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#Dhyansagarji1963VidyaSagarji1947
Prakash Ji was born in Bhilai Nagar on 9th April, 1963 on Chaitra Purnima Hanuman Jayanti in a Khsatriya ffamily to father 'Shri Premchand Ji Pandya' who was a freedom fighter and mother 'Shrimati Geeta Devi Pandya'. He took Kshullak Diksha from Achyrya Shri 108 Vidya Sagarji Maharaj.
परिचय - जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागरजी महाराज
सभी प्राणीमात्र को गले लगाने वाले, केवल मनुष्य ही नहीं किन्तु संसार के प्रत्येक प्राणियों में भाई चारे का सन्देश देंने वाले, आपस में प्रेम सिखाने वाले, आत्मा को परमात्मा बनाने वाले ऐसे जिन मार्ग पर अनेक दशकों से अनुसरण करते हुए पूज्य जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागरजी महाराज कठोरतम साधना सहज ही कर रहे है।
आपके जीवन पर एक दृष्टिपात करें तो
आपका जन्म भिलाई नगर में ९ अप्रेल, १९६३ चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती के दिन एक क्षत्रिय परिवार में हुआ। पिता ‘श्री प्रेमचंद जी पंड्या’ जो एक स्वतंत्र सेनानी भी थे और माता ‘श्रीमती गीता देवी पंड्या’ थीं। आपका दीक्षा पूर्व नाम प्रकाश जी था। आपके परिवार में आपकी एक छोटी बहन, अनुज भाई एवं अपनी दादी के साथ आप भिलाई नगर में निवास करते थे।
बाल्यावस्था से ही आपका जीवन अनेक असाधरण घटनाओं से भरा हुआ है। बचपन से ही पशु पक्षी ,पेड़ पौधों से आपका विशेष लगाव एवं दिव्य करुणा और वात्सल्य पूर्ण सम्बन्ध रहा है। उनकी आभा में पहले से ही ऐसा प्रभाव रहा है, जिससे उनके संपर्क में आने वाले मूक पशु-पक्षी भी सुरक्षित महसूस करने लगते है।
बचपन से ही आपको धार्मिक, आध्यत्मिक, करूणा और सकारात्मक नज़रिये से देखने का विस्तृत दृष्टिकोण प्राप्त है। आप एक विज्ञान के विद्यार्थी रह चुके है। आपने Government Medical College, रायपुर से MBBS की शिक्षा प्राप्त की। मूक प्राणी पर करुणाने ही आपके जीवन को वैराग्य की दिशा प्रदान की।
जीवन के उच्च लक्ष्य की प्राप्ति स्वरूप २२ वर्ष की कुमारावस्था में MBBS की पढाई छोड़कर आपने सभी सांसारिक सुखों और गृह-परिवार के मोह को त्याग कर आचार्य विद्यासागरजी के करकमलों से ८ नवंबर १९८५ को आहारजी में जैन साधुओं के लघू पद को धारण किया। आपको “ध्यानसागर जी” नाम से सुशोभित किया गया। एक बार भोजन करना, पैदल विहार करना, स्वाध्याय, ध्यान, जाप आदि आपकी दिनचर्या है। सर्दी-गर्मी जैसे हर प्रकार के ऋतू में आप केवल वस्त्र के खंड को ही धारण करते है।
दीक्षा उपरांत आपने ध्यान, योग, आत्मा इन विषयों पर गहन अध्ययन कर अनुभव के साथ प्राप्त किया है । संस्कृत, प्राकृत आदि प्राचीन भाषाकी विद्वत्ता प्राप्त कर आपने आज अनेक संस्कृत, प्राकृत तथा हिंदी स्तोत्र और काव्यों की रचना की है । आप उच्च साहित्यकार के साथ साथ अद्भुत कवि भी है। संगीत में आपकी विशेष रूचि रही है।
