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#DevNandiJiMaharajKunthuSagarJi
Acharya Shri 108 DevNandi Ji Maharaj was born in Sahagarh District Sagar ,M.P. and he took initiation from Aacharya Shri Kunthusagar ji Maharaj on 31 March 1982 at Shravanabelagola district Hassan.
March 2022 Update
Ref - Sanksar_Sagar -Mar 22
संक्षिप्त परिचय
जन्म:
जन्म स्थान : शाहगढ़ जिला -सागर, म.प्र.
जन्म का नाम मुलायम चंद
माता का नाम : शीला देवी जैन
पिता का नाम : श्री प्रेमचंदजी
बाल ब्रह्मचारी तिथि : १६ वर्ष की उम्र में
क्षुल्लक दीक्षा तिथि : ०५ फरबरी १९८१ को श्रवणबेलगोला में
मुनि दीक्षा तिथि : ३१ मार्च १९८२
दीक्षा गुरु : गणाधिपति श्री कुन्थु सागर जी महाराज
मुनि दीक्षा स्थल : श्रवणबेलगोला जिला हासन
आचार्य पद तिथि: ०५ अप्रैल १९९८
आचार्य पद प्रदाता: गणाधिपति श्री कुन्थु सागर जी महाराज
समाधि स्थल :
समाधि तिथि :
विशेषता : http://devnandi.com/index.php
अध्यात्म दर्शन, ज्योतिष, मंत्र, ध्यान, योगविज्ञान, वास्तु, साहित्य में निपुण, श्रमण संस्कृतिके उन्नायक, लेखन, मनन, चिंतन, तत्वचर्चा में रत, प्रवचन पटु, आर्ष परंपरा के संरक्षक वात्सल्य, करुणा के अजस्त्र स्त्रोत, जन कल्याण में रत प. पू. प्रज्ञाश्रमण सर्वोदयी राष्ट्रसंत सारस्वताचार्य १०८ श्री देवनन्दि जी महाराज का जन्म मध्य प्रदेश जि. सागर शाहगढ़ ग्राममें हआ। पिता प्रेमचंद, माता शीलादेवी/जन्मनाम मुलायमचंद्र । १६ वर्षकी अवस्थामें गृहत्याग । क्षु दीक्षा फरवरी १९८१ श्रवणबेलगोळ ग. ग. आ. कुंथुसागरजी मुनीदीक्षा ३१ मार्च १९८२ हासन गुरुग. आ. कुंथुसागर जी प्रज्ञाश्रमणपद१९८५ गुरु कुंथुसागरजी आचार्यपद - जैनगिरी, औरंगाबाद - ग. ग. आ. कुंथुसागरजी गणाधिपति गणधराचार्य कुंथुसागरजी की प्रेरणा एवं आशीर्वादसे नव निर्मित श्री क्षेत्र कुंथुगिरि में फरवरी २००५ में १५ आचार्य, २१४ साधु, सानिध्य, एवं ७-८ लाख लोगों की उपस्थिति में भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा आपके कुशल नेतृत्व एवं निर्देशनमें संपन्न हुई ।२० नवम्बर २००५ आ. कुंथुसागरजी गुरुने अपने पदपर विराज मान कर
उत्तराधिकारी नियुक्त किया। आपके कुशल नेतृत्वमें क्षेत्रका विकास एवं निर्माण द्रुतगतिसे हो रहा है । संस्कृत, प्राकृत, कन्नड, हिन्दी, मराठी भाषाओंपर प्रभुत्व प्राप्त कर आपने ध्यान जागरण, वास्तु चिंतामणि, देवशिल्प, भक्तामर भाग १ से ५ तक, ज्ञानविज्ञान इ. ग्रंथोंका लेखन (सृजन) कर लाखो लोगोंके बीच श्रध्दाका स्थान बनाया। उत्कृष्ट प्रवचन शैली, ओजस्वी सुमधुर वाणी, सहज ही जनमानस को आकर्षित करती है। आप आशु कवी भी हैं। आपके चरणों में शत शत नमन।
#DevNandiJiMaharajKunthuSagarJi
आचार्य श्री १०८ देवनन्दीजी महाराज
+91 94040 06108 Vaishali Didi Namokar Tirth
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
Dhaval Patil Pune-9623981049
DevNandiJiMaharajKunthuSagarJi
Acharya Shri 108 DevNandi Ji Maharaj was born in Sahagarh District Sagar ,M.P. and he took initiation from Aacharya Shri Kunthusagar ji Maharaj on 31 March 1982 at Shravanabelagola district Hassan.
March 2022 Update
Ref - Sanksar_Sagar -Mar 22
Adept in spirituality philosophy, astrology, mantra, meditation, yogology, vastu, literature, Shramana Sanskrit unnayaka, writing, contemplation, contemplation, rhyme in philosophy, discourse patu, Vatsalya, the patron of the joyous tradition, the astral source of compassion, rote in public welfare . E Pragyashraman Sarvodayi Rashtrasant Saraswatacharya 108 Shri Devanandji Maharaj was born in Madhya Pradesh. Sagar came to Shahgarh village. Father Premchand, Mother Sheeladevi / Birthday Mulayamchandra. Homicide at the age of 14 years. February 1, 1981 Shravanabelgo c. C. C. Kunthusagarji Munideksha 31 March 1982 Hassan Gurug. come. Kunthusagar Ji Pragyashramanapada 1985 Guru Kunthusagarji Acharyapada - Jainagiri, Aurangabad - C. c. With the inspiration and blessings of Kunthusagarji Ganadhipati Ganadharacharya Kunthusagarji, in the newly created Sri Kshetra Kunthugiri in February 2005, in the presence of 15 Acharyas, 216 Sadhus, Sannyadhis, and 7-6 lakh people, the grand Panchalakyanak reputation was accomplished under your skillful leadership and direction. 20 November 2005. Kunthusagar ji considers his position as Viraj
Appointed successor. The development and construction of the area is happening rapidly under your able leadership. Having gained dominance over Sanskrit, Prakrit, Kannada, Hindi, Marathi languages, you have meditated on Dhyan Jagaran, Vastu Chintamani, Devakrit, Bhaktamar Part 1 to 5, Gyan Vigyan. After writing (creation) of texts, made a place of worship among millions. The excellent discourse style, oozing melodious voice, effortlessly attracts the public. You are also Ashu Kavi. Best wishes at your feet.
Acharya Shri 108 Devnandiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
+91 94040 06108 Vaishali Didi Namokar Tirth
आचार्य श्री १०८ कुन्थु सागरजी महाराज Acharya Shri 108 Kunthu Sagarji Maharaj
Ganadhipati Aacharya Shri Kunthusagar ji Maharaj
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