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#SunidhimatiMataJi1980SuvidhiSagarJiMaharaj
Aryika Shri 105 Sunidhimati Mata Ji was born on 12 October 1980 in Chitari,Dist-Dungarpur,Rajasthan.She received the initiation from Acharya Shri 108 Suvidhi Sagar Ji Maharaj.
राजस्थान प्रांत के वागड क्षेत्र डुंगरपर जिले के चितरी नगरी में देव शास्त्र गुरु भक्त शाह मणिलाल जसराज जी परिवार में दिनांक 12 ओक्टोम्बर सन 1980 में खुशीयो की बहार आ गयी जब उनके बड़े बेटे शाह पवन जी की धर्मपत्नी श्रीमती हंसा देवी की कोख से तीसरी सन्तति के रूप में कन्या रत्न का जन्म हुआ |
जिसका नाम रखा रागिनी व बचपन से मात-पिता व नानी सुरजदेवी के धर्म संस्कार पनप रहे थे बिटिया रागिनी का ननिहाल भी चितरी ही था |
भव्यात्मा रागिनी के बड़ी बहन चेलना,बड़े भैया भूपेश व छोटे भाई मधोक के रूप में वे कुल चार भाई बहन थे |
वही सखियों के रूप में सन्ध्या दीदी व अलका दीदी प्रमुख थे जो आज बाल ब्रह्मचारिणी के रूप में धर्म मार्ग पर अग्रसर है |
आज से तीस वर्ष पूर्व जब युगश्रेष्ठ आचार्यशीरोमणि श्री सन्मतिसागर जी महायतिराज का नगर चितरी में आगमन हुआ तब जब उनके घर पर आहार हुआ उस समय जहा आचार्य भगवन्त ने खड़े होकर आहारचर्या की वहाँ स्वतः केसरी चरण चिन्ह खिल उठे ऐसा उनके घर पर दो बार हुआ और ये चरण चिन्ह आज भी यथावत है और मानो ये चरण चिन्ह ये संकेत दे रहै थे कि इसी घर का जन्मा कोई भव्यात्मा संयम पथ पर अग्रसर होगा |
क्रिकेट व टीवी सीरियलो में मस्त रहते हुए भी पढाई में सबसे अव्वल रहने वाली रागिनी पर सन 1996 में अपने पिता पवन जी का मात्र 39 वर्ष की अल्प वय में स्वर्गवास हो जाने से संसार की असारता का गहरा बोध हुआ और जब सन 1998 में आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी व गणिनी आर्यिका राज श्री माताजी का वर्षायोग हुआ तब रागिनी,अलका,सन्ध्या व बालक कपिल आदि पर संयम संस्कारो का गहरा प्रभाव पड़ा |
इन्ही संस्कारो को विविध भाषाओ के ज्ञाता मुनि श्री मनोज्ञसागर जी ने सन 2000- 2001 के चितरी शीतकालीन प्रवास में श्रेष्ठ रूप दिया और 14 जनवरी 2001 मकर संक्रांति के दिन चारो भव्यतामाओ ने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया |
अपनी लौकिक शिक्षा में भी सफलता से आपको शिक्षिका के रुप मे राजकीय सर्विस में भी अवसर आया लेकिन ब्रह्मचारिणी रागिनी दीदी ने इस अवसर को ठुकरा कर गणिनी आर्यिका राज श्री माता जी जब अस्वस्थ हुए तो उनकी सेवा में सम्पूर्ण रूप से समर्पित हो गयी व पुज्य माताजी की समाधि तक पूर्ण रुप से सेवा में तत्पर रही |
नगर के जिन चार भव्यात्माओ ने ब्रह्मचर्य व्रत लिया उनमे से बालक कपिल आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी से मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री चन्द्रगुप्त जी के नाम से जग विख्यात है |
वही आगमकोविद-शास्त्रार्थ धुरन्धर,विद्यावाचस्पति आचार्य श्री सुविधिसागर जी गुरुदेब का वागड में प्रवास हुआ तब ब्रह्म.रागिनी ने संयम पथ पर अग्रसर होने का दृढ़ निश्चय कर लिया महान शुभ अवसर की जिस नगर में जन्म हुआ उसी चितरी नगरी में 2 मार्च सन 2006 को आचार्य श्री सुविधिसागर जी गुरुदेब द्वारा आपको आर्यिका दीक्षा दी गयी और नाम पाया आर्यिका श्री सुनिधिमति माताजी |
आपने आचार्य श्री सुविधिसागर जी गुरुदेब से दीक्षा के कुछ वर्ष पश्चात गुरु आज्ञा से स्वाध्याय तपस्वी वैज्ञानिकधर्माचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज से भी ज्ञानार्जन किया |
#SunidhimatiMataJi1980SuvidhiSagarJiMaharaj
आर्यिका श्री १०५ सुनिधिमति माताजी
आचार्य श्री १०८ सुविधिसागरजी महाराज १९७१ Acharya Shri 108 Suvidhisagarji Maharaj 1971
Chaturmas 2017 Shravanbelgola,Karnataka
संतोष खुळे ने २ सितंबर २०२१ को माताजी का परिचय समाविष्ट किया |
Sanjul Jain on 11-Jan-2021 created wiki page for Mata ji
SuvidhiSagarJi1971SanmatiSagar
Aryika Shri 105 Sunidhimati Mata Ji was born on 12 October 1980 in Chitari,Dist-Dungarpur,Rajasthan.She received the initiation from Acharya Shri 108 Suvidhi Sagar Ji Maharaj.
Book-Mahamastakabhishek 2018
Aryika Shri 105 Sunidhimati Mataji
आचार्य श्री १०८ सुविधिसागरजी महाराज १९७१ Acharya Shri 108 Suvidhisagarji Maharaj 1971
आचार्य श्री १०८ सुविधिसागरजी महाराज १९७१ Acharya Shri 108 Suvidhisagarji Maharaj 1971
Chaturmas 2017 Shravanbelgola,Karnataka
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