जैन ही नहीं बल्कि अनेक धर्म और संप्रदाय के विद्वानों तथा साधकों से आत्म कल्याण, जीव दया आदि अनेक विषयों पर विशेष चर्चा की है। आप अपने वात्सल्यपूर्ण उपदेशों से बड़ों तथा बच्चों में प्रेम, भाईचारा और सच्चे आनंद की प्राप्ति का मार्ग बताने का प्रयास निरंतर कर रहे है |
रचनाऐः (किताबे,भजन पूजा,स्तुति)
०१. जैसी करनी, वैसी भरनी (संकलन) ०२. शंका-समाधान, ज़रा सोचिये! ०३. शाकाहार-समाधान ०४. विराग-भावना ०५. अमृत-भारती ०६. भक्तामर-नवनीत ०७. जीवन-धारा ०८. मानतुंग-भारती ०९. इष्टोपदेश (अनुवाद) १०. मांसाहार; ख़तरा-ए जान ११. नारी-दर्पण १२. गुरु-शिष्य-दर्पण १३. अविस्मरणीय भातकुली १४. देवपुरी पार्श्व महिमा १५. लाजवाब शाकाहार (अपूर्ण) १६. भक्ति-सुमनांजलि १७. बाल-शिक्षा (संग्रह) १८. स्तोत्र-भारती (अप्रकाशित) १९. स्वाध्याय-भारती (अप्रकाशित) २०. मृत्यु-महोत्सव २१. कैवल्य-चाँदणे (पूना के उपदेशों का मराठी अनुवाद) २२. सामायिक-भारती २३. मृत्युंजय स्तोत्र (अप्रकाशित) २४. Unparalleled Vegetarianism (Incomplete) २५. निर्वाणधाम स्तोत्र (अप्रकाशित) २६. णव-देव-भत्ति (अप्रकाशित) २७. वैराग्य-गीता (अप्रकाशित) २८. विद्यासागराष्टकम् (अप्रकाशित) २९. सिरि सीयलणाह संथवो (अप्रकाशित) ३०. त्रिनेत्रादीश्वर-पूजा ३१. जिणसासणसारो ३२. यजामहे पार्श्वनाथ स्तोत्र ३३. श्रीगोम्मटेश्वर स्तोत्रम् ३४. समवसरणाष्टक का अनुवाद ३५. सुप्रभात स्तोत्र का अनुवाद
संगीत बद्ध रचनाये:
०१. भज मन विद्यासागर (भजन, स्तुति, पूजा, जयमाला, आरती, कीर्तन) ०२. भातकुली (परिचय, पूजा, जयमाला, आरती) ०३. देवपुरी (मंगलाचरण, प्रातःप्रार्थना, पूजा, पंचकल्याणक के अर्घ्य, जयमाला, आरती, यजामहे-स्तोत्र, गुजराती भजन) ०४. भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत/हिन्दी पद्यानुवाद) ०५. कल्याणमन्दिर-स्तोत्र ०६. महावीराष्टक-स्तोत्र ०७. जिनसहस्रनाम-स्तोत्र ०८. महावीराष्टक-स्तोत्र ०९. मेरी भावना १०. बारह भावना ११. समाधि भावना १२. भावना १३. वैराग्य भावना १४. समाधिमरण-पाठ १५. ग़ज़ल-संग्रह (दुनिया बड़ी अजीब है, मेरे दिल में छाले अनेक हैं, जब काली रात अमावस की, ऐसी घड़ियाँ भी कभी, हज़ारों हैं फ़फौल-ए दिल, कौन है मेरा इस दुनिया में?, शीशे की तरहा, सोने के पिंजरे का पंछी, दर्द-ए दिल पूछो न हमारा, शीतलहर की रातों में, इंसाँ इंसाँ है) १६. माँ का कलेजा १७. सहा न क्या-क्या? १८. लाख चुकाओ नहीं चुकेगा १९. कानी माँ २०. चाचा-भतीजा २१. कैसे मनायें स्वर्ण-जयन्ती? २२. कैसे मनायें जन्म-जयन्ती? २३. राम-कथा के गीत
#Dhyansagarji1963VidyaSagarji1947
क्षुल्लक श्री १०५ ध्यानसागरजी महाराज
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
क्षुल्लक ध्यानसागर महाराज की चतुर्मास सूची
०१.) १९८६ अतिशय क्षेत्र पपौराजी, मध्य प्रदेश (गुरु-संघ सहित)
०२.) १९८७ अतिशय क्षेत्र थूबोंन जी, मध्य प्रदेश (गुरु-संघ सहित)
०३.) १९८८ मण्डी बामोरा, मध्य प्रदेश (मुनि-युगल क्षमा-योगसागर महाराज जी सहित)
०४.) १९८९ कुण्डलपुर जी क्षेत्र, मध्य प्रदेश (गुरु-संघ सहित)
०५.) १९९० महावीर जिनालय, टिन शेड, साउथ टी॰टी॰ नगर, भोपाल, मध्य प्रदेश (ऐलक सम्यक्त्वसागर जी एवं श्रेयांस ब्रह्मचारी जी)
