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#VeerSagarJiMaharaj1940AdisagarJi(Anklikar)
Samvat 1862 Chaitra Vadi 13 The character Nayak was born on Sunday, 5-5-40. The birth was the first phase of Ashwini Nakshatra. According to this, Aries, Shashi Swami Mangal, Varna Kshatriya, Devgana Ashwa Vagina, Adya Nadi comes. (Nakshatra Naam Channilal) (Birthday at 10.30 pm). Your grandfather was a skilled merchant in Calcutta.
मुनि श्री १०८ वीर सागर जी महाराज
दिगम्बर जैन साधु मुनि श्री वीरसागरजी महाराज
वह पावन वेला, जब श्री गुलाबचन्द खेमचन्द दोशी के पुत्ररत्न प्राप्त हुआ, उस पावन बेला को क्या पET था कि मैं विश्व को प्रात्मोन्नति का संदेश देनेवाले पुरुष को जन्म दे रही हूं । माता सौ० 'चंचल बाई' को क्या पता था कि मेरी कूख से 'अचल' सुख के लिये मेरा पुत्र परमहंस दीक्षा लेगा ।
संवत् १८६२ चैत्र वदी १३ रविवार दिनांक ५-५-४० को चरित्र नायक का जन्म हुआ । जन्म समय में अश्विनी नक्षत्र का पहला चरण था । इस हिसाब से मेष राशि, शशि स्वामी मंगल, वर्ण क्षत्रिय, देवगणा अश्व योनि, आद्य नाड़ी आती है । ( नक्षत्र नाम चन्नीलाल ) ( जन्म समय रात्रि १०.३० बजे ) कुल परिचय–पूज्य महाराजजी के पूर्वज ईडर ( गुजारात ) के रहने वाले हैं । आपके पितामह कलकत्ता में एक कुशल व्यापारी थे। दूसरे जागतिक महायुद्ध के समय वित्त हानि होने से मानसिक क्षति हो गयी । सन् १९२० में उनका देहांत हो गया । चरित्र नायक के पिताजी उस समय केवल १५ वर्ष के थे। व्यापार के लिये श्री गुलाबचन्दजी कुर्डवाडी ( जि. सोलापुर, महाराष्ट्र ) आये । वैसे ही व्यापार निमित्त भांबुर्डी आये । यहीं पूज्य महाराजजी का जन्म हुआ। अापके जन्म समय आपकी माताजी को इतना हर्ष हुआ कि वह हर्ष हर्षवःघु बना । लौकिक शिक्षण - प्राथमिक शिक्षण ६ वीं कक्षा तक भांबुर्डी में प्राप्त करने के उपरांत फलाटग में हाईस्कूल का शिक्षण पूर्ण किया । उच्च शिक्षा प्राप्ति के हेतु फग्युसन कॉलेज, पूना गये और बी० जे० मेडिकल कॉलेज, पूना से सन् १९६४ में 'एम. बी. बी. एस.' की उपाधि प्राप्त करली ।
व्यावसायिक यश–सन् १६६५ में जि० पर भागी ( मराठवाडा ) आये और स्वतंत्र व्यवसाय प्रारम्भ किया । जो भी पेशेंट आपके हॉस्पिटल में अने उन्हें इसका अनुभव होता कि डॉक्टर एक कुशल डॉक्टर होते हुए भी अतीव सरल परिणामी एवं दयालु हैं। किसी पेशेंट से कभी भी ज्यादा फीस निकालने के परिणाम नहीं हुए और न जड़ सम्पत्ति के संग्रह करने का कोई भरसक प्रयत्न किया। परिणाम यह हुआ कि अधिक संपत्ति का संचया न हुआ।
वैवाहिक जीवन-सन् १९६६ में सोलापुर के श्री छगनलालजी गांधी इनकी सुपुत्री कु० शकुन्तला से विवाह हुआ। विवाहोपरांत कु० शकुन्तलाका नाम सौ० अनद्या रक्खा गया। सौ० अनद्यासुविद्य ( B. A. Hom. ), संयमी और सरल स्वभावी थीं । सांसारिक जीवन निर्विघ्न और अत्यन्त सुख पूर्ण रहा। चरित्र नायक ने जिसदिन दिगंबर दीक्षा ली उसी समय सौ० अनद्याबाई ने संसार त्याग दिया। यही उनकी महानता, त्याग गुणों की झलक है।
विरक्ति:--सन् १९६८ से प्राप ( मुनिराज ) अध्यात्म की ओर अग्रसर हुए। सन् १९७१ में श्री सि. क्षे. कन्थलगिरी पर पूज्य मुनि १०८ श्री भव्यसागर महाराज के चरणों में कुछ व्रत ग्रहण किये । श्री महावीरजी, श्री गिरनार क्षेत्र, वी बावनगजाजी आदि तीर्थक्षेत्रों के पावन दर्शन किये । उत्तरोत्तर वैराग्य भाव की वृद्धि होती रही । अंत में जब विरक्ति चरम सीमा पर पहुंची तो आपने दिगम्बर दीक्षा लेने का निश्चय किया और परिणाम स्वरूप दिनांक १४-५-७५ अक्षय तृतीया की सुवर्ण बेला में अकलूज (जि. सोलापुर) में प० पू०१०८ श्री आदिसागर जी महाराज के करकमलों से दिगम्बर दीक्षा ग्रहण की।
एक सज्जन ने दीक्षोपरांत मुझ से प्रश्न किया कि क्या महाराज की डिग्री M.B.B.S. केन्सिल हुई है । प्रश्न सीधा तो दिखता है परन्तु है कठिन।। कुछ सोच विचार न करते हुए मैंने उत्तर में कहा, "हां महाराज प्राज भी M B.B.S. (मास्टर श्रॉफ ब्रह्मचर्य एण्ड बैचलर ऑफ सम्यक्त्व) है जिस जीव ने अनेक रोगियों की बीमारियाँ दूर की वही M B.B.S. डॉक्टर का जीव आज संसारी जीवों का भवरोग दूर कर रहा है।
जहां तक मुझे ज्ञात है मैं कहूंगा आपके विरक्ति के भाव स्वयं प्रेरित थे। ऐसी कोई अनुचित भयंकर घटना नहीं जिससे आपने संसार त्याग किया । आज महाराज की दिनचर्या ऐसी स्वाभाविक है कि देखनेवालों को लगता है कि महाराज २०-२५ वर्षों पूर्व से दीक्षित हैं। परिणाम प्रतीव शांत है । चर्या निर्दोष है । प्रवचन कुशलता तो ओत उच्च श्रेणी की है।
#VeerSagarJiMaharaj1940AdisagarJi(Anklikar)
मुनि श्री १०८ वीर सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ आदि सागर (अंकलिकर) 1809 Aacharya Shri 108 Aadi Sagar (Anklikar) 1809
Dhaval Patil - 9623981049
Dhaval Patil - 9623981049
AadiSagar(Anklikar)1809
Samvat 1862 Chaitra Vadi 13 The character Nayak was born on Sunday, 5-5-40. The birth was the first phase of Ashwini Nakshatra. According to this, Aries, Shashi Swami Mangal, Varna Kshatriya, Devgana Ashwa Vagina, Adya Nadi comes. (Nakshatra Naam Channilal) (Birthday at 10.30 pm). Your grandfather was a skilled merchant in Calcutta.
