हैशटैग
#Shreedhar3
अवन्तोके मुनि सुकुमालका जोवनवृत्त अंकित कर 'सुकुमाल चारिउकीरचना इन्होंने को! गह ग्रन्थ पडियास्ट में लिखा गया है। कथा छ’ सन्धियोंमें समाप्त हुई है । और अन्यका प्रमाण १२०० श्लोक है।
इस ग्रन्थको रचना कविने बलड (अहमदाबाद, गुजरात) नगरमें राजा गोविन्दचन्द्रके सययमें की है ! कविने यह अन्य साहू पीथाके पुत्र पुरचाह वंशोत्पन्न कुमारको प्रेरणासे लिखा है । सन्धि-पुष्पिकाओंमें आया है "इय सिरिसुकुमालसामि-मणोहरचरिउ, सुंदरयर-गुणरयण-नियर-भरिए जिवुहसिरिसुकइसिरिहर विरइए, साहुपीथे-पुत्र कुमारनामांकिए." इत्यादि
ग्रन्थकी आद्यन्त प्रशस्तिमें साहू पोथाका विस्तृत परिचय दिया गया है। बताया है कि साहू पीथाके पिताका नाम साहू रजग्ग पा ओर माताका नाम गल्हा देवी था । इनके सात भाई थे । महेन्द्र, मनहरू, जालहण, सलक्षण, सम्पुण्णा, समुद्रपाल और नेयपाल | पीथाको धर्मपत्नीका नाम सुलक्षणा था। इसीसे कुमारनामक पुत्रका जन्म हुआ। इस कुमारकी प्रेरणासे ही कदिने सुकुमालचरितकी रचना की है ।
यह चरित-काव्य वि० सं० १२०८ मार्गशीर्ष कृष्णा तृतीया सोमवारके दिन लिखा गया है। प्रशस्तिमें बताया है.---
बारह-सयइ गवई कय हरिसह, अट्टोत्तरह महोयलि रिसइ ।
कस-पक्खि आगहो जायए, तिज्ज-दिवसि ससि-वासरि मायइ ।
सुकुमालचरिउमें कुल २२४ कड़वक है । सुकुमालके पूर्वभवके साथ वर्तमान जीवनका भी चित्रण किया गया है। पूर्वजन्ममें यह कौशाम्बी में राज मंत्रीका पुत्र था ! जिनधर्ममें अनुरक्ति होने के कारण वह संसार विरक्त हो श्रमणधर्ममें दीक्षित हो गया । तपस्याके प्रभावसे अगले जन्म में उज्जयिनीमें वह सुकुमाल नामका पुत्र हुआ । कवि नख-शिक्षवर्णनमें भी प्रवीण है। यहाँ परम्परागत उपमानों द्वारा नारी-चित्रणको कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की जाती हैं
"सहो परवइहे घरिणि मयणावलि, पहय-कामियण-मण-गहियावलि ।
दंत-पंति-णिजिय-मुत्तावलि, णं मयहो करी वाणावलि ।
सयलतेडरमज्झे पहाणी, उछ सरासण मणि सम्माणी ।
जहि वयणकमलहो नङ पुज्जइ, चंदु वि अज्जु विवट्टइ खिज्जइ ।
कंकल्ली-पल्लव-सम पाणिहिं, कलकल हंठि वीणिह वाणिहि ।
णियसोहागपरज्जिय गोरिहि, विजाहर-सुर-मण-पणचोरिहे !"
कुछ विद्वान् इन तीनों श्रीधरोंको एक मानते है । पर मेरे विचारसे ये तीनों भिन्न हैं।
अवन्तोके मुनि सुकुमालका जोवनवृत्त अंकित कर 'सुकुमाल चारिउकीरचना इन्होंने को! गह ग्रन्थ पडियास्ट में लिखा गया है। कथा छ’ सन्धियोंमें समाप्त हुई है । और अन्यका प्रमाण १२०० श्लोक है।
इस ग्रन्थको रचना कविने बलड (अहमदाबाद, गुजरात) नगरमें राजा गोविन्दचन्द्रके सययमें की है ! कविने यह अन्य साहू पीथाके पुत्र पुरचाह वंशोत्पन्न कुमारको प्रेरणासे लिखा है । सन्धि-पुष्पिकाओंमें आया है "इय सिरिसुकुमालसामि-मणोहरचरिउ, सुंदरयर-गुणरयण-नियर-भरिए जिवुहसिरिसुकइसिरिहर विरइए, साहुपीथे-पुत्र कुमारनामांकिए." इत्यादि
ग्रन्थकी आद्यन्त प्रशस्तिमें साहू पोथाका विस्तृत परिचय दिया गया है। बताया है कि साहू पीथाके पिताका नाम साहू रजग्ग पा ओर माताका नाम गल्हा देवी था । इनके सात भाई थे । महेन्द्र, मनहरू, जालहण, सलक्षण, सम्पुण्णा, समुद्रपाल और नेयपाल | पीथाको धर्मपत्नीका नाम सुलक्षणा था। इसीसे कुमारनामक पुत्रका जन्म हुआ। इस कुमारकी प्रेरणासे ही कदिने सुकुमालचरितकी रचना की है ।
यह चरित-काव्य वि० सं० १२०८ मार्गशीर्ष कृष्णा तृतीया सोमवारके दिन लिखा गया है। प्रशस्तिमें बताया है.---
बारह-सयइ गवई कय हरिसह, अट्टोत्तरह महोयलि रिसइ ।
कस-पक्खि आगहो जायए, तिज्ज-दिवसि ससि-वासरि मायइ ।
सुकुमालचरिउमें कुल २२४ कड़वक है । सुकुमालके पूर्वभवके साथ वर्तमान जीवनका भी चित्रण किया गया है। पूर्वजन्ममें यह कौशाम्बी में राज मंत्रीका पुत्र था ! जिनधर्ममें अनुरक्ति होने के कारण वह संसार विरक्त हो श्रमणधर्ममें दीक्षित हो गया । तपस्याके प्रभावसे अगले जन्म में उज्जयिनीमें वह सुकुमाल नामका पुत्र हुआ । कवि नख-शिक्षवर्णनमें भी प्रवीण है। यहाँ परम्परागत उपमानों द्वारा नारी-चित्रणको कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की जाती हैं
"सहो परवइहे घरिणि मयणावलि, पहय-कामियण-मण-गहियावलि ।
दंत-पंति-णिजिय-मुत्तावलि, णं मयहो करी वाणावलि ।
सयलतेडरमज्झे पहाणी, उछ सरासण मणि सम्माणी ।
जहि वयणकमलहो नङ पुज्जइ, चंदु वि अज्जु विवट्टइ खिज्जइ ।
कंकल्ली-पल्लव-सम पाणिहिं, कलकल हंठि वीणिह वाणिहि ।
णियसोहागपरज्जिय गोरिहि, विजाहर-सुर-मण-पणचोरिहे !"