०६.) १९९१ आदिनाथ जिनालय, चौक, भोपाल, मध्य प्रदेश (ऐलक सम्यक्त्वसागर जी एवं श्रेयांस ब्रह्मचारी जी)
०७.) १९९२ करेली, मध्य प्रदेश (ऐलक सम्यक्त्वसागर जी एवं श्रेयांस ब्रह्मचारी जी)
०८.) १९९३ अतिशय क्षेत्र पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर, मध्य प्रदेश (मुनि वर्धमानसागर जी + अनेक ब्रह्मचारी)
०९.) १९९४ अतिशय क्षेत्र पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर, मध्य प्रदेश (मुनि सरलसागर जी + अनेक ब्रह्मचारी)
१०.) १९९५ अतिशय क्षेत्र पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर, मध्य प्रदेश (ऐलक गोसलसागर जी + अनेक ब्रह्मचारी)
११.) १९९६ परवारपुरा, इतवारी, नागपुर, महाराष्ट्र (विमल ब्रह्मचारी जी)
१२.) १९९७ आदिनाथ जिनालय, दहीसाथ, आनन्द भवन, अमरावती, महाराष्ट्र (विमल-सतीश ब्रह्मचारी जी)
१३.) १९९८ अतिशय क्षेत्र श्रीचन्द्रनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कारंजा लाड़, महाराष्ट्र (२ मुनि, १ ऐलक, सतीश ब्रह्मचारी जी)
१४.) १९९९ आदिनाथ जिनालय, दहीसाथ, आनन्द भवन, अमरावती, महाराष्ट्र (सतीश ब्रह्मचारी जी)
१५.) २००० अतिशय क्षेत्र भातकुली, महाराष्ट्र (सतीश ब्रह्मचारी जी)
१६.) २००१ सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरि, मध्य प्रदेश (सतीश ब्रह्मचारी जी)
१७.) २००२ आदिनाथ जिनालय, चौक, भोपाल, मध्य प्रदेश
१८.) २००३ निगड़ी प्राधिकरण, पूना, महाराष्ट्र
१९.) २००४ शान्तिनाथ जिनालय, धनलक्ष्मी सोसायटी, ओढव मार्ग, अहमदाबाद, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२०.) २००५ शान्तिनाथ जिनालय, हिम्मतनगर, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२१.) २००६ शान्तिनाथ जिनालय, उस्मानपुरा, अहमदाबाद, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२२.) २००७ कलोल, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२३.) २००८ तलोद, गुजरात
२४.) २००९ अतिशयक्षेत्र देवपुरी, देरोल, साबरकाँठा, गुजरात
२५.) २०१० आदीश्वर जिनालय, विजयनगर, गुजरात
२६.) २०११ आहूरानगर, सूरत, गुजरात
२७.) २०१२ अतिशय क्षेत्र कतारगाम, सूरत, गुजरात
२८.) २०१३ राँची, झारखंड
२९.) २०१४ श्री चन्द्रप्रभ जिनालय, आरा, बिहार
३०.) २०१५ श्री अजितनाथ जिनालय, मण्डी, बड़ौत, उत्तर प्रदेश
३१.) २०१६ त्रिनेत्र आदीश्वर जिनालय, पाँडवान, हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश (आर्यिका युगल, ब्रह्मचारी जी + ३ दीदी)
३२.) २०१७ अतिशय क्षेत्र श्री चन्द्रनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कारंजा लाड़, महाराष्ट्र
३३.) २०१८ श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला, जिला हासन, करनाटक (१२५ पिच्छीधारियों + चारुकीर्ति भट्टारकजी)
३४.) २०१९ कारकळ, दक्षिण करनाटक (कारकळ के ललितकीर्ति भट्टारकजी)
३५.) २०२० श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला, जिला हासन, करनाटक (१ आचार्य, १ मुनि, १ आर्यिका, ३ क्षुल्लिका + चारुकीर्तिभट्टारकजी)
