हैशटैग
#NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi
Jain Muni Shri 108 Niyam Sagar Ji was born on 01 May 1957 in Sadlaga,Dist-Belgaum,Karnataka.His name was Mahaveer Ji Pradhane Jain in Planetary state.He received initiation from Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj.
मुनि श्री संघ में ज्येष्ठ मुनिराजोन् में से एक हैं।मुनि श्री को निर्यापक मुनि का पद आचार्य श्री द्वारा दिया गया है।मुनि श्री दक्षिण भारत में जिनधर्म की प्रभावना निरंतर कर रहे हैं।
Lineage Information of Guru VidyaSagarji Maharaj.
उपसंघ प्रमुख
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री १०८ नियमसागर जी महाराज का जीवन संक्षिप्त परिचय !
ऐसा देखा जाता है की मनुष्य जीवन में परिवर्तन के लिये स्कूल पाठ्यक्रम में महान पुरुषो के जीवन चरित्र का समावेश किया जाता है ताकि विद्यार्थी जिसे ग्रहण कर अपने जीवन में भी उच्च आदर्श को स्थापित कर सकें । परमार्थ उत्थान के लिए क्या यह आवश्यक नहीं है ? यह प्रश्न प्रत्येक भव्य जीव के लिए अन्तरंग का विषय है या यो कहें कि कब लाब्धि आती है तो ऐसा सहज ही हो जाता है । फिर भी अन्तरंग के लिये प्रेरणा आवश्यक है । यहाँ हमारे प . पू . श्री 108 नियम सागरजी महाराज के जीवन की संक्षिप्त में एक घटना प्रस्तुत की जा रही है ।
उम्र १८ वर्ष - जनवरी १९७५ के समय वैराग्य रूपी मन में हलचल चल रही थी घर से बहार जाने की तैयारी चल रही थी । यह घटना उनके जन्म स्थली पवन भूमि सदलगा कर्नाटक की है ।
उस समय प .पू . श्री सुबल सागर जी महाराज का सदलगा ग्राम में वास्तव्य था और ये उनसे परिचित और प्रभावित थे । प .पू . श्री सुबल सागर जी महाराज एक दिन संसार - बिन्दु कथा का प्रवचन कर रहे थे, उस समय आप भी उस कथा को ग्रहण कर रहे थे । आपके मन में इस कथा को सुनकर वैराग्य अंकुर उदित हुआ (वाचकगणों ने भी संसार - बिन्दु कथा सुनी होगी विषयान्तर न हो इसलिए इस कथा को नहीं दे रहे है ) प .पू . महाराज जी के निर्देश से इनके मन में उस संघ में ज्ञानार्जन और दीक्षा की तैयारी चल रही थी । इनको संघ में ६ वर्ष रहकर अध्ययन करना था फिर उसके बाद दीक्षा थी ।
एक दिन ये सदलगा बस स्टेण्ड पर खड़े हुए थे , अनायास श्री पारस जी इनसे पूछते हैं कि आप प .पू .श्री १०८ सुबल सागर जी के संघ में जानेवाले हो ? तो इन्होंने अपने मन की स्थिति हाँ स्वरुप में दे दी । इसके बाद श्री पारस जी ने कहा कि अजमेर ( राजस्थान ) में प . पू . श्री १ ० ८ विद्यासागर जी महाराज है , वहाँ आपको ले चलते है । अध्ययन भी हो जायेगा और दीक्षा भी हो जायेगी । लेकिन सुबल सागर जी के संघ में शामिल होने का विचार बना चुके थे । वे बुरा नहीं माने इसलिए ये व पारसजी मिलने गए और अपने विचारों से अवगत कराया । प . पू . श्री १ ० ८ सुबल सागर जी महाराज ने सुनकर तुरंत स्वीकृति दे दी और शुभ तिथि भी तय कर दी । वह ५ फरवरी १९७५ का दिन था जब इन्होंने मिरज से अजमेर की यात्रा प्रारंभ कर दी थी ।
मिरज से ट्रेन द्वारा मुंबई रतलाम होकर अजमेर पहुँचे, वहा मालुम हुआ कि प . पू . श्री . १ ० ८ आचार्य श्री विद्यासागर जी का विहार हो चुका है । वहा से ६० कि . मी . दूर किसानगढ़ में विराजमान थे । इन्होंने तुरंत किसानगढ़ की ओर यात्रा शुरू रखी और रात्रि साढे दस बजे आचार्य श्री के दर्शन हुए । सर्दी का मौसम था आचार्य श्री एकान्त में लीन थे । वही उनसे मौन स्थिति में वार्तालाप हुई ।
