.2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य ★निर्यापक श्रमण मुनिवरश्री १०८ #योगसागरजी महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश आज दोपहर में #व्रती_नगरी_पुसद में होगी ।। विशेष :- पूज्य निर्यापक ससंघ में #पुसद_नगर_गौरव क्षुल्लक श्री १०५ #अपारसागरजी महाराज #कुंडलपुर_दीक्षा_उपरांत_11_माह_4_दिन बाद #प्रथम_नगर_प्रवेश होगा ।। | |
1972 | 23-Jan-23 | #PranamyaSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #ChandraSagarJiMaharaj1956VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Jabalpur | Badriya | 👣 मंगलविहार सूचना👣 23 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य★मुनिवरश्री १०८ #प्रणम्यसागरजी महाराज ★मुनिवरश्री १०८ #चंद्रसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार #रांझी पंचकल्याणक उपरांत #रांझी (जबलपुर) से कछार गांव (कटनी) के लिए चल रहा है। ✴️ रात्रि विश्राम- ग्राम पड़रिया ✴️कल आहारचर्या-:तिलसनी ग्राम (संभावित) 🚩 *विशेष :- 7 फरवरी से होगा भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव एव 5 फरवरी 2023 को द्वय मुनिराजों का दीक्षा दिवस बड़े ही धूम धाम से मनाया जाएगा ।।*🚩 सूचना साभार:- सृजल जैन गोटेगांव *सूजल जैन पनागर* |
1973 | 23-Jan-23 | #AjitSagarJiMaharaj1968VidyaSagarJi | Uttar Pradesh, Agra, Agra | Shamasabad | 👣 मंगलविहार सूचना - #आगरा (उत्तरप्रदेश)👣 23 जनवरी 2023 ★युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजी महाराज के प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य★मुनिवरश्री १०८ #अजितसागरजी महाराज •ऐलकश्री १०५ #दयासागरजी महाराज •ऐलकश्री १०५ #विवेकानदसागरजी महाराज ससंघ का मंगल विहार आगरा (उत्तरप्रदेश) से हुआ ।। आज रात्रिविश्राम :- #शमासाबाद 🚩 संभावित विहार दिशा ➖ #राजाखेड़ा,होते हुऐ #ग्वालियर की ओर।।🚩 🙏🏼 साभार ➖ रीतेश,राजेश मिडला बीना |
1974 | 24-Jan-23 | #VigyanmatiMataji1963VivekSagarJiMaharaj | Madhya Pradesh, Sagar, Sagar | Makroniya | मंगल विहार - #मकरोनिया_सागर :- वन्दनीय आर्यिका माँ १०५ #विज्ञानमति माताजी ससंघ का मंगल विहार #मकरोनिया_सागर (मप्र.) से #सुरखी की ओर हुआ ।। 24-01-2023 |
1975 | 23-Jan-23 | #AadarshmatiMaataJi,1964VidyaSagarJiMaharaj, #AkshaymatiMataJi1967VidyasagarJiMaharaj, #AmandmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #SamvarmatiMataJi1969VidyasagarJiMaharaj, #MerumatiMataJi1974VidyasagarJiMaharaj, #NirmadmatiMataJi1976VidyasagarJiMaharaj, #AvaymatijiAcharyaShriVidyasagarji | Madhya Pradesh | Pratibhastali | 🛕मंगलविहार ललितपुर से हुआ🛕23 जनवरी 2023 युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री १०८ #विद्यासागरजीमहाराज की परम प्रभाविका शिष्या ★वंदनीय आर्यिकाश्री १०५ #आदर्शमति माताजी ससंघ का मंगलविहार अभी अभी #ललितपुर से #प्रतिभास्थली की ओर हुआ ।। |
1976 | 23-Jan-23 | #KunthuSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi | Karnataka | Shrawanbelgola | मंगल बिहार #एलोरा महाराष्ट्र से #श्रवणबेलगोला_कर्नाटक की ओर दिनांक २३ जनवरी २०२३ आचार्य श्री #विद्यासागरजी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री 108 #कुंथुसागरजी महाराज आज आहारचर्या #चित्र_दुर्ग_कर्नाटक विहार दिशा #श्रवणबेलगोला 23-01-2023 |
1977 | 27-Jan-23 | #Dradhmatiji1961VidyaSagarJiMaharaj | Uttar Pradesh, Lalitpur, Lalitpur | Lalitpur | Mataji is in Lalitpur |
1978 | 27-Jan-23 | #AdityaSagarJiMaharaj1986VishudhSagarji, #ApramitSagarJiMaharaj1984VishudhSagarji, #SehajSagarJiMaharaj1979VishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh, Sagar | Mangalgiri | 🚩 *भव्य मंगल प्रवेश दीक्षा स्थली मंगलगिरी सागर* *27 जनवरी 2023* दोपहर 3 बजे 🏳️🌈 चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य 🏳️🌈 श्रमण मुनि आदित्य सागर जी 🏳️🌈 श्रमण मुनि अप्रमित सागर जी 🏳️🌈 श्रमण मुनि सहज सागर जी महाराज ससंघ का 🚩 *भव्य मंगल प्रवेश सागर में मोती नगर से इतवारा बाजार होते हुए मंगलगिरी पर होगा* https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid032RDNRJTykPgt2orThBPQdGgHU4sF2bQhGvzWJrchLVFQkmWumyF6RM2NMHvNgc9Vl&id=100024546091528&mibextid=Nif5oz 🙏 आप सभी सादर आमंत्रित है 🙏 सम्पर्क सूत्र :- 88176 52711,7987228432 |
1979 | 26-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi, #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi, #SadbhaavSagarJiMaharaj1986VishuddhaSagarJi, #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PranavSagarJiMaharaj1984VishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh | श्री महावीर स्वामी प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर तेंदूखेड़ा में समान होगी* | 🤔 *इस पल के साक्षी बने* 🚩 *विरागोदय पंचकल्यानक महा प्रतिष्ठा महोत्सव पथरिया 2023* * यति सम्मेलन * युग प्रतिक्रमण * गजरथ महोत्सव * महामस्तिकाभिषेक *01 से 15 फरवरी 2023* 🙏 *350 से अधिक दिगम्बर जैन साधु साध्वी का युग प्रतिक्रमण* 🙏 🏳️🌈 *सोभाग्य आप को बुला रहा है*🏳️🌈 https://www.instagram.com/p/Cn4W3MctYiT/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 👣 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार पथरिया के लिए चल रहा है* 💐 *आज 26/01/23 का रात्रि विश्राम ओर 27/01/23 की आहार चर्या श्री महावीर स्वामी प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर तेंदूखेड़ा में समान होगी* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/NsdCDgCUAGpsBbYW8 👣 इस मंगल यात्रा के पुण्यार्जक है :- *सकल दिगम्बर जैन समाज चौरई छिदवाड़ा* संपर्क सूत्र :- नीरज जी जैन चौरई 9752263376 📝 विशुद्ध देशना प्रसारण केंद्र जुड़े:-https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1980 | 27-Jan-23 | #SamaySagarJiMaharaj1958VidyaSagarJi, #PrashastSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi, #MalliSagarJiMaharaj1972VidyaSagarJi, #AnandSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi, #NirgranthSagarJiMaharaj1989VidyaSagarJi, #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #NirbhrantSagarJiMaharaj1987VidyaSagarJi, #NiralasSagarJiMaharaj1983VidyaSagarJi, #NiraashravSagarJiMaharaj1981VidyaSagarJi, #NirakarSagarJiMaharaj1985VidyaSagarJi, #NishchintSagarJiMaharaj1987VidyaSagarJi, #NirmaanSagarJiMaharaj1971VidyaSagarJi, #NishankSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NirlepSagarJiMaharaj1990VidyaSagarJi, #AuchityasagarjiVidyaSagarji1946, #GahansagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Jabalpur, Jabalpur | Amarkantak | 👣बुंदेलखंड से बढ़ते कदम जबलपुर/ अमरकण्टक की ओर👣 #समय_विहार संत शिरोमणि आचार्यश्री #विद्यासागरजी महामुनिराज के प्रथम दीक्षित शिष्य ☀️निर्यापक मुनिश्री #समयसागर जी 🔅मुनिश्री प्रशस्तसागर जी 🔅मुनिश्री मल्लिसागर जी 🔅मुनिश्री आनंदसागर जी 🔅मुनिश्री निर्ग्रन्थसागर जी 🔅मुनिश्री निर्भ्रान्तसागर जी 🔅मुनिश्री निरालससागर जी 🔅मुनिश्री निराश्रवसागर जी 🔅मुनिश्री निराकारसागर जी 🔅मुनिश्री निश्चिन्तसागर जी 🔅मुनिश्री निर्माणसागर जी 🔅मुनिश्री निशंकसागर जी 🔅मुनिश्री निर्लेपसागर जी ⚡क्षुल्लक औचित्यसागर जी ⚡क्षुल्लक गहनसागर जी ⚡क्षुल्लक कैवल्यसागर जी ⚡क्षुल्लक सुदृढ़सागर जी ⚡क्षुल्लक समकितसागर जी ⚡क्षुल्लक उचितसागर जी ⚡क्षुल्लक अथाहसागर जी ⚡क्षुल्लक उत्साहसागर जी ⚡क्षुल्लक अमापसागर जी *(13 मुनिराज 9 क्षुल्लक)* का मंगल विहार #अतिशय_क्षेत्र_पजनारी से #जबलपुर/#अमरकण्टक की ओर हुआ.....। कल सुबह मंगलप्रवेश #परसोरिया विहार दिशा :- गढ़ाकोटा होते हुए अमरकण्टक |
1981 | 27-Feb-23 | #KaivalyasagarjiVidyaSagarji1946, #SudhrudhsagarjiVidyaSagarji1946, #SamakitsagarjiVidyaSagarji1946, #UchitsagarjiVidyaSagarji1946, #AthahsagarjiVidyaSagarji1946, #UtsahsagarjiVidyaSagarji1946 | Madhya Pradesh, Jabalpur, Jabalpur | Amarkanthak | 👣बुंदेलखंड से बढ़ते कदम जबलपुर/ अमरकण्टक की ओर👣 #समय_विहार संत शिरोमणि आचार्यश्री #विद्यासागरजी महामुनिराज के प्रथम दीक्षित शिष्य ☀️निर्यापक मुनिश्री #समयसागर जी 🔅मुनिश्री प्रशस्तसागर जी 🔅मुनिश्री मल्लिसागर जी 🔅मुनिश्री आनंदसागर जी 🔅मुनिश्री निर्ग्रन्थसागर जी 🔅मुनिश्री निर्भ्रान्तसागर जी 🔅मुनिश्री निरालससागर जी 🔅मुनिश्री निराश्रवसागर जी 🔅मुनिश्री निराकारसागर जी 🔅मुनिश्री निश्चिन्तसागर जी 🔅मुनिश्री निर्माणसागर जी 🔅मुनिश्री निशंकसागर जी 🔅मुनिश्री निर्लेपसागर जी ⚡क्षुल्लक औचित्यसागर जी ⚡क्षुल्लक गहनसागर जी ⚡क्षुल्लक कैवल्यसागर जी ⚡क्षुल्लक सुदृढ़सागर जी ⚡क्षुल्लक समकितसागर जी ⚡क्षुल्लक उचितसागर जी ⚡क्षुल्लक अथाहसागर जी ⚡क्षुल्लक उत्साहसागर जी ⚡क्षुल्लक अमापसागर जी *(13 मुनिराज 9 क्षुल्लक)* का मंगल विहार #अतिशय_क्षेत्र_पजनारी से #जबलपुर/#अमरकण्टक की ओर हुआ.....। कल सुबह मंगलप्रवेश #परसोरिया विहार दिशा :- गढ़ाकोटा होते हुए अमरकण्टक |