३६.) २०२१ श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र कुन्थुगिरी, महाराष्ट्र (आचार्य कुंथुसागरजी ससंघ)
३७.) २०२२ वर्धमान प्रतिष्ठान, पुणे, महाराष्ट्र
AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj
Prakash Ji was born in Bhilai Nagar on 9th April, 1963 on Chaitra Purnima Hanuman Jayanti in a Khsatriya ffamily to father 'Shri Premchand Ji Pandya' who was a freedom fighter and mother 'Shrimati Geeta Devi Pandya'. He took Kshullak Diksha from Achyrya Shri 108 Vidya Sagarji Maharaj.
A glance at the life story of Kshullak Shri Dhyan Sagarji Maharaj:
Prakash was born in Bhilai Nagar on 9th April, 1963 on Chaitra Purnima Hanuman Jayanti in a Kshatriya family to father 'Shri Premchand Ji Pandya' who was a freedom fighter and mother 'Shrimati Geeta Devi Pandya'.
He lived in Bhilai with a younger sister, and a younger brother and grandmother. Since childhood, your life is full of many extraordinary incidents. Since childhood, Praka had a special attachment to animals, trees, plants and a had divine compassion and love for animals.
There has already been such an effect in his aura, that even animals and birds who came in contact with him start feeling safe. Since childhood, he got a wide view of religious, spiritual, compassionate and positive attitude.
He has been a science student. He did his MBBS from Government Medical College, Raipur. His compassion for animals made his realized to take spirtual path and adopt ‘Vairagya’ . As a result of attaining the high goal of life, he left MBBS studies at the age of 22, and renounced all worldly pleasures and attachment towards his family and assumed took Kshullak Diksha on on 8 November 1985 from the respected Acharya Shri 108 Vidyasagarji Maharaj.
You were adorned with the name "Dhyanasagar ji". Eating once, walking, self-study, meditation, chanting etc. is your routine. In every type of season like winter-summer, you wear only a piece of cloth.
After initiation, you have kept yourself always immersed in meditation, yoga after doing deep study on these subjects.
You have composed many Sanskrit, Prakrit and Hindi stotras and poems. You have earned expertise in ancient languages like Sanskrit, Prakrit etc by doing deep study.
Kshullak Shri Dhyansagarji is also a wonderful poet along with a good writer. He has special interest in music. Not only Jains but scholars and seekers of many religions and sects have had special discussions on wide topics with him like self-welfare, soul-compassion etc and they found him really knowledgeable and has given the special title as “Jinvani Putra” – The son of Jain textures.
