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#PushpdantSagarJiMaharaj1955VidyaSagarJi
Jain Muni Shri 108 Puspdant Sagar Ji was born on 20 April 1955 in Burhar,District-Shahdol,Madhya Pradesh .His name was Rajkumar Jain(Dayodiya) in Planetary state.He received initiation from Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj.
आप की सीधी मुनि दीक्षा हुई है।आपके ग्रहस्थ जीवन के भतीजे मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज है जो की आपके गुरु से ही दीक्षित हैं।
1500 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा कर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के रास्ते मधुबन पहुंचे पुष्पदंत सागर जी महाराज का निधन हो गया है। जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन में गुरुवार संध्या पुष्पदंत सागर जी महाराज ने सीता नाला के समीप अंतिम सांस ली। आचार्य विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि पुष्पदंत सागर जी महाराज गुरुवार प्रातः शिखर जी में मंगल प्रवेश बड़े ही धूमधाम के साथ हुआ। इनके साथ कुंथुं सागर जी महाराज एवं सिद्धांत सागर जी महाराज भी थे। जहां दिगंबर जैन संत संघ की भव्य अगुवाई में गुणायतन में मधुबन जैन समाज ने किया। प्रवेश के दौरान श्रावकों द्वारा जगह-जगह मुनि श्री के पाद पछालन व आरती उतारी गई। प्रवेश के पश्चात मुनि श्री ने उपस्थित जन समुदाय के बीच मंगल प्रवचन सुनाए तत्पश्चात आहार चर्या हुआ। जैन संस्था श्री सेवायतन के कैलाश जैन ने बताया मुनि श्री आहार के पश्चात तीन बजे पर्वत यात्रा हेतु संघ सहित विहार कर गए पर्वत यात्रा के दौरान सीता नाला के समीप उनकी सांस तेज गति से चलने लगी और चक्कर के वजह से बैठ गए। अचानक साथ में यात्रा हेतु गए श्रावकों ने हाथ की नब्ज टटोली तो शरीर में कोई हलचल नहीं था। जिसके पश्चात श्रद्धालुओं द्वारा मोबाइल के माध्यम से मुनि श्री की तबियत बिगड़ने की सूचना संस्था के पदाधिकारियों को दी गयी। जब नीचे से काफी संख्या में समाज के लोग चिकित्सक को लेकर वहां पहुंचे तब तक मुनि श्री की समाधि हो चुकी थी। घटना स्थल के समीप ही डोली मजदूर को बुलवा कर डोली के माध्यम से समाधिस्थ मुनि श्री के शरीर को नीचे लाया गया।
देश भर के जैनियों में शोक की लहर : देखते ही देखते मुनि श्री के समाधि की खबर देश के कोने- कोने में रहनेवाले जैन समाजियों के बीच फैल गई। सबके जेहन में बस एक ही बात थी, आज ही प्रवेश और आज ही समाधि। सूचना मिलते ही मधुबन के आस-पास हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद, कोडरमा के समाज के सैकड़ों लोग मुनि श्री को देखने पहुंच गए। मध्य प्रदेश के जैन समाज के दिलों में बसने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संग के होने की वजह से मध्य प्रदेश के जैन समाज के लोग मुनि श्री के अचानक समाधि लेने से मर्माहत हैं। मुनि श्री आचार्य संघ के सैकड़ों मुनियों में से एक थे। त्याग, तपस्या और विद्वता से समाज में उनकी एक अलग ही छवि थी। क्या बूढ़े, क्या बच्चे, सभी मुनि श्री की वात्सल्यता के कायल हैं। यही वजह है, जिसे ही इस मुनीश्री की समाधि की जानकारी मिली, अवाक रह गए। संस्था के पदाधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को मुनि श्री का अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से मधुबन में किया जाएगा।
समाधि लेने के पूर्व यात्रा में शामिल संत पुष्पदंत व साथ में अन्य लोग।
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मुनि श्री १०८ पुष्पदंत सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Sanjul Jain
AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj
Jain Muni Shri 108 Puspdant Sagar Ji was born on 20 April 1955 in Burhar,District-Shahdol,Madhya Pradesh .His name was Rajkumar Jain(Dayodiya) in Planetary state.He received initiation from Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj.
आप की सीधी मुनि दीक्षा हुई है।आपके ग्रहस्थ जीवन के भतीजे मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज है जो की आपके गुरु से ही दीक्षित हैं।
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Muni Shri 108 Pushpdant Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Sanjul Jain
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