1982 | 26-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Maharashtra | City Gondiya location Dongargaon | 👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣 अनियत विहारी संत का अनियत विहार 2️⃣6️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣दिन गुरुवार युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ #विद्यासागरजी महामुनिराज💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ #प्रसादसागरजी महाराज 💫मुनि श्री १०८ #चंद्रप्रभसागरजी महाराज💫मुनि श्री १०८ #निरामयसागरजी महाराज ससंघ का आज दोपहर में💫सामयिक उपरांत💫👣मंगल विहार👣 🔻डोंगरगाव🔺 से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍄आज रात्री विश्राम🍄 डोंगरगांव से 7. 5 कि.मी.आगे 🍄श्रीआनंद सागर🍄 जिला गोंदिया 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/tuYMm6TkmKLTVTGt6 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍁कल की आहारचर्या🍁 🍁देवरी🍁 (श्री.दिगम्बर जैन मंदिर देवरी) जिला गोंदिया 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/hGJD2KUTELPHV7mk9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ)* *श्री.शीतल जैन (MPSC) , नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1983 | 28-Jan-23 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #PrasadSagarJiMaharaj1984VidyaSagarJi, #ChandraprabhSagarJiMaharaj1966VidyaSagarJi, #NiramayasagarjiMaharaj1976VidyasagarJi | Chhattisgarh, Rajnandgaon, Rajnandgaon | Chirchari | 👣युग शिरोमणि का मंगल विहार👣 अनियत विहारी संत का अनियत विहार 2️⃣8️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣दिन शनिवार युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ #विद्यासागरजी महामुनिराज💫निर्यापक श्रमण मुनिश्री १०८ #प्रसादसागरजी महाराज here 💫मुनि श्री १०८ #चंद्रप्रभसागरजी महाराज 💫मुनि श्री १०८ #निरामयसागरजी महाराज ससंघ का आज दोपहर में 💫सामयिक उपरांत💫👣मंगल विहार👣 🔻चाबुकनाला🔺 से हुआ। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍄आज रात्री विश्राम🍄 🍄चीरचारी🍄 (एच. पी. पेट्रोलपंप के पहले (लेफ्ट साईड)) जिला राजनांदगांव 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/VjdVKqsTdo6DsMoMA ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 🍁कल की आहारचर्या🍁 🍁चिचोला🍁 जिला राजनांदगांव (छत्तीसगढ) 👇🏻👇🏻👇🏻 https://maps.app.goo.gl/s4jiJAABSKsPDStP9 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ संभावित विहार दिशा:- *तीर्थक्षेत्र चंद्रगिरी डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़)* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *सुचना साभार-* *श्री.चंद्रकांत जैन* *(चंद्रगिरी तीर्थक्षेत्र डोंगरगढ)* *श्री.शीतल जैन (MPST) , नागपुर* *संकलन✒️* संतोष पांगळ जैन, मुरुड श्रीकांत संघई जैन,पुसद मयूर पांगळ जैन, सेनगाव |
1984 | 28-Jan-23 | #AbhaySagarJiMaharaj1960VidyaSagarJi, #PrabhaatSagarJiMaharaj1971VidyaSagarji, #NirihSagarJiMaharaj1978VidyaSagarJi | Madhya Pradesh | Porukhedi | मुनिश्री अभयसागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार पंचकल्याणक के उपरांत आज बदरवास से संभवतः नईसराय की हुया *रात्रि विश्राम पोरूखेडी* *संभवतः आहारचरया नईसराय* आगामी पंचकल्याणक विश्व प्रसिद्ध चंदेरी चौबीसी मंदिर के 18 फरवरी से 25 फरवरी तक |
1985 | 28-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi, #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi, #SadbhaavSagarJiMaharaj1986VishuddhaSagarJi, #PranavSagarJiMaharaj1984VishuddhaSagarJi | Madhya Pradesh | Teddudabar | 👣 *परम पूज्य चर्या शिरोमणि आचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी महाराज संसघ का मंगल विहार पथरिया यति सम्मेलन 2023 के लिए चल रहा है* https://www.instagram.com/p/Cn7JWsrPlPI/?igshid=YmMyMTA2M2Y= 🚩 *आज 27/01/23 का रात्रि विश्राम सरकारी शाला मरवान में हो रहा है* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/BrK51jCSe19NitNRA 🏳️🌈 *कल 28/01/23 को भव्य मंगल प्रवेश तेदुदाबर में होगा और आहार चर्या जैन मंदिर तेदुदाबर से सम्पन्न होगी* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/R19mx4RJHhDsjLuv9 आगामी विहार संभवता :- 💐 *29/01/23 की आहार चर्या केसली* 💐 *30/01/23 की गौरझामर* 💐 *31/01/23 की आहार चर्या पटना बुजुर्ग* 💐 *01 फरवरी 2023 की गढ़ाकोटा में संपन्न होगी* 👣 *इस यात्रा के पुण्यार्जक है सकल दिगम्बर जैन समाज चौरई* संपर्क सूत्र :-9752263376 विहार सूचना योगदान :- पनिराज हेगड़े 📝 वैभव बड़ामलहरा जुड़े:-https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
1986 | 28-Jan-23 | #PranamyaSagarJiMaharaj1975VidyaSagarJi | Madhya Pradesh, Katni | Dwarka nagri kachargaon | *_📯श्री राम कथा आयोजन 📯_* _युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि आचार्य भगवंत_ _*श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य_ _*🌈अर्हम योग प्रणेता मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर जी महाराज जी के सानिध्य मे श्री राम कथा का आयोजन दि :- २८-०१-२३ से ०४-०२-२३ तक किया गया है सभी श्रावक इस कथा का अवश्य लाभ लेवे..*_ *_समय :-🕒 दोपहर ३ से शाम ५ बजे तक_* *स्थान:- 🛕 बस स्टैंड के पास द्वारका पैलेस,कछारगांव(बड़ा), जिला कटनी (मध्य प्रदेश)* -------------------------------------- सूचना साभार:- सुजल जैन,पनागर 7566435508 |
1987 | 28-Jan-23 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Madanganj | Maharajji in Kishangarh madanganj |
1988 | 28-Jan-23 | #SaraswatiMatajiSubalSagarJiMaharaj, #YashswinijiGadniSyadvadmatiMataji(1953) | Rajasthan, Ajmer, Kishangarh | Madanganj kishan garh | हर्ष समाचार 🌹🌹🌹🌹🌹 परमपूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में सानंद सम्पन्न श्रीमद पँचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद दिनांक 28 जनवरी 2023, शनिवार को दोपहर 1 बजे नवनिर्मित श्री चन्द्रप्रभु जिनालय में आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ एवम गणिनी आर्यिका सरस्वती माताजी, व गणिनी आर्यिका यशश्वीनी मति माताजी ससंघ के मंगल सानिध्य में प्रथम बार नवनिर्मित वेदी में विराजमान मूलनायक देवाधिदेव 1008 श्री चन्द्रप्रभु भगवान व नवनिर्मित मानस्तम्भ में विराजमान भगवान के महामस्तकाभिषेक का आयोजन रखा गया है एवं भगवान की पूजन, व आचार्य श्री की पूजन भी दिगम्बर जैन वीर संगीत मण्डल के तत्वावधान मे की जाएगी अतः आप सभी से निवेदन है की आप सभी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाए आयोजक श्री चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट निवेदक श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत सकल दिगम्बर जैन समाज, किशनगढ़ |
1989 | 29-Jan-23 | #SanyamsagarjiVidyaSagarji1946 | Maharashtra, Kolhapur, Kolhapur | Gaurwad | *📿 केशलोंच अपडेट📿* 2️⃣9️⃣-0️⃣1️⃣-2⃣0⃣2⃣3️⃣ दिन रविवार ✨✨✨✨✨✨✨ *युग श्रेष्ठ, संत शिरोमणि* *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी* महामुनिराज जी के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य *क्षुल्लक १०५ संयमसागर जी महाराज जी* का *🔆केशलोंच🔆* *🛕गौरवाड🛕* जिला कोल्हापूर (महाराष्ट्र) में हुआ है। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 सूचना/फ़ोटो साभार:- *आशिष हगरे जैन, गौरवाड* संकलन:- *संतोष पांगल जैन,मुरुड* *श्रीकांत संघई जैन,पुसद* *मयूर पांगळ जैन, सेनगाव* |
1990 | 29-Jan-23 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi, #YatindraSagarJiMaharajVishuddhaSagarJi, #PranavSagarJiMaharaj1984VishuddhaSagarJi, #SadbhaavSagarJiMaharaj1986VishuddhaSagarJi | Bihar, Patna, Patna | पटना खुर्द Continue reading at https://digjainwiki.org/provideinfo/ | DigJainWiki | 👏 *आज परम चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्धसागर जी संसघ के चर्या शिरोमणि आर्यिका माँ विज्ञान मति माता जी संसघ ने दर्शन किये* हुआ मंगल मिलन https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02mA4tXcu2fqvQfmvkNWPnzFvj3xA5rjivHPQDxNJcEcF32dpVUPfDewREfjLfJBPAl&id=100024381668618&mibextid=Nif5oz 👣 *आचार्य श्री विशुद्धसागर जी संसघ का मंगल विहार पथरिया यति सम्मेलन 2023 के लिए चल रहा है* 🏳️🌈 *आज 29/01/23 का रात्रि विश्राम पटना खुर्द में हो रहा है* लोकेशन :-https://goo.gl/maps/ny93C6MS7G7WiaFn6 🥁 *कल 30/01/23 को भव्य मंगल प्रवेश गौरझामर में होगा और आहार चर्या जैन मंदिर गौरझामर से सम्पन्न होगी* लोकेशन :-https://maps.app.goo.gl/k6YJFiw2ofh6pZPq5 आगामी विहार संभवता :- 💐 *31/01/23 की आहार चर्या पटना बुजुर्ग* 💐 *01 फरवरी 2023 की गढ़ाकोटा में संपन्न होगी* 👣 *इस यात्रा के पुण्यार्जक है सकल दिगम्बर जैन समाज चौरई* संपर्क सूत्र :-9752263376 📝https://chat.whatsapp.com/JaD9NBm21BdCCVWIEm6Esr |
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Aacharya Shri 108 Mahaveerkirti Ji 1910 | #MahaveerkirtiJi1910AadisagarjiAnklikar | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Chinmay Sagar Ji Maharaj 1937 | #ChinmaySagarJiMaharaj1937AjitSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Somya Sagar Ji Maharaj,1937 | #SomyaSagarJiMaharaj,1937AjitSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Dharmabhushan Ji Maharaj 1943 | #DharmabhushanJiMaharaj1943ArhadballiJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vidyanand Ji Maharaj 1925 | #VidyanandJiMaharaj1925Deshbhushanji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Bahubali Ji Maharaj 1932 | #BahubaliJiMaharajDeshbhushanJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Samyakshree Mata Ji 1976 | #SamyakshreeMataJi1976DevnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Param Pujya 108 Shri Jaikirtiji Ji Maharaj 1971 | #JaikirtijiJiMaharaj1971MunishriShriDevnandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Amar Kirti Ji Maharaj 1974 | #AmarKirtiJiMaharaj1974DevnandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Amogh Kirti Ji Maharaj 1980 | #AmoghKirtiJiMaharaj1980DevnandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Anupamkirti Ji Maharaj 1944 | #AnupamkirtiJiMaharaj1944DevnandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pawankirti Ji Maharaj 1972 | #PawankirtiJiMaharaj1972DevnandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sampannkirti Sagar Ji Maharaj 1943 | #SampannkirtiSagarJiMaharaj1943DevnanadiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shuddhatma Kirti ji Maharaj | #ShuddhatmaKirtijiMaharajDevnandiji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Yashkirtiji Maharaj 1975 | #YashkirtijiMaharaj1975PragyashramanDevnandiji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Abhinandan Sagar Ji Maharaj 1942 | #AbhinandanSagarJiMaharaj1942DharmSagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi) | Rajesh Pancholiya | 9926065065 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi | |||||||||||||||
