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#SuvandyaSagarJiMaharaj1972SuvidhiSagarJi
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज...
एक ऐसे संत हैं जिनका जीवन त्याग का दर्पण है ।
समस्त परिग्रहों का त्याग कर मोक्षमार्ग पर बढ़ते हुए प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज का परिचय उनकी अगमानुसारी चर्या है | वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं।
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज कठोर तपस्वी तथा कुशल स्वाध्यायी हैं ।
वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं और आगम के अनुसार चर्या करने में दृढ़ श्रध्दा रखते हैं यही उनका परिचय है।
बघेरवाल रत्न प.पु. श्री सुवंद्य सागर जी महाराज का जीवन परिचय
पुर्व नाम - श्री प्राणेश प्रदिप जी खेडकर
जिंतूर जिल्हा परभणी
जन्म - 03/04/1972
लौकीक शिक्षण -B.Sc. औरंगाबाद
ब्रम्हचर्य व्रत- प.पु. श्री समाधिसागरजी महाराज नवागड तीर्थक्षेत्र
दिक्षा गुरु-
प.पु.आ.श्री सुविघीसागरजी महाराज गंजपंथा तीर्थक्षेत्र
दिक्षा दिवस -05/02/2004.
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज...
एक ऐसे संत हैं जिनका जीवन त्याग का दर्पण है ।
समस्त परिग्रहों का त्याग कर मोक्षमार्ग पर बढ़ते हुए प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज का परिचय उनकी अगमानुसारी चर्या है | वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं।
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज कठोर तपस्वी तथा कुशल स्वाध्यायी हैं ।
वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं और आगम के अनुसार चर्या करने में दृढ़ श्रध्दा रखते हैं यही उनका परिचय है।
आपने तिलमात्र भी परिग्रह का ग्रहण नहीं करके एक सच्चे दिगंबर साधु का रूप विश्व के सामने प्रस्तुत किया और अपनी चर्या से समाज को दिगंबर साधु चर्या का प्रात्यक्षिक दिखाया । अनेक ग्रंथों के स्वाध्याय से अपने अपना ज्ञान तो बढ़ाया साथ ही हिंदी तथा मराठी भाषा में अनेक शास्त्रों को शब्द बद्ध कर श्रावकों के लिए उपलब्ध कराये |
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज द्वारा लिखित शास्त्रों का अनेक संघो में स्वाध्याय किया जाता है ।
He has written 24 granthas.
हिंदी -
कड़वे सच, उपासक संस्कार, तमसो मा ज्योतिर्गमय, दानोपदेश,
धन्य मुनिचर्या!, बिखरे मोती, बनता है हंस शोभा, दानगाथा,
जिनवाणी कण्ठहार, अमितगति श्रावकाचार, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय,
फुल खिले हैं गुलशन-गुलशन,स्याद्वाद आलोक, सुगन्धदशमीव्रतकथा,
जिनाभिषेक एवं पूजन विचार, चन्द्रप्रभ चरित्र, दिगम्बरत्व का रहस्य,
लघु स्वयम्भू स्तोत्र, भ्रमतमहर दिवाकर, सिद्धक्षेत्र चूलगिरि, आचारसार,
सिद्धभक्ति की झलक, अनूठे प्रवचन, गुरु गरिमा
मराठी: -
हनुमान चरित्र, वृषभोद्धार कथा, इंद्र चरित्र, संत साधना,
भद्रबाहू आख्यान, सम्यक्त्व कौमुदी, मल्लिनाथ चरित्र,
मेरू-मंदर पुराण, जिनवाणी शतक
आगामी ग्रन्थ :
सुदर्शनोदय, धर्म न्या है?, धर्म की सरिता,
काँटों की सुरक्षा में खिलते फूल,
कथा कुसुमांजलि, योगसार प्राभृत
ऐसे अनेक ग्रंथ सबके लिए उपलब्ध कराये ।
#SuvandyaSagarJiMaharaj1972SuvidhiSagarJi
मुनि श्री १०८ सुवन्द्य सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ सुविधिसागरजी महाराज १९७१ Acharya Shri 108 Suvidhisagarji Maharaj 1971
Sanjul Jain 23-Dec-2020 created wiki page for Maharaj ji
SuvidhiSagarJi1971SanmatiSagar
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज...
