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#ChandraguptSagarJiMaharaj1983GuptinandiJi
Muni Shri 108 Chandragupt Sagar Ji Maharaj was born on 11 June 1983 in Chitri,Dist-Doongarpur,Rajasthan.He received the initiation from Acharya Shri 108 Guptinandi Sagar Ji Maharaj.
नगर चितरी के सपूत वागड़ गौरव मुनि श्री चन्द्रगुप्त जी गुरुदेव
आचार्य श्री आदिसागर जी अंकलिकर परम्परा में नन्दी वंशावली के प्रज्ञायोगी आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी गुरुदेव के प्रियाग्र सुशिष्य मुनि श्री चन्द्रगुप्त जी गुरुदेव का शुभ परिचय
राजस्थान के जनजाति बहुल डूंगरपुर जिले की धर्म नगरी चितरी जहाँ गाँव के मध्य में सदियों से श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर व श्री लक्ष्मीनारायण हिन्दू मन्दिर भाई भाई की तरह सद धर्म का जयघोष करते है साथ ही नगर की चारो दिशाओं की सीमा पर प्राचीन समय से धर्म प्रवर्तक हिन्दू मन्दिर स्थित है
सर्व धर्म समभाव से प्रेरित यह नगरी जो मुनि श्री सम्भवसागरउ जी,तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मति सागर जी,गणाधिपति गणधराचार्य श्री कुंथुसागर जी ऋषिवर व उनके लघुनन्दनो से सदैव संस्कारित रही है
इसी नगर में श्रीमान शाह राजेन्द्र जी जैन व शकुंतला देवी एक धर्म परायण गुरुभक्त दम्पत्ति रहता है,जिनकी क्रमशः तीन संताने हुई बड़ा पुत्र दिपेश,बहन अलका के बाद 12 जून 1983 को सबसे छोटे पुत्र के रूप में होनहार तेजस्वी बालक के रूप में कपिल का जन्म हुआ।
आर्थिक रूप से समृद्ध यह परिवार हमेशा धर्म व सामाजिक कार्यो में अग्रणी रहा,गुरुओ के प्रति भक्ति व वैयावृत्ति का गुण तो सबके रोम रोम में समाहित है
बालक कपिल ने स्थानीय विद्यालय विद्यानिकेतन में प्रारंभिक शिक्षा,सागवाडा के महिपाल विद्यालय में सीनियर सेकंडरी शिक्षा पूर्ण की
जो बचपन से खेलकूद-शिक्षा,मस्ती व धार्मिक आयोजनों में सबसे अग्रणी रहते थे
सन 1999 में गाँव चितरी में आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी गुरुदेव संसघ का वर्षायोग हुआ जिसमें नगर के समस्त युवा व बाल गोपालो पर जीवन पर्यंत व्यसनों से दूर रहकर सद आचरणों पर बढ़ने के संस्कार वृद्धिगत हुए तो इसमें ही चार बाल भव्यात्माओ (अलका,सन्ध्या,रागिनी व कपिल भैया) में धर्म की गहरी नीव का निर्माण हुआ
कुछ ही समय पश्चात निकटतम नगर रामसोर के पास नदी में नाव डूबने वाला भयंकर हादसा हुआ जिसमें रामसोर के अनेक युवाओ का निधन हो गया जिसमें दो तो कपिल भैया के अध्यापक ही थे।
इस घटना ने किशोर वयी कपिल भैया के अंतर्मन में संसार की असारता का गहन चिंतन शुरू कर दिया कि जो उनके प्रिय अध्यापक थे ,युवा थे ,वे अचनाक इस दुनिया से चले गए। निश्चित ही जीवन का कोई भरोसा नही
और भवभवान्तरो के बाद अहोभाग्य से मिलने वाले इस श्रावक कुल से आत्मकल्याण करने के उद्देश्य से वैराग्य दृढ़ हो गया।
सन 2003 नगर में उपाध्याय श्री मनोज्ञसागर जी गुरुदेव का आगमन हुआ जिनकी निश्रा में आप चारो भव्यात्माओ (रागिनी,संघ्या,अलका व कपिल)ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया।
राजेन्द्र जी शाह परिवार का बड़ा बेटा दिपेश माता-पिता की सेवा करते हुए अपने गृहस्थ जीवन के दायित्वों का उत्तम निर्वहन करते हुए सदैव गुरुओ की सेवा में अग्रणी रहते है तो बहन बाल ब्रह.अलका दीदी धर्म व राष्ट्र सेवा में समर्पित होते हुए श्रीमद राजचन्द्र आध्यात्मिक साधना केंद्र कोबा में ममक्षु के रूप में साधनारत है