Acharya Vipul Sagar Ji Maharaj 1935 | #AcharyaVipulSagarJiMaharaj1935DharmSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Pravachanmati Mata ji(1955) | #PravachanmatiMataji(1955)DharmSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Shivmati Mata Ji 1976 | #ShivmatiMataJi1976DharmSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Shubhmati Mata Ji 1948 | #ShubhmatiMataJi1948DharmSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Amit Sagar Ji Maharaj 1963 | #AmitSagarJiMaharaj1963DharmasagarJi | |||||||||||||||||
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Muni Shri 108 Malli Sagar Ji Maharaj(Sadlaga) | #MalliSagarJiMaharaj(Sadlaga)DharmSagarJi | |||||||||||||||||
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Muni Shri 108 Samadhi Sagar Ji Maharaj | #SamadhiSagarJiMaharajDharmSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sambhav Sagar Ji Maharaj 1944 | #SambhavSagarJiMaharaj1944DharmSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Samta Sagar Ji Maharaj(Madkhera) | #SamtaSagarJiMaharaj(Madkhera)DharmSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sheetal Sagar Ji Maharaj(Veerpur Raisen) | #SheetalSagarJiMaharaj(VeerpurRaisen)DharmSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Yateendra Sagar Ji Maharaj(Udaipur) | #YateendraSagarJiMaharaj(Udaipur)DharmSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya 108 Shri Bharat Bhushan Ji Maharaj 1980 | #BharatBhushanJiMaharaj1980DharmabhushanJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Munikulratna Bhusan Ji Maharaj 1979 | #MunikulratnaBhusanJiMaharaj1979DharmBhusanji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Deshbhushan Ji Maharaj 1906 | #DeshbhushanJiMaharaj1906Jaikirtiji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Chinmayanand Ji Maharaj 1943 | #ChinmayanandJiMaharaj1943KanakNandiJi | |||||||||||||||||
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Aacharya Shri 108 Gupti Nandi Ji Maharaj 1972 | #GunnandiJiMaharaj1967Kunthusagarji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Pulak Sagar Ji Maharaj 1970 | #GuptiNandiJiMaharaj1972KunthuSagarJi | |||||||||||||||||
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Aacharya Shri 108 Kumudnandi Ji Maharaj 1963 | #KumudnandiJiMaharaj1963Kunthusagarji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Kusagra Nandi Ji Maharaj 1967 | #KusagraNandiJiMaharaj1967Kunthusagarji | |||||||||||||||||
Acharya Kalp Shri Dharmnandi Ji Maharaj | #AcharyaKalpShriDharmnandiJiMaharajKunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Chandra Sagar Ji Maharaj (Bhind-MP) | #ChandraSagarJiMaharaj(Bhind-MP)KunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Gundhar Nandi Ji Maharaj | #GundharNandiJiMaharajKunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Kamkumar Nandi Ji Maharaj 1967 | #KamkumarNandiJiMaharaj1967KunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Karmvijay Nandi Ji Maharaj 1958 | #KarmvijayNandiJiMaharaj1958KunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Nishchay Sagar Ji Maharaj 1962 | #NishchaySagarJiMaharaj1962KunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Padmanandiji Maharaj 1955 | #PadmanandijiMaharaj1955GandharacharyaShreeKunthusagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Shrutsagar ji Muniraj 1969 | #ShrutsagarjiMuniraj1969KunthusagarjiMuniraj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vidyanandi Sagar Ji Maharaj 1963 | #VidyanandiSagarJiMaharaj1963KunthuSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Aasthashree Mata Ji 1975 | #AasthashreeMataJi1975KunthuSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Pavitramati Mata Ji 1951 | #PavitramatiMataJi1951KunthuSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Pawanshree Mata Ji | #PawanshreeMataJiKunthuSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 VimalSagar Ji 1915 (Ankalikar) | #VimalSagarJi1915(Ankalikar)MahaveerKirtiJi | |||||||||||||||||
Ganadhipati Ganadharacharya Shri 108 Kunthu Sagar Ji Maharaj | #KunthuSagarJiMaharajAcharyaShriMahavirKirtiji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Shanti Sagar ji (Hastinapur) | #ShantiSagarji(Hastinapur)NirmalSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Ravinandiji Maharaj 1960 | #RavinandijiMaharaj1960Padmanandiji | |||||||||||||||||
Muni Shri Punyanandiji Maharaj 1973 | #MuniShriPunyanandijiMaharaj1973Padmanandiji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 HemSagar Ji Maharaj 1955 | #HemSagarJiMaharaj1955SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Jai Sagar Ji Maharaj 1964 | #JaiSagarJiMaharaj1964SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Saubhagya Sagar Ji Maharaj 1965 | #SaubhagyaSagarJiMaharaj1965SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Shital Sagar ji Maharaj 1976 | #ShitalSagarjiMaharaj1976SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Siddhant Sagar Ji Maharaj 1966 | #SiddhantSagarJiMaharaj1966SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Subal Sagar Ji Maharaj 1976 | #SubalSagarJiMaharaj1976AcharyaSriSanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Sudarshan Sagar Ji Maharaj | #SudarshanSagarJiMaharajSanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Sundar Sagar Ji Maharaj 1976 | #SundarSagarJiMaharaj1976SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Sunil Sagar Ji 1977 | Chattari Mohak Shah | +91 99280 58345 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi | |||||||||||||||
Acharya Shri 108 Suvidhi Sagar Ji 1971 | #SuvidhiSagarJi1971SanmatiSagar | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1951 (Dakshin) | #VardhamanSagarJiMaharaj1951(Dakshin)SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Yogendra Sagar Ji Maharaj 1961 | #YogendraSagarJiMaharaj1961SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shrestha Sagar Ji Maharaj 1961 | #ShresthaSagarJiMaharaj1961SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Suveer Sagar Ji Maharaj 1986 | #SuveerSagarJiMaharaj1986SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj 1985 | #VeerSagarJiMaharaj1985SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri Sanskar Sagarji Maharaj 1956 | #MuniShriSanskarSagarjiMaharaj1956SanmatiSagarji | |||||||||||||||||
Upadhyay Shri 108 Abhinandan Sagar J Maharaj 1969 | #AbhinandanSagarJMaharaj1969SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Shubh Mati Mata ji 1975 | #ShubhMatiMataji1975SanmatiSagarjiMaharaj | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Dhrambhushan Sagar ji 1940 | #DhrambhushanSagarji1940ShantiSagarJi(Hastinapur) | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Surya Sagar Ji Maharaj 1883 | #SuryaSagarJiMaharaj1883ShantiSagar(Uttar) | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Ajit Sagar Ji Maharaj 1925 | #AjitSagarJiMaharaj1925ShivSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Dharm Sagar Ji Maharaj 1914 | #DharmSagarJiMaharaj1914 | |||||||||||||||||
Acharya Kalp Shri 108 Shreyansh Sagar Ji Maharaj1919 | #ShreyanshSagarJiMaharaj1919ShivSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Gyansagar Ji Maharaj - 1891 | #GyansagarJiMaharaj-1891ShivSagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Supaarswa Sagar Ji Maharaj 1901 | #SupaarswaSagarJiMaharaj1901ShivSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Aadimati Mata Ji (Agra) | #AadimatiMataJi(Agra)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Arahmati Mata Ji (Veergaon) | #ArahmatiMataJi(Veergaon)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Bhadramati Mata Ji (Kundalpur) | #BhadramatiMataJi(Kundalpur)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Buddhmati Mata Ji | #BuddhmatiMataJiShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Chandramati Mata Ji (Satara) | #ChandramatiMataJi(Satara)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Dayamati Mata Ji (Sagar) | #DayamatiMataJi(Sagar)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Jinmati Mata Ji (Mhaswad) | #JinmatiMataJi(Mhaswad)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Kalyanmati Mata ji(Mujaffarnagar) | #KalyanmatiMatajiShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Kanakmati Mata Ji (Badagaon) | #KanakmatiMataJi(Badagaon)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Nemimati Mata Ji (Jaipur) | #NemimatiMataJi(Jaipur)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Raajulmati Mata Ji (Karanja) | #RaajulmatiMataJi(Karanja)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sambhavmati Mata Ji (Ajmer) | #SambhavmatiMataJi(Ajmer)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sanmatimati Mata Ji (Bangothari) | #SanmatimatiMataJi(Bangothari)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Shresthamati Mata ji(Fatehpur) | #ShresthamatiMataji(Fatehpur)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Susheelmati Mata ji(Mastapur) | #SusheelmatiMataji(Mastapur)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vidyamati Mata Ji (Lalgarh) | #VidyamatiMataJi(Lalgarh)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vinaymati Mata ji(Madavra) | #VinaymatiMataji(Madavra)ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vishuddhmati Mata Ji 1929 | #VishuddhmatiMataJi1929ShivSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Bhavya Sagar Ji Maharaj (Nainwa Rajasthan) | #BhavyaSagarJiMaharaj(NainwaRajasthan)ShivSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Subuddhi Sagar Ji Maharaj (Pratapgarh) | #SubuddhiSagarJiMaharaj(Pratapgarh)ShivSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vrishabh Sagar Ji Maharaj | #VrishabhSagarJiMaharajShivSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Bahubali Sagar Ji Maharaj(Gohad) | #BahubaliSagarJiMaharaj(Gohad)SumatiSagarJi | |||||||||||||||||
