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#JaikirtijiJiMaharaj1971MunishriShriDevnandiJi
Muni Param Pujya 108 Shri Jaikirtiji Maharaj was born on 16-Nov-1971 at Sagar (M.P.) and he took Initiation from Param Pujya Pragyashramani 108 Shri Devnandi Ji Maharaj on 13th February, 2005 Kunthugiri (Maha).
जन्मदिन : 16 नवंबर 1971 सागर मध्य प्रदेश
गृहस्थअवस्था का नाम: सतीश चंद्र जैन
जाति: जैन (परवार)
घर का त्याग: 5 अप्रैल 1997
आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत/प्रतिमा-व्रत ग्रहण करने का विवरण: - ब्रह्मचर्य व्रत, मुकागिरी—सिद्धक्षेत्र में
द्वारा - आचार्य १०८ श्री बाहुबली सागर जी महाराज
पिता का नाम: चौधरी श्री कोमल चंद्र जी जैन
माता का नाम: श्रीमती सोना बाई जैन
बहन का नाम: श्रीमती उषा जैन
भाई का नाम: श्री नीलेश जैन
शिक्षा: बीएसई फाइनल डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर
जन्म स्थान : सागर मध्य प्रदेश
ऐलक दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान: -१३ दिसमबर, २००३ कुंथलगिरी (महा.)
मुनि दीक्षा तिथि, दिनाँक व स्थान: - १३ फरवरी, २००५ कुंथुगिरी (महा.)
दीक्षा स्थल: श्री सिद्ध क्षेत्र कुंथलगिरी महाराष्ट्र 13 दिसंबर 2003
मुनि दीक्षा: 13 फरवरी 2005 श्री कुंथूगिरी अतिशय क्षेत्र कोल्हापुर महाराष्ट्र
मुनि दीक्षा गुरु: - परम पूज्य प्रज्ञाश्रमणी १०८ श्री देवनन्दी जी महाराज
साहित्यिक कृतित्व: -. थिंकिंग प्रोपटी, माइलस्टोन, मेगनेर कम्पास।
दीक्षा महोत्सव:
दीक्षा महोत्सव परम पूज्य गनाधिपति गण धराचार्य भारत गौरव मंत्र विशेषज्ञ मंत्र चक्रवर्ती श्री दादा गुरु कुंथू सागर जी गुरुदेव के एवं परम पूज्य प्रज्ञा श्रमण सारस्वत आचार्य राष्ट्रसंत श्री देव नंदी जी गुरुदेव एवं 214 साधु संतों के साधु समूह के सानिध्य जिनेश्वरी दीक्षा संपन्न हुई
विशिष्ट
परम पूज्य ध्यान दिवाकर मुनि प्रवर अनुष्ठान विशेषज्ञ विशिष्ट कथाकार श्री जय कीर्ति जी गुरुदेव की अलौकिक विशेषताओं में सर्वप्रथम गुरुदेव अत्यंत सरस मार्मिक आत्मिक पौराणिक कथा विशेषज्ञ हैं संगीतमय रामकथा आचार्य रवि शंकर पदम पुराण के आधार पर अत्यंत ही भाव भक्ति पूर्वक संपन्न करते हैं जिसे सुनने के बाद में साक्षात राम की विशेषताएं राम के गुण राम का महत्व राम के जीवन को आत्मसात करने की प्रेरणा और संभल प्राप्त होता है राम के जीवन दर्शन से स्वयं का जीवन संपर्क में आता है एवं गुरुदेव ने महाभारत यानी हरिवंश कथा पर भी संगीतमय रचना तैयार की है और भी अन्य पुराणों पर विशेषज्ञता हासिल है तथा गुरुदेव जैन शासन में विधिवत लिखित अनेक प्रकार के विशिष्ट अनुसार अनुष्ठानों को संपन्न करवाते हैं परम जिन भक्ति परम उत्साह और आनंद के साथ
तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी विद्यमान से अनवरत वही विद्यमान होकर कर रहे निरंतर साधना
*तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी पवित्र पर्वत की ऊंची चोटियों व टोकों में साधनारत पूज्य मुनि श्री जयकीर्ति जी गुरुदेव -*
विगत वर्ष 2 नवंबर सन 2022 से अनवरत वही विद्यमान होकर कर रहे निरंतर साधना
अब तक पर्वतराज की 261 वंदना ,प्रत्येक टोक की 108 परिक्रमा कर चुके है।
चाहे सर्दी ,गर्मी या वर्षा नित्य अलग अलग टोको पर कभी 4 घंटे तो कभी 6 -6 घंटे एकटक मुद्रा में कर रहे है कठोर ध्यान तप साधना
उनकी इस साधना में अनुमोदना स्वरूप देव, तिर्यंच व मनुष्य भी सेवा में है तत्पर
देव सेवा स्वरूप दो श्वान स्वतः कही से आकर गुरु चरणो के समीप रहते हुए उनकी सेवा सुरक्षा में अग्रणी है जो अदभुद अतिशय है
As per update from Shah Modhok Jain - Sammed Shikharji Post
#JaikirtijiJiMaharaj1971MunishriShriDevnandiJi
मुनि श्री १०८ जयकीर्तिजी महाराज
Acharya Shri 108 Devnandiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ देवनंदीजी महाराज Acharya Shri 108 Devnandiji Maharaj
DevNandiJiMaharajKunthuSagarJi
Muni Param Pujya 108 Shri Jaikirtiji Maharaj was born on 16-Nov-1971 at Sagar (M.P.) and he took Initiation from Param Pujya Pragyashramani 108 Shri Devnandi Ji Maharaj on 13th February, 2005 Kunthugiri (Maha).
Muni Shri 108 Jaikirtiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ देवनंदीजी महाराज Acharya Shri 108 Devnandiji Maharaj
आचार्य श्री १०८ देवनंदीजी महाराज Acharya Shri 108 Devnandiji Maharaj
Acharya Shri 108 Devnandiji Maharaj
Param Pujya Pragyashramani 108 Shri Devnandi Ji Maharaj
#JaikirtijiJiMaharaj1971MunishriShriDevnandiJi
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JaikirtijiJiMaharaj1971MunishriShriDevnandiJi
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