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#AmitSagarJiMaharaj1963DharmasagarJi
Muni Shri 108 Amit Sagarji Maharaj was born on 26-Jun-1963 as Amit Kumar Jain in the Village Dugah Kala (Khurai), District Sagar (Madhya Pradesh).
जन्म का नाम | : | अजीत कुमार जैन |
जन्म तिथि | : | २६ जून, १९६३ |
जन्म स्थान | : | ग्राम दुगाह कला (खुरई), जिला सागर (मध्य प्रदेश) |
पिता का नाम | : | गुलाब चन्द्र जी जैन |
माता का नाम | : | श्रीमती सुमित्रा बाई जैन वर्तमान में आर्यिका प्रवेशमती माता जी पट्टाचार्य श्री अभिनन्दन सागर जी संघस्थ |
भ्राता | : | तीन:
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बहिन | : | दो:
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जाति | : | परवार |
शिक्षा | : | हाई स्कूल (कृषि विज्ञानं) श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन गुरुकुल, खुरई जिला - सागर (मध्य प्रदेश) |
ब्रह्मचर्य व्रत | : | २२ फरबरी, १९८१, बंडा, जिला - सागर (मध्य प्रदेश) श्री १०८ आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी से |
मुनि दीक्षा | : | ४ अक्टूबर, १९८४, विजय दशमी, अजमेर (राजस्थान) |
शिक्षा गुरु | : | आचार्य कल्पश्रुत सागर जी महाराज |
दीक्षा गुरु | : | करुणा और वात्सल्यमूर्ति आचार्य धर्म सागर जी महाराज |
बालयोगी उपाधि | : | २५ जनवरी, १९९४ बलाचार्य योगिन्द्र सागर जी महाराज |
भाषा ज्ञान | : | हिंदी, संस्कृत, प्राकृत, अंग्रेजी एवं प्रांतीय भाषायें |
साहित्य रचना | : |
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साहित्य संपादन | : |
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लंका दहन देख घर आकर जलाई रजाई बोले जीवन भर नही ओढ़नी रजाई
बारहवीं कक्षा में पढ़ते हुए ही इन्होने घर का त्याग कर दिया था। जैन धर्म के अनुसार साधु द्विजन्मा होता है। प्रथम जन्म माता-पिता के घर होता है। मुनिश्री अमित सागर का तब नाम अजित कुमार था उनका जन्म 26 जून 1963 को मध्य प्रदेश के सागर जिले में खुरई तहसील के दुगहा गांव में हुआ था।
प्रारंभ से ही वह मेधावी छात्र थे। दौड़ लगाना, कबड्डी खेलना एवं कुश्ती उनके प्रिय खेल थे। गणित एवं अंग्रेजी में वह प्रारंभ से ही काफी निपुण थे वह स्वादिष्ट भोजन के भी शौकीन थे, इसलिये गांव में एक आम के बाग वाले ने कह रखा था, इन्हे बाग में हर रोज आम खाने दिया जाये। 12वीं कक्षा में जब यह पढ़ते थे तो उन्होने रामलीला में लंका दहन की लीला को देखा तथा घर में आकर अपनी ओढ़ने की रजाई में ही आग लगा दी। जब रजाई धू-धू कर जल उठी तो नाचने लगे। घर वाले पहुॅचे तो इन्होने कहा कि लंका जल रही है। फिर कहा कि अब मुझे जीवन भर रजाई नही ओढ़नी है।
अगले सप्ताह मुनि पुष्पदंत सागर महाराज गांव में पहुॅचे तो घर वालों की बगैर अनुमति के अजित कुमार उनके साथ चले गए। फिर वापिस नहीं लौटे और 4 अक्टूबर 1984 को दशहरा के दिन इन्होने आचार्य धर्म सागर महाराज से मुनि दीक्षा ली। तब से नाम अमित सागर महाराज पड़ गया। साधु जीवन का असली जीवन ही दीक्षा के बाद शुरू होता है बालयोगी अमीक्षण ज्ञानोपयोगी, प्रज्ञा श्रमण, वत्सल मूर्ति जैसी उपाधियाँ श्रावकों ने भक्तिरेख में दी हैं लेकिन उनका कहना है कि संत के जीवन में उपाधियों का कोई महत्व नहीं होता दिगम्बर संत की साधना का सर्वोत्तम लक्ष्य समाधि है और वह आधि (टैंशन) व्याधि अर्थात बीमारी और मान बढ़ाने वाली उपाधियों से बचने के बाद ही समाधि को साधना और प्राप्ती हो सकती है।
इसलिये उन्होने उपाध्याय एलाचार्य एवं आचार्य जैसे पदों को कभी स्वीकार नही किया। मुनि श्री प्रभावक प्रवचनकार है और अनेक आध्यात्मिक ग्रन्थों के सर्जक हैं जिनमें पूरे भारत में विख्यात "मन्दिर" 12 भाषाओं में प्रकाशित, बोलती माटी रत्नाकार की लहरें तत्वार्थ सूत्र टीका आँखिन देखी आत्मा है अब तक लगभग 40 पुस्तकों का लेखन किया है मुनिश्री ने अब तक सम्पूर्ण देश की एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा की है उनकी दक्षिण और उत्तर में व्यापक पहचान है अनेक डॉक्टर, प्रोफेसर, वकील, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट, श्रीमंत एवं विद्वान उनके भक्त हैं वे शतायु हों और अहिंसा के संदेश को इसी प्रकार से प्रवाहित करते रहें।
: अनूप चन्द्र जैन एडवोकेट फिरोजाबाद
