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#Samarthshreeji1986VimadSagarJiMaharaj1976
Aryika Shri 105 Samarthshree Mataji received initiation from Acharya 108 Shri Vimad Sagarji Maharaj on 25th Octoberber, 2015 at Ajmer, Rajasthan.
बाल ब्रह्मचारी पूज्य आर्यिका श्री १०५ समर्थश्री माताजी, जिनका पूर्व नाम कुमारी रश्मि जैन है, का जन्म ८ सितम्बर १९८६ को भाद्रपद शुक्ल ४, सोमवार को बांसवाड़ा, राजस्थान में हुआ। उनकी माता श्रीमती पद्माजी जैन (आर्यिका श्री १०५ सार्थकश्री माताजी) और पिता स्व. डॉ. अजीतकुमारजी जैन, मंदसौर में निवास करते थे। माताजी की एक विवाहित बहन और एक अविवाहित भाई (क्षुल्लक श्री १०५ सुसौम्यसागरजी महाराज) हैं। उन्होंने बी. काम. की पढ़ाई की है और कम्प्यूटर में PGDCA किया है। उनके वैराग्य का कारण श्री जिनेन्द्र प्रभु की पूजा करते हुए संसार का चिंतन है। उन्होंने ६ सीतंबर २०१० को माता-पिता के साथ आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया, जिसका आयोजन परसाद में हुआ। उनके गुरु मुनि श्री १०८ वीरसागरजी महाराज हैं। उन्होंने २०१३ में ३ प्रतिमा व्रत लिया, जिसका आयोजन अजमेर में आचार्य श्री १०८ विमदसागरजी महाराज के मार्गदर्शन में हुआ। आर्यिका दीक्षा २५ अक्टूबर २०१५ को अजमेर, राजस्थान में आचार्य श्री १०८ विमदसागरजी महाराज से प्राप्त की। दीक्षा पश्चात माताजी का नाम आर्यिका श्री १०५ समर्थश्री माताजी रखा गया।
Mataji's Mother - Smt. Padmaji Jain - Aryika Shri 105 Sarthakshri Mataji
#Samarthshreeji1986VimadSagarJiMaharaj1976
आर्यिका श्री १०५ समर्थश्री माताजी
Acharya Shri Vimad Sagarji Maharaj 1976
आचार्य श्री विमद सागरजी महाराज १९७६ Acharya Shri Vimad Sagarji Maharaj 1976
VimadSagarJiMaharaj1976ViragSagarJi
Aryika Shri 105 Samarthshree Mataji received initiation from Acharya 108 Shri Vimad Sagarji Maharaj on 25th Octoberber, 2015 at Ajmer, Rajasthan.
The celibate saint, revered Aryika Shri 105 Samarthashri Mataji, originally named Kumari Rashmi Jain, was born on September 8, 1986, on a Monday in Banswara, Rajasthan. Her mother is Smt. Padmaji Jain (Aryika Shri 105 Sarthakshri Mataji), and her father was Dr. Ajitkumarji Jain, from Mandsaur. Mataji has one married sister and one unmarried brother (Kshullak Shri 105 Susoumyasagarji Maharaj). She has completed her B.Com. and PGDCA in Computer Studies. Her renunciation stems from contemplating the world while worshipping Shri Jinendra Prabhu. On September 6, 2010, she took a lifelong celibacy vow along with her parents, which was conducted at Parasad, under the guidance of her guru, Muni Shri 108 Veersagarji Maharaj. In 2013, she undertook the 3-image vow in Ajmer under the guidance of Acharya Shri 108 Vimdasaagarji Maharaj. Aryika Diksha was conferred on October 25, 2015, in Ajmer, Rajasthan, by Acharya Shri 108 Vimdasaagarji Maharaj. After Aryika Diksha Mataji was named Aryika Shri 105 Samarthshree Mataji.
Mataji's Mother - Smt. Padmaji Jain - Aryika Shri 105 Sarthakshri Mataji
Aryika Shri 105 Samarthshree Mataji
आचार्य श्री विमद सागरजी महाराज १९७६ Acharya Shri Vimad Sagarji Maharaj 1976
आचार्य श्री विमद सागरजी महाराज १९७६ Acharya Shri Vimad Sagarji Maharaj 1976
Acharya Shri Vimad Sagarji Maharaj 1976
Acharya 108 Shri Vimad Sagarji Maharaj
#Samarthshreeji1986VimadSagarJiMaharaj1976
VimadSagarJiMaharaj1976ViragSagarJi
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