ई० सन् १९४०के लगभग इन्होंने 'नेमिनाथपुराण की रचना की है । इसमें समुद्र, पहाड़, नगर, सूर्योदय, चन्द्रोदय, बनक्रीड़ा, जलक्रीड़ा, रति, चिन्ता, विवाह, पुत्रोत्पत्ति, युद्ध, जयप्राप्ति इत्यादिका सविस्तार वर्णन आया है । विप्र लाभ शृङ्गारके वर्णनमें तो कविने अपूर्व क्षमता प्रकट की है।
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परिचय
कर्णपार्य
ई० सन् १९४०के लगभग इन्होंने 'नेमिनाथपुराण की रचना की है । इसमें समुद्र, पहाड़, नगर, सूर्योदय, चन्द्रोदय, बनक्रीड़ा, जलक्रीड़ा, रति, चिन्ता, विवाह, पुत्रोत्पत्ति, युद्ध, जयप्राप्ति इत्यादिका सविस्तार वर्णन आया है । विप्र लाभ शृङ्गारके वर्णनमें तो कविने अपूर्व क्षमता प्रकट की है।
ई० सन् १९४०के लगभग इन्होंने 'नेमिनाथपुराण की रचना की है । इसमें समुद्र, पहाड़, नगर, सूर्योदय, चन्द्रोदय, बनक्रीड़ा, जलक्रीड़ा, रति, चिन्ता, विवाह, पुत्रोत्पत्ति, युद्ध, जयप्राप्ति इत्यादिका सविस्तार वर्णन आया है । विप्र लाभ शृङ्गारके वर्णनमें तो कविने अपूर्व क्षमता प्रकट की है।