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Aacharya Shri 108 GyanSagar Ji Maharaj 1957 | #GyanSagarJiMaharaj1957SumatisagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Supaarswa Sagar Ji Maharaj | #SupaarswaSagarJiMaharajSumatiSagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vidyabhushan Sanmati Sagar Ji Maharaj 1949 | #VidyabhushanSanmatiSagarJiMaharaj1949ShriSumatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vivek Sagar Ji Maharaj | #VivekSagarJiMaharaj1972SumatiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri Veer Sagar ji Maharaj | #AcharyaShriVeerSagarjiMaharajSumatiSagarji | |||||||||||||||||
Balacharya Shri Saiyam Sagar Ji Maharaj 1953 | #BalacharyaShriSaiyamSagarJiMaharaj1953SumatiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Kirti Sagar Ji Maharaj | #KirtiSagarJiMaharajSumatiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Nemi Sagar Ji Maharaj 1937 | #NemiSagarJiMaharaj1937Sumatisagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vairagya Sagar Ji Maharaj 1963 | #VairagyaSagarJiMaharaj1963SumatiSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vijay Sagar Ji Maharaj 1881 | #VijaySagarJiMaharaj1881SuryaSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya 108 Shrut Sagar Ji Maharaj1905 (Acharyakalp) | #ShrutSagarJiMaharaj1905VeerSagarJi | |||||||||||||||||
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Aacharya Shri 108 Nirmal Sagar Ji Maharaj 1946 | #NirmalSagarJiMaharaj1946VimalSagarJi(Bhind) | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Sumati Sagar Ji Maharaj 1917 | #SumatiSagarJiMaharaj1917 | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Kunthu Sagar Ji Maharaj(Dhova Gwalior) | #KunthuSagarJiMaharaj(DhovaGwalior)VimalSagarJi(Bhind) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Ajit Sagar Ji Maharaj(Koop Bhind) | #AjitSagarJiMaharaj(KoopBhind)VimalSagarJi(Bhind) | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 ParshvSagar Ji 1915 | #ParshvSagarJi1915VimalSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Sanmati Sagar Ji 1938 (Ankalikar) | #SanmatiSagarJi1938(Ankalikar)Vimalsagarji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji 1963 | #ViragSagarJi1963Vimalsagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Chaitya Sagar Ji Maharaj 1959 | #ChaityaSagarJiMaharaj1959VimalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Chidanand Sagar Ji Maharaj 1960 | #ChidanandSagarJiMaharaj1960VimalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Nemi Sagar Ji Maharaj 1928 | #NemiSagarJiMaharaj1928VimalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Niranjan Sagar Ji Maharaj | #NiranjanSagarJiMaharajVimalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Pushpadant Sagar Ji Maharaj 1954 | #PushpadantSagarJiMaharaj1954VimalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Sri Bharata Sagar Ji Maharaj 1949 | #AcharyaSriBharataSagarJiMaharaj1949Vimalasagarji | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Pawapuri Mata Ji | #PawapuriMataJiVimalSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Gadni Aryika Shri 105 Syadvadmati Mata ji(1953) | #GadniSyadvadmatiMataji(1953)VimalSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Gadni Pramukh Aryika Shri 105 Vijayamati Mata Ji 1928 | #VijayamatiMataJi1928VimalSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Upadhyay Shri 108 Urjayant Sagar J Maharaj 1977 | #UrjayantSagarJMaharaj1977VimalSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vichintya Sagar Ji Maharaj 1983 | #VichintyaSagarJiMaharaj1983VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vigamya Sagar Ji Maharaj 1995 | #VigamyaSagarJiMaharaj1995VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vijay Sagar Ji Maharaj 1972 | #VijaySagarJiMaharaj1972VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Visham Sagar Ji Maharaj 1978 | #VishamSagarJiMaharaj1978VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishubhra Sagar Ji Maharaj 1996 | #VishubhraSagarJiMaharaj1996VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwank Sagar Ji Maharaj(Shivpuri) | #VishwankSagarJiMaharaj(Shivpuri)VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwansh Sagar Ji Maharaj 1961 | #VishwanshSagarJiMaharaj1961VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwark Sagar Ji Maharaj 1970 | #VishwarkSagarJiMaharaj1970VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwarth Sagar Ji Maharaj 1948 | #VishwarthSagarJiMaharaj1948VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwarya Sagar Ji Maharaj 1943 | #VishwaryaSagarJiMaharaj1943VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vivrat Sagar Ji Maharaj 1993 | #VivratSagarJiMaharaj1993VimarshSagarJi | |||||||||||||||||
Muni shree 108 Vishrant Sagar Ji Maharaj 1981 | #VishrantSagarJiMaharaj1981ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni shree Vidit Sagar Ji Maharaj | #MunishreeViditSagarJiMaharajVinitSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vigyanasagar Ji Maharaj | #VigyanasagarJiMaharajVinitSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vimad Sagar Ji Maharaj 1976 | #VimadSagarJiMaharaj1976ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vimarsh Sagar Ji 1973 | #VimarshSagarJi1973ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vinischaya Sagar Ji Maharaj 1973 | #VinischayaSagarJiMaharaj1973ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vishad Sagar Ji Maharaj 1964 | #VishadSagarJiMaharaj1964ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Aaryika Shri 105 Vindhyashri Maata Ji,1973 | #VindhyashriMaataJi1973ViragSagarjiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vibhav Sagar Ji Maharaj 1976 | #VibhavSagarJiMaharaj1976ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vinamra Sagar ji Maharaj 1963 | #VinamraSagarjiMaharaj1963ViragSagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vinishchay sagar Ji Maharaj 1973 | #VinishchaysagarJiMaharaj1973ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vishuddha Sagar Maharaji 1971 | #VishuddhaSagarMaharaji1971ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri Pragya Ji Maharaj 1978 | #ElacharyaShriPragyaJiMaharaj1978ViragSagarJi | |||||||||||||||||
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Aryika Shri 105 Vimuktishree Mata Ji 1983 | #VimuktishreeMataJi1983ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
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Aryika Shri 105 Vinitshree Mata Ji 1954 | #VinitshreeMataJi1954ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
