SANSMARAN 11. असहायों के सहारे पूत के पाँव (लक्षण) पलने में नजर आने लगते है ये कहावत पूर्ण रूपेण अरविन्द पर चरितार्थ होती है । वे बचपन से ही उदासीन थे । गृहकार्यो में , दुकानदारी में मन ही नहीं लगता था । पथरिया सन 1973 में जब वे दुकान पर उदासीन भाव से बैठते थे । उनकी […]
SANSMARAN 1. महापुरुष का अवतरण जन्म से लेकर जीवनपर्यन्त तक जिनकी सारी प्रतिक्रियायें सामान्य लोगो से हटकर , निराली तथा आश्चर्य को उत्पन करने वाली होती है उन्हें ही महापुरुष कहा जाता है । ऐसे ही एक दिव्य महान आत्मा का जन्म जब भारत भूमि के दमोह जिले के पथरिया ग्राम में सेठ श्री कपूरचंद जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्यामादेवी के यहाँ 2 मई ,1963 (गुरुवार ) में […]
Sansmaran 1 Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo. 62. मैं तो डूबा था ध्यान में जिनका मन सदा लीन रहता है ज्ञान, ध्यान और तप में ऐसे पूज्य मुनि श्री 108 विराग सागर जी महाराज सन् 1984 में विराजमान थे – भावनगर में […]
Acharya Virag Sagarji Sansmaran Hyperlinks Sr.No Sansmaran Details Link Details 1. Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran1 Sansmaran 1 to 10 1 to 10 Sansmaran 2. Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran2 Sansmaran 11 to 20 11 to 20 Sansmaran 3. Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran3 Sansmaran 21 to 30 21` […]
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