हैशटैग
#Manranglal
मनरंगलाल कन्नौजके निवासी थे, जालिके पल्लीवाल थे। इनके पिताका नाम कन्नौजीलाल और माताका नाम देवको था। कन्नौज में गोपालदासजी नामक एक धर्मात्मा सज्जन निवास करते थे। इनके अनुरोधसे ही कविने चौबासी पाठकी रचना की है । इस प्रसिद्ध पाठका रचनाकाल वि० सं०१८५७ है। इसके अतिरिक्त इनके निम्नलिखित ग्रंथ भी उपलब्ध हैं-नेमिचन्दिका, सप्तव्यसन चरित, सप्तऋषिपूजा एवं शिविर सम्मेदाचल माहात्म्य । शिखिर सम्मेदाचल माहात्म्पका रचनाकाल वि० सं० १८८९ है
माधवपुर राज निवासो पण्डित डालराम, आगरा निवासी पण्डित भूधर मिश्न भी अच्छे कवि हैं। हालूरामने गुरूपदेश श्रावकाचार और सम्यक्त्व प्रकाश तथा भूधर मिश्रने पुरुषार्थसिद्धयुपायपर विशद टोका लिखी है।
उपर्युक्त कवियों के अतिरिक्त आदिकालमें भी कुछ जैन कवियों ने काव्य अन्योंकी रचना की है। कवि सधारूका प्रधम्नन्ति और कवि राजसिंहका जिनदत्तरित प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। राजसिंहका अपरनाम रल्ह भी बताया गया है। जिनदत्तरितकी प्रशस्तिमें लिखा है कि रल्ह कविने इस काव्यको वि० सं० १३५४ भाद्रपद शुक्ला पंचमो मुझबारके दिन समाप्त किया । उन दिनों भारतपर अल्लाउद्दीन खिलजी शासन कर रहा था । इस प्रकार वि० सं० की १४वी १५वीं शतीमें भी जैन कवियों द्वारा अनक रचनाएं प्रस्तुत को गयी हैं।
मनरंगलाल कन्नौजके निवासी थे, जालिके पल्लीवाल थे। इनके पिताका नाम कन्नौजीलाल और माताका नाम देवको था। कन्नौज में गोपालदासजी नामक एक धर्मात्मा सज्जन निवास करते थे। इनके अनुरोधसे ही कविने चौबासी पाठकी रचना की है । इस प्रसिद्ध पाठका रचनाकाल वि० सं०१८५७ है। इसके अतिरिक्त इनके निम्नलिखित ग्रंथ भी उपलब्ध हैं-नेमिचन्दिका, सप्तव्यसन चरित, सप्तऋषिपूजा एवं शिविर सम्मेदाचल माहात्म्य । शिखिर सम्मेदाचल माहात्म्पका रचनाकाल वि० सं० १८८९ है
माधवपुर राज निवासो पण्डित डालराम, आगरा निवासी पण्डित भूधर मिश्न भी अच्छे कवि हैं। हालूरामने गुरूपदेश श्रावकाचार और सम्यक्त्व प्रकाश तथा भूधर मिश्रने पुरुषार्थसिद्धयुपायपर विशद टोका लिखी है।
उपर्युक्त कवियों के अतिरिक्त आदिकालमें भी कुछ जैन कवियों ने काव्य अन्योंकी रचना की है। कवि सधारूका प्रधम्नन्ति और कवि राजसिंहका जिनदत्तरित प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। राजसिंहका अपरनाम रल्ह भी बताया गया है। जिनदत्तरितकी प्रशस्तिमें लिखा है कि रल्ह कविने इस काव्यको वि० सं० १३५४ भाद्रपद शुक्ला पंचमो मुझबारके दिन समाप्त किया । उन दिनों भारतपर अल्लाउद्दीन खिलजी शासन कर रहा था । इस प्रकार वि० सं० की १४वी १५वीं शतीमें भी जैन कवियों द्वारा अनक रचनाएं प्रस्तुत को गयी हैं।
#Manranglal
आचार्यतुल्य मनरंगलाल (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 2 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 2 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
मनरंगलाल कन्नौजके निवासी थे, जालिके पल्लीवाल थे। इनके पिताका नाम कन्नौजीलाल और माताका नाम देवको था। कन्नौज में गोपालदासजी नामक एक धर्मात्मा सज्जन निवास करते थे। इनके अनुरोधसे ही कविने चौबासी पाठकी रचना की है । इस प्रसिद्ध पाठका रचनाकाल वि० सं०१८५७ है। इसके अतिरिक्त इनके निम्नलिखित ग्रंथ भी उपलब्ध हैं-नेमिचन्दिका, सप्तव्यसन चरित, सप्तऋषिपूजा एवं शिविर सम्मेदाचल माहात्म्य । शिखिर सम्मेदाचल माहात्म्पका रचनाकाल वि० सं० १८८९ है
माधवपुर राज निवासो पण्डित डालराम, आगरा निवासी पण्डित भूधर मिश्न भी अच्छे कवि हैं। हालूरामने गुरूपदेश श्रावकाचार और सम्यक्त्व प्रकाश तथा भूधर मिश्रने पुरुषार्थसिद्धयुपायपर विशद टोका लिखी है।
उपर्युक्त कवियों के अतिरिक्त आदिकालमें भी कुछ जैन कवियों ने काव्य अन्योंकी रचना की है। कवि सधारूका प्रधम्नन्ति और कवि राजसिंहका जिनदत्तरित प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। राजसिंहका अपरनाम रल्ह भी बताया गया है। जिनदत्तरितकी प्रशस्तिमें लिखा है कि रल्ह कविने इस काव्यको वि० सं० १३५४ भाद्रपद शुक्ला पंचमो मुझबारके दिन समाप्त किया । उन दिनों भारतपर अल्लाउद्दीन खिलजी शासन कर रहा था । इस प्रकार वि० सं० की १४वी १५वीं शतीमें भी जैन कवियों द्वारा अनक रचनाएं प्रस्तुत को गयी हैं।
Acharyatulya Manranglal (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 2 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
#Manranglal
15000
#Manranglal
Manranglal
You cannot copy content of this page