कुछ विद्वान् इन तीनों श्रीधरोंको एक मानते है । पर मेरे विचारसे ये तीनों भिन्न हैं।
#Shreedhar3
आचार्यतुल्य श्रीधर तृतीय (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 25 अप्रैल 2022
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 25 April 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
अवन्तोके मुनि सुकुमालका जोवनवृत्त अंकित कर 'सुकुमाल चारिउकीरचना इन्होंने को! गह ग्रन्थ पडियास्ट में लिखा गया है। कथा छ’ सन्धियोंमें समाप्त हुई है । और अन्यका प्रमाण १२०० श्लोक है।
इस ग्रन्थको रचना कविने बलड (अहमदाबाद, गुजरात) नगरमें राजा गोविन्दचन्द्रके सययमें की है ! कविने यह अन्य साहू पीथाके पुत्र पुरचाह वंशोत्पन्न कुमारको प्रेरणासे लिखा है । सन्धि-पुष्पिकाओंमें आया है "इय सिरिसुकुमालसामि-मणोहरचरिउ, सुंदरयर-गुणरयण-नियर-भरिए जिवुहसिरिसुकइसिरिहर विरइए, साहुपीथे-पुत्र कुमारनामांकिए." इत्यादि
ग्रन्थकी आद्यन्त प्रशस्तिमें साहू पोथाका विस्तृत परिचय दिया गया है। बताया है कि साहू पीथाके पिताका नाम साहू रजग्ग पा ओर माताका नाम गल्हा देवी था । इनके सात भाई थे । महेन्द्र, मनहरू, जालहण, सलक्षण, सम्पुण्णा, समुद्रपाल और नेयपाल | पीथाको धर्मपत्नीका नाम सुलक्षणा था। इसीसे कुमारनामक पुत्रका जन्म हुआ। इस कुमारकी प्रेरणासे ही कदिने सुकुमालचरितकी रचना की है ।
यह चरित-काव्य वि० सं० १२०८ मार्गशीर्ष कृष्णा तृतीया सोमवारके दिन लिखा गया है। प्रशस्तिमें बताया है.---
बारह-सयइ गवई कय हरिसह, अट्टोत्तरह महोयलि रिसइ ।
कस-पक्खि आगहो जायए, तिज्ज-दिवसि ससि-वासरि मायइ ।
सुकुमालचरिउमें कुल २२४ कड़वक है । सुकुमालके पूर्वभवके साथ वर्तमान जीवनका भी चित्रण किया गया है। पूर्वजन्ममें यह कौशाम्बी में राज मंत्रीका पुत्र था ! जिनधर्ममें अनुरक्ति होने के कारण वह संसार विरक्त हो श्रमणधर्ममें दीक्षित हो गया । तपस्याके प्रभावसे अगले जन्म में उज्जयिनीमें वह सुकुमाल नामका पुत्र हुआ । कवि नख-शिक्षवर्णनमें भी प्रवीण है। यहाँ परम्परागत उपमानों द्वारा नारी-चित्रणको कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की जाती हैं
"सहो परवइहे घरिणि मयणावलि, पहय-कामियण-मण-गहियावलि ।
दंत-पंति-णिजिय-मुत्तावलि, णं मयहो करी वाणावलि ।
सयलतेडरमज्झे पहाणी, उछ सरासण मणि सम्माणी ।
जहि वयणकमलहो नङ पुज्जइ, चंदु वि अज्जु विवट्टइ खिज्जइ ।
कंकल्ली-पल्लव-सम पाणिहिं, कलकल हंठि वीणिह वाणिहि ।
णियसोहागपरज्जिय गोरिहि, विजाहर-सुर-मण-पणचोरिहे !"
कुछ विद्वान् इन तीनों श्रीधरोंको एक मानते है । पर मेरे विचारसे ये तीनों भिन्न हैं।
Acharyatulya Shreedhar 3rd (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 25 April 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
#Shreedhar3
15000
#Shreedhar3
Shreedhar3
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