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Aryika Shri 105 Viramyashree Mata Ji 1981 | #ViramyashreeMataJi1981ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Viratshree Mata Ji 1965 | #ViratshreeMataJi1965ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Visanyojnashree Mata Ji 1988 | #VisanyojnashreeMataJi1988ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vishakhashree Mata Ji 1976 | #VishakhashreeMataJi1976ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vishashree Mata Ji 1959 | #VishashreeMataJi1959ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vishistmati Mata Ji 1979 | #VishistmatiMataJi1979ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vishwasshree Mata Ji 1981 | #VishwasshreeMataJi1981ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Visubratashree Mata Ji | #VisubratashreeMataJiViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vivakshashree Mata Ji 1975 | #VivakshashreeMataJi1975ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Viviktshree Mata Ji 1983 | #ViviktshreeMataJi1983ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Viyojnashree Mata Ji 1979 | #ViyojnashreeMataJi1979ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Viyuktshree Mata Ji 1983 | #ViyuktshreeMataJi1983ViragsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vibhaswar Sagar Ji Maharaj 1979 | #VibhaswarSagarJiMaharaj1979ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vidhey Sagar Ji Maharaj 1980 | #VidheySagarJiMaharaj1980ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Viharsh Sagar Ji Maharaj 1970 | #ViharshSagarJiMaharaj1970ViragsagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vihasant Sagar Ji Maharaj 1983 | #VihasantSagarJiMaharaj1983ViragSagarJi(Anklikar) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vihit Sagar Ji Maharaj 1957 | #VihitSagarJiMaharaj1957ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vijyesh Sagar Ji Maharaj 1978 | #VijyeshSagarJiMaharaj1978ViragSagarJi(Anklikar) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Viksant Sagar Ji Maharaj 1985 | #ViksantSagarJiMaharaj1985GanacharyaShriViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vinibodh Sagar Ji Maharaj | #VinibodhSagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vinishchal Sagar Ji Maharaj 1972 | #VinishchalSagarJiMaharaj1972ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishok Sagarji Maharaj 1975 | #VishokSagarjiMaharaj1975ViragsagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishvesh Sagar Ji Maharaj 1954 | #VishveshSagarJiMaharaj1954ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwadrashta Sagar Ji Maharaj 1939 | #VishwadrashtaSagarJiMaharaj1939ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwalochan Sagar Ji Maharaj | #VishwalochanSagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vishwaveer Sagar Ji Maharaj 1948 | #VishwaveerSagarJiMaharaj1948ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Viswayash Sagarji Maharaj 1940 | #ViswayashSagarjiMaharaj1940ViragSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri Vibhanjan Sagar Ji Maharaj 1983 | #MuniShriVibhanjanSagarJiMaharaj1983ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vidambarsagar Ji Maharaj 1982 | #MuniShriVidambarsagarJiMaharaj1982ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vijayesh Sagar Ji Maharaj 1978 | #MuniShriVijayeshSagarJiMaharaj1978ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vijaysagar Ji Maharaj 1973 | #MuniShriVijaysagarJiMaharaj1973ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vikarsagar Ji Maharaj (Elacharya Pragya Sagar Ji) 1978 | #MuniShriVikarsagarJiMaharaj(ElacharyaPragyaSagarJi)1978ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishauryasagar Ji Maharaj 1986 | #MuniShriVishauryasagarJiMaharaj1986ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Visheshsagar Ji Maharaj 1975 | #MuniShriVisheshsagarJiMaharaj1975ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishrant Sagar Ji Maharaj 1977 | #MuniShriVishrantSagarJiMaharaj1977ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishrayasagar Ji Maharaj 1975 | #MuniShriVishrayasagarJiMaharaj1975ParamPujyaGanacharyaShriViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishrutsagar Ji Maharaj 1976 | #MuniShriVishrutsagarJiMaharaj1976ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwa Pujyasagar Ji Maharaj | #MuniShriVishwaPujyasagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwaksharasagar Ji Maharaj 1951 | #MuniShriVishwaksharasagarJiMaharaj1951ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwamitrasagar Ji Maharaj | #MuniShriVishwamitrasagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwanathsagar Ji Maharaj 1950 | #MuniShriVishwanathsagarJiMaharaj1950ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwaratna Sagar Ji Maharaj | #MuniShriVishwaratnaSagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwarshtasagar Ji Maharaj | #MuniShriVishwarshtasagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwasasagar Ji Maharaj 1970 | #MuniShriVishwasasagarJiMaharaj1970ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwashilasagar ji Maharaj | #MuniShriVishwashilasagarjiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwastasagar Ji Maharaj 1978 | #MuniShriVishwastasagarJiMaharaj1978ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwathirthasagar Ji Maharaj 1936 | #MuniShriVishwathirthasagarJiMaharaj1936ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwavidasagar Ji Maharaj 1951 | #MuniShriVishwavidasagarJiMaharaj1951ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwavrishta Sagar Ji Maharaj | #MuniShriVishwavrishtaSagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishwayasagar Ji Maharaj | #MuniShriVishwayasagarJiMaharajViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vishweloksagar Ji Maharaj 1945 | #MuniShriVishweloksagarJiMaharaj1945ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Vivardhansagar Ji Maharaj 1978 | #MuniShriVivardhansagarJiMaharaj1978ViragSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vibhakt Sagar Ji Maharaj 1969 | #VibhaktSagarJiMaharaj1969VishadSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vibuddhasagar Ji Maharaj 1955 | #VibuddhasagarJiMaharaj1955VishadsagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Vinit Sagar Ji Maharaj 1971 | #VinitSagarJiMaharaj1971VivekSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Kalyan Sagar Ji Maharaj 1935 | #KalyanSagarJiMaharaj1935AjitSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Shrutmuni 13 Th Century | #Shrutmuni13ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Padmanandi JI 1 st ( Prachin ) | #Padmanandiji1stPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Harishen 10 Th Century | #Harishen10ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Vardhaman 2 nd ( Prachin ) | #Vardhaman2ndPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Bhattarak Lalitkirti 19 Th Century | #BhattarakLalitkirti19ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Dharmakirti 17 Th Century | #Dharmakirti17ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Ratnakirti / Ratnanandi 16 Th Century | #Ratnakirti/Ratnanandi16ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Chhatrasen 18 Th Century | #Aacharya Shri Chhatrasen18ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Bhattarak Chandrakirti (Prachin) | #BhattarakChandrakirtiPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri BramhaGyansagar 17 Th Century | #BramhaGyansagar17ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Shrutkirti 16 Th Century | #Shrutkirti16ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Shribhushan 17 Th Century | #Shribhushan17ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Bhattavosari ( Prachin ) | #BhattavosariPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Surendrabhushan 18 Th Century | #Surendrabhushan18ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Jinsagar 18 Th Century | #Jinsagar18ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Gangadas ( Prachin ) | #GangadasPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Hastimalla 13 Th Century | #Hastimalla13ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Somsen 17 Th Century | #Somsen17ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Surendrakirti 18 Th Century | #Surendrakirti18ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Muni Padmakirti ( Prachin ) | #Muni PadmakirtiPrachin | |||||||||||||||||
Acharya Gunabhadra 4th Century | #AcharyaGunabhadra4thCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Maghnandi 12 Th Century | #Maghnandi12ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Vaadiraj 10 Th Century | #Vaadiraj10ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Veernandi Siddhantchakravarti 12 Th Century | #VeernandiSiddhantchakravarti12ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Ramsenacharya 11 Th Century | #Ramsenacharya11ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Naysen 12 Th Century | #Naysen12ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Vasunandi 1 st 12 Th Century | #Vasunandi1st12ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Somdevsuri ( Prachin ) | #SomdevsuriPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Durgdevacharya 11 Th Century | #Durgdevacharya11ThCentury | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Ugradityacharya ( Prachin ) | #UgradityacharyaPrachin | |||||||||||||||||
Aacharya Shri Mahendrasen 18 Th Century | #Mahendrasen18ThCentury | |||||||||||||||||
Aaryika shri Susthirmati Mataji | #SusthirmatiSuyogmatimatimataji | |||||||||||||||||
Aaryika Supadmmati Mataji 1935 | #SupadmmatiSuyogmatimatimataji | |||||||||||||||||
