Acharya Shri 108 Suyashnandi Ji was born on 7 May 1937 in Village-Nanihal,Dist-Khandwa,Madhya Pradesh.His name was Kamal Kumar Ji Dosi Jain before Diksha.He received initiation from Acharya Shri 108 Sukumalnandi Ji Maharaj.
श्री कमलजी ने गृहस्थ जीवन में लगभग 70 वर्ष धार्मिक, सामाजिक, व्यापारिक, परोपकारी कार्यों में बिताने के बाद 24 जनवरी 2007 को गृह त्याग दिया।सिंह निष्क्रीड़ित व्रत : कठोर तपस्वी मुनिश्री/आचार्यश्री ने अनेक उपवासों के अतिरिक्त जैन आगम के अनुसार, 29 जून2009 से 13 अक्टूबर 2009 तक कठिनतम सिंह निष्क्रीड़ित व्रत किया। इस 108 दिन के व्रत में 90 उपवास और 18 पारणा हुए। इस अवसर पर आचार्यश्री को निमित्त ज्ञानी, वात्सल्य दिवाकर, तपस्वी रत्न, मोक्षरत्न, सिंह निष्क्रीड़ित मुनि और वात्सल्य रत्नाकर की पदवियां प्रदान की गईं।74 वर्षों की अति सक्रिय, परोपकारी, धार्मिक-लौकिक एवं मुनि-आचार्य पद की तपस्वीजिंदगी बिताने के कुछ ही समय बाद 18 सितम्बर 2011 को सुविख्यात आचार्यश्री सुयशनन्दिजी महाराज की सल्लेखनापूर्वक गेवराई (महाराष्ट्र) में समाधि हो गई।
Acharya Shri 108 Suyashnandi Ji was born on 7 May 1937 in Village-Nanihal,Dist-Khandwa,Madhya Pradesh.His name was Kamal Kumar Ji Dosi Jain before Diksha.He received initiation from Acharya Shri 108 Sukumalnandi Ji Maharaj.