जिनवाणी-स्तुति Author: —Language : HindiRhythm: – Type: Jinvani StutiParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha मिथ्यातम नासवे को, ज्ञान के प्रकासवे को,आपा-पर भासवे को, भानु-सी बखानी है ।छहों द्रव्य जानवे को, बन्ध-विधि भानवे को,स्व-पर पिछानवे को, परम प्रमानी है ॥ अनुभव बतायवे को, जीव के जतायवे को,काहू न सतायवे को, भव्य उर आनी है ।जहाँ-तहाँ तारवे को, […]
दर्शन-स्तुति Author: Pandit DaulatramjiLanguage : HindiRhythm: – Type: Darshan StutiParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha सकल ज्ञेय ज्ञायक तदपि, निजानंद रसलीनसो जिनेन्द्र जयवंत नित, अरि-रज-रहस विहीन ॥ अन्वयार्थ : सम्पूर्ण पदार्थों के जानने वाले होने पर भी जो अपनी आत्मा के आनन्द रूपी रस में लीन रहते हैं तथा जो ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अंतराय इन चार […]
समाधिमरण-भाषा Author: Pandit SurchandjiLanguage : HindiRhythm: – Type: SamadhiMaran-BhashaParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha बन्दौं श्री अरिहंत परम गुरु, जो सबको सुखदाईइस जग में दुख जो मैं भुगते, सो तुम जानो राईं ॥अब मैं अरज करूँ प्रभु तुमसे, कर समाधि उर माँहींअन्त समय में यह वर मागूँ, सो दीजै जगराई ॥१॥ भव-भव में तनधार नये मैं, […]
समाधि-भावना Author: Pandit ShivramjiLanguage : HindiRhythm: – Type: Samadhi BhavanaParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ,देहांत के समय में, तुमको न भूल जाऊँ ॥टेक॥ शत्रु अगर कोई हो, संतुष्ट उनको कर दूँ,समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊँ ॥१॥ त्यागूँ आहार पानी, औषध विचार अवसर,टूटे नियम न कोई, […]
समाधिमरण Author: Pandit DyanatraijiLanguage : HindiRhythm: – Type: Samadhi MaranParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha गौतम स्वामी बन्दों नामी मरण समाधि भला हैमैं कब पाऊँ निश दिन ध्याऊँ गाऊँ वचन कला है ॥देव धर्म गुरु प्रीति महा दृढ़ सप्त व्यसन नहिं जानेत्याग बाइस अभक्ष संयमी बारह व्रत नित ठाने ॥१॥ चक्की उखरी चूलि बुहारी पानी त्रस […]
महावीर-वंदना Author: Pandit Hukumchandji ChabadaLanguage : HindiRhythm: – Type: Mahavir VandanaParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha जो मोह माया मान मत्सर, मदन मर्दन वीर हैंजो विपुल विघ्नों बीच में भी, ध्यान धारण धीर हैं ॥ जो तरण-तारण, भव-निवारण, भव-जलधि के तीर हैंवे वंदनीय जिनेश, तीर्थंकर स्वयं महावीर हैं ॥ जो राग-द्वेष विकार वर्जित, लीन आतम ध्यान […]