#AmitSagarJiMaharaj1963DharmasagarJi
मुनि श्री १०८ अमित सागरजी महाराज
Mohit Jain
+91 75593 8946
8630130299
9252830005
Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
वर्ष | मंदिर | शहर | राज्य |
1984 | श्री छोटा धड़ा नसियां जी | अजमेर | राजस्थान |
1985 | श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र | लूणवा | राजस्थान |
1986 | दिगम्बर जैन मंदिर, चिकना का बाजार, | सुजानगढ़ | राजस्थान |
1987 | बड़ा जैन मंदिर, चौरू (फागी ) | चौरु | राजस्थान |
1988 | सिद्धक्षेत्र | सोनागिर | मध्य प्रदेश |
1989 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, मोरा जी, गुरुकुल | सागर | मध्य प्रदेश |
1990 | बड़ा जैन मंदिर, | बेगमगंज | मध्य प्रदेश |
1991 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, ग्रीन पार्क | दिल्ली | दिल्ली |
1992 | पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर , छीपीटोला | आगरा | उत्तर प्रदेश |
1993 | श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नशिया जैन मंदिर, कोटला रोड | फ़िरोज़ाबाद | उत्तर प्रदेश |
1994 | श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सेठ लाल जी का, टुंडला चौराहा | टूण्डला | उत्तर प्रदेश |
1995 | पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर छीपीटोला | आगरा | उत्तर प्रदेश |
1996 | जैन मंदिर कटरा सेवाकली | इटावा | उत्तर प्रदेश |
1997 | सिद्धक्षेत्र शिखरजी बीस पंथी कोठी | तीर्थराज सम्मेद शिखर जी | झारखण्ड |
1997 | सिद्धक्षेत्र शिखरजी बीस पंथी कोठी | तीर्थराज सम्मेद शिखर जी | झारखण्ड |
1999 | दिगम्बर जैन मंदिर बोडम बाजार | हजारी बाग | झारखण्ड |
2000 | श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर सर्वज्ञान | मैनपुरी | उत्तर प्रदेश |
2001 | श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर | सोनीपत | हरियाणा |
2002 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कीर्ति नगर, टोक रोड | जयपुर | राजस्थान |
2003 | जैन चैत्यालय मंदिर, महावीर नगर, | डूंगरपुर | राजस्थान |
2004 | श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर | कलिंजरा | राजस्थान |
2005 | श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, महासत्ता चौक, सांगली रोड | इचलकरंजी | महाराष्ट्र |
2006 | जैन मठ | श्रवणवेलगोला | कर्नाटक |
2007 | श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, शुक्रवार पेठ | फलटन | महाराष्ट्र |
2008 | श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर | सोनीपत | हरियाणा |
2009 | जैन मंदिर , जैन बाग़ सहारनपुर | सहारनपुर | उत्तर प्रदेश |
2010 | श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नशिया जैन मंदिर, कोटला रोड | फ़िरोज़ाबाद | उत्तर प्रदेश |
2011 | चैत्यालय मंदिर बतासा बाजार | भिण्ड | मध्य प्रदेश |
2012 | पद्मावती पोरवाल जैन मंदिर (बड़ा मंदिर) जैन स्ट्रीट बड़ा बाजार | शिकोहाबाद | उत्तर प्रदेश |
2013 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, इंद्रा कॉलोनी, | टूण्डला | उत्तर प्रदेश |
2014 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कीर्ति नगर, टोक रोड | जयपुर | राजस्थान |
2015 | श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नशिया मंदिर, कोटला रोड | फिरोजाबाद | उत्तर प्रदेश |
2016 | पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, (कांच मंदिर) स्टेशन रोड, गोल बाजार, | कटनी | मध्यप्रदेश |
2017 | जैनमठ | श्रवणबेलगोला | कर्नाटक |
2018 | श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर, गाँवभाग | हुपरी | महाराष्ट |
2019 | श्री विद्यानंद स्वामी दिगम्बर जैन मंदिर, कतारगाम | सूरत | गुजरात |
2020 | श्री वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर, संतोष नगर, गारियावास | उदयपुर | राजस्थान |
Mohit Jain +91 75593 68946, 8630138299, 9552830005
Mohit Jain +91 75593 8946, 8630130299, 9252830005
Manasi Shaha translated the content from Hindi to English on 21-April-2022
DharmSagarJiMaharaj1914
Muni Shri 108 Amit Sagarji Maharaj was born on 26-Jun-1963 as Amit Kumar Jain in the Village Dugah Kala (Khurai), District Sagar (Madhya Pradesh).