एक ऐसे संत हैं जिनका जीवन त्याग का दर्पण है ।
समस्त परिग्रहों का त्याग कर मोक्षमार्ग पर बढ़ते हुए प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज का परिचय उनकी अगमानुसारी चर्या है | वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं।
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज कठोर तपस्वी तथा कुशल स्वाध्यायी हैं ।
वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं और आगम के अनुसार चर्या करने में दृढ़ श्रध्दा रखते हैं यही उनका परिचय है।
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज...
एक ऐसे संत हैं जिनका जीवन त्याग का दर्पण है ।
समस्त परिग्रहों का त्याग कर मोक्षमार्ग पर बढ़ते हुए प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज का परिचय उनकी अगमानुसारी चर्या है | वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं।
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज कठोर तपस्वी तथा कुशल स्वाध्यायी हैं ।
वे निर्ग्रन्थ मुनि हैं और आगम के अनुसार चर्या करने में दृढ़ श्रध्दा रखते हैं यही उनका परिचय है।
आपने तिलमात्र भी परिग्रह का ग्रहण नहीं करके एक सच्चे दिगंबर साधु का रूप विश्व के सामने प्रस्तुत किया और अपनी चर्या से समाज को दिगंबर साधु चर्या का प्रात्यक्षिक दिखाया । अनेक ग्रंथों के स्वाध्याय से अपने अपना ज्ञान तो बढ़ाया साथ ही हिंदी तथा मराठी भाषा में अनेक शास्त्रों को शब्द बद्ध कर श्रावकों के लिए उपलब्ध कराये |
प . पू . निर्ग्रन्थ मुनि श्री सुवंन्द्यसागर महाराज द्वारा लिखित शास्त्रों का अनेक संघो में स्वाध्याय किया जाता है
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हिंदी -
कड़वे सच, उपासक संस्कार, तमसो मा ज्योतिर्गमय, दानोपदेश,
धन्य मुनिचर्या!, बिखरे मोती, बनता है हंस शोभा, दानगाथा,
जिनवाणी कण्ठहार, अमितगति श्रावकाचार, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय,
फुल खिले हैं गुलशन-गुलशन,स्याद्वाद आलोक, सुगन्धदशमीव्रतकथा,
जिनाभिषेक एवं पूजन विचार, चन्द्रप्रभ चरित्र, दिगम्बरत्व का रहस्य,
लघु स्वयम्भू स्तोत्र, भ्रमतमहर दिवाकर, सिद्धक्षेत्र चूलगिरि, आचारसार,
सिद्धभक्ति की झलक, अनूठे प्रवचन, गुरु गरिमा
मराठी: -
हनुमान चरित्र, वृषभोद्धार कथा, इंद्र चरित्र, संत साधना,
भद्रबाहू आख्यान, सम्यक्त्व कौमुदी, मल्लिनाथ चरित्र,
मेरू-मंदर पुराण, जिनवाणी शतक
आगामी ग्रन्थ :
सुदर्शनोदय, धर्म न्या है?, धर्म की सरिता,
काँटों की सुरक्षा में खिलते फूल,
कथा कुसुमांजलि, योगसार प्राभृत
ऐसे अनेक ग्रंथ सबके लिए उपलब्ध कराये ।
Muni Shri 108 Suvandya Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ सुविधिसागरजी महाराज १९७१ Acharya Shri 108 Suvidhisagarji Maharaj 1971
आचार्य श्री १०८ सुविधिसागरजी महाराज १९७१ Acharya Shri 108 Suvidhisagarji Maharaj 1971
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SuvidhiSagarJi1971SanmatiSagar
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