
वीतराग अरिहंत देव के पावन चरणों में वन्दन। द्वादशांग श्रुत श्री जिनवाणी जग कल्याणी का अर्चन॥
केवल-रवि किरणों से जिसका, सम्पूर्ण प्रकाशित है अंतर । उस श्री जिनवाणी में होता, तत्त्वों का सुंदरतम दर्शन ॥ सद्दर्शन-बोध-चरण पथ पर, अविरल जो बढते हैं मुनि-गण। उन देव परम आगम गुरु को, शत-शत वंदन शत-शत वंदन ॥
Karma Kaise Kare- कर्म कैसे करे,मुनिश्री क्षमासागरजी - Download Pravachans
अपूर्व-अवसर Author: Shrimad RajchandraLanguage : HindiRhythm: Type: Apurva AvasarParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha अपूर्व अवसर ऐसा किस दिन आएगाकब होऊँगा बाह्यान्तर निर्ग्रंथ जबसंबंधों का बंधन तीक्ष्ण छेदकरविचरूंगा कब महत्पुरुष के पंथ जब॥१॥ उदासीन वृत्ति हो सब परभाव सेयह तन केवल संयम हेतु होय जबकिसी हेतु से अन्य वस्तु चाहूँ नहींतन में किंचित भी मूर्च्छा नहीं […]
मृत्यु- मार्गे प्रवृत्तस्य वीतरागोददातु मे समाधि-बोधि-पाथेयं यावन्मुक्ति-पुरी पुर:॥१॥
चिदानन्दैक रूपाय, जिनाय परमात्मने। परमात्मप्रकाशाय, नित्यं सिद्धात्मने नम:॥