Muni Shri Vidyabhushan Ji Maharaj 1975 | #MuniShriVidyabhushanJiMaharaj1975UpadeshRatnakarShriArhadbalJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Kshmanandi Maharaj 1940 | #MuniShriKshmanandiMaharaj1940AcharyaShriShrutanandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pratham Sagar Ji Maharaj 1986 | #PrathamSagarJiMaharaj1986AcharyaShriVimadSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vihit Sagar Ji Maharaj 1958 | #VihitSagarJiMaharaj1958VineetSagarJi | |||||||||||||||||
Ayrika Shri 105 Saraswati Mata ji,1949 | #SaraswatiMataji,1949SanmatiSagarjiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Ajitmati Mataji 1904 | #ajitmatimataji1906ShantiSagarjiMaharajCharitrachakravarthy | |||||||||||||||||
Ganini Aryika Shri 105 Jindevi Mata ji 1960 | #GaniniJindeviMataji1960BahubaliJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Mahan Sagar Ji Maharaj | #MahansagarjiArjavSagarji | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Atulyasagar ji Maharaj 1980 | #AtulyaSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Adarsh Sagarji Maharaj 1954 | #Adarshsagarji1954Abhinandansagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Aditya Sagar Ji Maharaj 1970 | #Adityasagarji1970Abhinandansagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Anekant Sagar ji Maharaj 1963 | #AnekantSagarjiMaharaj1963AbhinandanaSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Nirbhay Sagar Ji Maharaj 1963 | #NirbhaySagarJiMaharaj1963AbhinandanSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Tanmay Sagar Ji Maharaj1970 | #TanmaySagarJiMaharaj1970AbhinandanSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Udaar Sagar Ji Maharaj 1961 | #UdaarSagarJiMaharaj1961AbhinandanSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Prasannmati Mata ji 1973 | #PrasannmatiMataji1973AbhinandanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni shri Anukampa Sagar Ji Maharaj 1933 | #MunishriAnukampaSagarJiMaharaj1933AbhinandanSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shrut Sagar Ji Maharaj | #Shrutsagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj 1940 | #VeerSagarJiMaharaj1940AdisagarJi(Anklikar) | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Chaityamati Mata Ji 1953 | #ChaityamatiMataJi1953AjitSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 JaiKirti Ji Maharaj 1934 | #JaiKirtiJiMaharaj1934AnantKirtiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Anant sagarji Maharaj 1947 | #AnantsagarjiMaharaj1947SaptamPattacharyaShriAnekantSagarji1963 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Anupamsagar Ji Maharaj 1968 | #AnupamsagarJiMaharaj1968SaptamPattacharyaShriAnekantSagarji1963 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Anukaran Sagar Ji Maharaj | #AnukaranSagarJiMaharajAnubhavSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Anusharan Sagar Ji Maharaj 1991 | #AnusharanSagarJiMaharaj1991AnubhavSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Anushasan Sagar ji Maharaj | #AnushasansagarjiAnubhavsagarji | |||||||||||||||||
Shri Pujya Sagarji Maharaj (1980) | #ShriPujyaSagarjiMaharaj(1980)UpadhayShriAnubhavSagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Dharmanand Sagarji Maharaj 1955 | #DharmanandSagarjiMaharaj1955BahubaliSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Dharmsen Ji Maharaj | #DharmsenJiMaharajBahubaliSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Dnyaneshwar Muni Maharaj 1941 | #DnyaneshwarMuniMaharaj1941BahubaliSagarJi | |||||||||||||||||
Balacharya Shri 108 Siddhesen Ji Maharaj 1943 | #SiddhesenJiMaharaj1943BahubaliJi | |||||||||||||||||
Balacharya Shri Jinsen Ji Maharaj 1976 | #BalacharyaShriJinsenJiMaharaj1976BahubaliSagarJi | |||||||||||||||||
Param Pujya Muni Shri Parshvasenji Maharaj 1950 | #ParamPujyaMuniShriParshvasenjiMaharaj1950AcharyaRatnaShriBahubaliji | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Suprabhamati Mata Ji 1962 | #SuprabhamatiMataJi1962BahubaliiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Om Sagar Ji Maharaj 1957 | #OmSagarJiMaharaj1957BharatSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Syadvaad Sagar Ji Maharaj 1932 | #SyadvaadSagarJiMaharaj1932BharatSagarJi | |||||||||||||||||
Balyogi Rashtrashant Girnar Sagar Ji Maharaj | #BalyogiRashtrashantGirnarSagarJiMaharajBharatSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Saralsagar Ji Maharaj 1990 | #SaralsagarJiMaharaj1990ChandraprabhusagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Videhsagar Ji Maharaj 1985 | #VidehsagarJiMaharaj1985ChandraprabhusagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Kalpvriksha Nandi Ji Maharaj 1964 | #KalpvrikshaNandiJiMaharaj1964DarshanSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Suprakashmati Mata ji 1965 | #SuprakashmatiMatajiDayaSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Samarpan Kirtiji Maharaj 1945 | #SamarpanKirtijiMaharaj1945Devanandiji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Siddhakirtiji Maharaj 1940 | #SiddhakirtijiMaharaj1940Devanandiji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sudharma Kirtiji Maharaj 1942 | #SudharmaKirtijiMaharaj1942Devanandiji | |||||||||||||||||
Charitrachakravarti Acharya Shri Shanti Sagar Ji Maharaj 1872 | #AcharyaShriShantiSagarJiMaharaj1872DevendraKirtiJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Samyaktva Bhusan Ji Maharaj 1933 | #SamyaktvaBhusanJiMaharaj1933DharmBhusanJi | |||||||||||||||||
Elacharya Shri 108 Kshama Bhushan Ji Maharaj 1937 | #KshamaBhushanJiMaharaj1937DharmabhushanJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shantisen Ji Maharaj (Shirdi) | #ShantisenJiMaharaj(Shirdi)DharmsenJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Nemi Sagar Ji Maharaj(Chapakmuniraj) | #NemiSagarJiMaharaj(Chapakmuniraj)GundharnandiJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Deeptishree Mata Ji 1975 | #DeeptishreeMataJi1975GunnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Disha shri Mata ji | #DishashriMatiMatajiGunnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Dishashree Mata Ji 1947 | #DishashreeMataJi1947GunnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Chandragupt Sagar Ji Maharaj 1983 | #ChandraguptSagarJiMaharaj1983GuptinandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Suyash Gupt Sagar Ji Maharaj 1977 | #SuyashGuptSagarJiMaharaj1977GuptinandiSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Aarshmati Mata ji | #AarshmatiMatajiGyanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Antasmati Mata ji | #AntasmatiMatajiGyanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vivek Sagar Ji Maharaj 1913 | #VivekSagarJiMaharajGyanSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri) | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Paawanshree Mata Ji 1972 | #PaawanshreeMataJi1972JaiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Pavitrashree Mata Ji 1970 | #PavitrashreeMataJi1970JaiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sheetalmati Mata Ji 1943 | #SheetalmatiMataJi1943KalpShrutSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Sacchidanand Sagar Ji Maharaj 1973 | #SacchidanandSagarJiMaharaj1973KanaknandiJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Jinshree Mata Ji 1949 | #JinshreeMataJi1949KumudnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Upadhyay Shri 108 Sudharm Sagar J Maharaj 1933 | #SudharmSagarJMaharaj1933KumudnandiJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri Prasannrishi Ji Maharaj 1981 | #PrasannrishiJiMaharaj1981KushagranandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Puspdant Sagar Ji Maharaj 1865 | #PuspdantSagarJiMaharaj1865MahavirkirtiJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Daya Sagar Ji Maharaj1954 | #DayaSagarJiMaharaj1954NemiSagarJi1907 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Brahmadutt Sagar Ji Maharaj 1981 | #BrahmaduttSagarJiMaharaj1981NirbhaySagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Nemidutt Sagar Ji Maharaj 1946 | #NemiduttSagarJiMaharaj1946NirbhaySagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shivdutt Sagar Ji Maharaj 1990 | #ShivduttSagarJiMaharaj1990NirbhaySagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Darshan Sagar Ji Maharaj 1947 | #DarshanSagarJiMaharaj1947NirmalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Nirbhav Sagar Ji Maharaj | #NirbhavSagarJiMaharajNirmalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vairagyanandiji Maharaj | #VairagyanandijiMaharajPadamNandiJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Sukumalnandi Ji Maharaj 1978 | #SukumalnandiJiMaharaj1978PadmanandiJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Dheryamati Mata Ji 1961 | #DheryamatiMataJi1961PadmnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Divyshreemati Mata Ji 1977 | #DivyshreematiMataJi1977PadmnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Riddhimati Mata Ji 1976 | #RiddhimatiMataJi1976PadmnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vaartikshree Mata Ji 1983 | #VaartikshreeMataJi1983PadmnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vijayshrimati Mata Ji 1947 | #VijayshrimatiMataJi1947PadmnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vyaakhyashree Mata Ji 1979 | #VyaakhyashreeMataJi1979PadmnandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Achalnandi Ji Maharaj 1940 | #AchalnandiJiMaharaj1940PadmnandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sudharmsagar Ji Maharaj (Shirati) 1985 | #SudharmsagarJiMaharaj(Shirati)1985ParassagarJiMahraj | |||||||||||||||||