वार्तालाप का संक्षिप्त सार इस प्रकार है
१ . शिक्षा कितनी हुई है ............... बी. एस. सी. (द्वितीय वर्ष )
२ . ज्ञानार्जन के बाद क्या .............हम तुरंत दीक्षा चाहते हैं ।
३ . कटिंग करवानी होगे - करोगे .....तुरंत हाँ ।
तो ठीक है कल कटिंग करवा कर ड्रेस बदलना । आचार्य श्री आज्ञानुसार दूसरे दिन कटिंग व ड्रेस बदल के साथ संघ में प्रवेश हुए । फिर ब्रम्हचर्य का लेकर अध्ययन चालू कर दिया । उस समय संघ में सिर्फ एक क्षुल्लक जी व तीन ब्रम्हचारी थे ।
कुछ समय के उपरान्त आचार्य श्री का विहार किसनगढ़ से मथुरा - आगरा होते हुए फिरोजाबाद में चातुर्मास हुआ । चातुर्मास के बाद इनकी दीक्षा होनी थी लेकिन अचानक चारों ब्रम्हाचार्यो को तीव्र बुखार आ गया उनमें से किसी एक का स्वास्थ्य जादा ख़राब हो गया इन्हें उनकी सेवा के लिये दो - तिन महिने रुकना पड़ा । आचार्य श्री का फिरोजाबाद से सोनागिरि की ओर विहार हो गया था | ये वहाँ पर तीन महिने बाद आचार्य श्री के पास पहुँचे और दीक्षा के लिये निवेदन किया । आचार्य श्री ने सहमति देते हुए १८ दिसम्बर १९७५ की तिथि निश्चित की । इस प्रकार सोनागिरि जी सिद्ध क्षेत्र में बाहुबली भगवान की मूर्ति के सामने इनकी क्षुल्लक दीक्षा हुई ।
आपके जीवन में भी ऐसी घटना हो और आप कल्याण मार्ग में लग सकें ऐसी भावना रखते हैं ।
प. पू. मुनिश्री १०८ नियमसागर जी महाराज ससंघ
पिच्छिका परिवर्तन समारोह
दि. ०३/११/२०१९
कार्यक्रम स्थल : -
पंच बालयती पावन वर्षायोग-२०१९ प्रतिभानगर, रांगोळी (महाराष्ट्र)
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री १०८ नियम सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में दि .४ मई से १४ मई २०१७ तक सम्यग्दर्शन संस्कार शिबिर |
स्थान - श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र कुंथलगिरी
हमें ख़ुशी है कि आप के सहयोग से हमारी 14 वर्षों की तपस्या एक जिन-मंदिर ही नहीं, बल्कि संत-निवास के साथ ही एक सामाजिक उपक्रम जैन कन्या छात्रावास के रूप में फलीभूत हुई है I इस 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जिन-मंदिर में विराजित होने वाली 41 इंच की मूल नायक एवं अन्य प्रतिमाओं के पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागरजी के परम प्रभावक शिष्य 108 मुनि श्री नियमसागरजी महाराज एवं मुनि-संघ के सानिध्य में 7 मई से 13 मई, 2016 में आयोजित ह I
ब्रम्हचर्य रहस्य
मूल संघ में पंचामृताभिशेक का अभाव
समाधी भक्ति
हम कितने शाकाहारी
#NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi
निर्यापक मुनि श्री १०८ नियम सागरजी महाराज
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri)
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Chaturmas 2020 Tigadolli,Dist-Belgaum,Madhya Pradesh
1975-1983 तक महाराज जी गुरूजी के सानिध्य में थे,
कुण्डलपुर, नैनागिरी, थुवोनजी, मुक्तागिरी, नैनागिरी, इसरी, बिहार राज्य
1984 - कोतमा
1985 - आलगूर
1986 - हासन
1987 - तुमकुर,
1988 - सालिग्राम
1989 - सालिग्राम
1990 - सालिग्राम
1991 - सिरगुप्पी
