भगवान-महावीर-चालीसा Author: Pandit Jugal KishoreLanguage : HindiRhythm: – Type: Bhagwan Mahaveer ChalisaParticulars: ChalisaCreated By: Shashank Shaha ॥ दोहा ॥ शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करू प्रणामउपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ॥१॥ सर्व साधू और सरस्वती, जिनमन्दिर सुखकारमहावीर भगवान् को मन मंदिर में धार ॥२॥ English Pronunciation śīśa navā arihanta kō, sid’dhana karūm̐ praṇāma.Upādhyāya […]
भगवान-आदिनाथ-चालीसा Author: Pandit Jugal Kishore Language : Hindi Rhythm: – Type: Bhagwan Adinath Chalisa Particulars: Chalisa शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करू प्रणामउपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ॥१॥ सर्व साधु और सरस्वती जिन मन्दिर सुखकारआदिनाथ भगवान को मन मन्दिर में धार ॥२॥ जै जै आदिनाथ जिन स्वामी, तीनकाल तिहूं जग में नामीवेष दिगम्बर […]
विसर्जन-पाठ Author: Pandit Jugal KishoreLanguage : HindiRhythm: – Type: Visarjan PathParticulars: VisarjanCreated By: Shashank Shaha बिन जाने वा जान के, रही टूट जो कोयतुम प्रसाद तें परम गुरु, सो सब पूरन होय ॥ पूजन विधि जानूँ नहीं, नहिं जानूँ आह्वानऔर विसर्जन हूँ नहीं, क्षमा करो भगवान ॥ मंत्रहीन धनहीन हूँ, क्रियाहीन जिनदेवक्षमा करहु राखहु मुझे, […]
शांति-पाठ-भाषा Author: Pandit Jugal KishoreLanguage : HindiRhythm: – Type: Shanti Path- BhashaParticulars: VisarjanCreated By: Shashank Shaha शास्त्रोक्त विधि पूजा महोत्सव, सुरपति चक्री करेंहम सारिखे लघु पुरुष कैसे, यथाविधि पूजा करें ॥धन-क्रिया-ज्ञान रहित न जाने, रीत पूजन नाथजीहम भक्तिवश तुम चरण आगै, जोड़ लीने हाथजी ॥१॥ दु:ख-हरन मंगलकरन, आशा-भरन जिन पूजा सहीयह चित्त में श्रद्धान मेरे, […]
शांति-पाठ Author: Pandit DyanatrayLanguage : HindiRhythm: – Type: Shanti PathParticulars: VisarjanCreated By: Shashank Shaha शांतिनाथ मुख शशि उनहारी, शीलगुणव्रत संयमधारीलखन एक सौ आठ विराजे, निरखत नयन कमल दल लाजै ॥ पंचम चक्रवर्ती पदधारी, सोलम तीर्थंकर सुखकारीइन्द्र नरेन्द्र पूज्य जिननायक, नमो शांतिहित शांति विधायक ॥ दिव्य विटप पहुपन की वरषा, दुंदुभि आसन वाणी सरसाछत्र चमर भामंडल […]
अर्घ्य Author: Pandit DyanatrayLanguage : HindiRhythm: – Type: ArghyaParticulars: ArghyaCreated By: Shashank Shaha देव–शास्त्र–गुरु क्षण-भर निज-रस को पी चेतन, मिथ्या-मल को धो देता है ।काषायिक-भाव विनष्ट किये, निज आनन्द-अमृत पीता है ॥अनुपम-सुख तब विलसित होता, केवल-रवि जगमग करता है ।दर्शन बल पूर्ण प्रगट होता, यह ही अर्हन्त अवस्था है ॥यह अर्घ्य समर्पण करके प्रभु, निज-गुण […]