Acharya Shri Vimal Sagar Ji Maharaj (Mohana) | #AcharyaShriVimalSagarJiMaharaj(Mohana)ParsvsagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Anant Kirti Ji Maharaj | #AnantKirtiJiMaharajPaaySagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Parmaatm Sagar Ji Maharaj | #ParmaatmSagarJiMaharajPramukhSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Pujyamati Mata Ji 1962 | #PujyamatiMataJi1962PrasannrishiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Punyamati Mata Ji | #PunyamatiMataJiPrasannrishiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pramudit Sagar Ji Maharaj(Jabalpur) | #PramuditSagarjiPulaksagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pulkit Sagar Ji Maharaj(Bhilwara) | #PulkitsagarjiPulaksagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Namostu Sagar Ji Maharaj 1989 | #NamostuSagarJiMaharaj1989PunyaSagarJi | |||||||||||||||||
Aacharya Shri 108 Prasanna Sagar Ji Maharaj 1970 (Antarmana) | #PrasannaSagarJiMaharaj1970(Antarmana)PushpdantSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Pulak Sagar Ji Maharaj 1970 | #PulakSagarJiMaharaj1970PushpdantSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Punya Sagar Ji Maharaj | #PunyaSagarJiMaharajPushpadantaSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Arunsagar Ji -1963 | #ArunsagarJi-1963PuspdantSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Prabal Sagar Ji Maharaj 1971 | #PrabalSagarJiMaharaj1971PuspdantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Prabhav Sagar Ji Maharaj 1947 | #PrabhavSagarJiMaharaj1947PushpadantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pragalbh Sagar Ji Maharaj 1960 | #PragalbhSagarJiMaharaj1960PuspdantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pragyasagar Ji Maharaj - 1972 | #PragyasagarJiMaharaj-1972PuspdantSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pramukh Sagar Ji Maharaji 1973 | #PramukhSagarJiMaharaji1973PushpdantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Prasang Sagar Ji Maharaj 1982 | #PrasangSagarJiMaharaj1982PushpadantaSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Saurabh Sagar Ji Maharaj 1970 | #SaurabhSagarJiMaharaj1970PushpdantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Tarun Sagar Ji Mahraj 1967 | #TarunSagarJiMahraj1967PushpadantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Pranam Sagarji Maharaj 1972 | #MuniShriPranamSagarjiMaharaj1972PushpadantaSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri Prarthana Sagar Ji Maharaj 1970 | #MuniShriPrarthanaSagarJiMaharaj1970ParamPujyaPushpadantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Prateek Sagarji 1980 (Krantiveer) | #PrateekSagarji1980(Krantiveer)PushpaDantaSagarJi | |||||||||||||||||
Pujya Muni Shri 108 Piyushsagarji Muniraj 1969 | #PujyaPiyushsagarjiMuniraj1969Pushpadantasagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Ameya Sagar Ji Maharaj 1933 | #AmeyaSagarJiMaharaj1933RayanSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri Surdev Sagar Ji Maharaj 1966 | #AcharyaShriSurdevSagarJiMaharaj1966SambhavSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Puneet Chaitanya mati Mata ji 1958 | #PuneetChaitanyaMatajiSambhavSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Balacharya Shri Moksh Sagar Ji Maharaj 1962 | #BalacharyaShriMokshSagarJiMaharaj1962SambhavSagarJi | |||||||||||||||||
Upadhyay Aatmasagar Ji Maharaj 1952 | #UpadhyayAatmasagarJiMaharaj1952SambhavSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Surya Sagar Ji Maharaj 1963 | #SuryaSagarJiMaharaj1963SanmatiSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Srusti Bhusan Mata Ji 1964 | #SrustiBhusanMataJi1964SanmatiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Pavitrasagar Ji Maharaj 1949 | #PavitrasagarJiMaharaj1949SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Mahatisagar Ji Maharaj 1938 | #MahatisagarJiMaharaj1938SanmatiSagarJi1927(Dakshin) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Veersagar Ji Maharaj (Rukadi) (1922) | #VeersagarJiMaharaj(Rukadi)(1922)SanmatiSagarJi1927(Dakshin) | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Chandraprabhusagar Ji Maharaj 1980 | #ChandraprabhusagarJiMaharaj1980SanmatisagarJi(Dakshin) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Amit Sagar Ji Maharaj 1963 (Digraj) | #AmitSagarJiMaharaj1963(Digraj)SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Dharmsagar Ji Maharaj 1942 | #DharmsagarJiMaharaj1942SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Gomatsagar Ji Maharaj 1947 | #GomatsagarJiMaharaj1947SanmatiSagarJi(Dakshin)1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Parshwasagar Ji Maharaj 1939 | #ParshwasagarJiMaharaj1939SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Pawan Sagar Ji Maharaj 1943 | #PawanSagarJiMaharaj1943SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Prashant Sagar Ji Maharaj 1955 | #PrashantSagarJiMaharaj1955VardhamanSagarJi(Dakshinwale) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Samatasagar Ji Maharaj 1937 | #SamatasagarJiMaharaj1937SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sanyamsagar Maharaj 1933 | #SanyamsagarMaharaj1933SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shantisagar Ji Maharaj 1960(Chipari) | #ShantisagarJiMaharaj1960(Chipari)SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shravansagar Ji Maharaj 1935 | #ShravansagarJiMaharaj1935SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sidhsagar Ji Maharaj 1951 | #SidhsagarJiMaharaj1951VardhmansagarJi1951(Dakshin) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sudharmsagar Ji Maharaj (Karadga) 1961 | #SudharmsagarJiMaharaj(Karadga)1961SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sumatisagar Ji Maharaj 1946 | #SumatisagarJiMaharaj1946SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj 1990 | #VidyaSagarJiMaharaj1990SanmatiSagarji(Dakshinwale) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vimalsagar Ji Mahraj 1922 | #VimalsagarJiMahraj1922SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Vrushabhsagar Ji Maharaj 1949 | #VrushabhsagarJiMaharaj1949SanmatiSagarJi1927 | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Samarpan Sagar Ji Maharaj 1935 | #SamarpanSagarJiMaharaj1935SanmatiSagarJi(Dakshin) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Bhaktisagar Ji Maharaj | #BhaktisagarJiMaharajSanmatisagarJi1927(Dakshin). | |||||||||||||||||
Balacharya Shri Suratn Ji Maharaj 1986 | #BalacharyaShriSuratnJiMaharaj1986SaubhagyaSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vidyavati Mata Ji (Sikandarpur) | #VidyavatiMataJi(Sikandarpur)ShantiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Chandra Sagar Ji Maharaj (Nandgaon) | #ChandraSagarJiMaharaj(Nandgaon)ShantiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Uttam Sagar Ji Maharaj 1926 | #UttamSagarJiMaharaj1926ShantiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Aadi Sagar Ji Maharaj(Bamhori) | #AadiSagarJiMaharaj(Bamhori)ShantiSagarJi(Chhani) | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj(Dharmpura) | #VeerSagarJiMaharaj(Dharmpura)ShantiSagarJi(Chhani) | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Snehmati Mataji 1950 | #SnehmatiMataji1950ShitalsagarjiMaharaj1976 | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Chandanmati Mataji 1960 | #ChandanmatiMataji1960ShitalsagarjiMaharaj(1976) | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Karunamati Mataji 1952 | #KarunamatiMataji1952ShitalsagarjiMaharaj(1976) | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vatsalyamati Mataji 1953 | Rajesh Pancholiya Ji | 8965065065 | #VatsalyamatiMataji1953ShitalsagarjiMaharaj(1976) | |||||||||||||||
Ganini Aryika 105 Shrutmati Mataji 1950 | #ShrutmatiMataji1950ShitalsagarjiMaharaj(1976) | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Ajitsagar Ji Maharaj 1926 | #AjitsagarJiMaharaj1926ShivsagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Sanmati Sagar Ji Maharaj 1927(Dakshin) | #SanmatiSagarJiMaharaj1927(Dakshin)ShrutSagarji1928 | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Kalyan Sagar Ji Maharaj 1952 | #KalyanSagarJiMaharaj1952ShrutasagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sauhaardmati Mata Ji 1953 | #SauhaardmatiMataJi1953SiddhantJiMaharaj | |||||||||||||||||