और ब्रह्म कपिल भैया सन 2003 मे ही परिवार की आज्ञा से आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी गुरुदेव के ससंघ में अध्ययन हेतु चले गए।
जहाँ निरन्तर अभ्यास के पश्चात ब्रह्म. कपिल भैया को महाराष्ट्र की फलटण नगरी में आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी गुरुदेव ने 6 oct 2003 को क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की,नाम पूज्य हुआ क्षुल्लक श्री सुलभगुप्त जी
फिर गुरु चरणों निरन्तर विकास के पश्चात आपने तीन लोक में सबसे पूज्य व श्रेष्ठ मुनि पद पाने का निवेदन किया
जिस पर उत्तरप्रदेश की बाराबंकी शहर में हजारो श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पूज्य आचार्य श्री गुप्तिनन्दी जी गुरुदेव ने 13 फरवरी 2009 को क्षुल्लक जी को मुनि दीक्षा प्रदान की,
जग विख्यात नाम हुआ मुनि श्री चन्द्रगुप्त जी गुरुदेव
आपने विलक्षण रचनात्मक सोच व ज्ञान से अनेक विधान,स्तोत्र,चालीसा,आचार्यो की भक्ति सरिताओ की रचना की है व उनको अपने मधुर कण्ठ से गाया भी है।
जिसकी स्वर लहरी घर घर मे गूँजती है।
आपके दिव्य कण्ठ से होने वाली भक्ति सरिता से श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाता है
वर्तमान में आप अपने अग्रज मुनि श्री सुयशगुप्त जी गुरुदेव के संघ दादा गुरु वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरुराज को आदर्श मानकर उनसे प्रेरित होकर निरन्तर स्वाध्याय व अध्ययन में रत रहते है।
ध्यान व ज्ञान परमतप को केंद्र में रखते हुए आप अपनी गुरु परम्परा का सतत गौरव बढा रहे है।
निश्चित ही आप 21वी सदी में जैन दर्शन का व्यापक शंखनाद कर रहै है
ऐसे पूज्यवर मुनि श्री चन्द्रगुप्त जी गुरुदेव के 38वे अवतरण दिवस पर उनके श्री चरणों मे कोटिशः नमन
शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी
नमनकर्ता-श्री मनोज्ञ युवा मंडल चितरी
शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी
नमनकर्ता-श्री मनोज्ञ युवा मंडल चितरी
#ChandraguptSagarJiMaharaj1983GuptinandiJi
शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी
नमनकर्ता-श्री मनोज्ञ युवा मंडल चितरी
मुनि श्री १०८ चन्द्रगुप्त सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ गुप्तिनंदीजी महाराज १९७२ Acharya Shri 108 Guptinandiji Maharaj 1972
Chaturmas 2017 Shravanbelgola,Karnataka
GuptiNandiJiMaharaj1972KunthuSagarJi
Muni Shri 108 Chandragupt Sagar Ji Maharaj was born on 11 June 1983 in Chitri,Dist-Doongarpur,Rajasthan.He received the initiation from Acharya Shri 108 Guptinandi Sagar Ji Maharaj.
Muni Shri 108 Chandragupt Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ गुप्तिनंदीजी महाराज १९७२ Acharya Shri 108 Guptinandiji Maharaj 1972
आचार्य श्री १०८ गुप्तिनंदीजी महाराज १९७२ Acharya Shri 108 Guptinandiji Maharaj 1972
Chaturmas 2017 Shravanbelgola,Karnataka
#ChandraguptSagarJiMaharaj1983GuptinandiJi
GuptiNandiJiMaharaj1972KunthuSagarJi
#ChandraguptSagarJiMaharaj1983GuptinandiJi
ChandraguptSagarJiMaharaj1983GuptinandiJi
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