महाअर्घ्य Author: Pandit DyanatrayLanguage : HindiRhythm: – Type: Maha ArghyaParticulars: ArghyaCreated By: Shashank Shaha मैं देव श्री अरहंत पूजूँ, सिद्ध पूजूँ चाव सों ।आचार्य श्री उवज्झाय पूजूँ, साधु पूजूँ भाव सों ॥अरहन्त भाषित बैन पूजूँ, द्वादशांग रची गनी ।पूजूँ दिगम्बर गुरुचरण, शिवहेत सब आशा हनी ॥सर्वज्ञ भाषित धर्म दशविधि, दयामय पूजूँ सदा ।जजि भावना षोडश […]
समुच्चय-महाअर्घ्य Author: Pandit DyanatrayLanguage : HindiRhythm: – Type: Maha ArghyaParticulars: ArghyaCreated By: Shashank Shaha पूजूँ मैं श्री पंच परमगुरु, उनमें प्रथम श्री अरहन्त ।अविनाशी अविकारी सुखमय, दूजे पूजूँ सिद्ध महंत ॥ तीजे श्री आचार्य तपस्वी, सर्व साधु नायक सुखधाम ।उपाध्याय अरु सर्व साधु प्रति, करता हूँ मैं कोटि प्रणाम ॥ करूँ अर्चना जिनवाणी की, वीतराग […]
दीपावली-पूजन Author: Pandit Dyanatray Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dipawali Pooja महावीर निर्वाण दिवस पर, महावीर पूजन कर लूँवर्धमान अतिवीर वीर, सन्मति प्रभु को वन्दन कर लूँ ॥पावापुर से मोक्ष गये प्रभु, जिनवर पद अर्चन कर लूँजगमग जगमग दिव्यज्योति से, धन्य मनुजजीवन कर लूँ ॥कार्तिक कृष्ण अमावस्या को, शुद्धभाव मन में भर […]
देव-शास्त्र-गुरु -द्यानतरायजी कृत -प्रथम देव अरहंत Author: Pandit Dyanatray Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja प्रथम देव अरहंत, सुश्रुत सिद्धांत जूगुरु निर्ग्रन्थ महन्त, मुकतिपुर पन्थ जू॥तीन रतन जग मांहि सो ये भवि ध्याइयेतिनकी भक्ति प्रसाद परमपद पाइये॥ पूजौं पद अरहंत के, पूजौं गुरुपद सारपूजौं देवी सरस्वती, नित प्रति अष्ट प्रकार॥ […]
देव-शास्त्र-गुरु -बाल ब्रह्मचारी रवीन्द्र जी आत्मन कृत-देव-शास्त्र-गुरुवर Author:Child Bal Brahmachari Ravindra Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja देव-शास्त्र-गुरुवर अहो! मम स्वरूप दर्शाय।किया परम उपकार मैं, नमन करूँ हर्षाय॥जब मैं आता आप ढिंग, निज स्मरण सु आय।निज प्रभुता मुझमें प्रभो! प्रत्यक्ष देय दिखाय॥ ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्रगुरु समूह! अत्र अवतर अवतर […]
देव-शास्त्र-गुरु -पण्डित हुकमचन्द भारिल्ल कृत -शुद्ध ब्रह्म परमात्मा Author: Pandit Hukamchand BharilLanguage : HindiRhythm: – Type: PoojaParticulars: Dashlakshan Pooja शुद्ध ब्रह्म परमात्मा, शब्दब्रह्म जिनवाणी।शुद्धातम साधक दशा, नमो जोड़ जुग पाणि। ॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनंॐ ह्रीं देवशास्त्रगुरुसमूह! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् […]