Gadni Aryika Shri 105 Sangam mati Mata Ji | #SangamMatiMatajiSiddhantSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Shashank Sagar ji Maharaj 1983 | #ShashankSagarjiMaharaj1983SiddhantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Navinandiji Sagar Ji Maharaj 1977 | #NavinandijiSagarJiMaharaj1977SiddhantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sahajsagar Ji Maharaj 1965 | #SahajsagarJiMaharaj1965SiddhantSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sehaj Sagar Ji Maharaj 1965 | #SehajSagarJiMaharaj1965SiddhantSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Surya Sagar Ji Maharaj 1940 | #SuryaSagarJiMaharaj1940SubahuSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Shrutasagar Ji Maharaj 1940 | #ShrutasagarJiMaharaj1940SubahusagarJi | |||||||||||||||||
Elacharya Shri Arunsen Ji Maharaj 1944 | #ElacharyaShriArunsenJiMaharaj1944SubalSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri Devsen Ji Maharaj | #AcharyaShriDevsenJiMaharajSubalSagarji | |||||||||||||||||
Gadni Aryika Shri 105 Saraswati Mata ji 1961 | #SaraswatiMatajiSubalSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Suyashnandi Ji Maharaj 1937 | #SuyashnandiJiMaharaj1937SukumalnandiJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sukaavyamati Mata ji | #SukaavyamatiMatajiSundarSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sulakshmati Mata ji | #SulakshmatiMatajiSundarSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Suramyamati Mata ji | #SuramyamatiMatajiSundarSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Suyash Sagarji Maharaj 1953 | #SuyashSagarji1953Sundarsagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Suhit Sagarji Maharaj 1958 | #SuhitSagarJiMaharaj1957SundarSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sambalmati Mata ji(Ghatol) | #SambalmatiMataji(Ghatol)SunilSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sampannmati Mata ji 1992 | #SampannmatiMataji1992SunilSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Samprekshamati Mata ji(Sakroda) | #SamprekshamatiMataji(Sakroda)SunilSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sampurnamati Mata ji | #SampurnamatiMatajiSunilSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sangeetmati Mata ji 1989 | #SangeetmatiMataji1989SunilSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Astitva Sagar Ji Maharaj | #AstitvaSagarJiMaharajSunilSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Jayant Sagar Ji Maharaj | #JayantSagarJiMaharajSunilSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sambuddh Sagar Ji Maharaj1975 | #SambuddhSagarJiMaharaj1975SunilSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sampark Sagar Ji Maharaj | #SamparkSagarJiMaharajSunilSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sampragya Sagar Ji Maharaj 2000 | #SampragyaSunilsagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sampujya Sagar Ji Maharaj | #SampujyaSagarJiMaharajSunilSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Samvigya Sagar Ji Maharaj | #SamvigyaSagarJiMaharajSunilSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shrutansh Sagar Ji Maharaj 1943 | #ShrutanshSagarJiMaharaj1943SunilSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Supratisthit Sagar Ji Maharaj | #SupratisthitSagarJiMaharajSunilSagarji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sushrut Sagar Ji Maharaj 1943 | #SushrutSagarJiMaharaj1943SunilSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Subaahu Sagar Ji Maharaj 1924 | #SubaahuSagarJiMaharaj1924SupaarshwaSagarJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Kaivalyamati Mata Ji 1976 | #KaivalyamatiMataJi1976SurdevsagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Subhadramati Mata Ji | #SubhadramatiMataJiSuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sukhadmati Mata Ji 1944 | #SukhadmatiMataJi1944SuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sunidhimati Mata Ji 1980 | #SunidhimatiMataJi1980SuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sunitimati Mata Ji | #SunitimatiMataJiSuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Suprabhaatmati Mata Ji 1936 | #SuprabhaatmatiMataJi1936SuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Supranavmati Mata Ji | #SupranavmatiMataJiSuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Susnehmati Mata Ji 1983 | #SusnehmatiMataJi1983SuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Suvatsalmati Mata ji 1959 | #SuvatsalmatiMataji1959SuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Suyogmati Mata Ji 1969 | #SuyogmatiMataJi1969SuvidhiSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Suvandya Sagar Ji Maharaj 1972 | #SuvandyaSagarJiMaharaj1972SuvidhiSagarJi | |||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Sudhesh Sagar Ji Maharaj 1940 | #SudheshSagarJiMaharaj1940SuvidhiSagarJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sumitrasagarji Maharaj 1975 | #SumitrasagarjiMaharaj1975Suvidhisagarji. | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Sunamra Sagar Ji Maharaj 1947 | #SunamraSagarJiMaharaj1947Suvidhisagarji. | |||||||||||||||||
Aryika Shri Subodhmati Mata Ji | #SubodhMatiMatajiSuyashSagarji | |||||||||||||||||
Acharya Shri Tirthanandi ji Maharaj 1972 | #AcharyaShriTirthanandijiMaharaj1972VairagyanandiJi | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Chintanshree Mata Ji 1981 | #ChintanshreeMataJi1981VairagyanandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Shreyshree Mata Ji 1989 | #ShreyshreeMataJi1989VairagyanandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Sugyanshree Mata Ji 1969 | #SugyanshreeMataJi1969VairagyanandiJiMaharaj | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Saiyamnandi Ji Maharaj | #SaiyamnandiJiMaharajVairagyanandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Saurabhnandi Ji Maharaj 1991 | #SaurabhnandiJiMaharaj1991VairagyanandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Shramannandi Ji Maharaj | #ShramannandiJiMaharajVairagyanandiJi | |||||||||||||||||
Muni Shri Syamanandiji Maharaj 1963 | #MuniShriSyamanandijiMaharaj1963Vairagyanandiji | |||||||||||||||||
Muni Shri 108 Mahima Sagar Ji Maharaj 1973 | #MahimaSagarJiMaharaj1973VardattSagarJi | |||||||||||||||||
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Achatya Shri Gyan Bhushan Maharaj Ji | ||||||||||||||||||
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagar Ji Maharaj 1950 (Vatsalya Viridhi) | #AmurtMatiMataJiVardhmanSagarjiMaharaj | |||||||||||||||||
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Aryika Shri 105 Chandraprabhmati Mata Ji 1984 | #ChandraprabhmatiMataJiVardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
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Aryika Shri 105 Darshanamati Mata Ji 1962 | #DarshanamatiMataJi1962VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Deshnamati Mata Ji 1959 | #DeshnamatiMataJi1959VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Divyanshumati Mata Ji 1947 | #DivyanshumatiMataJi1947VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Divymati Mata Ji 1934 | #DivymatiMataJi1934VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
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Aryika Shri 105 Heerkamti Mata Ji 1932 | #HeerkamtiMataJi1932VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Hirakmati Mataji 1932 | #HirakmatiMataji1932VardhmansagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Jyotimati Mata Ji 1943 | #JyotimatiMataJi1943VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Ksheermati Mata Ji 1968 | #KsheermatiMataJi1968VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Mahayashmati Mata Ji 1989 | Rajesh Pancholiya Ji | 8965065065 | #MahayashmatiMataJi1989VardhmaanSagarJi | |||||||||||||||
Aryika Shri 105 Muditmati Mata Ji 1938 | #MuditmatiMataJi1938VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Nirmuktmati Mata Ji 1958 | #NirmuktmatiMataJi1958VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Purnimamati Mata Ji 1978 | #PurnimamatiMataJi1978VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Purvimati Mata Ji 1948 | #PurvimatiMataJi1948VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Shrey Mati Mata Ji 1957 | #ShreyMatiMataJi1957VardhmanSagarjiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vatsalmati Mata Ji 1953 | #VatsalmatiMataJi1953VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vichakshadmati Mata Ji 1963 | #VichakshadmatiMataJi1963VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vilokmati Mata Ji 1961 | #VilokmatiMataJi1961VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||
Aryika Shri 105 Vinamramati Mata Ji 1966 | #VinamramatiMataJi1966VardhamanSagarJiMaharaj | |||||||||||||||||