1992 - कोपरगाँव, महाराष्ट्र
1993 - छत्रपती नगर, इंदौर, मध्यप्रदेश
1994 - आरोम, मध्यप्रदेश;
1995 - मुंगावली, मध्यप्रदेश
1996 - खजुराहो, बुंदेलखंड
1997 - मंडलेश्वर, मध्यप्रदेश
1998 - आष्टा, मध्यप्रदेश
1999 - बड़वाह, मध्यप्रदेश
2000 - खान्दू कॉलोनी, राजस्थान
2001 - कोपरगाँव, महाराष्ट्र
2002 - बारामती, महाराष्ट्र
2003 - तेरदाल, कर्नाटक
2004 - हुपरी, महाराष्ट्र
2005 - सदलगा, कर्नाटक
2006 - बोरगाव, कर्नाटक
2007 - पेठ वडगाव, महाराष्ट्र
2008 - मजगाव, कर्नाटक
2009 - जुगूलू, कर्नाटक
2010 - सदलगा, कर्नाटक
2011 - कोल्हापुर, महाराष्ट्र
2012 - निगडी, पुणे, महाराष्ट्र
2013 - गुलबर्गा , कर्नाटक
2014 - पुसद, महाराष्ट्र
2015 - एलोरा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
https://www.facebook.com/sanjul.jain.3
Sanjul Jain - Updated on 6-Nov-20
AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj
Jain Muni Shri 108 Niyam Sagar Ji was born on 01 May 1957 in Sadlaga,Dist-Belgaum,Karnataka.His name was Mahaveer Ji Pradhane Jain in Planetary state.He received initiation from Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj.
मुनि श्री संघ में ज्येष्ठ मुनिराजोन् में से एक हैं।मुनि श्री को निर्यापक मुनि का पद आचार्य श्री द्वारा दिया गया है।मुनि श्री दक्षिण भारत में जिनधर्म की प्रभावना निरंतर कर रहे हैं।
Lineage Information of Guru VidyaSagarji Maharaj.
उपसंघ प्रमुख
ब्रम्हचर्य रहस्य
मूल संघ में पंचामृताभिशेक का अभाव
समाधी भक्ति
हम कितने शाकाहारी
Niryapak Muni Shri 108 Niyam Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri)
Chaturmas 2020 Tigadolli,Dist-Belgaum,Madhya Pradesh
1975-1983 तक महाराज जी गुरूजी के सानिध्य में थे,
कुण्डलपुर, नैनागिरी, थुवोनजी, मुक्तागिरी, नैनागिरी, इसरी, बिहार राज्य
1984 - कोतमा
1985 - आलगूर
1986 - हासन
1987 - तुमकुर,
1988 - सालिग्राम
1989 - सालिग्राम
1990 - सालिग्राम
1991 - सिरगुप्पी
1992 - कोपरगाँव, महाराष्ट्र
1993 - छत्रपती नगर, इंदौर, मध्यप्रदेश
1994 - आरोम, मध्यप्रदेश;
1995 - मुंगावली, मध्यप्रदेश
1996 - खजुराहो, बुंदेलखंड
1997 - मंडलेश्वर, मध्यप्रदेश
1998 - आष्टा, मध्यप्रदेश
1999 - बड़वाह, मध्यप्रदेश
2000 - खान्दू कॉलोनी, राजस्थान
2001 - कोपरगाँव, महाराष्ट्र
2002 - बारामती, महाराष्ट्र
2003 - तेरदाल, कर्नाटक
2004 - हुपरी, महाराष्ट्र
2005 - सदलगा, कर्नाटक
2006 - बोरगाव, कर्नाटक
2007 - पेठ वडगाव, महाराष्ट्र
2008 - मजगाव, कर्नाटक
2009 - जुगूलू, कर्नाटक
2010 - सदलगा, कर्नाटक
2011 - कोल्हापुर, महाराष्ट्र
2012 - निगडी, पुणे, महाराष्ट्र
2013 - गुलबर्गा , कर्नाटक
2014 - पुसद, महाराष्ट्र
2015 - एलोरा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
Niryapak
https://www.facebook.com/sanjul.jain.3
Sanjul Jain - Updated on 6-Nov-20
#NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi
AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj
#NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi
NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi
You cannot copy content of this page