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#VishokSagarjiMaharaj1975ViragsagarJi
Muni Sri was born on 1-9-1975 in Lalitpur. Your mother Kusum Devi and father Gyan Chand ji gave you religious rites since childhood. He did his elementary education from 9th grade to Shri De Jain Varni Inter College, Lalitpur. After that, being impressed by the contact and company of Acharya Shri Virag Sagar ji, you took Brahmacharya fast from Acharya Shri in Lalitpur on 8-11-1995.
मुनि श्री १०८ विशोक सागरजी महाराज
मुनि श्री का जन्म 1-9-1975 को ललितपुर में हुआ । आपकी माता कुसुम देवी और पिता ज्ञान चंद जी ने आपको बचपन से ही धार्मिक संस्कार दिए । आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 9th कक्षा तक श्री दि जैन वर्णी इंटर कालेज ललितपुर से प्राप्त की । तत्पश्चात आचार्य श्री विराग सागर जी के संपर्क एवं सानिध्य से प्रभावित होकर आपने 8-11-1995 को ललितपुर मेंआचार्य श्री से ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया ।
संक्षिप्त परिचय | |
जन्म: | १.९.१९७५ |
जन्म नाम: | |
जन्म स्थान:: | ललितपुर |
माता का नाम: | कुसुम देवी |
पिता का नाम: | ज्ञान चंद जी |
ब्रह्मचर्य व्रत : | ८ -११ -१९९५ |
ऐलक दीक्षा | १३ -१० -२००० |
ऐलक दीक्षा स्थान | शिखरजी |
ऐलक दीक्षा गुरू: | आचार्य श्री विराग सागर जी |
मुनि दीक्षा | ८ -६ -२००३ |
मुनि दीक्षा स्थान | ललितपुर |
मुनि दीक्षा गुरू: | आचार्य श्री विराग सागर जी |
वर्षों धर्म मार्ग पर निरंतर उन्नति कर 13-10-2000 को शिखरजी में आपने आचार्य श्री से ऐलक दीक्षा ग्रहण की । साधना मार्ग पर अग्रसर होते हुए आपने 8-6-2003 को ललितपुर में आचार्य श्री विराग सागर जी से मुनि पद प्राप्त किया । धर्म पथ पर अविरल बढ़ते हुए आप स्वाध्याय ,चिंतन ,मनन एवं लेखनरत हैं । आपका साहित्य --- इबादत मेरे दिल की ,हाय !मेरा भारत ,खोजते रह जाओगे,बिन्दु से सिन्धु की यात्रा ,जिंदगी एक गीत है गाने के लिए ,तेरा एहसास मेरी जिंदगी ,कर्म दहन विधान । आपने चातुर्मास 2000 में श्री सम्मेद शिखरजी ,2001 में गया (बिहार ),2002 में श्रेयांस गिरी (m.p.),2003 में डाबडा (म.प्र .)में100 साल के बाद दिगम्बर मुनिराज का चातुर्मास हुआ । 2004 में आगरा (u.p.) ,2005 में बडौत (u.p.),2006 में न्यू उस्मानपुर (दिल्ली),2007 में शालीमारबाग (दिल्ली) ,2008 हांसी (हरियाणा) में 56 साल के बाद चातुर्मास हुआ और 350 वर्ष पुराने मन्दिर का जीर्णोद्धार का कार्य प्रारम्भ हुआ और खुदाई में भू -गर्भ से 1000 वर्ष पुरानी प्रतिमा का प्रगट होना एवं देवों द्वारा प्रतिमा का दुग्ध अभिषेक होना ऐतिहासिक क्षण घटित हुआ ।
पथरिया में विरागोदय महामोहोत्सव में १३ फरवरी २०२३ जो जैन धर्म के विशाल एवं भव्य आयोजन के तेरहवां दिवस स्वर्णिम इतिहास में लिखा गया। जहा गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज ने अपने करकमलों से आचार्य, स्थविर, गणधर, उपाध्याय, प्रवर्तक, मुनी, क्षुल्लक तथा गणनी के पद के संस्कार विधीपूर्वक दिए। उपाध्याय पद मुनी श्री १०८ विशोक सागरजी महाराज को दिया गया।
#VishokSagarjiMaharaj1975ViragsagarJi
उपाध्याय श्री १०८ विशोक सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ विराग सागरजी महाराज १९६३ Acharya Shri 108 Virag Sagarji Maharaj 1963
ViragSagarJi1963Vimalsagarji
Muni Sri was born on 1-9-1975 in Lalitpur. Your mother Kusum Devi and father Gyan Chand ji gave you religious rites since childhood. He did his elementary education from 9th grade to Shri De Jain Varni Inter College, Lalitpur. After that, being impressed by the contact and company of Acharya Shri Virag Sagar ji, you took Brahmacharya fast from Acharya Shri in Lalitpur on 8-11-1995.
After continuously progressing on the path of religion for 13-10-2000, he received initiation from Acharya Shri at Shikharji. While proceeding on Sadhana Marg, you obtained the post of Muni from Acharya Shri Virag Sagar Ji in Lalitpur on 8-6-2003. Growing steadily on the path of religion, you are self-study, contemplation, contemplation and writing. Your literature --- Ibaadat mein dil ki, hi! My India, will keep searching, the journey from point to point of Indus, Zindagi is a song to sing, your feeling my life, Karma Dahan Vidhan You have had Chaturmas in 2000, Shri Sammed Shikharji, in 2001 Gaya (Bihar), in 2002 Shreyans Giri (mp), in 2003 in Dabda (MP), after 100 years, Chatamaras of Digambar Muniraj. Agra (up) in 2004, Badaut (up) in 2005, New Osmanpur (Delhi) in 2006, Shalimarbagh (Delhi) in 2007,
In Viragodaya Mahamohotsav at Pathariya, on 13 February 2023, the thirteenth day of the huge and grand event of Jainism was written in the golden history. Where Ganacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Maharaj with his Blessings ritually gave the rites of the post of Acharya, Sthavir, Ganadhar, Upadhyay, Pravartak, Muni, Kshullak and Ganani. The post of Upadhyay was given to Muni Shri 108 Vishok Sagarji Maharaj.
Upadhyay Shri 108 Vishok Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विराग सागरजी महाराज १९६३ Acharya Shri 108 Virag Sagarji Maharaj 1963
आचार्य श्री १०८ विराग सागरजी महाराज १९६३ Acharya Shri 108 Virag Sagarji Maharaj 1963
Upadhyay Shri 108 Vishok Sagarji Maharaj
#VishokSagarjiMaharaj1975ViragsagarJi
ViragSagarJi1963Vimalsagarji
#VishokSagarjiMaharaj1975ViragsagarJi
VishokSagarjiMaharaj1975ViragsagarJi
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