Birth Name: Ajit Kumar Jain
Date of Birth: June 26, 1963
Place of Birth: Village Dugah Kala (Khurai), District Sagar (Madhya Pradesh)
Father's Name: Gulab Chandra Ji Jain
Mother's Name: Smt. Sumitra Bai Jain. At present Aryika Praveshmati Mata ji from Pattacharya Shri Abhinandan Sagar Ji Sangh
Brother: Shri Kailash Chandra Ji Jain, Mr. Rishabh Kumar Ji Jain and Mr. Pawan Kumar Ji Jain
Sister: Late Gunmala ji, Mrs. Meena ji Jain
Caste: Paravaar
Education: High School (Agriculture Science) at Shri Parshvanath Digambar Jain Gurukul, Khurai District - Sagar (Madhya Pradesh)
Brahmachary vrat: 22 February, 1981, Banda, District - Sagar (Madhya Pradesh), from Shri 108 Acharya Shri Pushpdant Sagar Ji
Muni Diksha: October 4, 1984, Vijay Dashami, Ajmer (Rajasthan)
Education Guru: Acharya Kalpashrut Sagar Ji Maharaj
Initiation Guru: Karuna and Vatsalyamurti Acharya Dharma Sagar Ji Maharaj
Balayogi title: Balacharya Yogindra Sagar Ji Maharaj; January 25, 1994
Language knowledge: Hindi, Sanskrit, Prakrit, English and provincial languages
Literary Composition: Many picture stories, Children's Science (Part - 1, 2, 3, 4 & 5), Akhin Dekhi Soul (Discourse Compilation), Talking Mother (Epic), Anuttar Yatra (Discourse Compilation), Unique text collection, Simple pronunciation lesson collection (including audio CD), Children's Science Songs and Children's Stories, Sri Bhuvalaya, etc.
Literary Editing: Twenty-four Thana, Samyakatv Kaumudee, Dharm Pareeksha, Purushaarth Siddhayupaay, Dhananjay Naammala, Ankaakhyaan Shreyaans Kosh, Chhahadhaala - Hindi Tika Sampaadan
Amit Sagar became Ajit with the Journey of Sadhana
After seeing Lanka's combustion, he lit a quilt and said that he would not use the quilt for life.
He left home while studying in class 12th. According to Jainism, a monk is born twice. The first birth takes place at the parents' house. Muni Shri Amit Sagar was named Ajit Kumar who was born on 26 June 1963 in Dugaha village of Khurai tehsil in Sagar district of Madhya Pradesh.
From the very beginning he was a meritorious student. Running, playing kabaddi and wrestling were his favorite sports. He was very proficient in mathematics and English from the beginning, he was also fond of delicious food. He was allowed to eat a everyday by a mango orchard in the village. When he was studying in class 12th, he saw the scene of Lanka Dahan in Ramlila and came home and set fire to the quilt of his cloak. When the quilt lit up with smoke, he started dancing. When asked by family he said the Lanka is on fire. Then said that “now I do not have to wear a quilt for the rest of my life”.
When Muni Pushpdant Sagar Maharaj reached the village next week, Ajit Kumar went with him without the permission of the family members. He did not return until the day of Dussehra on 4 October 1984, he took Muni Diksha from Acharya Dharma Sagar Maharaj. Since then his name was changed to Amit Sagar Maharaj. The real sage life begins only after initiation; titles like Balayogi, Amikshan, Gyanopyogi, Pragya Shramana, Vatsal Murthy have no importance in the life of a saint. Samadhi is the best goal of Digambara saint's sadhana and that only after avoiding aadhi (tension) disease i.e. disease and honor-enhancing titles, one can attain samadhi.
That's why he never accepted the posts like Upadhyaya, Elacharya and Acharya. Muni Shree is an influential lecturer and is the creator of many spiritual texts, in which the famous "Temple" published in 12 languages all over India. Tattvarth Sutra commentary is the soul that has seen the waves of the talking soil and he has written 40 of them. Muni Shri has so far covered one lakh kilometers of distance across the country, he is widely recognized in the southern and northern part of India. Doctors, professors, lawyers, chartered accountants, shrimants and scholars are his devotees, may they be eternal and keep the message of non-violence flowing in this way.
