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#Kavikhadagsen
यह लाहौर-निवासी थे । इनके पिताका नाम लगा राज था। कविके पूर्वज पहले नारनोलमें रहा करते थे । यहीं से आकर लाहौर में रहने लगे थे। इन्होंने नारनोलमें भी चतुर्भुज वैरागीके पास अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया था। इन्होंने संवत् १७१३ में त्रिलोकदर्पणको रचना सम्पूर्ण की थी। कविता साधारण ही है । उदाहरणार्थ---
बागड देश महा विसतार, नारनोल तहाँ नगर निवास ।
तहाँ कौम छत्तीसौं बसे, अपणे करमतणां रस लसे ।।
श्रावक वस परम गुणवन्त, नाम पापड़ीवाल वसन्त ।
सब भाई मैं पमित लिये, मानू साह घरमगण कियै ।
जिसके दो पुत्र मुणश्वास, णराज ठाकुरीदास ।
ठाकुरसीकै सुत हैं तीन, तिनको जागौं परम प्रवीन ।
बड़ो पुत्र धनपाल प्रमाण, सोहिलदास महासुख जाण ।
यह लाहौर-निवासी थे । इनके पिताका नाम लगा राज था। कविके पूर्वज पहले नारनोलमें रहा करते थे । यहीं से आकर लाहौर में रहने लगे थे। इन्होंने नारनोलमें भी चतुर्भुज वैरागीके पास अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया था। इन्होंने संवत् १७१३ में त्रिलोकदर्पणको रचना सम्पूर्ण की थी। कविता साधारण ही है । उदाहरणार्थ---
बागड देश महा विसतार, नारनोल तहाँ नगर निवास ।
तहाँ कौम छत्तीसौं बसे, अपणे करमतणां रस लसे ।।
श्रावक वस परम गुणवन्त, नाम पापड़ीवाल वसन्त ।
सब भाई मैं पमित लिये, मानू साह घरमगण कियै ।
जिसके दो पुत्र मुणश्वास, णराज ठाकुरीदास ।
ठाकुरसीकै सुत हैं तीन, तिनको जागौं परम प्रवीन ।
बड़ो पुत्र धनपाल प्रमाण, सोहिलदास महासुख जाण ।
#Kavikhadagsen
आचार्यतुल्य कवि खड़गसेन 18वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 29 मई 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 29 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
यह लाहौर-निवासी थे । इनके पिताका नाम लगा राज था। कविके पूर्वज पहले नारनोलमें रहा करते थे । यहीं से आकर लाहौर में रहने लगे थे। इन्होंने नारनोलमें भी चतुर्भुज वैरागीके पास अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया था। इन्होंने संवत् १७१३ में त्रिलोकदर्पणको रचना सम्पूर्ण की थी। कविता साधारण ही है । उदाहरणार्थ---
बागड देश महा विसतार, नारनोल तहाँ नगर निवास ।
तहाँ कौम छत्तीसौं बसे, अपणे करमतणां रस लसे ।।
श्रावक वस परम गुणवन्त, नाम पापड़ीवाल वसन्त ।
सब भाई मैं पमित लिये, मानू साह घरमगण कियै ।
जिसके दो पुत्र मुणश्वास, णराज ठाकुरीदास ।
ठाकुरसीकै सुत हैं तीन, तिनको जागौं परम प्रवीन ।
बड़ो पुत्र धनपाल प्रमाण, सोहिलदास महासुख जाण ।
Acharyatulya Kavi Khadagsen 18th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 29 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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Kavikhadagsen
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