Note English correction in Progress : Digjainwiki Team
Muni Shri 108 Veer Sagar Ji Maharaj
Digambar Jain Sadhu Muni Shri Veerasagarji Maharaj
The Holy Vela, when the son of Shri Gulabchand Khemchand Doshi was received, what did ET know to that holy Bela that I am giving birth to a man who gives message of promotion to the world. Mata hundred 'Chanchal Bai' knew that my son Paramhansa would initiate for 'real' happiness from my scare.
Samvat 1862 Chaitra Vadi 13 The character Nayak was born on Sunday, 5-5-40. The birth was the first phase of Ashwini Nakshatra. According to this, Aries, Shashi Swami Mangal, Varna Kshatriya, Devgana Ashwa Vagina, Adya Nadi comes. (Nakshatra Naam Channilal) (Birthday at 10.30 pm). Your grandfather was a skilled merchant in Calcutta. During the Second World War, there was mental loss due to financial loss. He died in 1920. At the time, the character's father was only 15 years old. Mr. Gulabchandji came to Kurdwadi (G. Solapur, Maharashtra) for business. In the same way, Bhamburdi came for business purposes. This is where Pujya Maharajji was born. At the time of your birth, your mother was so happy that she became happy. Cosmic Teaching - After completing primary education in Bhamburdi till 8th standard, completed high school teaching in Phaltag. In order to pursue higher education, he went to Fagusan College, Poona and from B.J. Medical College, Poona in 1964. M.B. B. S.' Degree of
Professional fame - In 1965, Bhagi (Marathwada) came and started independent business. Whatever patient in your hospital, they feel that despite being a skilled doctor, the doctors are extremely simple, resultant and kind. There was no result of ever withdrawing any fees from a patient, and did not make any effort to collect root property. The result was that more assets were not accumulated.
Marital life - In 1966, Shri Chaganlalji Gandhi of Solapur was married to his daughter Ku. Shakuntala. After marriage, the name Ku Shakuntala was kept in the name of Anadya. B. A. Hom., Was a moderate and simple nature. Worldly life was smooth and very pleasing. The character Nayak took digambar initiation at the same time when 100 Anadyabai left the world. This is a glimpse of his greatness, self-sacrificing qualities.
Disobedience: - Since 1968 (Muniraj), he moved towards spirituality. In 1971, Shri C.I. Area On Kanthalgiri, he took some fast at the feet of Pujya Muni 108 Sri Bhavidasagar Maharaj. Shri Mahavirji, Shri Girnar Kshetra, V Bawangajaji etc. visited the holy places of pilgrimage. Progress of quietness kept increasing. In the end, when Virakti reached the climax, you decided to take Digambar Diksha and as a result, Digambar initiation from Shri Adisagar ji Maharaj's workings in Akluj (G. Solapur) in Suvarna Bella dated Akshaya Tritiya dated 14-5-1975. Of.
A gentleman later asked me whether Maharaj's degree M.B.B.S. There has been a council. The question looks straightforward but difficult. Not thinking about anything, I said in reply, "Yes Maharaj Praj is also M BBS (Master Shroff Brahmacharya and Bachelor of Samyaktva), the organism which has cured the diseases of many patients. Used to be.
As far as I know, I would say that your feelings of disinterest were self-motivated. There is no unreasonable terrible incident from which you abandoned the world. Today the routine of Maharaj is so natural that the watchers feel that Maharaj is initiated from 20-25 years ago. The result is quiet. Charya is innocent. Speech efficiency is very high.
Muni Shri 108 Veer Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ आदि सागर (अंकलिकर) 1809 Aacharya Shri 108 Aadi Sagar (Anklikar) 1809
आचार्य श्री १०८ आदि सागर (अंकलिकर) 1809 Aacharya Shri 108 Aadi Sagar (Anklikar) 1809
Acharya Shri 108 Adisagar Ji Maharaj (Anklikar)
Dhaval Patil - 9623981049
#VeerSagarJiMaharaj1940AdisagarJi(Anklikar)
AadiSagar(Anklikar)1809
AadiSagar(Anklikar)1809
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VeerSagarJiMaharaj1940AdisagarJi(Anklikar)
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