- Anoop Chandra Jain Advocate Firozabad
Muni Shri 108 Amit Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
Mohit Jain
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आचार्य श्री १०८ धर्म सागरजी महाराज १९१४ Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
Acharya Shri 108 Dharm Sagarji Maharaj 1914
वर्ष | मंदिर | शहर | राज्य |
1984 | श्री छोटा धड़ा नसियां जी | अजमेर | राजस्थान |
1985 | श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र | लूणवा | राजस्थान |
1986 | दिगम्बर जैन मंदिर, चिकना का बाजार, | सुजानगढ़ | राजस्थान |
1987 | बड़ा जैन मंदिर, चौरू (फागी ) | चौरु | राजस्थान |
1988 | सिद्धक्षेत्र | सोनागिर | मध्य प्रदेश |
1989 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, मोरा जी, गुरुकुल | सागर | मध्य प्रदेश |
1990 | बड़ा जैन मंदिर, | बेगमगंज | मध्य प्रदेश |
1991 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, ग्रीन पार्क | दिल्ली | दिल्ली |
1992 | पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर , छीपीटोला | आगरा | उत्तर प्रदेश |
1993 | श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नशिया जैन मंदिर, कोटला रोड | फ़िरोज़ाबाद | उत्तर प्रदेश |
1994 | श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सेठ लाल जी का, टुंडला चौराहा | टूण्डला | उत्तर प्रदेश |
1995 | पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर छीपीटोला | आगरा | उत्तर प्रदेश |
1996 | जैन मंदिर कटरा सेवाकली | इटावा | उत्तर प्रदेश |
1997 | सिद्धक्षेत्र शिखरजी बीस पंथी कोठी | तीर्थराज सम्मेद शिखर जी | झारखण्ड |
1997 | सिद्धक्षेत्र शिखरजी बीस पंथी कोठी | तीर्थराज सम्मेद शिखर जी | झारखण्ड |
1999 | दिगम्बर जैन मंदिर बोडम बाजार | हजारी बाग | झारखण्ड |
2000 | श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर सर्वज्ञान | मैनपुरी | उत्तर प्रदेश |
2001 | श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर | सोनीपत | हरियाणा |
2002 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कीर्ति नगर, टोक रोड | जयपुर | राजस्थान |
2003 | जैन चैत्यालय मंदिर, महावीर नगर, | डूंगरपुर | राजस्थान |
2004 | श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर | कलिंजरा | राजस्थान |
2005 | श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, महासत्ता चौक, सांगली रोड | इचलकरंजी | महाराष्ट्र |
2006 | जैन मठ | श्रवणवेलगोला | कर्नाटक |
2007 | श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, शुक्रवार पेठ | फलटन | महाराष्ट्र |
2008 | श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर | सोनीपत | हरियाणा |
2009 | जैन मंदिर , जैन बाग़ सहारनपुर | सहारनपुर | उत्तर प्रदेश |
2010 | श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नशिया जैन मंदिर, कोटला रोड | फ़िरोज़ाबाद | उत्तर प्रदेश |
2011 | चैत्यालय मंदिर बतासा बाजार | भिण्ड | मध्य प्रदेश |
2012 | पद्मावती पोरवाल जैन मंदिर (बड़ा मंदिर) जैन स्ट्रीट बड़ा बाजार | शिकोहाबाद | उत्तर प्रदेश |
2013 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, इंद्रा कॉलोनी, | टूण्डला | उत्तर प्रदेश |
2014 | श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कीर्ति नगर, टोक रोड | जयपुर | राजस्थान |
2015 | श्री रत्नत्रय दिगम्बर जैन नशिया मंदिर, कोटला रोड | फिरोजाबाद | उत्तर प्रदेश |
2016 | पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, (कांच मंदिर) स्टेशन रोड, गोल बाजार, | कटनी | मध्यप्रदेश |
2017 | जैनमठ | श्रवणबेलगोला | कर्नाटक |
2018 | श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर, गाँवभाग | हुपरी | महाराष्ट |
2019 | श्री विद्यानंद स्वामी दिगम्बर जैन मंदिर, कतारगाम | सूरत | गुजरात |
2020 | श्री वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर, संतोष नगर, गारियावास | उदयपुर | राजस्थान |
Acharya Shri 108 Dharma Sagarji Maharaj
Mohit Jain +91 75593 8946, 8630130299, 9252830005
Manasi Shaha translated the content from Hindi to English on 21-April-2022
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