रचनाऐः (किताबे,भजन पूजा,स्तुति)
०१. जैसी करनी, वैसी भरनी (संकलन) ०२. शंका-समाधान, ज़रा सोचिये! ०३. शाकाहार-समाधान ०४. विराग-भावना ०५. अमृत-भारती ०६. भक्तामर-नवनीत ०७. जीवन-धारा ०८. मानतुंग-भारती ०९. इष्टोपदेश (अनुवाद) १०. मांसाहार; ख़तरा-ए जान ११. नारी-दर्पण १२. गुरु-शिष्य-दर्पण १३. अविस्मरणीय भातकुली १४. देवपुरी पार्श्व महिमा १५. लाजवाब शाकाहार (अपूर्ण) १६. भक्ति-सुमनांजलि १७. बाल-शिक्षा (संग्रह) १८. स्तोत्र-भारती (अप्रकाशित) १९. स्वाध्याय-भारती (अप्रकाशित) २०. मृत्यु-महोत्सव २१. कैवल्य-चाँदणे (पूना के उपदेशों का मराठी अनुवाद) २२. सामायिक-भारती २३. मृत्युंजय स्तोत्र (अप्रकाशित) २४. Unparalleled Vegetarianism (Incomplete) २५. निर्वाणधाम स्तोत्र (अप्रकाशित) २६. णव-देव-भत्ति (अप्रकाशित) २७. वैराग्य-गीता (अप्रकाशित) २८. विद्यासागराष्टकम् (अप्रकाशित) २९. सिरि सीयलणाह संथवो (अप्रकाशित) ३०. त्रिनेत्रादीश्वर-पूजा ३१. जिणसासणसारो ३२. यजामहे पार्श्वनाथ स्तोत्र ३३. श्रीगोम्मटेश्वर स्तोत्रम् ३४. समवसरणाष्टक का अनुवाद ३५. सुप्रभात स्तोत्र का अनुवाद
संगीत बद्ध रचनाये:
०१. भज मन विद्यासागर (भजन, स्तुति, पूजा, जयमाला, आरती, कीर्तन) ०२. भातकुली (परिचय, पूजा, जयमाला, आरती) ०३. देवपुरी (मंगलाचरण, प्रातःप्रार्थना, पूजा, पंचकल्याणक के अर्घ्य, जयमाला, आरती, यजामहे-स्तोत्र, गुजराती भजन) ०४. भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत/हिन्दी पद्यानुवाद) ०५. कल्याणमन्दिर-स्तोत्र ०६. महावीराष्टक-स्तोत्र ०७. जिनसहस्रनाम-स्तोत्र ०८. महावीराष्टक-स्तोत्र ०९. मेरी भावना १०. बारह भावना ११. समाधि भावना १२. भावना १३. वैराग्य भावना १४. समाधिमरण-पाठ १५. ग़ज़ल-संग्रह (दुनिया बड़ी अजीब है, मेरे दिल में छाले अनेक हैं, जब काली रात अमावस की, ऐसी घड़ियाँ भी कभी, हज़ारों हैं फ़फौल-ए दिल, कौन है मेरा इस दुनिया में?, शीशे की तरहा, सोने के पिंजरे का पंछी, दर्द-ए दिल पूछो न हमारा, शीतलहर की रातों में, इंसाँ इंसाँ है) १६. माँ का कलेजा १७. सहा न क्या-क्या? १८. लाख चुकाओ नहीं चुकेगा १९. कानी माँ २०. चाचा-भतीजा २१. कैसे मनायें स्वर्ण-जयन्ती? २२. कैसे मनायें जन्म-जयन्ती? २३. राम-कथा के गीत
Kshullak Shri 105 Dhyansagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
क्षुल्लक ध्यानसागर महाराज की चतुर्मास सूची
०१.) १९८६ अतिशय क्षेत्र पपौराजी, मध्य प्रदेश (गुरु-संघ सहित)
०२.) १९८७ अतिशय क्षेत्र थूबोंन जी, मध्य प्रदेश (गुरु-संघ सहित)
०३.) १९८८ मण्डी बामोरा, मध्य प्रदेश (मुनि-युगल क्षमा-योगसागर महाराज जी सहित)
०४.) १९८९ कुण्डलपुर जी क्षेत्र, मध्य प्रदेश (गुरु-संघ सहित)
०५.) १९९० महावीर जिनालय, टिन शेड, साउथ टी॰टी॰ नगर, भोपाल, मध्य प्रदेश (ऐलक सम्यक्त्वसागर जी एवं श्रेयांस ब्रह्मचारी जी)
०६.) १९९१ आदिनाथ जिनालय, चौक, भोपाल, मध्य प्रदेश (ऐलक सम्यक्त्वसागर जी एवं श्रेयांस ब्रह्मचारी जी)
०७.) १९९२ करेली, मध्य प्रदेश (ऐलक सम्यक्त्वसागर जी एवं श्रेयांस ब्रह्मचारी जी)
