भगवान-महावीर-चालीसा Author: Pandit Jugal KishoreLanguage : HindiRhythm: – Type: Bhagwan Mahaveer ChalisaParticulars: ChalisaCreated By: Shashank Shaha ॥ दोहा ॥ शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करू प्रणामउपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ॥१॥ सर्व साधू और सरस्वती, जिनमन्दिर सुखकारमहावीर भगवान् को मन मंदिर में धार ॥२॥ English Pronunciation śīśa navā arihanta kō, sid’dhana karūm̐ praṇāma.Upādhyāya […]
Add Your Heading Text Here English Pronunciation Bhaktamar pranat maulimaniprabhanam muddyotakam dalita pap tamovitanam. Samyak pranamya jin pad yugam yugada- valambanam bhavajale patataam jananam. English Meaning Having duly bowed down at the feet of Bhagwan Adinath, the first Tirthankar, the divine glow of his nails increases luster of jewels of their crowns. Mere touch of […]
बारह-भावना Author: Pandit Mangatraiji Language : Hindi Rhythm: – Type: Barah Bhavana Particulars: Paath वंदूं श्री अरहंत पद, वीतराग विज्ञानवरनूं बारह भावना, जग जीवन-हित जान ॥१॥ ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णामावस्यायां मोक्षमंगलप्राप्त-श्रीवर्धमान जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं कार्तिककृष्णामावस्यायां मोक्षमंगलप्राप्त-श्रीवर्धमान जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठः स्थापनंॐ ह्रीं कार्तिककृष्णामावस्यायां मोक्षमंगलप्राप्त-श्रीवर्धमान जिनेन्द्र ! […]
बारह-भावना Author: Pandit Bhudhardasji Language : Hindi Rhythm: – Type: Barah Bhavana Particulars: Paath राजा राणा छत्रपति, हथियन के असवारमरना सबको एक दिन, अपनी-अपनी बार ॥१॥ दल बल देवी देवता, मात-पिता परिवारमरती बिरियाँ जीव को, कोई न राखनहार ॥२॥ दाम बिना निर्धन दुःखी, तृष्णावश धनवानकहूं न सुख संसार में, सब जग देख्यो छान […]
बारह-भावना Author: Pandit Jaichandji ChabadaLanguage : HindiRhythm: – Type: Barah BhavanaParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha द्रव्य रूप करि सर्व थिर, परजय थिर है कौनद्रव्यदृष्टि आपा लखो, पर्जय नय करि गौन ॥१॥ शुद्धातम अरु पंच गुरु, जग में सरनौ दोयमोह-उदय जिय के वृथा, आन कल्पना होय ॥२॥ पर द्रव्यन तैं प्रीति जो, है संसार अबोधताको फल […]
देव-स्तुति Author: Pandit BhudhardasjiLanguage : HindiRhythm: – Type: Dev StutiParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha अहो जगत गुरु देव, सुनिये अरज हमारीतुम प्रभु दीन दयाल, मैं दुखिया संसारी ॥१॥ इस भव-वन के माहिं, काल अनादि गमायोभ्रम्यो चहूँ गति माहिं, सुख नहिं दुख बहु पायो ॥२॥ कर्म महारिपु जोर, एक न कान करै जीमन माने दुख देहिं, […]