०८.) १९९३ अतिशय क्षेत्र पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर, मध्य प्रदेश (मुनि वर्धमानसागर जी + अनेक ब्रह्मचारी)
०९.) १९९४ अतिशय क्षेत्र पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर, मध्य प्रदेश (मुनि सरलसागर जी + अनेक ब्रह्मचारी)
१०.) १९९५ अतिशय क्षेत्र पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर, मध्य प्रदेश (ऐलक गोसलसागर जी + अनेक ब्रह्मचारी)
११.) १९९६ परवारपुरा, इतवारी, नागपुर, महाराष्ट्र (विमल ब्रह्मचारी जी)
१२.) १९९७ आदिनाथ जिनालय, दहीसाथ, आनन्द भवन, अमरावती, महाराष्ट्र (विमल-सतीश ब्रह्मचारी जी)
१३.) १९९८ अतिशय क्षेत्र श्रीचन्द्रनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कारंजा लाड़, महाराष्ट्र (२ मुनि, १ ऐलक, सतीश ब्रह्मचारी जी)
१४.) १९९९ आदिनाथ जिनालय, दहीसाथ, आनन्द भवन, अमरावती, महाराष्ट्र (सतीश ब्रह्मचारी जी)
१५.) २००० अतिशय क्षेत्र भातकुली, महाराष्ट्र (सतीश ब्रह्मचारी जी)
१६.) २००१ सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरि, मध्य प्रदेश (सतीश ब्रह्मचारी जी)
१७.) २००२ आदिनाथ जिनालय, चौक, भोपाल, मध्य प्रदेश
१८.) २००३ निगड़ी प्राधिकरण, पूना, महाराष्ट्र
१९.) २००४ शान्तिनाथ जिनालय, धनलक्ष्मी सोसायटी, ओढव मार्ग, अहमदाबाद, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२०.) २००५ शान्तिनाथ जिनालय, हिम्मतनगर, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२१.) २००६ शान्तिनाथ जिनालय, उस्मानपुरा, अहमदाबाद, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२२.) २००७ कलोल, गुजरात (सुनील ब्रह्मचारी जी)
२३.) २००८ तलोद, गुजरात
२४.) २००९ अतिशयक्षेत्र देवपुरी, देरोल, साबरकाँठा, गुजरात
२५.) २०१० आदीश्वर जिनालय, विजयनगर, गुजरात
२६.) २०११ आहूरानगर, सूरत, गुजरात
२७.) २०१२ अतिशय क्षेत्र कतारगाम, सूरत, गुजरात
२८.) २०१३ राँची, झारखंड
२९.) २०१४ श्री चन्द्रप्रभ जिनालय, आरा, बिहार
३०.) २०१५ श्री अजितनाथ जिनालय, मण्डी, बड़ौत, उत्तर प्रदेश
३१.) २०१६ त्रिनेत्र आदीश्वर जिनालय, पाँडवान, हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश (आर्यिका युगल, ब्रह्मचारी जी + ३ दीदी)
३२.) २०१७ अतिशय क्षेत्र श्री चन्द्रनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कारंजा लाड़, महाराष्ट्र
३३.) २०१८ श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला, जिला हासन, करनाटक (१२५ पिच्छीधारियों + चारुकीर्ति भट्टारकजी)
३४.) २०१९ कारकळ, दक्षिण करनाटक (कारकळ के ललितकीर्ति भट्टारकजी)
३५.) २०२० श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला, जिला हासन, करनाटक (१ आचार्य, १ मुनि, १ आर्यिका, ३ क्षुल्लिका + चारुकीर्तिभट्टारकजी)
३६.) २०२१ श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र कुन्थुगिरी, महाराष्ट्र (आचार्य कुंथुसागरजी ससंघ)
३७.) २०२२ वर्धमान प्रतिष्ठान, पुणे, महाराष्ट्र
Jinvani Putra
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